गौतम बुद्ध की Inspirational Story in hindi | Monk Story | Gautam Buddha

 गौतम बुद्ध की Inspirational Story in hindi | Monk Story | Gautam Buddha | Motivational Kahani,

Buddha Inspirational Story in Hindi. 

 तथागत बुद्ध को किसी ने पूछा है कि आनंद क्या होता है क्या सुख ही आनंद है अगर सुख ही आनंद है तो लोग क्यों ध्यान करके आनंद की प्राप्ति की कोशिश करते रहते हैं क्योंकि जीवन में तो सुख हमेशा आता रहता है यानी हमेशा आनंद आता रहता है परंतु जब दुख आता है

 तब वह आनंद चला जाता है लेकिन फिर से सुख आता है और उसके साथ आनंद वापस आता है तब बुद्ध किस आनंद की बात करते हैं क्योंकि अगर सुख ही आनंद है तो वह तो हमें मिलता ही रहता है सुख के अलावा आनंद क्या हो सकता है एक बार बुद्ध एक गांव में अपना उपदेश दे रहे थे बुद्ध आनंद के बारे में बता रहे थे बुद्ध ने कहा मनुष्य का जीवन सुख और दुख से भरा हुआ है सुख और दुख एक चक्रव्यूह की तरह है।

 जिसमें व्यक्ति एक बार फंस जाता है तो कभी सुखों से दुख देता है तो कभी दुख उसे सुख देता है और वह ऐसे चक्र में फंस जाता है जिसमें सुख पाने की चाहत में वह दुख की ओर भागता रहता है बुद्ध का उपदेश समाप्त होने के बाद वहां बैठे सभी लोगों में से एक व्यक्ति उठकर खड़ा हुआ और हाथ जोड़कर बुद्ध से बोला हे बुद्ध अगर सुख आनंद नहीं है तो फिर आनंद क्या है क्योंकि मेरे जीवन में तो सुख ही सुख है मेरा व्यापार अच्छा है मेरी पत्नी मुझे अच्छी मिली है।

 मेरे घर में लड़ाई झगड़े नहीं होते सब मिलजुल कर रहते हैं मेरे बच्चे भी अच्छे हैं मेरे पास जो कुछ है सब अच्छा है मैं अपने जीवन से बहुत सुखी हूं और हमेशा आनंद में ही रहता हूं मेरे हिसाब से तो सुख ही आनंद होना चाहिए फिर आप किस आनंद की बात करते हैं सुख से ज्यादा क्या हो सकता है बुद्ध मुस्कुराए और कहा अभी तुम यह बात ना समझ सकोगे हर बात समझने का एक सही वक्त होता है।

 जब हम एक ऐसी स्थिति में होते हैं कि हम किसी चीज को ग्रहण कर सकें तभी हम उसे ग्रहण कर सकते हैं अभी तुम अपने जीवन चक्र के एक ऐसे समय में हो जो बहुत ही अच्छा चल रहा है और जब तक तुम अपनी उस अच्छी स्थिति में रहोगे तुम समझ नहीं पाओगे उस व्यक्ति ने कहा ऐसे कैसे नहीं समझ सकूंगा बुद्ध मेरे पास बुद्धि है।

 जो आप कहेंगे मैं वह समझ सकता हूं मैं कोई बच्चा नहीं हूं जिसे कुछ समझ ना सके बुद्ध ने कहा ठीक है मैं तुम्हें कुछ समझाने का प्रयास करता हूं शायद तुम थोड़ा बहुत समझ सको क्या तुम्हें प्यास लगी है उस व्यक्ति ने कहा नहीं मैंने अभी थोड़ी देर पहले ही पानी पिया है।

 बुद्ध ने कहा कोई बात नहीं थोड़ा पानी और पी लो बुद्ध ने उस व्यक्ति को एक बर्तन में पानी भर कर दिया और कहा इस सारे पानी को पी लो उस व्यक्ति ने वह पानी पी लिया बुद्ध ने पूछा तुम्हें पानी कैसा लगा व्यक्ति ने कहा अब ऐसा ही लगेगा जैसा लगता है बुद्ध ने कहा देखो गर्मी बहुत है धूप भी निकली है तुम्हारे सवाल का जवाब मैं तुम्हें तभी दे सकता हूं जब तुम मेरे कहे अनुसार कार्य करो व्यक्ति ने कहा।

 जैसा आप कहेंगे मैं बिल्कुल वैसा ही करूंगा बस मुझे अपने सवाल का जवाब चाहिए बुद्ध ने कहा तुम्हें इस जगह के 200 चक्कर लगाने हैं बिना रुके दौड़कर या चलकर यह तुम जैसा सही समझो कर सकते हो उस व्यक्ति ने कहा बुध यहां दौड़कर मुझे मेरे सवाल का जवाब कैसे मिलेगा गर्मी बहुत है जगह भी ज्यादा है मैं तो बुरी तरह थक जाऊंगा बुद्ध ने कहा जवाब अवश्य मिलेगा वह व्यक्ति बुद्ध के कहे अनुसार उस जगह के चक्कर लगाने लगा बहुत देर तक चक्कर लगाने के बाद उसने सोचकर पूरे कर लिए पर वह बुरी तरह थक गया।

 लेकिन उसे अपना जवाब भी चाहिए था तो वह नहीं रुका लेकिन अब वह बहुत बुरी तरह थक चुका था उसके कदम आगे को चलने को तैयार नहीं थे वह डगमगा रहा था बुद्ध ने उसे रुक जाने के लिए कहा बुद्ध के कहने से वह रुक गया और रुककर उसने कहा आपने मुझसे कहा इसलिए मैं रुक गया लेकिन मुझे अपना जवाब चाहिए बुद्ध ने कहा क्या तुम्हें प्यास लगी है पानी चाहिए व्यक्ति ने कहा हां मुझे बहुत प्यास लगी है मेरा प्राण सूख रहा है मुझे पानी चाहिए बुद्ध ने उस व्यक्ति को पानी दिया उस व्यक्ति ने पानी पिया और कहा यही तो अमृत है बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा यह पानी तो वही है।

 जो पहले पिया था तब तुमने इसे अमृत नहीं कहा था अब तुम्हें यह अमृत क्यों लग रहा है क्या इस पानी में और उस पानी में जो तुमने पहले पिया था कोई अंतर है व्यक्ति ने कहा नहीं पानी तो वही है पर अब पानी पीने का अनुभव बिल्कुल ही अलग है बुद्ध ने कहा ध्यान से सुनो और समझो हम किसी भी चीज को तब तक ठीक से नहीं समझ सकते जब तक कि हम उसे समझने लायक ना हो जाएं जब तुमने पहली बार पानी पिया था तब तुम प्यास को ठीक से समझ नहीं रहे थे।

Gautam buddha Motivational Story 


 उस प्यास के बुझने के आनंद को तुम ग्रहण नहीं कर रहे थे परंतु अब तुमने प्यास को समझा पानी मिलने के आनंद को समझा तभी तो तुम्हारे मुख से अनायास ही निकल गया कि यह तो अमृत है ठीक इसी प्रकार जब तुम तुम अपनी सही या सुख वाली स्थिति में रहोगे तब तक तुम आनंद को नहीं समझ सकोगे व्यक्ति ने कहा आप सत्य कहते है। 

 बुध परंतु फिर भी सुख और आनंद में कुछ तो संबंध होगा बुद्ध ने कहा बस इतना समझ लो सुख आनंद की परछाई है जैसे व्यक्ति की परछाई बनती है या किसी भी वस्तु की परछाई बनती है तब वह परछाई उस व्यक्ति के होने से बनती है परंतु परछाई वह व्यक्ति कभी भी नहीं हो सकती इसी प्रकार आनंद के होने से सुख महसूस होता है।

 जो कि आनंद की परछाई है हम जीवन भर जिसे सुख समझकर भागते हैं वह परछाई से ज्यादा कुछ और नहीं है आनंद की ओर तो हम देखते ही नहीं जिसके कारण वह सुख की परछाई बन रही है उस व्यक्ति ने कहा बुद्ध आप बिल्कुल सत्य कहते हैं मैं आनंद की परछाई यानी सुख को छोड़कर आनंद के बारे में सोच रहा हूं जब उसकी परछाई में इतना सुख है तो स्वयं आनंद में कितना होगा।

 मैं उस आनंद को प्राप्त करना चाहता हूं बुद्ध ने कहा इंतजार करो जिस सुख के चक्रव्यूह में तुम हंसे हो उससे बाहर निकलने का इंतजार करो यह कहकर बुद्ध वहां से चले गए एक वर्ष पश्चात बुद्ध वापस उस गांव में आए उस व्यक्ति ने जब यह सुना तो वह भागता हुआ बुद्ध के चरणों में आकर गिरा और कहा बुद्ध मैं कब से आपका इंतजार कर रहा था।

 जिस सुख को मैं आनंद समझकर खुश हो रहा था वह मुझे छोड़कर चला गया मैं बड़ा दुखी हूं चारों ओर जीवन में परेशानियां ही परेशानियां हैं कुछ भी सही नहीं हो रहा मुझे वह आनंद चाहिए जिसकी सुख परछाई है मैं यह सोच सोच कर परेशान हूं कि जो सुख खुशी दे सकता है तो आनंद क्या देता होगा बुद्ध आनंद क्या है अब तो बता दीजिए।

 बुद्ध ने कहा एक व्यक्ति को जब भूख लगती है तो वह दुख है या सुख व्यक्ति ने कहा वह तो दुख है बुद्ध ने कहा और जब वह व्यक्ति भोजन खाता है तब वह है सुख है या दुख व्यक्ति ने कहा वह तो सुख है बुद्ध ने कहा बिना भूख के के भोजन का सुख लिया जा सकता है व्यक्ति ने सोचा और कहा नहीं बुद्ध अगर भूख ही नहीं होगी तो कितना भी स्वादिष्ट भोजन हो उसमें सुख नहीं मिलेगा बुद्ध ने कहा अब बताओ कि भूख दुख है या सुख व्यक्ति ने कहा तब तो भूख ही सुख है।

 बुद्ध ने कहा भूख लगे और भोजन ना मिले तब भोजन सुख है या दुख व्यक्ति ने कहा तब तो भोजन दुख उत्पन्न करेगा बुद्ध ने कहा तब दुख क्या है और सुख क्या है व्यक्ति ने कहा बुद्ध आप सत्य कहते हैं परंतु आनंद से तो सुख और दुख के चक्कर से मुक्त हुआ जा सकता है बुद्ध ने कहा भूख और भोजन इस भौतिक शरीर की जरूरत है यह जरूरत है।

 ना कि सुख और दुख कोई व्यक्ति भूख लगने पर दुखी ना हो और भोजन मिलने पर खुश ना हो या भोजन ना मिलने पर दुखी ना हो तो उस व्यक्ति के जीवन में भूख को लेकर सुख और दुख कैसे आएंगे व्यक्ति ने कहा लेकिन बुद्ध अगर उस व्यक्ति को भोजन नहीं मिला तो अवश्य ही वह दुखी तो होगा ही बुद्ध ने कहा क्या क्या दुखी होने से किसी को भोजन मिलता है या खुश होने से किसी को भोजन मिलता है व्यक्ति ने कहा नहीं बुद्ध ना तो खुश होने से भोजन मिलता है और ना ही दुखी होने से भोजन मिलता है।

 भोजन तो भोजन के लिए प्रयास करने से मिलता है बुद्ध ने कहा तो जो व्यक्ति प्रयास ना करके भोजन मिलने और ना मिलने के सुख दुख में पड़ा है वही सुख दुख के चक्कर में पड़ा है और आनंद से बहुत दूर हो जाता है व्यक्ति ने कहा बुद्ध यह आनंद क्या है बुद्ध ने कहा आनंद सुख और दुख की मुक्ति का नाम है जहां व्यक्ति को किसी भी चीज में ना तो सुख मिलता है और ना ही दुख मिलता है तब वह वास्तव में सत्य को देखता है और उस शक्ति के साथ जो अनुभव होता है।

 वही आनंद है व्यक्ति ने कहा आपकी बातें बहुत गहरी हैं बुद्ध आनंद को एक वाक्य में समझाना हो तो क्या कहेंगे बुद्ध ने कहा अभी यहीं इसी क्षण में स्थिति परिस्थिति और मन से मुक्त होकर केवल यही और इसी क्षण में बिना किसी बोझ के जीवन की समय जीवन को और मृत्यु के समय मृत्यु को जीना ही आनंद है उस व्यक्ति की समझ में आ गया पर हमारी समझ में नहीं आता क्योंकि जो व्यक्ति सुख दुख के चक्र में पड़ा है वह उसमें फंसा ही रहता है।

 जब तक कि कोई उसे यह ना समझा दे कि यह दुष्चक्र है और वह खुद यह ना देख ले कि यहां कोई चक्र चल रहा है जिसमें वह फंसा हुआ है कोई कैद में हो और उसे आभास ही ना हो कि वह कैद में है तो वह कभी आजाद ना हो सकेगा जैसे यह पूरी दुनिया मानव मनुष्य है हम लोग सभी एक कैद में जी रहे हैं और हम खुश हैं इसमें रोते हैं चिल्लाते हैं फिर सोचते हैं कि हम यहीं खुश रहेंगे और फिर रोते हैं।

 और फिर चिल्लाते हैं यह चक्र कभी पूरा नहीं होता और हम इस कैद में हमेशा सोचते रहते हैं कि हम क्या कर रहे हैं कौन है और यहां क्यों पड़े हैं।

 दोस्तों उम्मीद है आपको कहानी से आपने बहुत कुछ सीखा होगा मिलते हैं एक नई कहानी ने के साथ तब तक सब्सक्राइब करिए।


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