कोयल जलपरी और लालची बाज | Hindi Kahani

 कोयल जलपरी और लालची बाज | Hindi Kahani | kids stories with moral


बहुत समय पहले की बात है एक घने जंगल के बीच एक रहस्यमय झील थी इसका पानी जादुई रूप से चमकता था और जो भी इसके पास आता उसे शांति का अनुभव होता झील के किनारे एक विशाल अमरूद का पेड़ था। 

 जिस पर एक बुद्धिमान और मधुर आवाज वाली कोयल रहती थी झील में एक सुंदर जलपरी भी रहती थी लेकिन वह हमेशा गहराइयों में छिपी रहती थी उसे डर था कि जंगल के जीव उसे देखकर घबरा सकते हैं या उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं एक दिन जब कोयल अपनी मीठी आवाज में गा रही थी।

 जलपरी ने पानी के नीचे से उसकी धुन सुनी और मंत्र मुग्ध हो गई कई दिनों तक वह छुपकर कोयल का गीत सुनती रही अंततः उसने हिम्मत जुटाई और सतह पर आकर कोयल से मित्रता करने का आग्रह किया कोयल ने मुस्कुराते हुए कहा मित्रता दिल की सुंदरता से बनती है रूप से नहीं इस तरह उनकी दोस्ती शुरू हुई दोनों रोज बातें करने लगी और एक दूसरे की दुनिया के बारे में जानने लगी जल पर को अब पहले जितनी अकेली महसूस नहीं होती थी।

 जंगल में एक शक्तिशाली और चालाक बाज भी रहता था वह चाहता था कि पूरे जंगल में उसकी ताकत की चर्चा हो और सभी जीव उससे डरे एक दिन उसने जलपरी को देखा और सोचा कि अगर वह उसे राजा के पास ले जाए तो उसे इनाम मिलेगा वह जलपरी के पास आया और मीठे शब्दों में कहा तुम झील में क्यों छिपी हो।

 अगर तुम मेरे साथ आओ तो मैं तुम्हें दुनिया की सैर करवा सकता हूं लेकिन जलपरी ने मना कर दिया और कहा मुझे मेरी झील और मेरी मित्र कोयल बहुत प्रिय हैं बाज को बहुत गुस्सा आया और उसने कोयल को धमकी दी कि अगर वह जलपरी को उसके पास नहीं बुलाएगी तो वह उसे खा जाएगा कोयल जानती थी कि बाज लालची और अहंकारी है।

 लेकिन उसमें धैर्य और चतुराई की कमी थी उसने सोचा कि सीधा सामना करने से बाज गुस्से में आ सकता है इसलिए उसने एक चाल चली उसने मुस्कुरा करर कहा ठीक है लेकिन पहले तुम झील के किनारे बैठो और मेरे गीत सुनो बाज उसकी बातों में आ गया और ध्यान से सुनने लगा कोयल ने अपनी मधुर धुन छेड़ी जिससे बाज पूरी तरह मंत्र मुग्ध हो गया।

 उसी समय जलपरी ने अपनी शक्ति से झील में तेज लहरें उठा दी अचानक एक विशाल लहर आई और बाज को अपनी चपेट में ले लिया बाज ने बचने की बहुत कोशिश की लेकिन तेज बहाव उसे झील के बीचोंबीच खींच ले गया पूरी तरह भीग जाने से उसकी उड़ने की ताकत खत्म हो गई और वह बेबस होकर बहता चला गया जलपरी ने कोयल से कहा तुम्हारी बुद्धिमानी ने हमारी रक्षा की कोयल मुस्कुराई और बोली सच्चे मित्र हमेशा एक दूसरे की रक्षा करते हैं उस दिन से उनकी मित्रता और मजबूत हो गई।


 जलपरी को अब डर नहीं लगता था क्योंकि उसे पता था कि सच्ची मित्रता हर कठिनाई को हरा सकती है अब कोयल हर दिन अपने मधुर गीतों से जंगल को जगाती और जलपरी उसकी मीठी धुनों में खो जाती उनकी कहानी पूरे जंगल में फैल गई और सभी को यह सीख मिली कि सच्ची मित्रता में ताकत से अधिक बुद्धिमानी और सच्चे दिल की अहमियत होती है। 


चींटी का बदला और घमंडी सियार 

बहुत समय पहले की बात है एक हरा भरा घना जंगल था जहां छोटे-बड़े सभी जानवर मिलजुलकर रहते थे वहां शेर हाथी बंदर खरगोश हिरण भालू और पक्षियों की कई प्रजातियां रहती थी जंगल में एक अद्भुत संतुलन था सभी जानवर अपनी-अपनी भूमिकाएं निभाते थे जिससे जंगल में शांति बनी रहती थी।


 इसी जंगल में एक घमंडी सियार भी रहता था उसका नाम भूरा था भूरा अपनी चालाकी और ताकत पर बहुत गर्व करता था वह सोचता था कि पू जंगल में उससे तेज चतुर और शक्तिशाली कोई नहीं है वह हमेशा अपने से छोटे और कमजोर जानवरों का मजाक उड़ाता था और उन्हें तुच्छ समझता था भूरे सियार को यह भ्रम था कि वह जंगल का सबसे समझदार और ताकतवर जीव है।

 वह हमेशा छोटे जानवरों को सताता और उनकी कमजोरियों का मजाक उड़ाता था खासकर चींटियों को देखकर वह हंसता और कहता अरे ये नन्ही नन्ही चींटियां इनका क्या काम बस दिन भर कतार में चलती रहती है इनका जीवन कितना बेकार है जब भी वह चींटियों के समूह को देखता तो उनकी कतार को तोड़ देता और उनके घोंसले को तहस-नहस कर देता चींटियां घबरा जाती और इधर-उधर भागने लगती कुछ चींटियां तो बचाव के लिए अपने जबड़े खोलकर हमला करने की कोशिश करती।


 लेकिन बूढ़े को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता छोटी चींटियां उसकी बातों को सुनकर दुखी हो जाती लेकिन वे बहुत मेहनती और समझदार थी वे जानती थी कि घमंड अधिक समय तक नहीं टिकता वे अपने काम में लगी रहती और सोचती कि एक दिन यह सियार अपनी हरकतों का फल जरूर भोगे इसी जंगल में एक छोटी लेकिन समझदार चींटी रहती थी जिसका नाम चिन्नी था।

 चिनी बहुत चतुर और धैर्यवान थी वह अपनी रानी के आदेशों का पालन करती और हर दिन अपने समूह के साथ मिलकर भोजन इकट्ठा करती थी चिनी ने कई बार भूरे सियार को दूसरों को सताते हुए देखा था उसे यह भी पता था कि सियार अपने घमंड के कारण एक दिन मुसीबत में जरूर फंसे गर्मियों के दिन थे सूरज आसमान में आग बरसा रहा था।

 जंगल में हर कोई छाव ढूंढ रहा था झील का पानी भी थोड़ा सूख चुका था भूरे सियार को भी बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए वह एक बड़े पेड़ के नीचे जाकर आराम करने लगा ठंडी छाव में लेटे-लेटे भूरे की आंखें झपक लगी और धीरे-धीरे वह गहरी नींद में चला गया यह देखकर चिन्नी को एक अच्छा मौका नजर आया उसने सोचा अब समय आ गया है कि इस घमंडी सियार को सबक सिखाया जाए चिन्नी तेजी से दौड़ी और सियार की नाक के अंदर घुस गई।

 सियार अचानक जाग गया और महसूस किया कि उसकी नाक में कुछ हलचल हो रही है पहले तो उसने सोचा कि यह कोई सपना है लेकिन जब उसे तेज गुदगुदी और जलन महसूस हुई तो वह बुरी तरह घबरा गया अरे मेरी नाक में कुछ घुस गया बचाओ यह क्या हो रहा है वह चिल्लाने लगा भूरा इधर-उधर दौड़ने लगा अपनी नाक रगड़ने लगा पंजे मारने लगा।

 लेकिन चींटी अपनी जगह से नहीं हटी वह और भी अंदर चली गई और भूरे की नाक के अंदर काटने लगी सियार दर्द और घबरा से उछलने कूदने लगा जंगल के अन्य जानवर भी यह तमाशा देखकर हैरान थे बंदर खरगोश और हिरण दूर से खड़े होकर सियार की हालत पर हंसने लगे।

 चींटी ने भीतर से कहा कैसा लगा सियार भैया अब तुम्हें समझ आ रहा होगा कि छोटे होने का मतलब कमजोर होना नहीं होता सियार दर्द और घबराहट से रोने लगा मुझे माफ कर दो छोटी बहन मैं अब कभी किसी को छोटा नहीं समझूंगा और कभी किसी का मजाक नहीं उड़ाऊ चींटी को लगा कि अब सियार को सबक मिल गया है।

 इसलिए वह धीरे-धीरे बाहर आ गई और सियार की नाक से निकलकर पास की पत्ती पर बैठ गई सियार ने राहत की सांस ली और शर्मिंदा होकर कहा तुम्हारी छोटी सी ताकत ने मेरी अकड़ तोड़ दी अब मुझे समझ आ गया कि हर प्राणी चाहे वह छोटा हो या बड़ा अपनी जगह पर खास और महत्त्वपूर्ण होता है ।

अब वह बदल चुका था उसने जंगल के सभी जीवों से माफी मांगी और संकल्प लिया कि वह कभी किसी को छोटा नहीं समझेगा ?

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