जैसी सोच वैसा जीवन| Buddhist Story | Gautam Buddha Teachings

 जैसी सोच वैसा जीवन| Buddhist Story | Gautam Buddha Teachings


जैसी सोच वैसा जीवन

दोस्तों किसी ने ठीक ही कहा है कि उनके साथ जरूर रहो जिनका वक्त खराब है पर उनका साथ छोड़ दो जिनकी नियत खराब है आज की कहानी एक लड़के की है एक 24 साल का लड़का जो कि एक जमींदार के यहां नौकरी करता था उसके मां-बाप इस दुनिया में नहीं थे जिंदगी बड़ी कठिनाइयों में बीत रही थी।

 वह जाता था रोज पैसे कमाकर घर आता था खाना बनाता था खाता था और सो जाता था यही उसकी दिनचर्या थी एक शाम जब वह अपने काम से घर वापस लौट रहा था था तो उसने देखा कि एक बूढ़े फकीर अपनी पीठ पर तीन बड़ी पोटली रखकर एक नगर से दूसरे नगर की तरफ जा रहे थे वह देखने में काफी बूढ़े लग रहे थे।

 और वह काफी देर से ऐसे ही सफर कर रहे थे और आखिरकार कुछ दूर और चलने के बाद वह चलते-चलते थक कर एक पेड़ के नीचे आकर बैठ गए तभी उनकी नजर इस नौजवान युवक पर पड़ी जो कि उसी रास्ते पर जा रहा था और उसी दिशा में जा रहा था जिस दिशा में उन बूढ़े फकीर को जाना था तभी वह लड़का उन बूढ़े फकीर के पास से होकर गुजरा जैसे ही वह उनके पास से गुजरा तभी उन बूढ़े फकीर ने पीछे से आग्रह भरी आवाज में कहा सुनो बेटा क्या तुम मेरी थोड़ी सी मदद कर सकते हो यह पोटलिया बड़ी भारी हैं और मैं बूढ़ा हो चुका हूं मैं ज्यादा देर तक इनका बोझ नहीं उठा सकता और मैं बहुत थक भी चुका हूं तो क्यों ना तुम मेरी एक पोटली को उठा लो और इसे उस दूसरे गांव तक पहुंचा दो इसके बदले में मैं तुम्हें दो सोने के सिक्के दूंगा वह लड़का उन फकीर की सारी बातें सुनता है फिर उनसे कह कहता है।

 कोई बात नहीं बाबा मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूं बताइए आपको कहां जाना है ऐसा कहते हुए उस लड़के ने उन फकीर की एक पोटली उठा ली और उसे अपने कंधे पर रख लिया जैसे ही उसने पोटली को कंधे पर रखा उसे आभास हुआ कि यह पोटली तो सच में बहुत भारी है फिर वह लड़का और वह फकीर रास्ते में आगे की ओर बढ़ चले कुछ देर तक चलने के बाद देखते ही देखते वह गांव खत्म होने लगा और अब एक सुनसान रास्ता आगे की ओर जा रहा था वे दोनों अपने रास्ते पर होकर आगे की ओर बढ़ रहे थे जब वे भीड़ से पूरी तरह से अलग हो गए ।


तब वह लड़का उन फकीर से कहता है कि बाबा इस पोटली में आखिर ऐसा क्या रखा है जिससे यह पोटली इतनी भारी है इस पर वह फकीर बाबा जवाब देते हुए कहते हैं कि कुछ नहीं बेटा बस इसमें कुछ तांबे के सिक्के भरे हुए हैं इसीलिए यह इतना भारी है उन फकीर की यह बात सुनकर वह लड़का मन ही मन सोचने लगा लगता है यह बाबा जरूर कोई व्यापारी हैं तभी तो इतने सारे तांबे के सिक्के साथ लेकर चल रहे हैं।

 लेकिन तभी उसके म में एक विचार आया मुझे इन सब से क्या मतलब मुझे तो सिर्फ इस पोटली को दूसरे गांव तक पहुंचाना है जैसे उसके मन में यह विचार आया उसने तांबे के सिक्कों का ख्याल अपने मन से निकाल दिया और मस्त होकर मार्ग में आगे की ओर बढ़ने लगा चलते-चलते कुछ और समय बीता और वे दोनों एक नदी के किनारे आ पहुंचे वह लड़का काफी हट्टा कट्टा था और काफी चुस्त और तंदुरुस्त भी था इसीलिए वह बिना ज्यादा सोचे उस नदी में उतर जाता है।

 परंतु वह फकीर अभी भी किनारे पर ही खड़े थे यह देख वह लड़का उन फकीर से कहता है क्या हुआ बाबा क्यों रुक गए आइए हमें इस नदी को पार करना होगा तभी तो हम उस गांव तक पहुंच पाएंगे इस पर वह फकीर उस लड़के से कहते हैं मैं जानता हूं बेटा कि हमें यह नदी पार करनी ही होगी पर जैसा कि तुम देख ही रहे हो मैं अब बूढ़ा हो चुका हूं इसीलिए यह दोदो पोटलिया एक साथ लेकर यह नदी पार नहीं कर सकता इसमें अगर मेरा पैर फिसल गया तो फिर मैं आगे का सफर कैसे पूरा करूंगा क्या तुम मेरी एक पोटली और ले सकते हो मैं तुम्हें इसके बद भी दो सोने के सिक्के और दूंगा इस पर वह लड़का मुस्कुराते हुए उन फकीर से कहता है।

 बाबा अब आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं अगर आप मुझे सोने के सिक्के ना भी दें तब भी मैं आपका कार्य अवश्य करूंगा मैं आपको उस दूसरे गांव तक अवश्य पहुंचा ंगा इस पर वह फकीर मुस्कुराते हुए कहते हैं बेटा तुम तो बड़े ही भले आदमी मालूम पड़ते हो इतना कहकर उन्होंने वह दूसरी गठरी भी उस लड़के को थमा दी जब उस लड़के ने वह दूसरी गठरी अपने कंधे पर रखी तब उसे यह गठरी भी बहुत ज्यादा भारी लगी किंतु उसने वहां पर कुछ नहीं कहा जैसे-तैसे उन दोनों ने वह नदी पार की नदी पार करने के बाद बातों ही बातों में उस लड़के ने उन फकीर से कहा बाबा आखिर इस दूसरी गठरी में क्या है क्योंकि यह भी बहुत भारी है इसका उत्तर देते हुए बाबा कहते हैं।

 बेटा इस गठरी में चांदी के सिक्के हैं इसीलिए इस गठरी में भी काफी वजन है उन फकीर की यह सारी बातें सुनकर अब उस लड़के का दिमाग तेजी से काम करने लगा था वह सोचने लगा एक गठरी में तांबे के सिक्के हैं और दूसरी में चांदी के ऐसा लग रहा है जैसे यह फकीर बाबा बड़ी दूर से आ रहे हैं और इन्होंने अपनी सारी जमीन जायजा बेचकर यह सिक्के इकट्ठा किए हैं इसीलिए तो यह इतना धन साथ लेकर चल रहे हैं।

 लेकिन वह लड़का उन फकीर बाबा से कुछ भी नहीं कहता और वे दोनों चुपचाप मार्ग में आगे की ओर बढ़ते चले जाते हैं कुछ देर चलने के बाद आगे फिर एक सुनसान रास्ता आता है उस सुनसान रास्ते पर आते ही उस नौजवान लड़के के मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे वह सोचने लगा अरे यह तो सुनसान रास्ता है अगर मैं यह सिक्के लेकर यहां से भाग जाऊं तो यह फकीर भला कब तक मेरे पीछे भागेंगे मुझे नहीं लगता कि यह मुझे कैसे भी पकड़ पाएंगे और यहां कोई है भी नहीं जो इनकी मदद कर पाए और वैसे भी यह बहुत सारे सिक्के हैं मैं इनसे एक अच्छे दुकान खरीद सकता हूं और खुद का व्यापार भी शुरू कर सकता हूं और वैसे भी यह बूढ़ा फकीर अब इस धन का क्या करेगा।

 इससे अच्छा तो मैं ही इसे ले लेता हूं व लड़का यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे खुद पर आश्चर्य हुआ अरे मैं यह सब क्या सोच रहा हूं यह फकीर बाबा ना जाने कहां से आ रहे होंगे और ना जाने कितनी मेहनत करके इन्होंने यह सिक्के इकट्ठा किए होंगे मुझे इनका फायदा नहीं उठाना चाहिए नहीं नहीं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए उसने कुछ देर के लिए तो अपने मन के विचारों पर काबू पा लिया किंतु कुछ देर बाद देखते ही देखते उसके मन के लालच भरे विचार उस पर हावी होने लगे वह लड़का दो पोटलिया लेकर उन फकीर के पीछे-पीछे चल रहा था।

 कुछ दूर और चलने पर रास्ते में एक पहाड़ी आई उसे देख वो फकीर बाबा उस लड़के से कहते हैं बेटा यह पहाड़ी मैं नहीं चढ़ पाऊंगा मैं काफी बूढ़ा हो चुका हूं और मेरे घुटनों में भी दर्द रहता है यदि तुम मेरी यह तीसरी गठरी भी ले लो तो मैं तुम्हें दो सोने के सिक्के और दूंगा लेकिन याद रहे इसे कहीं गिराना मत यह कहीं खुल ना जाए यह बात सुन वह लड़का उन फकीर से कहता है क्यों बाबा आखिर इस गठरी में ऐसा क्या है इस पर वह फकीर उस लड़के से कहते हैं बेटा इसमें सोने के सिक्के हैं यह सुन वह लड़का मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ उसने चुपचाप वह तीसरी गठरी भी उन फकीर से ले ली और दोनों बिना कुछ बोले आगे की ओर बढ़ चले अब वह फकीर बिना कोई वजन लिए आराम से पहाड़ी के चढ़ाई चढ़ रहे थे लेकिन वह नौजवान लड़का जो कि पीछे था वजन के कारण बहुत धीरे-धीरे चल पा रहा था।

 लेकिन जब से उसने सोने के सिक्कों का नाम सुना था उसका मन तो छलांग मार रहा था वह मन ही मन सोच रहा था कि अगर यह सारे सिक्के मुझे मिल जाएं तो मेरा जीवन तो बड़ी आसानी से कट जाएगा वैसे भी यह फकीर तो बूढ़े चुके हैं भला इन्हें इतने धन की क्या आवश्यकता इनका जीवन तो वैसे भी कट ही चुका है मैं एक काम करता हूं यह सारा धन लेकर यहां से भाग जाता हूं लड़के के मन में अनगिनत विचार चल रहे थे।

 लड़के का मन अब उसकी बुद्धि पर पूरी तरह से हावी हो चुका था उस लड़के का मन अपनी बात को सही साबित करने के लिए उसे कोई भी तर्क दे रहा था और तभी उसके मन में एक और विचार उठा और अबकी बार वह लड़का यह सोच रहा था कि लगता है यह फकीर बाबा कोई चोर हैं नहीं तो इनके पास इतने सारे सोने के सिक्के कहां से आए अगर यह कोई व्यापारी होते तो यह इस तरीके से पैदल यात्रा तो नहीं करते और अगर इनके पास इतना सारा धन था तो यह कोई ना कोई साधन भी अवश्य करते लगता है यह कोई चोर है और चोर का धन चोरी करने में भला कौन सी बुराई यह सोचता हुआ वह लड़का अब काफी तेजी से ऊपर की ओर चढ़ रहा था और देखते ही देखते वह फकीर से आगे भी निकल गया वह यह सोच रहा था कि जैसे ही इस पहाड़ी की चढ़ाई खत्म होगी और ढलान आएगी।


 मैं इन तीनों पोटलिया को लेकर भाग जाऊंगा जिसके बाद यह सारा धन मेरा हो जाएगा और मेरी गरीबी भी हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी मेरे पास बहुत सारा धन होगा फिर मैं जो चाहूंगा वो कर पाऊंगा यह सब सोचते सोचते वह पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गया और अब ढलान का रास्ता शुरू होने वाला था तभी वह लड़का उन फकीर की नजरों से बचता हुआ तीनों गठरिया लेकर तेजी से भागता हुआ आगे निकल गया अब उसे अपना शरीर बहुत हल्का महसूस हो रहा था जैसे कि उसे उन तीनों गठरिया का वजन तक ना मालूम पड़ रहा हो काफी देर तक दौड़ते भागते लोगों की नजरों से बचते बचाते वह सुनसान रास्तों से होता हुआ किसी तरह अपने घर पहुंचा उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।

 उसने सोचा क्यों ना मैं जल्दी-जल्दी इन सभी पोटलिया से सारे सिक्के निकालकर उन्हें कहीं छुपा दूं यह सोचकर जब उसने गठरी खोली तो पहली गठरी में उसे जंग लगे हुए लोहे के सिक्के मिले यह देखकर उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ इस पर उसने तुरंत ही दूसरी गठरी भी खोल डाली इस पर भी उसे जंग लगे हुए लोहे के सिक्के ही मिले यह सब देखकर कर वह लड़का बड़ा हैरान हुआ उसने मन ही मन कहा आखिर यह सब क्या हो रहा है उन फकीर ने तो मुझसे कुछ और ही कहा था।

 अब उसने वह तीसरी सोने वाली गठरी खोली उसमें भी लोहे के जंग लगे सिक्के ही निकले यह देखकर वह लड़का बड़ा क्रोधित हुआ आखिर उन फकीर ने मुझसे झूठ क्यों कहा उन्होंने ऐसा क्यों कहा कि एक गठरी में तांबे के सिक्के हैं दूसरी में चांदी के और तीसरी में सोने के वह यह सब सोच रहा था कि तभी उसकी नजर उस गठरी के अंदर पड़े एक पत्र पर पड़ी उसने तुरंत वह पत्र उठाया और पढ़ने लगा उस पत्र में लिखा था।

 यह पूरा नाटक एक ईमानदार व्यक्ति की खोज करने के लिए रचा गया है मैं इस राज्य का राजा हूं मेरी कोई संतान नहीं है इसीलिए मैंने यह षड्यंत्र रचा है ताकि मैं अपने राज्य से किसी एक ऐसे ईमानदार व्यक्ति की खोज कर सकूं जो मेरे बाद इस राज्य का राजा बन सके और राज्य भार को संभाल सके और इस राज्य भार को वही संभाल सकता है जो पूरी तरह से ईमानदार हो जिसके मन में किसी प्रकार का कोई लालच ना हो पत्र पढ़ते ही वह लड़का जोर-जोर से चिल्लाने लगा और अपना सिर पकड़कर बैठ गया वह यह जानता था कि अगर वह अपने मन के विचारों पर नियंत्रण कर लेता तो उसका जीवन बदल सकता था लेकिन अफसोस कि वह अपने मन के विचारों पर नियंत्रण नहीं कर पाया दोस्तों महात्मा बुद्ध कहते हैं कि विचार ही सब कुछ है।

 जैसा हम सोचते हैं वैसे ही बन जाते हैं इसीलिए हमारा सबसे बड़ा दुश्मन भी हमें उतना नुकसान नहीं पहुंचा सकता जितना कि हमारे मन के यह अनियंत्रित विचार पहुंचा सकते हैं महात्मा बुद्ध कहते हैं कि अपने मन को ध्यान से देखो हमारे मन में जो विचार चलते हैं वही विचार शब्द बनते हैं और विचार ही कर्म के रूप में प्रकट होते हैं बार-बार दोहराने पर कर्म आदत में बदलता है और समय के साथ धीरे-धीरे यह आदतें हमारे चरित्र का गठन करती हैं और आगे चलकर यही चरित्र हमारे भाग्य का निर्माण भी करता है इसीलिए हमारा अपने विचारों के प्रति सजग रहना बेहद आवश्यक है हमारा जागरूक रहना बेहद आवश्यक है।

 हमारा इस पर ध्यान देना जरूरी है कि हमारे मन में किस तरह के विचार उठ रहे हैं आगे महात्मा बुद्ध कहते हैं कि कमजोरी हमेशा छोटे विचार से शुरू होती है छोटा विचार एक बीज की तरह होता है और अगर समय रहते इस विचार रूपी बीज को नष्ट ना किया जाए तो यह छोटा सा विचार बहुत ही जल्द एक विशाल वृक्ष का रूप ले लेता है और हमारी बुद्धि की सोचने और समझने की क्षमता को पूरी तरह से नष्ट कर देता है।

 इसीलिए जब हमारे मन में पहली बार कोई गलत विचार जन्म ले तभी उसे जड़ से उखाड़ देना चाहिए अन्यथा वह बहुत ही जल्द एक विशाल वृक्ष का रूप ले लेगा और हमें किसी ना किसी गलत राह पर ढकेल ही देगा फिर हम चाह कर भी उसे रोक नहीं पाएंगे लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि हम अपने मन के विचारों को कैसे नियंत्रित करें हमारा मन तो इतना शक्तिशाली है इतना चंचल है कि वह किसी ना किसी तरीके से हम पर हावी हो ही जाता है हम चाह कर भी उस पर नियंत्रण नहीं रख पाते इस प्रश्न के उत्तर में महात्मा बुद्ध हमें दो बातें बताते हैं पहली बात सही इरादा विकसित करो कई बार आपने देखा होगा कि आप बोलना कुछ और चाहते हैं लेकिन बोल कुछ और देते हैं।

 क्योंकि आपके मन के भीतर जो कुछ बसा हुआ है वही आपके मुख से बाहर भी निकल रहा है लेकिन जब हमसे वह गलती हो जाती है तो उसके बाद हमारा मस्तिष्क अच्छी तरह से काम करना शुरू कर देता है हम अपने सोचने और बोलने के प्रति सजग हो जाते हैं और इसी अवस्था में हमें एहसास होता है कि हमसे गलती हो गई है और फिर हमारा मन दुखी हो जाता है वह पश्चाताप से भर जाता है और इस दुख और पश्चाताप से बचने के लिए महात्मा बुद्ध हमें सही राधा विकसित करने के लिए कहते हैं और ऐसा करने के लिए जब भी आप कोई कार्य करने जा रहे हो तो सबसे पहले आपको स्वयं से पूछना चाहिए कि जो कुछ भी मैं करने जा रहा हूं।

 इसके पीछे मेरा इरादा क्या है क्या मैं दूसरों को दुख पहुंचाना चाहता हूं दूसरों को नीचा दिखाने जा रहा हूं या मुझे दूसरों को और खुद को ऊपर उठाना है खुद से सवाल कीजिए खुद को सचेत कीजिए जब आप इरादों के प्रति सचेत होने लगेंगे जब आप विचारों के प्रति जागरूक होने लगेंगे तभी आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा तभी आप सकारात्मक इरादों से जुड़ने लगेंगे और आपके अंदर बैठी हुई नकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक इरादे दिन प्रतिदिन कम होने लगेंगे परंतु स्मरण रहे आपको यह हर दिन करना होगा और आपको हमेशा इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपको केवल अच्छा सोचना है और आपके इरादे हमेशा सही होने चाहिए।

 तभी आप दुख और तकलीफों से बच सकते हैं अन्यथा आप इसी तरह दुख और तकलीफों से घिरे ही रहेंगे और आप कभी भी इससे बाहर नहीं निकल पाएंगे दूसरी बात विचारों के प्रति जागरूकता विकसित करो जिससे आपका मन धीरे-धीरे शांत होने लगेगा और आपके मन में बसी हुई सभी नकारात्मक ऊर्जा एं सभी नकारात्मक विचार खत्म होने लगेंगे और आप शांति की दिशा में आगे बढ़ेंगे और आपको इसके लिए सिर्फ इतना ही करना है कि इस पल में जो कुछ भी घटित हो रहा है।

 आपकी आंखों के सामने आपके अंदर जो कुछ भी जैसा भी चल रहा है बस उसे देखते रहना है अपने मन के अच्छे बुरे विचार अपनी भावनाओं और यादों पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए बस उन्हें देखते रहना है जिससे आपके मन के सारे विचार देखते ही देखते खत्म होने लगेंगे आपका मन खाली होने लगेगा इसके बाद आप ना केवल नकारात्मक विचारों से बच सकते हैं बल्कि आप बहुत सी दुख और तकलीफों से भी दूर रह सकते हैं इसीलिए तथागत बुद्ध कहते हैं कि जो स्वयं को देखता है।

 वही सबसे बड़ा तपस्वी है अर्थात जो अपने मन में चल रहे विचारों को सिर्फ देखता है और उन पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं करता सिर्फ उन्हें देखता है और समझता है वास्तव में वही अपने मन पर नियंत्रण भी कर सकता है और वही अपना जीवन सुखी और खुशहाली के साथ जी सकता है इसीलिए यदि आप भी अपने जीवन को सुखी और खुशहाल बनाना चाहते हैं तो आपको अपने मन पर नियंत्रण साधना ही होगा।

 अपने मन में चल रहे विचारों के प्रति जागरूक होना ही होगा और अपने मन को खाली करना ही होगा दोस्तों उम्मीद है कि आपको इस वीडियो से बहुत कुछ सीखने को मिला होगा और वीडियो में यहां तक बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद....। 

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