कोयल जलपरी और लालची बाज | Hindi Kahani
कोयल जलपरी और लालची बाज | Hindi Kahani | kids stories with moral
चींटी का बदला और घमंडी सियार
बहुत समय पहले की बात है एक हरा भरा घना जंगल था जहां छोटे-बड़े सभी जानवर मिलजुलकर रहते थे वहां शेर हाथी बंदर खरगोश हिरण भालू और पक्षियों की कई प्रजातियां रहती थी जंगल में एक अद्भुत संतुलन था सभी जानवर अपनी-अपनी भूमिकाएं निभाते थे जिससे जंगल में शांति बनी रहती थी।
इसी जंगल में एक घमंडी सियार भी रहता था उसका नाम भूरा था भूरा अपनी चालाकी और ताकत पर बहुत गर्व करता था वह सोचता था कि पू जंगल में उससे तेज चतुर और शक्तिशाली कोई नहीं है वह हमेशा अपने से छोटे और कमजोर जानवरों का मजाक उड़ाता था और उन्हें तुच्छ समझता था भूरे सियार को यह भ्रम था कि वह जंगल का सबसे समझदार और ताकतवर जीव है।
वह हमेशा छोटे जानवरों को सताता और उनकी कमजोरियों का मजाक उड़ाता था खासकर चींटियों को देखकर वह हंसता और कहता अरे ये नन्ही नन्ही चींटियां इनका क्या काम बस दिन भर कतार में चलती रहती है इनका जीवन कितना बेकार है जब भी वह चींटियों के समूह को देखता तो उनकी कतार को तोड़ देता और उनके घोंसले को तहस-नहस कर देता चींटियां घबरा जाती और इधर-उधर भागने लगती कुछ चींटियां तो बचाव के लिए अपने जबड़े खोलकर हमला करने की कोशिश करती।
लेकिन बूढ़े को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता छोटी चींटियां उसकी बातों को सुनकर दुखी हो जाती लेकिन वे बहुत मेहनती और समझदार थी वे जानती थी कि घमंड अधिक समय तक नहीं टिकता वे अपने काम में लगी रहती और सोचती कि एक दिन यह सियार अपनी हरकतों का फल जरूर भोगे इसी जंगल में एक छोटी लेकिन समझदार चींटी रहती थी जिसका नाम चिन्नी था।
चिनी बहुत चतुर और धैर्यवान थी वह अपनी रानी के आदेशों का पालन करती और हर दिन अपने समूह के साथ मिलकर भोजन इकट्ठा करती थी चिनी ने कई बार भूरे सियार को दूसरों को सताते हुए देखा था उसे यह भी पता था कि सियार अपने घमंड के कारण एक दिन मुसीबत में जरूर फंसे गर्मियों के दिन थे सूरज आसमान में आग बरसा रहा था।
जंगल में हर कोई छाव ढूंढ रहा था झील का पानी भी थोड़ा सूख चुका था भूरे सियार को भी बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए वह एक बड़े पेड़ के नीचे जाकर आराम करने लगा ठंडी छाव में लेटे-लेटे भूरे की आंखें झपक लगी और धीरे-धीरे वह गहरी नींद में चला गया यह देखकर चिन्नी को एक अच्छा मौका नजर आया उसने सोचा अब समय आ गया है कि इस घमंडी सियार को सबक सिखाया जाए चिन्नी तेजी से दौड़ी और सियार की नाक के अंदर घुस गई।
सियार अचानक जाग गया और महसूस किया कि उसकी नाक में कुछ हलचल हो रही है पहले तो उसने सोचा कि यह कोई सपना है लेकिन जब उसे तेज गुदगुदी और जलन महसूस हुई तो वह बुरी तरह घबरा गया अरे मेरी नाक में कुछ घुस गया बचाओ यह क्या हो रहा है वह चिल्लाने लगा भूरा इधर-उधर दौड़ने लगा अपनी नाक रगड़ने लगा पंजे मारने लगा।
लेकिन चींटी अपनी जगह से नहीं हटी वह और भी अंदर चली गई और भूरे की नाक के अंदर काटने लगी सियार दर्द और घबरा से उछलने कूदने लगा जंगल के अन्य जानवर भी यह तमाशा देखकर हैरान थे बंदर खरगोश और हिरण दूर से खड़े होकर सियार की हालत पर हंसने लगे।
चींटी ने भीतर से कहा कैसा लगा सियार भैया अब तुम्हें समझ आ रहा होगा कि छोटे होने का मतलब कमजोर होना नहीं होता सियार दर्द और घबराहट से रोने लगा मुझे माफ कर दो छोटी बहन मैं अब कभी किसी को छोटा नहीं समझूंगा और कभी किसी का मजाक नहीं उड़ाऊ चींटी को लगा कि अब सियार को सबक मिल गया है।
इसलिए वह धीरे-धीरे बाहर आ गई और सियार की नाक से निकलकर पास की पत्ती पर बैठ गई सियार ने राहत की सांस ली और शर्मिंदा होकर कहा तुम्हारी छोटी सी ताकत ने मेरी अकड़ तोड़ दी अब मुझे समझ आ गया कि हर प्राणी चाहे वह छोटा हो या बड़ा अपनी जगह पर खास और महत्त्वपूर्ण होता है ।
अब वह बदल चुका था उसने जंगल के सभी जीवों से माफी मांगी और संकल्प लिया कि वह कभी किसी को छोटा नहीं समझेगा ?
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