शिवरात्रि की कहानी सुनाइए | शिवरात्रि की कहानी
शिवरात्रि की कहानी सुनाइए | शिवरात्रि की कहानी .
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| शिवरात्रि |
नमस्कार आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है भक्ति ज्ञान चैनल में आइए सुनते हैं भगवान शिव की शिवरात्रि से जुड़ी एक बहुत ही सुंदर कहानी।
महाशिवरात्रि की असली कहानी क्या है?
भोला और हरिया दोनों गहरे मित्र थे दोनों के खेत पासपास में थे और वो अपने खेतों में मिलजुलकर काम करते थे एक दिन हरिया ने भोला से कहा भोला हम इतनी मेहनत से फसल उगाते हैं लेकिन फिर भी हमारी गरीबी दूर नहीं होती हमें कुछ और काम भी करना चाहिए यह सुनकर भोला कहता है।
मित्र ऐसा नहीं है भगवान जितना दे रहे हैं उसी में खुश रहना चाहिए यह सुनकर हरिया को गुस्सा आ जाता है और वह भोला से कहता है तू कुछ नहीं समझता है इतने दिन से तू शिवजी की पूजा कर रहा है भगवान ने तुझे आज तक दिया ही क्या है ।
तब भोला कहता है मैंने आज तक अपने भोले बाबा से कुछ नहीं मांगा मैं तो बस सच्चे मन से उनकी पूजा करता हूं और वह अपने आप ही मेरे सारे काम बना देते हैं मुझे कुछ मांगने की जरूरत ही नहीं पड़ती तू भी मेरे साथ मंदिर चलाकर तेरे मन से भी लालच निकल जाएगा हरिया गुस्सा होकर अपने घर चला जाता है।
घर में उसकी पत्नी सुमित्रा ने उससे पूछा तो हरिया ने कहा मैंने अपने मित्र भोला को साथ मिलकर व्यापार करने की सलाह दी तो उसने मना कर दिया और कहा कि भोले बाबा की कृपा से वह इतने में ही खुश है यह सुनकर सुमित्रा ने कहा भोला भैया भगवान शिव के भक्त हैं।
आप बचपन से उनके साथ ही रहते हो फिर भी आप कभी मंदिर नहीं गए सबका अपना अपना विश्वास है वैसे उनके कहने पर आप भी मंदिर जाकर भोले बाबा का आश आवाद ले लो यदि भगवान ने चाहा तो आपका व्यापार करने का सपना भी पूरा हो जाएगा सुमित्रा की बात हरिया की समझ में आ गई और वह अगले दिन भोला के साथ शिवजी के मंदिर गया वहां उसने भी पूजा की और उसके बाद शिवजी से प्रार्थना की कि हे प्रभु मुझे इतना धन दो जिससे मैं व्यापार कर सकूं यदि मेरा व्यापार चल गया तो मैं आपके मंदिर में एक सोने का शिवलिंग चढ़ाऊ।
उसकी यह प्रार्थना सुनकर भोला मुस्कुरा रहा था लेकिन उसने हरिया से कुछ नहीं कहा और वापस आकर अपने खेतों में काम करने लग गया कुछ दिनों बाद हरिया ने कर्ज लेकर व्यापार शुरू किया भगवान भोलेनाथ की कृपा से उसका व्यापार अच्छा चलने लगा एक दिन हरिया भोला से मिलने गया।
उसने कहा भोला देख तूने भोले बाबा की इतनी साल से भक्ति की और कुछ नहीं मांगा और मैं केवल तेरे साथ एक दिन मंदिर गया और भगवान से सोने का शिवलिंग चढ़ाने की बात की तो बाबा ने खुश होकर मेरा व्यापार शुरू करा दिया तब भोला ने कहा तुमने जो मांगा तुम्हें मिल गया मैंने तो भगवान से केवल उनकी भक्ति ही मांगी थी जिसमें मैं बहुत खुश हूं तुम्हारी खुशी धन दौलत में है और मेरी खुशी भोलेनाथ की भक्ति में है।
तब हरिया ने घमंड से कहा देखना इस साल शिवरात्रि पर मैं सोने का शिवलिंग चढ़ाऊ तब तेरे बाबा मुझे और धनवान बना देंगे उसकी बात सुनकर भोला मुस्कुरा रहा था भोला ने शाम को घर जाकर अपनी पत्नी कमला को यह सारी बात बताई तब कमला ने कहा आपके भोले बाबा भी भेदभाव करते हैं आपके मित्र की एक दिन की पूजा से प्रसन्न होकर उसे धन दे दिया और आप इतने सालों से पूजा कर रहे हैं।
उसका क्या फल मिला आप भी मंदिर जाकर बाबा से कहना कि आप भी सोने का शिवलिंग चढ़ाएंगे भोला ने कहा लेकिन शिवरात्रि में तो कुछ ही दिन शेष हैं मैं सोने का शिवलिंग कहां से लाऊंगा लेकिन अगर तू जिद ही करती है तो मैं मिट्टी का शिवलिंग बनाकर चढ़ा दूंगा भोला की बात सुनकर कमला कुछ नहीं बोली अगले दिन भोला शिवजी के मंदिर गया और बाबा से कहा भोले बाबा मैं शिवरात्रि को आपको मिट्टी का शिवलिंग अर्पण करूंगा।
यह कहकर व अपने खेत पर चला गया शिवरात्रि के दिन भोला और हरिया पूजा का थाल सजाकर मंदिर पहुंच गए कमला और सुमित्रा भी अपने अपने पतियों के साथ मंदिर में पहुंची मंदिर में उन सबने पूजा की और उसके बाद पुजारी से शिवलिंग अर्पण करने के लिए कहा पुजारी ने कहा अपने अपने शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर उसे भगवान के चरणों में रख दो पुजारी की बात सुनकर हरिया जोर से हंसने लगा और कहा जी मेरे शिवलिंग पर तो दूध चढ़ जाएगा।
लेकिन भोला का शिवलिंग तो मिट्टी का है दूध चढ़ाते ही वह बह जाएगा यह सुनकर भोला की आंखों में आंसू आ गए और उसने भोलेनाथ से कहा भोले बाबा आज आपके भक्त की परीक्षा है मेरी निष्काम भक्ति आज धनवानो के आगे फीकी पड़ रही है।
आप मेरी लाच रखना प्रभु इसके बाद दोनों मित्रों ने अपने हाथ में दूध का लोटा लेकर दूध चढ़ाना शुरू किया दूध चढ़ाते ही हरिया का सोने का शिवलिंग मिट्टी का बनकर बहने लगा और भोले का शिवलिंग दूध चढ़ते ही सोने का बन गया यह देखकर भोला खुश हो गया और हरिया रोने लगा तब भोला ने समझाया मित्र भगवान धन से नहीं मन के भाव से प्रसन्न होते हैं।
तुम्हारे पास धन आते ही तुम्हारे मन का भाव घमंड में बदल गया इसलिए तुम्हारा सोना भी मिट्टी बन गया और मेरा मेरा मन निर्मल था इसलिए मेरी मिट्टी भी सोना बन गई हरिया ने भोला से माफी मांगी और वह भगवान भोलेनाथ के चरणों में गिरकर रोने लगा भोला ने कहा हरिया भोलेनाथ के सामने रोने से तुम्हारा मन निर्मल हो गया है ।
उसके बाद हरिया और भोला दोनों एक साथ खेती और व्यापार करने लगे तब भगवान भोलेनाथ ने उनके सारे कष्ट दूर कर दिए तो यह थी आज की कहानी आप आज की यह कहानी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं और साथ ही मेरे चैनल भक्ति ज्ञान को सब्सक्राइब करना ना भूलें धन्यवाद...?

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