समस्याओं में ही उनका समाधान छुपे होते हैं | Buddhist Story On Mindset

 समस्याओं में ही उनका समाधान छुपे होते हैं | Buddhist Story On Mindset | Motivational Kahani .

Buddhist Story On Mindset 


समस्या में ही समाधान है यह एक ऐसा मंत्र है जिसे हम सभी ने कहा है या सुना है लेकिन क्या यह सच है बहुत से लोग समस्याओं के सामने खड़े होकर बस इंतजार करते रहते हैं आशा करते हैं कि समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी यह एक सामान्य सोच है कि समस्या से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम इंतजार करें और उम्मीद करें कि समस्या खुद ही ठीक हो जाएगी लेकिन क्या यह सच है क्या वाकई मुश्किलों का सामना करना और उनसे निपटना इतना आसान है इस कहानी में हम बात करेंगे कि समस्याओं के सामने खड़े होकर इंतजार करना सबसे अच्छा विकल्प नहीं है हम आपको सिखाएंगे कि समस्याओं का सामना करना उन्हें हल करने का सही और प्रभावी तरीका है इस कहानी के माध्यम से हम सीखेंगे कि हमारी मेहनत समर्पण और सही दिशा में कदम बढ़ाने से ही समस्याएं हल हो सकती हैं तो इस कहानी को देखें और सीखें कि समस्याओं का सामना करना और उन्हें हल करना ही सच्चा समाधान है तो चलिए शुरू करते हैं। 

Buddhist Story On Mindset / Motivational Kahani in hindi. 


 दोस्तों बहुत समय पहले की बात है एक राज्य का राजा बहुत चिंतित था क्योंकि उसकी पत्नी का जन्मदिन नजदीक आ रहा था यूं तो कहने को वह राजा था लेकिन फिर भी उनके वैवाहिक जीवन में हजारों प्रकार की समस्याएं थी परंतु राजा जन्मदिन पर अपनी पत्नी को एक ऐसा उपहार देना चाहता था।

 कि जिससे उनके जीवन में जो दुख है वह कम से कम उस दिन के लिए दूर चला जाए वह अपनी पत्नी को खुश करना चाहता था किंतु आपने देखा होगा कि यह कार्य बहुत ही मुश्किल है क्योंकि हम आज तक किसी को खुश नहीं कर पाए हम चाहे लाख कोशिशें ही क्यों ना कर ले लेकिन हम कभी किसी को खुश नहीं कर पाते क्योंकि ? 

यह खुशी हमारे पास नहीं है और ना ही सामने वाले के पास है जो हमारे पास है ही नहीं वह हम किसी और को कैसे दे सकते हैं अर्थात अगर आपको किसी दूसरे को खुशी देनी है तो सबसे पहले आपको खुश होना होगा आपको खुश महसूस करना होगा अर्थात वह खुशी आपके पास होनी चाहिए तभी तो आप किसी और को खुश रख सकते हैं।

 एक दिन राजा ने सभी दरबारियों को दरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया और साथ ही सभी मंत्री गण भी वहां पर उपस्थित थे तभी राजा ने सभी से सुझाव मांगा कि आखिर वह किस प्रकार अपनी पत्नी को जन्मदिन पर खुश कर सकता है आखिर वह उन्हें कैसा उपहार दे जिस कारण राजा की पत्नी खुश हो सके वहां पर उपस्थित सभी लोग अपने मन की बातें राजा से बताते हैं परंतु राजा को वहां पर उपस्थित किसी भी व्यक्ति का कोई सुझाव पसंद ही नहीं आया एक दिन संझा के वक्त राजा अपने रथ से कहीं जा रहा था।

 तभी रास्ते में उसने एक बहुत ही सुंदर मूर्ति देखी वह मूर्ति बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो उस मूर्ति में जान हो उस मूर्ति को देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और वह तुरंत ही मूर्तिकार के पास पहुंचा और राजा उस मूर्तिकार से कहता है तुम तो बहुत बड़े कलाकार हो तुम्हारी मूर्तियों में चांद नजर आती है ऐसा प्रतीत होता है कि तुम्हारी मूर्तियां जीवित हैं हम तुम्हारी इन मूर्ति मयों को देखकर बहुत प्रसन्न है हम चाहते हैं।

 'कि तुम्हारी सारी मूर्तियां हमारे दरबार में शामिल हो यह सुनकर वह मूर्तिकार बहुत प्रसन्न हुआ जैसे उसे कोई खजाना मिल गया हो लेकिन तभी राजा ने उस मूर्तिकार से एक और बात कही देखो मैं चाहता हूं कि तुम मेरे दरबार में शामिल हो जाओ किंतु उससे पहले तुम्हें हमारे लिए हमारी रानी की ऐसी मूर्ति बनानी होगी जिसे देखकर वह खुश हो जाए और अपने सारे दुख दर्द भूल जाए और यदि तुम ऐसा ना कर सके तो मैं तुम्हारा सर धड़ से अलग कर दूंगा राजा के मुख से यह सुनकर मूर्तिकार घबरा गया उसके पसीने छूट गए वह राजा को मना भी कैसे करें इसीलिए उसने ना चाहते हुए भी राजा को स्वीकृति दे दी राजा उस मूर्तिकार की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ और वह वापस महल लौट गया।

 लेकिन उधर दूसरी तरफ जो मूर्तिकार अब तक बहुत प्रसन्न था जो अपने मन से मूर्तियां बनाया करता था जो हमेशा खुश रहता था अब वह दुखी हो गया था व वह गहरे दुख में चला गया था वह डर के कारण रानी की मूर्तियां बनाना शुरू करता है परंतु जो भी मूर्ति बनाता था उस मूर्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो वह मूर्ति बहुत दुखी है उसे किसी प्रकार का कोई दुख है एक के बाद एक उसने कई सारी मूर्तियां बना डाली परंतु कोई भी मूर्ति ऐसी नहीं थी।

 जिसे देखकर कोई भी खुश हो सके जिसे देखकर यह प्रतीत हो कि मानो उस मूर्ति में जान है और वह मूर्ति देखकर कोई भी अपना दुख भूल जाए और यह इस कारण हो रहा था क्योंकि मूर्तिकार भीतर से बहुत दुखी था जो उसकी मूर्तियों के रूप में साफ और स्पष्ट नजर आ रहा था राजा ने उस मूर्तिकार को एक सप्ताह का समय दिया था किंतु चार दिन तो उसने यूं ही व्यर्थ कर दिए अब उसके पास केवल तीन दिन का ही समय बचा था जिसके बारे में सोच सोचकर उस मूर्तिकार का गला सूखा जा रहा था डर के कारण अब उसके हाथ पैर भी काम करना बंद कर चुके थे।

 उसके हाथ से हथौड़ी और छीनी तक तक नहीं चल रही थी और उसे अपना भविष्य नजर आ रहा था उसे नजर आ रहा था कि राजा उसे मृत्यु दंड दे रहा है उसके बाद उसके परिवार का क्या होगा उसके परिवार को कौन संभालेगा यह सोच सोचकर उस मूर्तिकार का मन बैठा जा रहा था तभी उसने एक योजना बनाई वह अपने परिवार को साथ लेकर रात ही में गांव छोड़कर चला जाएगा यह सोचकर वह तुरंत घर लौटा उसने सारा सामान बांधा अपनी पत्नी और अपने बच्चों को भी तैयार किया व जैसे ही घर से निकलने वा था कि तभी उसने देखा कि राजा के सिपाही वहां पर तैनात है।


 यह देखकर वह मूर्तिकार और भी घबरा गया वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करें यदि वह यहां से भागने की कोशिश करता है और पकड़ा जाता है तो राजा उसके साथ-साथ उसके परिवार को भी मृत्यु दंड दे देंगे वह कुछ समझ नहीं पा रहा था तभी वह जमीन पर बैठ गया और रोने लगा और अपनी पत्नी से कहता है अब से तुम्हें बच्चों का ख्याल रखना होगा मेरा और तुम्हारा साथ यहीं तक था क्योंकि ? 

राजा ने जिस प्रकार की मूर्ति का मुझे आदेश दिया है मैं उस प्रकार की मूर्ति नहीं बना पा रहा जिस कारण राजा मुझे मृत्यु दंड दे देंगे वह मेरा सर धड़ से अलग कर देंगे और उसके बाद तो तुम्हें ही बच्चों का ख्याल रखना होगा इतना कहकर वह जोर-जोर से फूट फूट कर रोने लगा देखते ही देखते रात बीत गई और अगले दिन सुबह-सुबह उस मूर्तिकार के दरवाजे पर एक गुरु भिक्षा मांगने आए मूर्तिकार ने उन्हें भिक्षा लाकर दी तो मूर्तिकार बहुत परेशान लग रहा था।

Motivational kahani 


 जिसे देखकर गुरुवर उस मूर्तिकार से कहते हैं बेटा हमारे जीवन में दुख और सुख तो आते ही रहते हैं हमारे जीवन में दुख और समस्याएं तो होती ही हैं किंतु इन सभी दुख और समस्याओं का समाधान और निवारण भी होता है परंतु हम केवल दुख और समस्याएं ही देखते हैं उन दुख और समस्याओं के छिपे निवारण और समाधान को हम कभी नहीं देख पाते यदि तुम ध्यान से देखोगे तो हर समस्या का समाधान है।

 और हर दुख का निवारण भी है मैं यह अच्छी तरह जानता हूं कि तुम यहां से अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर भाग जाना चाहते थे किंतु ऐसा हो नहीं सका उस मूर्तिकार ने जब गुरु के मुख से यह बातें सुनी तो वह उनके चरणों में जा गिरा और हाथ जोड़कर उन गुरुवर से कहता है हे गुरुवर आप ही बताइए मैं क्या करूं राजा ने मुझे मूर्ति बनाने का आदेश दिया है किंतु मैं चाहकर भी मूर्ति नहीं बना पा रहा और यदि मैंने मूर्ति नहीं बनाई तो राजा मुझे मृत्यु दंड दे देंगे।

 और उसके बाद मेरे परिवार का क्या होगा उनका ख्याल कौन रखेगा तभी गुरुवर उस मूर्तिकार से कहते हैं बेटा आंख बंद कर लेने से कुछ नहीं होने वाला क्योंकि दुख और समस्याएं तो वहीं की वहीं खड़ी रहती हैं ध्यान देने और कर्म करने से सब कुछ बदल जाता है यदि तुम केवल आंखें बंद करके यह सोचोगे कि तुम्हारी समस्याएं चली जाएंगी।

 तो ऐसा कभी नहीं होगा इतना कहकर उन गुरुवर ने उस मूर्तिकार के कानों में कुछ कहा और उसके बाद वह वहां से चले गए उन गुरु के वहां से चले जाने के बाद वह मूर्तिकार महल गया जिसे देखकर राजा उस मूर्तिकार से कहता है लगता है तुमने समय से पहले ही एक अद्भुत मूर्ति तैयार कर ली है बताओ वह मूर्ति कहां है मैं भी उसे देखना चाहता हूं इस पर मूर्तिकार जवाब देते हुए कहता है महाराज अभी तक मैंने मूर्ति तैयार नहीं की है परंतु आपके दिए हुए।

 समय पर मैं अवश्य ही वह अद्भुत मूर्ति तैयार कर लूंगा लेकिन उससे पहले मेरा एक बार महारानी से मिलना बहुत आवश्यक है अन्यथा वह अद्भुत मूर्ति तैयार नहीं हो पाएगी राजा ने उस मूर्तिकार की सारी बातें ध्यानपूर्वक सुनी और उसके बाद राजा ने मूर्तिकार को महाराणी से मिलवाया मूर्तिकार महारानी से मिलने के बाद महारानी से प्रश्न करते हुए कहता है महारानी जी किसी भी औरत के जीवन का सबसे बड़ा दुख क्या हो सकता है इस पर महाराणी जवाब देते हुए उस मूर्तिकार से कहती हैं किसी औरत का मानव बन पाना उसका सबसे बड़ा दुख है।

 तभी वह मूर्तिकार महारानी से एक और प्रश्न करते हुए कहता है महारानी जी किसी औरत के जीवन का सबसे बड़ा सुख क्या है महाराणी उस मूर्तिकार के इस प्रश्न का जवाब देते हुए कहती हैं किसी भी औरत के जीवन का सबसे बड़ा सुख उसके पति और उसके बच्चों का उसके पास होना है

 महारानी के मुख से अपने प्रश्नों का जवाब जानकर मूर्तिकार बहुत प्रसन्न हुआ और उनसे आज्ञा लेकर वह वापस अपने घर लौट आया और अब से वह दिन रात उस मूर्ति पर काम करने लगा देखते ही देखते पूरे तीन दिन पूरे हो गए आखिरकार रानी के जन्मदिवस वाले दिन वह मूर्तिकार उस मूर्ति को लेकर राजमहल पहुंचता है लेकिन अब राजा के मन में यह बेचैनी थी कि पता नहीं उस मूर्तिकार ने आखिर कैसी मूर्ति बनाई होगी पता नहीं वह मूर्ति महारानी को पसंद आएगी भी या नहीं इस प्रकार के कई प्रश्न राजा के मन में चल रहे थे ।



राजा के मन की बेचैनी लगातार बढ़ती ही जा रही थी लेकिन उधर दूसरी तरफ राजा को उस मूर्तिकार पर पूर्ण विश्वास भी था क्योंकि राजा ने पहले ही उस मूर्तिकार के हाथों की कला देखी हुई थी इसलिए एक तरफ उनके मन में यह भी विचार चल रहे थे कि उस मूर्तिकार ने जरूर ही अद्भुत मूर्ति बनाई होगी वह मूर्ति सफेद कपड़ों से ढकी हुई थी तभी राजा ने उस मूर्ति की ओर इशारा करते हुए। 

 रानी से कहा यह आपका जन्मदिवस का तोहफा है इसे कबूल करें उसके बाद रानी ने अपने हाथों से उस मूर्ति से वह कपड़ा हटाया और उस मूर्ति को देखते ही रानी की आंखों से आंसू बहने लगे और यह देखकर राजा को ऐसा प्रतीत हुआ कि मानो महारानी को यह मूर्ति पसंद नहीं है इसलिए राजा ने तुरंत ही क्रोधित होकर अपने सिपाहियों को आदेश दिया और उस मूर्तिकार को बंदी बनवा लिया।

 लेकिन तभी महारानी राजा से कहती हैं रुकिए इस मूर्तिकार ने तो मेरा दुख और सुख एक ही मूर्ति में निकाल दिया है इस मूर्ति में मेरे पति मेरे साथ है और मेरे हाथ में मेरा बच्चा है इससे सुंदर मूर्ति मैंने आज तक नहीं देखी यह बहुत ही लाजवाब है अद्भुत है इससे सुंदर तोहफा मेरे लिए और कोई नहीं हो सकता काश ऐसा मेरे जीवन में वास्तव में हो जाए मेरे पति भी मेरे साथ हो और मेरे हाथों में मेरा बच्चा हो महाराणी की यह सारी बातें सुनकर और मूर्ति को देखकर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ।

 राजा अपनी प्रजा और अपने साम्राज्य की देखरेख में इतना व्यस्त रहता था कि वह कभी अपनी पत्नी को समय नहीं दे पाता था जिस कारण राजा की आंखों से आंसू बहने लगे और दरबार में उपस्थित सभी लोग वह मूर्ति देखकर हैरान आज तक किसी ने भी ऐसी सुंदर और जीवित मूर्ति नहीं देखी थी जिसमें सुख और दुख एक साथ नजर आ रहे हो उसके बाद उस राजा ने उस मूर्तिकार को रिहा करवाया और उसे ढेरों इनाम दिए।

 और अपने राज्य दरबार में जगह भी दी किंतु उस मूर्तिकार ने इनाम तो स्वीकार कर लिया परंतु राज दरबार में उसे जगह नहीं ली और हाथ जोड़कर राजा से कहता है हे महाराज मेरी आपसे विनती है आपने मुझे चेतावनी दी थी यदि मैं यह मूर्ति नहीं बना सका तो आप मुझे मृत्यु दंड दे देंगे किंतु मैं आपसे बस इतना ही कहना चाहता हूं हम में से चाहे कोई भी प्राणी क्यों ना हो सभी के प्राण उतने ही कीमती है जितना कि आपका या महाराणी के हैं इसीलिए किसी को भी बिना दोष के दंड नहीं देना चाहिए मेरी पत्नी ने मुझसे कहा था।

 कि राजा की दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही अच्छी नहीं है इसीलिए मुझे आपके राज दरबार में कोई स्थान नहीं चाहिए मैं अपनी छोटी सी दुनिया में बहुत खुश हूं मैं अपने छोटे से परिवार के साथ बहुत खुश हूं मैं आज तक जो करता आया हूं मुझे वह पसंद है और मैं अपने पूरे जीवन काल वही करना चाहता हूं मैं जैसा हूं जिस हाल में हूं मुझे बहुत प्रसन्नता है कि मैं आज इतना खुशहाल इंसान हूं अब मुझे आज्ञा दीजिए इतना कहकर वह मूर्तिकार वहां से चला गया दोस्तों इसी प्रकार हमारे जीवन में भी बहुत बड़े-बड़े संकट और दुख आते जाते हैं किंतु वास्तव में तो यह दुख और संकट हमें कुछ सिखाने के लिए आते हैं किंतु हम तो केवल उन दुख और समस्याओं को ही देखते रह जाते हैं हम उनका निवारण खोजने का तनिक भी प्रयास नहीं करते और जब हम दुख के समय क्रोध करते हैं तो हम वास्तविकता में अपना ही नुकसान कर लेते हैं।

 जो व्यक्ति समझदार होते हैं वह अपने दुख और परेशानियों से यह सबक सीख ही लेते हैं कि उन्हें विषम परिस्थितियों में शांत रहकर उन दुखों का निवारण करना चाहिए उन समस्याओं का समाधान करना चाहिए किंतु हम में से अधिकांश लोग यह नहीं सीख पाते और वे लोग दुख और परेशानियों के समय पर क्रोधित हो ही जाते हैं वह इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि हमें दुख और समस्या के समय पर शांत रहना चाहिए और उसका समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए किंतु हम बार-बार वही गलती दोहराते रहते हैं जब भी हमारे सामने कोई विषम परिस्थिति उत्पन्न होती है तो हम बार-बार क्रोधित हो जाते हैं और क्रोध में आकर हम अपना ही नुकसान कर लेते हैं।

 क्योंकि क्रोध में हम कभी भी कोई चीज सीख नहीं सकते क्रोध में हमारा मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है और उसे केवल वह परिस्थिति नजर आती है वह समय नजर आता है जो उसके खिलाफ है और जो जीवन के दुखों से इन समस्याओं से कुछ सीख नहीं पाता ऐसा व्यक्ति पूर्ण रूप से एक दलदल में फंसे हुए इंसान की तरह है जो परिस्थितियों के दलदल में कुछ इस प्रकार फंस चुका है कि वह वहां से निकल नहीं सकता फिर वह चाहे कितना भी हाथ पैर क्यों ना मार ले।

Hindi Motivational Story 


 और जितना हाथ पैर मारेगा वह उतना ही उस दलदल में फंसता चला जाएगा जबकि आपको हाथ पैर ना मारकर बल्कि शांत रहकर अपने मस्तिष्क का प्रयोग करना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि इस दुख इस समस्या और इस परिस्थिति का समाधान क्या हो सकता है किंतु आप तो अपने आप को पहले से ही दलदल में डाल चुके हैं।

 और ऐसी स्थिति में आप बाहर निकलने के बारे में ना सोचकर लगातार और हाथ पैर मारकर आप अपने आप को उस दलदल में और भी नीचे डुबा जा रहे तो ऐसी परिस्थिति में आप भला उस समस्या उस परिस्थिति का सामना कैसे करेंगे वहां से बाहर कैसे निकलेंगे और वहीं पर जो व्यक्ति थोड़े भी जागृत है।

 जो दुख और समस्याओं का निवारण और समाधान खोजने में वास्तव में अपना समय लगाते हैं वह यह जानते हैं कि निवारण और समाधान एक हीरे की तरह है वह हीरे की खान की तरह है जिस प्रकार एक हीरे को ढूंढा जाता है फिर उसे तराशा जाता है जिसके बाद उस हीरे की कीमत बहुमूल्य हो जाती है ठीक वैसे ही दुख और समस्या में समाधान और निवारण खोजने की आवश्यकता होती है।

 और वह हमें खोजने भी चाहिए और जब आपको मिल जाते हैं तब आपको एक ऐसी संपदा मिलती है एक ऐसी समझ एक ऐसा विश्वास एक ऐसी शक्ति मिलती है कि उसके बाद आपके सामने जब कोई समस्या या कोई परेशानी आती है तो आप अकेले नहीं होते बल्कि आप यह समझ जाते हैं।

 कि वह विषम परिस्थिति आपको कुछ सिखाने आई है और आप उसका डटकर सामना करते हैं उससे वह सारी चीजें सीखते हैं जो वह आपको सिखाना चाहती है और उसके बाद आप और भी मजबूत होते चले जाते हैं आपका विश्वास और भी बढ़ता चला जाता है आप और भी शक्तिमान और बलवान होते चले जाते हैं इसीलिए महात्मा बुद्ध कहते हैं।

 कि यदि दुख है तो उसका निवारण भी है यदि समस्या है तो उसका समाधान भी है इसीलिए केवल दुख में उलझे मत रहिए बल्कि उस दुख का निवारण कीजिए और यही आपको करना चाहिए केवल हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से या फिर यूं ही समय को व्यर्थ गवाने से आपको कभी भी उसका निवारण नहीं मिलेगा बल्कि जितना आप उस दुख और समस्या से अपनी जान छुड़ाकर भागने की कोशिश करेंगे।

 उतनी ही तीव्रता से आपके पीछे भागेगी और जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा वह दुख और समस्या और भी विकराल रूप ले लेगी और तब उसका सामना करना और भी मुश्किल हो जाएगा इसलिए यदि कोई दुख और समस्या अभी आपके सामने है तो उसे लड़ डटकर सामना कीजिए उससे सीखिए और निवारण कीजिए दोस्तों आपने आज के इस वीडियो से क्या सीखा वह मुझे आप कमेंट में बता सकते हैं इसी के साथ में उम्मीद है कि आपको आज की  कहानीं पसंद

 आई होगी तो इस कहानी उस इंसान को शेयर करें जिससे यह कहानी सुनने की जरूरत है और उसी के ठीक बाद चैनल को सब्सक्राइब करें तो चलिए फिर मिलते हैं ऐसी एक और नई वीडियो में एक नए मैसेज के साथ तब तक के लिए अपना ख्याल रखें धन्यवाद और नमो बुद्धाय. 


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