Gautam Buddha ki Kahani | Gautam Buddha In Hindi

 Gautam Buddha ki Kahani | Gautam Buddha In Hindi | Life Changing Story. 

दोस्तो आज की कहानी Gautam Buddha ki Kahani है दोस्तों .खुद से जीतने वालों को मेरा सलाम आपको स्वागत है Best Life Hindi में,


Gautam Buddha ki Kahani 


मास्टर ने कहा एकाग्रता सिद्ध करने की नौ स्टेजेस होती हैं तुम उम्मीद कर रहे हो कि एक बार में तुम्हारा ध्यान गहरा हो जाए इसलिए परेशान हो रहे हो कहानी है तिब्बत के एक आश्रम की जहां कई भिक्षु रहा करते एक बार युवा भिक्षु मास्टर के पास गया और व्याकुल स्वर में बोला एकाग्रता सिद्ध करने के लिए आपने मुझे सांस पर ध्यान देना सिखाया था।


 मास्टर जब मैं ध्यान करने की कोशिश करता हूं तो कई बार मेरा ध्यान लगता है और कई बार बहुत कोशिश करने पर भी नहीं लगता कई बार ऐसा होता है मैं जितना कोशिश करता हूं उतना ज्यादा परेशान होता हूं और मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या गलती कर रहा हूं मास्टर क्या मन को सच में पूरी तरह साथ पाना संभव है और अगर है तो मैं अभी कितना दूर हूं मुझ में किन चीजों की कमी है।


 मास्टर बहुत प्रसन्न हुए और बोले आज मैं तुमको वन पॉइंटेड माइंड यानी एकाग्रता की नौ स्टेजेस बताता हूं इससे तुमको समझ आएगा कि नौ स्टेजेस में आने वाली अलग-अलग समस्याओं को कैसे पार कर सकते हैं युवा भिक्षु आश्चर्य से मास्टर को देखने लगा मास्टर ने कहा यह रहस्य उन्हीं को बताया जाता है।


 जो मन के चंचल स्वरूप को जानकर सावधान हो जाते हैं अब तुम इस चित्र को देखो और बताओ तुम्हें क्या दिख रहा है भिक्षु बहुत देर तक देखता रहा जब कुछ नहीं बोला तो मास्टर ने कहा पहली स्टेज से शुरू करते हैं स्थापन या प्लेसमेंट देखो यहां तीन मुख्य आकृतियां है हाथी बंदर और अग्नि जब मौंग किसी वस्तु या ऑब्जेक्ट पर फोकस करना शुरू करता है तो उसके सामने काले हाथी और बंदर प्रकट होते हैं।


 मास्टर ने चित्र दिखाकर कहा देखो यह शक्तिशाली हाथी मन है हाथी का रंग काला है काला अज्ञान का रंग है यूं कहो कि मन अलर्ट नहीं है मन को अपनी शक्ति का ज्ञान नहीं है इस शक्तिशाली हाथी की लगाम बंदर ने पकड़ रखी है बंदर यानी लक्ष्य या रास्ते से डिस्ट्रक्ट होने की आदत बंदर जब उछल कूद करता हुआ रास्ते से हटता है तो हाथी भी मतवाला होकर भटक जाता है।


 यानी मन भी विचलित होता रहता है मास्टर ने कहा ध्यान से देखो मोंक के एक हाथ में रस्सी है और दूसरे हाथ में हाथी को दिशा देने के लिए अंकुश या छड़ी है रस्सी है अभ्यास यानी फोकस वापस सही जगह पर लाना और छड़ी है स्पष्ट ज्ञान या क्लेरिटी मंक इन दोनों का अच्छे से प्रयोग नहीं कर पा रहा है क्योंकि ?


 अभी वह मन का पीछा कर रहा है और मन तो बंदरों के इशारों पर बेकाबू होकर झूम रहा है भिक्षु ने पूछा मास्टर फिर अग्नि क्या है मास्टर ने कहा अग्नि है प्रयास इस स्थिति में मोंग को एकाग्र होने का बार-बार प्रयास करना पड़ता है देखो जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं वैसे-वैसे से प्रयास कम होता जाता है।


 दूसरी स्टेज है निरंतर ध्यान बार-बार प्रयास करने पर मंक थोड़ी कंसंट्रेशन की शक्ति विकसित कर लेता है और इसे स्टेज में ध्यान तक बनाए रखने की कोशिश करता है मंक बारबार प्रयास से सीखता है कि बंदर पांच इंद्रियों से स्वाद चकना चाहता है और इन्हीं पांच इंद्रियों के द्वारा ध्यान बाहर निकल जाता है ।


  तब तक मन का कंसंट्रेशन पांच इंद्रियों से बाहर जाता रहेगा मास्टर ने कहा इस अनुभव के कारण मंक को थोड़ी क्लेरिटी मिलती है इसलिए देखो हाथी के और बंदर के सिर पर कालापन मिटना शुरू हो गया है तीसरी स्टेज है पुनरावृति ध्यान जैसे-जैसे मोंक मन की आदतों को समझता है उसके लिए ध्यान बार-बार वापस एक जगह लगाना थोड़ा आसान होता जाता है।


 इसलिए इस स्थिति को कहते हैं पुनरावर्तन मास्टर ने कहा इसलिए देखो इस स्टेज में मोंक मन पर फंदा डालने में सफल होता है बंदर और हाथी दोनों मंक की तरफ देख रहे हैं यानी हाथी मंक की बात मानेगा यानी फोकस की दिशा में जाएगा लेकिन फंदा डालने के साथ ही मोंग को दिखता है कि पीठ पर खरगोश बैठा है।


 यह खरगोश का आंतरिक आलस और डलनेस दिखाता है इस डलनेस के कारण मन अलर्ट होता है या तो फोकस टूट जाता है या मंग को नींद आ जाती है इसलिए कभी-कभी तुम गहरे फोकस में जाते हो तो थोड़ी देर बाद मन करता है कि मैं सो जाऊं यह आंतरिक डलनेस के कारण ही होता है।


 चौथी स्थिति है निकट स्थापन या क्लोज प्लेसमेंट जैसे फंदा डालने के बाद मोंक धीरे-धीरे रस्सी कसना शुरू करता है वैसे ही इस स्टेज में मंक अपने ध्यान के ऑब्जेक्ट पर ज्यादा समीप त से यानी ज्यादा स्पष्टता और सटीकता से ध्यान लगा सकता है।


 इसलिए इस स्टेज को कहते हैं निकट स्थापन अभ्यास के साथ मोंक रियलाइफ करता है कि वह अपनी मर्जी से फोकस बड़ा या कम कर सकता है अब हाथी और बंदर दोनों ही पीछे मुड़कर देखते हैं यानी मन अब डिस्ट्रक्शन के बाद वापस फोकस करना सीख गया है और बंदर का आधा कालापन भी खत्म हो चुका है।


 यानी मन की टेंडेंसी मंक के वश में आने लगी मास्टर कहते हैं हर किसी को इस स्थिति में पहुंचना चाहिए पांचवी स्थिति टेम या वश में करना मास्टर ने कहा इस फोटो में देखो और बताओ क्या हो रहा है भिक्षु ने कहा सबसे बड़ा बदलाव जो मुझे दिखता है कि मंक हाथी के आगे और बंदर हाथी के पीछे आ गए हैं और मंक हाथी के सिर को अंकुश और छड़ी से छू रहा है।


 मास्टर ने कहा तुमने सही पहचाना अभ्यास करते करते मोंक रिलाइज करता है कि मन संसार सब कुछ बदल रहा है डिस्ट्रक्शन का स्वरूप भी बदल रहा है केवल चेतना ही अखंड है इसे क्लियर अंडरस्टैंडिंग कहते हैं जो यहां अंकुश या डंडे के रूप में दिखाई गई है अब मंक समझ गया है कि डिस्ट्रक्शन भी परमानेंट नहीं है।


 अब वह अंदर से अभ्यास के लिए उत्साहित होता है तब यह स्टेज प्राप्त होती है और विचलित होने की टेंडेंसी बहुत कम हो जाती है इसलिए इस उत्साह को दर्शाने के लिए मंक को आगे और बंदर को हाथी के पीछे दिखाया गया है अगली स्थिति है आंतरिक शांति इस स्थिति में बहुत ही कम प्रयास से मंक डिस्ट्रक्शंस को शांत कर लेता है और आसानी से फोकस ध्यान के विषय पर बनाए रखता है।


 यहां खरगोश यानी आंतरिक डलनेस को पूरी तरह जीत लिया गया है और बंदर भी शांत होकर पीछे चल रहा है इसलिए इस स्टेज में प्रयास और एफर्ट काफी कम होने से मोंक को शांति और स्फूर्ति महसूस होती है इसलिए इसे आंतरिक शांति की स्टेज भी कहा जाता है अगली स्थिति है समस्थिति मास्टर कहते हैं।


 बंदर यानी भटकने का स्वभाव पीछे रह गया है यानी पूरी तरह खत्म हो गया है मास्टर कहते हैं देखो अभ्यास की रस्सी भी गायब हो गई है यानी अभ्यास अब मंक का स्वभाव बन गया है अंतर्मन में अब कुछ सूक्ष्म विचारों के अवशेष हैं जिसे मक रहकर देखने का केवल दृढ़ निश्चय करता है और इस दृढ़ निश्चय से यह स्थिति प्राप्त होती है।


 यानी यहां कोई अभ्यास और कोई कोशिश नहीं है केवल एक दृढ़ निश्चय है इसलिए इस स्थिति को समस्थिति भी कहा जाता है अगली स्थिति है संपूर्ण एकाग्रता मास्टर कहते हैं देखो हाथी पूरी तरह सफेद हो चुका है इसलिए अब मंक सभी प्रकार के आंतरिक डिस्ट्रक्शन संदेह विचारों से भी मुक्त है।


 जिस कारण मोंक का का ध्यान स्वतः ही सिंगल पॉइंटेड हो चुका है और वह खुद को लंबे समय तक ध्यान के विषय के साथ एक महसूस करता है अगली स्थिति है स्थापना यह यात्रा का अंतिम पड़ाव है मंक पूरी तरह ध्यान में डूब चुका है जिस पर ध्यान कर रहा है उसके साथ एक हो चुका है क्योंकि यहां मन पूरी तरह गायब हो चुका है।

Gautam Buddha ki Kahani 

 इसलिए हाथी बैठा हुआ है इस स्टेज में मोंग के हृदय से असीमानंद अनुभव होता है जिसे हृदय से निकलते हुए इंद्रधनुष से दर्शाया गया है एकाग्रता सिद्धि इस स्टेज के बाद कभी-कभी मोंग का शरीर भाव खत्म हो जाता है इसलिए मोंग को आकाश में उड़ता हुआ दिखाया गया है मोंग को हाथी पर बैठा हुआ भी दिखाया है क्योंकि ?


 अब मोंक की दृष्टि एकदम स्पष्ट हो चुकी है मक इस स्थिति में गहरी शांति शक्ति और स्पष्टता अनुभव करता है इसके बाद मोक के लिए पूरा ब्रह्मांड खुली किताब है वो जिस चीज पर ध्यान लगाता है उसके सारे राज खुल जाते हैं मास्टर ने पूछा प्रिय शिष्य क्या इस चित्र से तुम्हारे संदेह का हल निकला भिक्षु ने कहा मास्टर मैं एक बार में ध्यान सिद्ध करने की कोशिश कर रहा था।


 मैं एक बार में अपनी कमियों को जीतने की कोशिश कर रहा था अब मुझे समझ में आया कि बार-बार प्रयास करने से मन की विचलित होने की आदत कम होती है अब मैं समझ सकता हूं कि मैं किस लेवल पर हूं और कौन सी रुकावटें मुझे परेशान कर रही हैं मास्टर ने कहा बिल्कुल सही संदेह करना बंदर को ताकतवर बनाता है।


 इसलिए संदेह के बजाय तुम केवल दो साधनों का प्रयोग करो पहला अभ्यास यानी रस्सी मन को बार-बार लक्ष्य पर लगाना दूसरा स्पष्ट ज्ञान या छड़ी यह समझना कि मन संसार सब कुछ परिवर्तनशील है सारी परेशानियां और डिस्ट्रक्शन भी केवल हमारे मन का रिफ्लेक्शन है और यह सब भी बदलता ही रहता है ।


केवल तुम्हारी चेतना है जो कभी नहीं बदलती यह अंकुश यानी क्लेरिटी तुम्हें निराश नहीं होने देगी बस तुमको इन्हीं दोनों साधनों का प्रयोग करना है बाकी गुण अपने आप प्रकट हो जाएंगे समरी एक बार और चित्र देखो सबसे पहले मंक ध्यान लगाने की कोशिश करता है तो पाता है कि मन का हाथी बंदर के पीछे झूमता है फिर भी वह ध्यान लगाने की कोशिश करता है।


 इस प्रकार बार-बार प्रयास करने से निरंतर ध्यान की स्थिति प्राप्त होती है यहां मंक इंद्रिय और मन के बीच में क्लेरिटी पाता है कि कंसंट्रेशन इंद्रियों से बनकर बाहर निकल जाता है अब मंक मन और इंद्रियों के बीच में अंतर पैदा करता है मन की आदतों को बेहतर तरीके से समझता है जिससे उसके लिए भटका हुआ ध्यान वापस लाना आसान हो जाता है इससे अगली स्थिति प्राप्त होती है।


 जिसे कहते हैं पुनरावृति ध्यान इस स्थिति में मोंग ने हाथी के गले में फंदा डाल दिया है अब मंक ज्यादा सटीकता से ध्यान कर सकता है जिससे मंक को निकट स्थापन की स्थिति प्राप्त होती है जब मंक अंदर से अभ्यास के लिए उत्साहित होता है और डिस्ट्रक्ट होने की टेंडेंसी और कम हो जाती है तब वह वश में करना की स्थिति में पहुंचता है।


 यहां मंक बड़ी आसानी से डिस्ट्रक्शन को प्रकट होते ही शांत कर लेता है इसलिए बंदर पीछे है और मोंक आगे अब मंग को डिस्ट्रक्शन शांत करने के लिए ज्यादा प्रयास करने की जरूरत नहीं पड़ती जिससे अगली स्थिति प्राप्त होती है आंतरिक शांति यहां मंग को शांति और स्फूर्ति महसूस होती है जब अभ्यास भी शांत हो जाते हैं और मंग केवल दृढ़ निश्चय करता है तब सम स्थिति प्राप्त होती है इस स्थिति में मन में केवल सूक्ष्म विचार बचे हैं जिसे मंक केवल सम रहकर देखता है।


 इस प्रकार उसे अगली स्थिति प्राप्त होती है संपूर्ण एकाग्रता सभी प्रकार के आंतरिक डिस्ट्रक्शन संदेह विचारों से भी मुक्त है जिस कारण मंक का ध्यान स्वतः ही सिंगल पॉइंटेड हो चुका है नौवी स्थिति स्थापना मक पूरी तरह ध्यान में डूब चुका है मन पूरी तरह गायब हो चुका है।


 इस स्टेज में मक के हृदय में असीमानंद अनुभव होता है दोस्तों मन को प्रेम और ऊर्जा से भरने के लिए अपने आप को फोकस के लिए प्रोग्राम करने के लिए आप नाइन मिनट गाइडेड मेडिटेशन कर सकते हैं।

धन्यवाद.....?


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