बकरी और बाघिन | Animal stories in hindi
बकरी और बाघिन |Animal Stories With Moral
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| Story |
Tiger And Goat Stories
बहुत पुरानी बात है 'एक गांव में एक बूढ़ा और बुढ़िया रहते थे वे दोनों बहुत दुखी थे। क्योंकि उनके बच्चे नहीं थे दोनों कभी-कभी बहुत उदास हो जाते थे और सोचते थे हम ही हैं जो अकेले जिंदगी गुजार रहे हैं।
एक बार बूढ़े से बुढ़िया से कहा मुझे अकेले रहना अच्छा नहीं लगता है क्यों ना हम एक बकरी को घर ले आए उसी दिन दोनों हाट में गए और एक बकरी खरीद कर घर ले आए चार कडी में वह बकरी खरीद कर आए थे।
इसीलिए वे बकरी को चार कौरी नाम से पुकारते थे बुढ़िया माई बहुत खुश थी बकरी के साथ उसे अपने हाथों से खिलाती पिलाती जहां भी जाती चरकर को साथ ले जाती पर कुछ ही दिन में बकरी बहुत ही मनमानी करने लगी किसी के भी घर में घुस जाती थी और जो भी मिलता खाने लगती आसपास रहने वाले बहुत तंग हो गए और घर आकर बकरी के बारे में बोलने लगे।
बूढ़े बाबा को बहुत गुस्सा आने लगा बूढ़ी माई को कहने लगे इस बकरी को जंगल में छोड़ कर आए बुढ़िया ने कहा यह क्या कह रहे हो ऐसा करते हैं राउत के साथ उसे जंगल में चरने के लिए भेज देते बकरी चराने वाले राउत के साथ बकरी जंगल जाने लगी लेकिन कुछ ही दिन में राउत भी बहुत तंग हो गया चार कोरी उसका कहा जो नहीं मानती थी।
उसने बकरी को चराने ले जाने से इंकार कर दिया बकरी फिर से घर में रहने लगी और अब उसे बच्चे हो गए और बच्चे भी सबको तंग करने लग गए अब बुढ़िया भी परेशान हो गई उसने कहा मैं और इनकी देखभाल नहीं कर सकती बुढ़े बाबा ने बकरी और उसके बच्चों को जंगल में भेज दिया बकरी और उसके बच्चे खिरमोहन फूल पत्ते सब खाने लगे एक दिन अचानक एक बाघिन से मुलाकात हो गई बाघिन खरमोर थी कब इन दोनों को खाऊंगी।
बाघिन को देखकर बकरी को समझ में आ गया कि बाघिन क्या सोच रही है बकरी को बहुत डर लगा पर हिम्मत करके वह बाघिन के पास गई और अपना सर झुकाकर उसने कहा दीदी प्रणाम अब बाघिन तो बहुत सदमे में आ गई यह बकरी तो मुझे दीदी कहकर पुकार रही है।
उसके बच्चों को कैसे खाऊं बागन ने कहा तू कहां रहती है बकरी ने कहा क्या कहूं दीदी रहने के लिए कोई जगह ही नहीं है हमारे पास बाघिन ने कहा तो तेरे पास रहने के लिए कोई जगह ही नहीं है ऐसा कर मेरे साथ चल मेरे पास दो माध है एक में तू अपने बच्चों के साथ रह जा बकरी बहुत खुशी से बाघिन के पीछे पीछे चल दी उसे पता था।
बाघिन दीदी संबोधन से बहुत खुश हुई थी और अब वह उसके बच्चों को नहीं खाएगी बाघिन के माद के पास दूसरे माद में अपने बच्चों के साथ बकरी कशी से रहने लगी बाघिन भी उसे तंग नहीं करती थी लेकिन कुछ दिनों के बाद बाघिन को जब बच्चे हुए बाघिन फिर से बकरी के बच्चों को खाने के लिए बेचैन हो गई बच्चे पैदा होने के बाद वह शिकार करने के लिए नहीं जा पा रही थी।
भूख भी उसे और ज्यादा लगने लगी थी बकरी बागन की आंखों की ओर देखती और मन ही मन चिंतित हो उठती वह बागन के पास जाकर दीदी दीदी कहती और बातें करती रहती ताकि उसकी आंखों के भाव बदल जाए बागन उससे कहती मेरे बच्चों का कोई नाम रख दो बकरी ने ही कहा एक का नाम एक कांटा दूसरे का नाम दू कांटा बाघिन के बच्चे एक कांटा और दू कांटा और बकरी के बच्चे खिरमोहन ने बकरी से कहा तुम तीनों अगर हमारे संग सोते तो बहुत अच्छा होता या किसी एक को अगर भेज दो अब बकरी बहुत परेशान हो गई क्या कहूं बाग इन से रमित ने अपनी मां को चिंतित देखकर कहा मां तू चिंता मत कर मैं जाऊंगा।
वहां सोने बागन के मान में जाकर खिरमोहन बहुत खु हुई उसने खरमन सो जा खरमन डर के कारण उसे नींद नहीं आ रही थी कुछ समय बाद वह उठकर बाघिन के पास जाकर उसे देखने लगा बाघिन बहुत नींद में सो रही थी खरमपुर हुई बादिन की नींद खुल गई।
वह मात के किनारे धीरे-धीरे पहुंची और आंखों में नींद रहने के कारण ठीक से नहीं देख पा रही थी पर उसने तुरंत उसे खाकर हो गई जैसे ही सुबह हुई रम ने कहा मौसी मैं अब जा रहा हूं बागन चौक गई खिर मिट जिंदा है तो मैंने किसको खाया वह तुरंत अपने बच्चों की ओर देखने लगी कहां गया मेरा एक कांटा बागन गुस्से से छटपटा रही थी।
उसने कहा आज रात को आ जाना सोने के लिए उस रात को जब खिर पहुंचा सोने के लिए उसने देखा बाघिन अपनी पूंछ से दू कांटा को अच्छे से लपेट कर लेटी थी बाघिन ने कहा जा उस किनारे जाकर सो जा खिर उस किनारे जाकर लेट गया लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी वह धीरे से मात से बाहर आ गया और चारों ओर देखने लगा।
उसे एक खीरा दिख गया उसने उस खीरे को उठाकर मात के किनारे पर रख दिया और खुद अपनी मां के पास चला आया सुबह होते ही खिट ने बागन के पास जाकर कहा मौसी अब मैं जा रहा हूं बागन उसकी ओर देखि उ डकार आया यह तो खरे डकार आया तो इस ब मैं रा खा बाघिन बहुत गुस्से से खिरमोहन हैं बच्चे कितने थक गए हैं।
उसने बच्चों से कहा कुछ देर हम तीनों ट्री के नीचे आराम कर लेते हैं पर रमित ने कहा मां बाघिन तो बहुत तेज है वह तो अभी पहुंच जाएगी रमित ने कहा क्यों ना हम इस ट्री के ऊपर चले जाएं बकरी ने कहा हां यह ठीक है चल हम तीनों इस ट्री के ऊपर चले जाते हैं बकरी और खिरमोहन के निशान देखकर समझ गई कि वे तीनों किस दिशा में गए उसी को देखते हुए बागन चलती रही उसे ज्यादा समय नहीं लगा।
उस ट्री के पास पहुंचने में पैरों के निशान पेड़ तक ही थे और बकरियों की गं भी तेज हो गई थी बाघिन ने ऊपर की ओर देखा अच्छा तो यहां बैठे हो सब बाघिन ने कहा अभी तुम तीनों को मैं खा जाऊंगी अभी ऊपर आती हूं रमित और हिर मिट तो डर गए डर के मां से लिपट गए बकरी ने कहा अरे डरते क्यों हो जब तक हम ट्री के ऊपर बैठे हैं।
वह बागन हमें खा नहीं सकती अब खरमन में हिम्मत हुआ उसने कहा दे तो दाई सोने का डंडा बाघिन ने सोचा ट्री के ऊपर बकरी के पास सोने का डंडा कहां से आएगा बागन ने कहा सोने का डंडा तुझे कहां से मिला बकरी ने कहा खरमन यह कहकर बकरी ने ऊपर से एक डंडा फेंका बाघिन के पीठ पर जा लगी बाघिन ने सोचा डंडा तो डंडा ही है चोट तो लगती है वह वहां से हट गई लेकिन ट्री के आसपास ही रही अब बकरी कैसे अपने बच्चों को लेकर नीचे उतरे बकरी मन ही मन बहुत परेशान हो रही थी।
उधर बागन परेशान थी यह सोचकर कि कब तक उसे बकरियों के इंतजार में ट्री के नीचे रहना होगा तभी बागन ने देखा वहां से तीन चार बाग जा रहे हैं उसमें से एक का नाम था बंडवा बागन बंडवा के पास गई और उस ट्री की ओर संकेत किया जिस पर बैठी थी बकरियां बंडवा तो बहुत खुश हो गया वह अपने साथियों को साथ लेकर ट्री के नीचे आ गया बकरी अपने बच्चों से कह रही थी डर किस बात का यह सब नीचे रहकर हमें देखते रहेंगे लेकिन तभी उसने देखा कि बड़बाहाल जो सबसे नीचे था भागने लगा और जैसे ही वह भागने लगा।
बाकी सब बाग एकएक करके जमीन पर गिरने लगे गिरते ही सभी बाग भागने लगे सबको भागते देख बाघिन भी भागने लगी बकरी ने कहा चल रमित चल रमित हम भी यहां से भाग जाएं नहीं तो बाघिन फिर से आ जाएगी बकरी अपने बच्चों को साथ लिए भागने लगी।
भागते भागते जंगल से बाहर आ गए तीनों सीधे बूढ़ी माई के घर आ गए और बूढ़ी माई को चारों ओर से घेर लिया बूढ़ी माई और बूढ़ा बाबा उन तीनों को देखकर बहुत खुश हुए अब सब एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे।
शिख मकड़ी की और बुद्धि चींटी की
मकड़ी थी उसने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा कि इस जाले में खूब कीड़े मक्खियां फसें और मैं उसे आहार बनाऊंगी और मजे से रहूंगी उसने कमरे के एक कोने को पसंद किया और वहां जाला बुनना शुरू किया कुछ देर बाद आधा जाला बुनकर तैयार हो गया।
यह देखकर वह मकड़ी काफी खुश हुई कि तभी अचानक उसकी नजर एक बिल्ली पर पड़ी जो उसे देखकर हंस रही थी मकड़ी को गुस्सा आ गया और वह बिल्ली से बोली हंस क्यों रही हो हंसू नहीं तो क्या करूं बिल्ली ने जवाब दिया यहां मक्खियां नहीं है यह जगह तो बिल्कुल साफ सुथरी है यहां कौन आएगा तेरे जाले में यह बात मकड़ी के गले उतर गई।
उसने अच्छी सलाह के लिए बिल्ली को धन्यवाद दिया और जाला अधूरा छोड़कर दूसरी जगह तलाश करने लगी उसने इधर-उधर देखा उसे एक खिड़की नजर आई और फिर उसमें जाला बुनना शुरू किया कुछ देर तक वह जाला बुनती रही तभी एक चिड़िया आई और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली अरे मकड़ी तू भी कितनी बेवक है क्यों मकड़ी ने पूछा चिड़िया उसे समझाने लगी।
" अरे यहां तो खिड़की से तेज हवा आती है यहां तो तू अपने जाले के साथ ही उड़ जाएगी मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगी और वह वहां भी जाला अधूरा बना छोड़कर सोचने लगी अब कहां जाला बनाया जाए समय काफी बीत चुका था और अब उसे भूख भी लगने लगी थी।
अब उसे एक आलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसी में अपना जाला बुनना शुरू किया कुछ जाला बुना ही था तभी उसे एक का काकरोच नजर आया जो जाले को अचरज भरे नजरों से देख रहा था मकड़ी ने पूछा इस तरह क्यों देख रहे हो काकरोच बोला अरे यहां कहां जाला बुनने चली आई यह तो बेकार की अलमारी है, अभी यह यहां पड़ी है कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जाएगा 'और तुम्हारी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी यह सुनकर मकड़ी ने वहां से हट जाना ही बेहतर समझा बार-बार प्रयास करने से वह काफी थक चुकी थी और उसके अंदर जाला बुनने की ताकत ही नहीं बची थी।
भूख की वजह से वह परेशान थी उसे पछतावा हो रहा था कि अगर पहले ही जाला बुन लेती तो अच्छा रहता पर अब वह कुछ नहीं कर सकती थी उसी हालत में पड़ी रही जब मकड़ी को लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है तो उसने पास से गुजर रही चींटी से मदद करने का आग्रह किया चींटी बोली मैं बहुत देर से तुम्हें देख रही थी।
तुम बार-बार अपना काम शुरू करती और दूसरों के कहने पर उसे अधूरा छोड़ देती और जो लोग ऐसा करते हैं उनकी यही हालत होती है और ऐसा कहते हुए वह अपने रास्ते चली और मकड़ी पछताते हुई निढ़ाल पड़ी रही थोड़ी देर बाद भूख और कमजोरी से बेहाल मकड़ी सोचने लगी कि अगर उसने पहली जगह पर ही जाला पूरा कर लिया होता तो अब तक उसे भोजन मिल गया होता वह दूसरों की बातों में आकर बार-बार अपना काम अधूरा छोड़ती रही।
जिसका नतीजा यह हुआ कि अब वह बिल्कुल असहाय थी कुछ समय बाद वही चींटी दोबारा वहां से गुजरी मकड़ी ने चींटी से कहा तुम सही कह रही थी अब मैंने सीख लिया कि किसी भी काम को पूरा करना ही सफलता की कुंजी है चींटी मुस्कुराई और बोली अगर तुमने यह सीख ली है तो देर मत करो अब भी समय है।
जहां भी हो वहीं जाला बुनना शुरू कर दो मकड़ी ने हिम्मत जुटाई और तुरंत जाला बुनने लगी इस बार वह किसी की बातों में नहीं आई और जल्दी ही उसका जाला तैयार हो गया कुछ ही देर में एक मक्खी उसमें फंसी जिससे उसे भोजन मिला उसने राहत की सांस ली, और सोचा अगर मैं पहले ही यह समझ जाती तो इतना कष्ट ना उठाना पड़ता इस तरह मकड़ी ने मेहनत धैर्य और आत्मविश्वास का सबक सीखा और आगे से कभी भी अपना काम अधूरा ना छोड़ने का संकल्प लिया ?

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