बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी | युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी | Motivational Story
बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी | युवाओं के लिए प्रेरणादायक कहानी | Motivational Story In Hindi
नमस्कार दोस्तों, बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी में आपका दिल से स्वागत है। आज की कहानी में हम एक ऐसे व्यक्ति को देखेंगे जो अपने जीवन में बहुत सारी समस्याओ से जूझ रहा था। यह केवल उसके सोचने के तरीके के वजह से था उसे लगता था कि मानव जीवन बहुत कष्टदायक है। वो सोचता था कि पशुओं का जीवन इंसानों से बेहतर है क्योंकि उन्हें इतनी समस्याएं झेलनी नहीं पडती हम इंसानों को सदा चिंताएं सताती रहती है जबकि पशु पक्षी आनंद से जीवन जीते हैं हैं तो आइए जानते हैं उसकी सोच बुद्ध ने कैसे बदली और कैसे वह जान गया कि मनुष्य का जीवन ही सबसे कीमती है तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं
![]() |
| बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी |
गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानियां / Buddhist Story,
एक व्यक्ति एक मार्ग में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा था तभी अचानक वह दूसरे व्यक्ति से टकरा गया इस पर वह दूसरा व्यक्ति क्रोधित होकर कहता है अरे जानवर हो क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता एक सांड की तरह लगातार आगे बढ़ते जा रहे हो इस पर पहला व्यक्ति कहता है काश आप जो कह रहे हैं वही सत्य होता लेकिन दुर्भाग्यवश मैं एक मनुष्य हूं।
उस पहले व्यक्ति के मुख से यह सुनकर उस दूसरे व्यक्ति का क्रोध शांत हो गया वह उस पहले व्यक्ति से कहता है लगता है तुम बहुत दुखी हो वरना सौभाग्य की बात को दुर्भाग्य ना कहते क्योंकि एक इंसान का जन्म पाना तो बड़े ही सौभाग्य की बात है मनुष्य का जीवन बड़ी कठिनाइयों से मिलता है और तुम हो कि एक जानवर होना चाहते हो तभी वह पहला व्यक्ति कहता है मित्र क्या आपने कभी किसी जानवर को आत्महत्या करते हुए देखा है
क्या आपने कभी किसी जानवर को किसी दूसरे जानवर को धोखा देते हुए देखा है क्या आपने किसी जानवर को अपने अतीत या फिर अपने भविष्य के लिए परेशान होते हुए देखा है ऐसे में मनुष्य का जीवन भला सौभाग्य की बात कैसे हो सकती है इससे अच्छा तो पशुओं का जीवन ही है हम मनुष्य तो पशुओं से भी गए गुजरे हैं।
उस पहले व्यक्ति की यह सारी बातें सुनकर वह दूसरा व्यक्ति कहता है लगता है तुम बहुत दुखी हो तुम्हारे जीवन में बहुत बड़ी समस्या आ पड़ी है यदि ऐसा है तो तुम्हें इसका समाधान महात्मा बुद्ध के पास मिल जाएगा तो वहां जाओ तभी पहला व्यक्ति कहता है कि कौन है क्या कोई साधु है महात्मा है रस्य मुनि है या पंडित है।
अगर वह इनमें से हैं तो इनमें से कोई भी मेरी मदद नहीं कर सकता मैं ऐसे कई लोगों से मिल चुका हूं और इनके पास मेरी समस्या का कोई समाधान नहीं है इस पर वह दूसरा व्यक्ति कहता है वह इनमें से तो नहीं है लेकिन वह क्या है यह मैं भी नहीं जानता बस मैं इतना ही जानता हूं कि जो भी उनके पास जाता है उनकी सभी समस्याओं का समाधान वह बड़ी सरलता से कर देते हैं जो भी उनके पास आता है।
वह अपने सारे दुख दर्द वहीं पर छोड़कर चला आता है उस दूसरे व्यक्ति की बात सुनकर पहले व्यक्ति को लगा कि उसे भी महात्मा बुद्ध से मिलना चाहिए उसने उस दूसरे व्यक्ति से कहा ठीक है भाई अगर तुम कहते हो तो मैं एक बार उनसे भी मिल लेता हूं उन्हें भी देख लेता हूं कि आखिर ऐसी क्या बात है जो लोगों की समस्याओं का समाधान बड़ी सरलता से कर देते हैं।
इतना क वह व्यक्ति अगले ही दिन महात्मा बुद्ध से मिलने के लिए निकल पड़ता है लगातार तीन दिन की यात्रा करने के बाद आखिरकार वह महात्मा बुद्ध के पास जा पहुंचा जब वह महात्मा बुद्ध के करीब पहुंचा तो उसने देखा कि महात्मा बुद्ध अपने सभी शिष्यों को उपदेश दे रहे थे महात्मा बुद्ध कह रहे थे इस पृथ्वी पर उपस्थित हर किसी का जीवन बहुत कीमती है परंतु मनुष्य जीवन अनमोल है इसका उपयोग कर मनुष्य जीवन के उच्चतम शिखर तक पहुंच सकता है।
![]() |
| Buddha Motivational Story |
और इसी मनुष्य जीवन के कारण हम मनुष्य पशुओं से नीचे भी आ सकते हैं महात्मा बुद्ध का यह उपदेश समाप्त होते ही वहां पर जो भी लोग बैठे हुए हुए थे वह वहां से चले गए तभी वह व्यक्ति महात्मा बुद्ध के करीब पहुंचा और वह महात्मा बुद्ध को प्रणाम करके कहता है हे बुद्ध आप कहते है।
' कि हम मनुष्य का जीवन अनमोल है आखिर हम मनुष्य के जीवन में ऐसी क्या बात है हम मनुष्य के जीवन में कीमती जैसा क्या है हम चिंता करते हैं परेशान रहते हैं हम अपने भविष्य के लिए हमेशा चिंतित रहते ऐसे ही हजारों प्रकार की समस्याएं हम मनुष्य के जीवन में चलती रहती हैं।
लेकिन आप क्या जाने आप तो एक साधु हैं आपने तो यह सारी चीजें त्याग दी हैं और इसीलिए शायद आप यह सारी बातें बड़ी आसानी से कह सकते हैं मुझे तो यही लगता है कि मनुष्य का जीवन बहुत ही कठिन है हमें इसे समाप्त कर लेना चाहिए आपने कभी किसी पशुओं को देखा है ना तो वह चिंता करते हैं ना ही उन्हें किसी तरह की तकलीफ होती है।
ना ही वह कोई परेशानी में रहते हैं वह तो अपना जीवन मौज मस्ती में जीते हैं ना ही उन्हें अपने भूतकाल की चिंता होती है और ना ही भविष्य की ना ही वह किसी को धोखा देते हैं और ना ही किसी से शिकायत करते हैं वह तो बस अपना जीवन जीते रहते हैं और वहीं पर दूसरी तरफ हम मनुष्य का जीवन ठीक इसका उल्टा है मुझे तो यही लगता है।
कि मनुष्य का जीवन पशु के जीवन से भी बदतर है मनुष्य जीवन एक श्राप है जो हमें मिला है ऐसे में आपको मनुष्य जीवन में ऐसी क्या विशेषताएं नजर आती हैं जो आप लोगों को झूठ बताते रहते हैं कि हम मनुष्य का जीवन बहुत कीमती है बहुत मूल्यवान है इस दौरान महात्मा बुद्ध उस व्यक्ति की सारी बातें ध्यानपूर्वक सुन रहे थे।
और वह उसकी मनोदशा को समझ रहे थे आखिर में महात्मा बुद्ध मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति से कहते हैं भंते तुम अपने जीवन के संघर्षों से भाग रहे हो यदि तुम संघर्ष करो गेही नहीं तो जीवन सफल कैसे बनेगा और जब हम संघर्षों से भागते हैं तो हमारा जीवन दूसरों के आधीन हो जाता है।
![]() |
| बुद्ध की कहानी हिन्दी में |
और फिर हमें दूसरों के अनुसार ही चलना पड़ता है इस इसलिए हमें अपने जीवन के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ता है महात्मा बुद्ध के मुख से यह सुनकर वह व्यक्ति बहुत अचरज में पड़ गया उसने तुरंत ही महात्मा बुद्ध को प्रणाम किया उनके चरणों में जा गिरा और उनसे कहने लगा हे।
बुद्ध आपको कैसे पता चला कि मैं अपने जीवन में संघर्षों से भाग रहा हूं उनसे बचना चाहता हूं मेरे जीवन में जब भी कोई समस्या खड़ी होती है तो मैं उसका सामना नहीं कर पाता बल्कि मैं उसे छोड़कर भाग जाना चाहता हूं आगे महात्मा बुद्ध उस व्यक्ति से कहते हैं तुम्हें लगता है कि पशुओं का जीवन हमसे लाख गुना अच्छा है
क्योंकि वह अपना जीवन खुद समाप्त नहीं कर सकते क्योंकि वह किसी को धोखा नहीं देते और ना ही आने वाले भविष्य की चिंता करते हैं इसका मतलब यह तो नहीं कि पशुओं के जीवन में कोई संघर्ष नहीं है पशुओं के जीवन में तो जन्म से लेकर मृत्यु तक संघर्ष ही होता है।
जब वह छोटे होते हैं तो उनकी जान को खतरा होता है वे अपने अपनी जान बचाने के लिए लिए संघर्ष करते हैं जैसे-जैसे बड़े होते हैं तो उन्हें अपना पेट भरने के लिए संघर्ष करना पड़ता है फिर चाहे उनके सामने कोई भी क्यों ना हो फिर चाहे उनके सामने कितनी भी बड़ी परिस्थितियां क्यों ना हो वे संघर्ष करने से कभी पीछे नहीं हटते लेकिन हम मनुष्य छोटे-छोटे संघर्षों से डर जाते हैं।
अगर हम उन पशुओं की तरह अपने जीवन में संघर्ष करने लगे तो मनुष्य का जीवन अपने आप ही सफल हो जाएगा इतना संघर्ष अगर एक मनुष्य अपने जीवन में कर ले तो वह जो चाहता है वह कर सकता उसे पा सकता है और जबकि इतना संघर्ष करने के बाद भी वह पशु अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर पाता।
भंते वास्तविकता तो यही है कि बिना संघर्ष के कोई जीवन है ही नहीं बिना संघर्ष के हमारा जीवन चल ही नहीं सकता फिर चाहे कोई राजा हो या भिखारी सबके जीवन में संघर्ष तो है ही जो भी इन परिस्थितियों के खिलाफ संघर्ष नहीं करता फिर चाहे वह मान मानव हो या पशु उसका नष्ट होना तय है इस पर वह व्यक्ति कहता है हे बुद्ध क्या आप मुझे कोई ऐसी चीज दे सकते हैं जिससे मेरे जीवन के सारे संघर्ष हमेशा हमेशा के लिए मुझसे दूर हो जाएं मेरी सारी चिंताएं सारी समस्याएं सारी परेशानियां हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाएं "और मेरा जीवन हमेशा हमेशा के लिए सुखमय बन जाए उस व्यक्ति की यह बात सुनकर महात्मा बुद्ध एक बार फिर से मुस्कुराने लगे।
और उस व्यक्ति से कहते हैं भंते मैं तुम्हें वह चीज तो नहीं दे सकता लेकिन हां मैं तुम्हें वहां तक पहुंचने का रास्ता जरूर बता सकता हूं यदि तुम वहां तक पहुंचने का संघर्ष कर लो तो तुम वहां तक पहुंच ही जाओगे और तुम्हें वह चीज मिल जाएगी लेकिन मेरी एक बात और याद रखन कि इसका अर्थ यह भी नहीं है कि इसके बाद से तुम्हारे जीवन में परेशानियां या फिर समस्याएं आनी बंद हो जाएंगी तुम्हारे जीवन में परेशानियां और समस्याएं तो आती ही रहेंगी।
लेकिन उनका प्रभाव तुम पर बहुत कम हो जाएगा तुम्हारे जीवन में दुख और समस्याएं तो आएंगी लेकिन वह तुम्हें छू नहीं पाएंगी और ऐसी अवस्था में चाहे तुम्हें कोई कितना भी दुख देने का प्रयास क्यों ना करें तुम्हें चाहे कोई कितना भी धोखा देने का प्रयास क्यों ना करें तुम्हें कभी भी धोखा नहीं मिलेगा।
सब कुछ तुम्हारे पास ही होगा लेकिन फिर भी वह तुमसे दूर रहेगा महात्मा बुद्ध की यह बात सुनकर व्यक्ति महात्मा बुद्ध के सामने दोनों हाथ जोड़कर महात्मा बुद्ध से कहता है।
हे बुद्ध बताइए वह चीज क्या है और मुझे कहां मिलेगी मैं उस चीज को पाने के लिए कुछ भी कर सकता हूं मैं अपना पूरा प्रयास लगा दूंगा लेकिन उस चीज को हासिल करके ही दम लूंगा इस पर महात्मा बुद्ध ने उस व्यक्ति से कहा सोच लो भंते एक बार यदि तुमने रास्ता शुरू कर दिया तो तुम्हें उस रास्ते पर चलते ही रहना होगा जब तक कि तुम अपनी मंजिल को पाने ही लेते और यह रास्ता अत्यंत संघर्ष से भरा होगा क्या तुम अपनी मंजिल तक पहुंच पाओगे।
इस पर व्यक्ति कहता है आप मुझे वह मार्ग बताइए मैं उस पर चलूंगा मैं अपनी अंतिम सांस तक संघर्ष करूंगा लेकिन उस चीज को हासिल करके ही दम लूंगा इस पर महात्मा बुद्ध कहते हैं सुनो उस चीज का नाम है शांति जो तुम्हारे मन के भीतर गहराइयों में है।
जैसे यह समुद्र की लहरें ऊपर से तो बड़ी तीव्र नजर आती हैं और उछाल मारती हैं जिन्हें देखकर हमारा मन घबरा जाता है परंतु ठीक इसी के विपरीत उसकी गहराई में वह बहुत ही शांत होता है और ठीक इसी प्रकार हमारे मन की गहराइयों में भी वह शांति छिपी हुई है तुम्हें अपने मन की गहराइयों में उस शांति को खोजना होगा उस शांति के लिए संघर्ष करना होगा और अगर तुम रास्ते से नहीं भटके तो जैसा मैंने तुम्हें कहा है
वह सब तुम्हें मिलेगा जो तुम चाहते हो महात्मा बुद्ध के मुख से यह सुनकर वह व्यक्ति कहता है हे तथागत मैंने तो सोचा था कि आप मुझे कोई ऐसी वस्तु बताएंगे जिसे मैं किसी भी हालत में खोज लूंगा और उसके बाद मेरा जीवन सुखमय बन जाएगा इस दुनिया में ऐसी कोई चीज जिसे खोजा नहीं गया।
लेकिन मैं अपने मन के भीतर कैसे जा सकता हूं वहां भला कौन सा मार्ग जाता है वहां भला ऐसी कौन सी सवारी जाती है जिस मार्ग पर मैं चलकर या फिर उस सवारी के द्वारा वहां तक पहुंच सकता हूं।
इस पर महात्मा बुद्ध मुस्कुराने लगे और उस व्यक्ति से कहते हैं भंते वहां पर कोई सवारी नहीं जाती और ना ही वहां पर मनुष्य पैदल जा सकता है फिर भी वह एक मार्ग है और उस मार्ग पर चलना ही पड़ता है।
इस पर वह व्यक्ति कहता है हे बुद्ध तो आप मुझे बताइए मैं उस मार्ग पर चलकर कैसे अपने मन के भीतर की उस शांति को खोज सकता हूं इस पर महात्मा बुद्ध ने कहा इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली क्या है इसका जवाब देते हुए वह व्यक्ति कहता है हे बुद्ध इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली चक्रवर्ती सम्राट है जिसके पास असीम शक्ति है जिसके पास सब कुछ है।
उसके पास किसी चीज की कोई कमी नहीं इसके जवाब में महात्मा बुद्ध कहते हैं नहीं इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली चीज है इच्छा और यही इच्छा इस दुनिया को चला रही है जो कोई भी कुछ भी कर रहा है वह उसकी इच्छा का ही परिणाम है उसका कर्म है सब कुछ उसकी इच्छा के अनुसार ही चल रहा है।
![]() |
| Buddhist Story In Hindi |
जहां तक बात है एक चक्रवर्ती सम्राट की तो एक इच्छा एक चक्रवर्ती सम्राट को भी धूल में मिटा सकती है और वहीं पर उसी के विपरीत एक इच्छा एक आम इंसान को भी एक चक्रवर्ती सम्राट बनाने में सक्षम है।
इस दुनिया में जो कोई भी है जहां कहीं भी है जिस किसी भी परिस्थिति में है वह उसकी इच्छा के अनुसार ही है वह उसकी इच्छा का परिणाम ही है अपनी इच्छा के बल पर मनुष्य इस जीवन में कुछ भी कर सकता है।
लेकिन एक वास्तविकता यह भी है कि मनुष्य अपनी इच्छा पर पर नियंत्रण नहीं कर पाता जिस कारण उसके जीवन में वह सब भी घटित होता रहता है जिसकी वह चाहत नहीं रखता हमारे मन की बुरी इच्छाएं हमारी तरफ बुरी चीजों को खींचती हैं इसलिए इच्छा बहुत सोच समझकर करनी चाहिए हमें अपने जीवन में क्या चाहिए।
यह केवल हम अपनी इच्छा से ही निर्धारित कर सकते हैं इस पर वह व्यक्ति कहता है हे बुद्ध तो क्या मैं अगर यह इच्छा कर करूं कि मुझे अपने मन की भीतर की शांति मिल जाए तो क्या वह मुझे मिल जाएगी तभी महात्मा बुद्ध कहते हैं भंते इस दुनिया में सबसे शक्तिशाली इच्छा अवश्य ही है परंतु फिर भी मनुष्य न जाने अपने जीवन में तरह-तरह की इच्छाएं पालता है लेकिन वह सारी इच्छाएं उसकी पूर्ण नहीं हो पाती जानते हो क्यों क्योंकि ?
उस इच्छा को पूरा करने के लिए एक और चीज की आवश्यकता पड़ती है और वह एक चीज की कमी मनुष्य के जीवन में हमेशा बनी रहती है क्या तुम उसके बारे में जानते हो इस पर वह व कहता है नहीं बुद्ध मैं नहीं जानता वह क्या चीज है।
तभी महात्मा बुद्ध कहते हैं भंते संकल्प के बिना इच्छा व्यर्थ है संकल्प के बिना तुम चाहे कितनी भी बड़ी इच्छा क्यों ना कर लो लेकिन वह कभी पूरी नहीं हो सकती संकल्प जितना मजबूत होगा तुम्हारी इच्छा भी पूरी होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी और संकल्प जितना कमजोर होगा तुम्हारी इच्छा भी उतनी ही कमजोर होगी इस पर वह व्यक्ति महात्मा बुद्ध से कहता है।
हे तो इसका अर्थ यह हुआ कि यदि मुझे शांति पाने की इच्छा है और मैं इसे पाने के लिए दृढ़ संकल्प करूं तो क्या मुझे वह शांति मिल जाएगी तभी महात्मा बुद्ध कहते हैं भंते संकल्प भले ही इच्छा को शक्ति प्रदान करता है परंतु इच्छा और दृढ़ संकल्प होने के बाद भी व्यक्ति अपने मंजिल तक पहुंच नहीं पाता क्योंकि वह राह में भटक जाता है।
और फिर थक हारकर वह अपने संकल्प को त्याग देता है और अपनी इच्छाओं को छोड़ देता है क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों होता है इस पर वह व्यक्ति कहता है हे बुद्ध मुझे नहीं पता तभी महात्मा बुद्ध कहते हैं क्योंकि किसी भी मार्ग पर चलने के लिए उस मार्ग के ज्ञान का होना बहुत आवश्यक है और यह ज्ञान हमें उस मार्ग पर चलकर ही मिल सकता है।
ना कि केवल बैठकर सोचने से और जब हम उस मार्ग पर चलते हैं तो हमें छोटी मोटी दिक्कतें समस्याएं परेशानियां आती ही रहती हैं और हम उन छोटी-छोटी समस्या में फस कर रह जाते हैं और हमारा संकल्प टूट जाता है।
हमारी इच्छा उन छोटी-छोटी समस्याओं के सामने कमजोर पड़ जाती है और हम उन समस्याओं के सामने घुटने टेक देते हैं हार मान लेते हैं और हमारा पूरा का पूरा जीवन फिर उन्हीं समस्याओं के इर्दगिर्द घूमता रह जाता है और हमारा पूरा जीवन वहीं पर समाप्त हो जाता है।
इस पर व्यक्ति कहता है हे बुद्ध मैं आपकी बातों को समझने का बहुत प्रयास कर रहा हूं लेकिन मुझ मुझे आपकी सारी बातें समझ नहीं आ रही कृपया करके आप मुझे साफ और स्पष्ट तौर पर समझाने का प्रयास करें तभी महात्मा बुद्ध ने उस व्यक्ति से कहा भंते मान लो कि तुम्हें किसी गांव में जाना है और वहां पर किसी व्यक्ति से मिलना है।
और तुमने यह दृढ़ संकल्प किया है कि तुम उस व्यक्ति से मिलकर ही रहोगे तुमने अपना सफर तो शुरू किया लेकिन काफी वर्षों के प्रयास के बाद भी ना तो वह गांव खोज पाए और ना ही उस व्यक्ति से मिल पाए "तो ऐसे में क्या हुआ इसके जवाब में वह व्यक्ति कहता है।
हे बुद्ध भला ऐसा कैसे हो सकता है यदि मैं जीवित हूं और वह व्यक्ति भी जीवित है जिससे मैं मिलना चाहता हूं और मुझे वह गांव पता है तो मैं उससे अवश्य ही मिल लूंगा तभी महात्मा बुद्ध कहते हैं भंते तुम्हें उस गांव का नाम पता है।
और तुम्हें जिसे मिलना है उसका नाम भी तुम्हें पता है पर तुम्हें यह नहीं पता कि गांव किस दिशा में है तो ऐसे में तुम कौन सा मार्ग पकड़ोगे और किस मार्ग पर आगे बढ़ो ग यदि मान लो कि तुमने किसी विपरीत मार्ग को पकड़ लिया तो क्या वह तुम्हें उस गांव तक ले जाएगा।
क्या वह तुम्हें उस व्यक्ति तक मिला पाएगा इस पर वह व्यक्ति कहता है हे बुद्ध इस अवस्था में तो यह कार्य बिल्कुल भी असंभव होगा इस पर महात्मा बुद्ध मुस्कुराते हुए उस युवक से कहते हैं भंते मैं कब से यही तुम्हें समझाने का प्रयास कर रहा हूं हमारी इच्छा संकल्प होने के बाद भी हमें सही मार्ग का ज्ञान होना आवश्यक है शं को खोजने का जो मार्ग है।
वह ध्यान और ध्यान भीतर होता है बाहर नहीं जब तुम अपने भीतर की शांति को खोजने के लिए ध्यान के मार्ग पर आगे बढ़ो कि अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए तुम उस मार्ग पर आगे की ओर बढ़ते चलोगे तो हो सकता है कि तुम्हारी राह में छोटी-छोटी मुसीबतें दिक्कत या तकलीफ आए लेकिन तुम्हें उन समस्याओं का सामना करना ही पड़ेगा।
तुम्हें उनसे लड़ना होगा उनसे संघर्ष करना ही होगा क्योंकि वह मार्ग तुम्हारे लिए बिल्कुल नया है है और पहली बार जब हम किसी मार्ग पर आगे बढ़ते हैं तो हमें यह नहीं पता होता कि अगला पड़ाव क्या होगा और आगे कौन सी कठिनाइयां आने वाली हैं हमें तो वहां पर जाने के बाद ही पता चल पाएगा।
वहीं पर दूसरी तरफ जो मनुष्य इन छोटी-छोटी दिक्कतों में नहीं फंसता वह अपने संकल्प पर दृढ़ बना रहता है अपने जीवन में वह सब कुछ पा लेता है जो वह चाहता है और अपनी मंजिल पर पहुंचकर उसे असीम शांति भी मिलती है और जब मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेता है।
तब उसे और कुछ पाने की इच्छा नहीं रह जाती इसी प्रकार यदि तुम भी केवल मार्ग पर आगे बढ़ते रहो तो तुम भी अपने मन के अंतर तक पहुंच जाओगे और वहां पहुंचने के बाद तुम्हें किसी चीज की कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी ना ही तुम्हें कोई धोखा दे पाएगा ना ही तुम्हें कोई लूट पाएगा और ना ही तुम्हें कोई दुख पहुंचा पाएगा।
उस अवस्था में पहुंचने के बाद ना ही कोई मोह ना ही कोई चिंता और ना ही कोई समस्या रहेगी तुम उस परिस्थिति से बड़ी सरलता से निकल पाओगे और जब तुम अपने मन की उस शांति को प्राप्त कर लोगे तो तुम एक तो नहीं रहोगे और ना ही एक मनुष्य रहोगे बल्कि तुम मनुष्य से भी और ऊंचा दर्जा प्राप्त कर लोगे और फिर तुम्हें कोई भी दुख कभी छू नहीं पाएगा।
फिर तुम्हें किसी चीज की कोई परेशानी नहीं रह जाएगी नहीं तो भविष्य की चिंता होगी और ना ही अपने बीते हुए भूतकाल की तुम तो बस अपनी शांति में मग्न रहोगे और तुम्हें किसी प्रकार का दुख कभी छू तक नहीं पाएगा।
महात्मा बुद्ध की यह बात सुनकर वह व्यक्ति महात्मा बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा और महात्मा बुद्ध से कहता है हे बुद्ध आपकी सारी बातें सत्य हैं मैं आपकी सारी बातें समझ चुका हूं लेकिन फिर भी मेरे मन में एक दुविधा है मेरे पास क्या ऐसी कोई चीज नहीं रख सकता।
जिससे मेरी सारी दुख सारी तकलीफें सारी कठिनाइयां हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाएं इस पर महात्मा बुद्ध मुस्कुराते हुए कहते भंते यदि तुम बाहरी दुनिया से कुछ अपने पास रखना चाहते हो तो तुम उस शांति को पाने का प्रयास छोड़ ही दो क्योंकि तुम कुछ ऐसा पाना चाहते हो।
जिससे तुम्हारी समस्याएं कभी समाप्त नहीं होंगी बल्कि और बढ़ती चली जाएंगी क्योंकि तुम्हारी समस्याओं का समाप्त होना संभव ही नहीं हो पाएगा और जानते हो ऐसा क्यों है इस पर वह व्यक्ति कहता है हे बुद्ध पर ऐसा क्यों ?
इसका जवाब देते हुए महात्मा बुद्ध कहते हैं भंते क्योंकि बाहर तो पहले से ही शांति है चारों ओर केवल शांति ही शांति है हमें तो बाहर की शांति नजर आती है लेकिन हमारे भीतर की शांति हमें नजर नहीं आती और जो शांति हम बाहर की ओर देख रहे हैं वह बाहर नहीं बल्कि हमारे भीतर ही है।
इसलिए जब तक तुम अपने अंतर को ठीक नहीं कर पाओगे तब तक तुम बाहर कुछ भी नहीं कर सकते जब तक तुम्हारे भीतर सब कुछ ठीक नहीं होगा तब तक बाहर कुछ भी ठीक नहीं हो पाएगा इतना कहकर महात्मा बुद्ध शांत हो गए और वह व्यक्ति महात्मा बुद्ध की बातों पर विचार करने लगा उसके पास महात्मा बुद्ध के बताए गए।
रास्ते के अलावा और कोई मार्ग भी नहीं था उसने दृढ़ संकल्प लिया कि वह अपने भीतर की उस शांति तक पहुंच कर ही रहेगा उसने ध्यान के मार्ग को अपनाया और आगे की ओर बढ़ने लगा अब वह व्यक्ति अपनी मंजिल तक पहुंचता है या नहीं यह तो उसकी संकल्प उसकी इच्छा शक्ति और उसके मार्ग में लगातार आगे बढ़ने पर निर्भर करता है।
उससे यह भी समझ आ गया कि मनुष्य का जीवन पशुओं से बुरा नहीं है बलिक उससे जैसा जीवन मिला है वही सही है और उससे वह और बेहतर कर सकता है।




Post a Comment