कोई आपको गाली दे तो क्या करे | गौतम बुद्ध की कहानियां

कोई आपको गाली दे तो क्या करे | गौतम बुद्ध की कहानियां | Inspirational And Motivational Story In Hindi. 


 गौतम बुद्ध की कहानियां भले ही आज के समय में ना हो लेकिन उनकी कहानियां मानवीय भावनाओं से जुड़ी हुई हैं इसलिए वे आज भी हमारा मार्गदर्शन करती हैं यही कारण है कि बुद्ध की कहानियां अत्यंत लोकप्रिय हैं इसीलिए आज हम आपके लिए बुद्ध की एक ऐसी ही लोकप्रिय कहानी लेकर आए हैं हमें उम्मीद है कि आपको गौतम बुद्ध की यह कहानी बहुत पसंद आएगी ।



गौतम बुद्ध की कहानियां :

एक बार बुद्ध किसी गांव से गुजर रहे थे उस गांव के लोग बुद्ध को पसंद नहीं करते थे। उन्होंने बुद्ध को घेर लिया और गालियां देने लगे सबसे ज्यादा गुस्सा 'गांव के नेता को हुआ उसने उल्टे बुद्ध को गाली देना शुरू कर दिया लेकिन बुद्ध इस सबसे बेपरवाह होकर मंद मंद मुस्कुराते रहे।


 सरदार बहुत देर तक बुद्ध को गालियां देता रहा लेकिन कुछ देर बाद उसका मुंह सूखने लगा। जिससे वह चुप हो गया यह देखकर बुद्ध ने कहा यदि तुम्हारी बात पूरी हो जाए 'तो मुझे आगे बढ़ना चाहिए । मुझे आगे भी गांव जाना है वहां लोग मेरा इंतजार कर रहे होंगे।


 यह देखकर गांव का एक आदमी बोला हम आपका अपमान कर रहे हैं गालियां दे रहे हैं लेकिन आप जवाब देने के बजाय मुस्कुरा रहे हो आप इस पर प्रतिक्रिया क्यों नहीं देते' बुद्ध ने कहा वत्स तुम्हें आने में थोड़ी देर हो गई 10 साल पहले आते तो मजा आता क्योंकि  ?


 10 साल पहले मैं भी तुम्हारे जैसा था यदि उस समय तुम मेरे बारे में बुरा बोलते या मुझे गाली देते तो मैं भी क्रोधित हो जाता इससे ज्यादा तो मैं तुम्हें गाली देता' लेकिन अब मैं आगे बढ़ चुका हूं।


 मैं अपना सारा गुस्सा और नफरत पीछे छोड़ दिया हूं अब मैं उस जगह पहुंच गया हूं जहां तक आपकी गालियां नहीं पहुंच पाती तुमने मुझे गाली दी यह तुम्हारी भावना है लेकिन तुम्हारी भावनाए मुझ तक नहीं पहुंच रही है मुझ पर इसका आरोप तभी लगाया जाएगा जब मैं इस में भाग लूंगा।


 एक बार मैं उन्हें स्वीकार कर भी लूं लेकिन मैं अपनी इस हरकत से तटस्थ हूं इससे कोसो दूर हूं यही कारण है कि मैं अभी भी पहले की तरह शांत हूं। यह सुनकर सरदार बोला अरे ऐसे कैसे मैंने तुम्हें गालियां दी हैं और पूरे गांव के सामने तुम्हें गालियां दी फिर इसे लेने या ना लेने का क्या मतलब। बुद्ध ने कहा वत्स मैं कल एक गांव में गया था वहां लोगों ने मेरा उपदेश सुना वे बहुत खुश हुए ।


ग्राम के मुख्यां मेरे लिए मिठाइयां लेकर आए और मुझे खाने का आग्रह करने लगे मैंने कहा मेरा पेट भर गया है। इसलिए मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता यह सुनकर वह व्यक्ति मिठाई वापस लेकर चला गया क्योंकि जब तक मैं कुछ ना लूं कोई मुझे नहीं दे सकता इसमें मेरी सहमति तो आवश्यक है ना ।


एक आदमी ने बुद्ध का समर्थन करते हुए कहा हां हां यही चीज तो है बुद्ध ने फिर पूछा जब मैंने मिठाइयां लेने से इंकार कर दिया तो उन्होंने इसका क्या किया होगा। हो सकता है उसने अपने परिवार के बीच मिठाइयां बांटी हो। एक व्यक्ति ने उत्तर दिया तुमने ठीक कहा ठीक उसी मिठाई की तरह तुम मेरे लिए गालियां लेकर आए हो और चाहते हो कि मैं उन्हें स्वीकार कर लूं लेकिन भाई मैं उन्हें नहीं लेता अब बताओ तुम उनका क्या करोगे।


 इसका उस शख्स के पास कोई जवाब नहीं था बुद्ध ने फिर कहा मुझे तुम पर दया आती है वत्स 'अरे मुझे तो गुस्सा तभी आएगा जब मुझे यह गालियां मिलेंगी और जब मैं गालियां नहीं खाता तो क्रोध का प्रश्न ही नहीं उठता सरदार ने बुद्ध की बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी शायद वह कुछ सोच रहा था।


 बुद्ध ने कहा मैं अपनी आंखों से देखता हूं कि गाली एक कांटा है जो देने वाले और लेने वाले दोनों को क्रोध से पागल कर देती है' तो फिर तुम ही बताओ मैं आंखों से भी कांटे पर कैसे चल सकता हूं आंखें रहते हुए मैं गालियां कैसे खा सकता हूं और होश में रहते हुए मैं क्रोध कैसे कर सकता हूं।


 अतह  मुझे क्षमा कर दो वत्स मैं तुम्हारा यह गाली का उपहार स्वीकार करने में असमर्थ हूं। इतना कहकर बुद्ध ने हाथ जोड़ लिए बुद्ध की बात सुनकर सरदार लज्जित हो गया उसकी आंखें भर आई वह कुछ कहना चाहता था। लेकिन उसके होठों ने जवाब दे दिया जब उससे और सहन ना हुआ तो वह बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा।


 दोस्तों हम में से ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि हमारे दुखों का कारण कोई और है वास्तव में हम पर यह निर्भर करता है कि हम दूसरों द्वारा दी गई नकारात्मकता को स्वीकार करते हैं या अस्वीकार यदि हम इस चीज को स्वीकार करते हैं तो हम अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हैं और जब हम उसे अस्वीकार करते हैं तो क्रोध हिंसा सभी से मुक्ति मिल जाती है।


 दोस्तों आशा करते हैं कि आपको यह बुद्ध की कहानी बहुत पसंद आई होगी आगे ऐसी ही कहानियों के साथ फिर मिलेंगे तब तक खुश रहे और खुशियां बांटते रहे।

 धन्यवाद ...

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