Buddha Quotes On Success | गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानियां

  Buddha Quotes On Success | गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानियां | Inspirational And Motivational Kahani in Hindi .


Buddha Quotes On Success = धरती पर रहने वाला प्रत्येक मनुष्य अपने द्वारा लिए गए निर्णय का परिणाम होता है। मनुष्य आज जो निर्णय करता है उसके परिणाम उसे आने वाले समय में लाभ देते हैं। किंतु कई मनुष्य ऐसे होते हैं जिन्हें निर्णय लेने में बहुत अधिक कठिनाई महसूस होती है या फिर वे निर्णय लेने के लिए इस प्रकार के उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं जो कि उन्हें मुसीबत में डाल देते हैं।

 निर्णय लेना एक बहुत ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण क है और यह कला सबके पास होनी चाहिए। ताकि अपने ही द्वारा लिए गए निर्णय के कारण मनुष्य को जीवन में गलत परिणाम ना भुगतने पड़े। आइए आपको बुद्ध और उनके शिष्यों की कहानी सुनाते हैं और बताते हैं कि किस प्रकार से शिष्य के एक गलत निर्णय ने उसका बहुत अधिक नुकसान करवाया। दोस्तों गौतम बुद्ध की शिक्षा हर किसी के जीवन को नई दिशा दे सकती है। अगर आप भी इसे मानते हैं तो कमेंट्स में नमो बुद्ध थाय लिखना मत भूलिए। 



Buddha Quotes On Success | गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानियां :

बहुत समय पहले की बात है तीन बौद्ध भिक्षु जंगल पार करके गांव की ओर जा रहे थे। इनमें से एक का नाम असजी था। दूसरे का नाम उपाली और तीसरे का नाम सुभूति था। असजी शांत और समझदार था। जबकि सुभूति दयालु था और नरम स्वभाव का व्यक्ति था।


 किंतु उपाली को बात-बात पर नाराज होने की आदत थी। यदि उसे कोई मजाक में भी कुछ कह दे तो वह उस उस बात को दिल पर ले लेता था। तीनों बड़े ही आराम से जंगल पार कर रहे थे। तभी सुभूति ने कहा कि जरा सोचो उपाली अगर हम जंगल में भटक गए और तुम अकेले हो गए तब क्या होगा।


 उपाली ने तैश में आकर कहा कि तुम्हें क्या लगता है। मैं तुम दोनों के बिना जंगल पार नहीं कर सकता सुभूति ने कहा कि भला इतने घने जंगल को कोई अकेले पार कर सकता है क्या ? तभी असाजी ने बात को संभालते हुए कहा कि यह निर्णय हम तब लेंगे।


 जब जंगल पार करके के गांव पहुंचेंगे अभी यह समय इन सब बातों का नहीं है। तभी उपाली ने कहा कि तुम दोनों मुझे कमजोर समझते हो अब मैं तुम दोनों को अकेले या घना जंगल पार करके दिखाता हूं। असाजी और सुभूति दोनों ने उपाली कों को बहुत समझाया किंतु वह नहीं माना वह जिद पर अड़ गया कि वह उन दोनों के साथ नहीं जाएगा और जंगल को अकेले पार करके दिखाएगा।


 हार मानकर असजी और सुभूति दोनों उपाली को छोड़कर आगे बढ़ गए। जब असजी और सुभूति दोनों उपाली की आंखों से ओझल हो गए तब फिर से उसने यात्रा प्रारंभ की उसे मन ही मन बहुत ज्यादा डर भी लग रहा था। क्योंकि जंगली जानवरों की आवाजें लगातार सुनाई दे रही थी।


 जैसे तैसे करके उपाली आगे बढ़ रहा था। तभी उसे याद आया कि भोजन और औषधि तो असजी और सुभूति के साथ ही चले गए। अब उसके पास खाने को भी कुछ भी नहीं था। उसने सोचा कि क्यों ना जंगल से कोई फल तोड़कर खा लिया जाए।


 आगे बढ़ते हुए उसे एक बड़ा ही सुंदर पेड़ दिखाई दिया उस पेड़ पर फल लगे हुए थे। ऐसा लग रहा था मानो मोती लटके हो उन फलों की सुंदरता को देखकर उपाली का मन मोह गया उसने मन ही मन सोचा कि जो फल बाहर से इतनी सुंदर है उनका स्वाद भी बड़ा सुंदर होगा।


 उसने तुरंत उस पेड़ से एक फल तोड़ा और उसे खाना शुरू कर दिया उसने दो तीन फल लेकर खाए किंतु यह क्या फल खाते ही उसकी आंखों की रोशनी जाने लगी और उसे धुंधला दिखाई देने लगा थोड़ी ही देर में उसे बिल्कुल दिखाई देना बंद हो गया। 


 उपाली समझ चुका था कि उसने बहुत गलत निर्णय लिया उसे अपने मित्रों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए था। और ना ही फलों की सुंदरता के पीछे मोहित होना चाहिए था। अब उसके पास अन्य कोई रास्ता नहीं था वह समझ चुका था कि वह बहुत बुरी तरह फंस चुका है।


 वह थोड़ी देर वहीं बैठ रहा और फिर एक लकड़ी के सहारे आगे बढ़ने की कोशिश करने लगा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस ओर जा रहा है। किंतु तभी उसे महसूस हुआ कि शायद आसपास कोई व्यक्ति है उसने जैसे ही आवाज लगाई क्या कोई है वहां तभी असजी और सुभूति ने उसे संभालते हुए कहा कि हम दोनों यही हैं।


 अपने मित्रों को पाकर उपाली की आंखों से आंसू बहने लगे उसने कहा कि मुझे बहुत अधिक प्रसन्नता है कि मेरे मित्र मुझे इस घने जंगल में अकेला छोड़कर नहीं गए। तभी असाजी ने कहा कि तुम आज इतनी बड़ी मुसीबत में फंस गए केवल और केवल अपने गलत निर्णय की वजह से किंतु हम तुम्हारी तरह नहीं है।


 हमने सही समय पर सही निर्णय लिया हम दोनों ही तुमसे थोड़ा आगे चल रहे थे। किंतु हमारा ध्यान तुम्हारे ऊपर था जब हमें यह महसूस हुआ कि शायद तुम अधिक पीछे छूट गए हो। तब हम वापस आ गए उपाली ने कहा कि तुम ठीक कहते हो किंतु अभी मुझे इस जंगल से बाहर ले चलो।


 असाजी और सुभूति उपाली को जंगल से बाहर लेकर गए जब वे तीनों गौतम बुद्ध के पास पहुंचे तब साजी ने बुद्ध को सारी कहानी बताई गौतम बुद्ध ने उपाली को समझाते हुए कहा कि जीवन के प्रत्येक क्षण में हमें कुछ ना कुछ निर्णय अवश्य लेने पड़ते हैं।


 आज तुम्हारे गलत निर्णय के कारण तुम्हारी आंखों की रोशनी जा चुकी है उपाली ने कहा कि गुरुदेव हम किस प्रकार से सही निर्णय ले सकते हैं। क्या निर्णय लेने की कला महत्त्वपूर्ण होती है। बुद्ध मुस्कुराए और बोले निर्णय लेने की कला बहुत अधिक महत्व रखती है।


 हमारे जीवन में होने वाली प्रत्येक घटनाएं हमारे निर्णय का परिणाम होती हैं। उपाली ने कहा हम जीवन में किस प्रकार से सही निर्णय ले सकते हैं। गौतम बुद्ध बोले आज मैं तुम्हें बताता हूं। कि जीवन में सही निर्णय लेने से पूर्व किन-किन बातों पर विचार अवश्य करना चाहिए।


 सबसे पहला अशांत दिमाग से कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए। जब मन अशांत अथवा क्रोध की स्थिति में हो तब कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। इससे निर्णय के सफल होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।


 क्रोधी व्यक्ति केवल अपने मन में उठ रहे क्रोध को शांत करने के लिए निर्णय लेता है। वह ना तो भविष्य देखा है और ना ही उसे निर्णय का परिणाम उसे तो बस वर्तमान का क्रोध और अशांति दिखाई देती है।

गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानियां | Inspirational And Motivational Kahani in Hindi



 जिसे वह किसी भी हाल में शं करना चाहता है निर्णय तभी लेना चाहिए। जब मन शांत हो और मन में किसी प्रकार का कोई क्रोध ना हो दूसरा निर्णय लेते समय भविष्य पर विचार जब भी कोई निर्णय लेना चाहिए तो विचार करना चाहिए कि भविष्य में इस निर्णय के क्या-क्या परिणाम हो सकते हैं।


 स्वयं को भविष्य में रखकर देखना चाहिए कि यदि आज हमने यह निर्णय लिया है तो भविष्य में इससे हमें लाभ प्राप्त होगा अथवा नुकसान होगा जब हम एक एक बार भविष्य की कल्पना कर लेते हैं। तब निर्णय लेना आसान हो जाता है। क्योंकि इस प्रकार निर्णय हमें लंबे समय तक फायदा पहुंचाते हैं। तीसरा कभी भी भावनाओं में बहकर निर्णय नहीं लेना चाहिए।


 सकई व्यक्ति ऐसे होते हैं जो तब निर्णय लेते हैं जब वह सबसे अधिक भावुक होते हैं। किंतु यह निर्णय लेने का सही समय बिल्कुल नहीं होता है कभी भी भावनाओं में बहकर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। बल्कि निर्णय लेते समय अपने सभी भावनाओं का त्याग करके केवल और केवल भविष्य को केंद्र में रखकर सोचना चाहिए।


 और निर्णय लेना चाहिए भावनाओं में बैठकर लिए गए निर्णय वर्तमान के लिए सही होते हैं किंतु आगे जाकर या गलत सिद्ध हो सकते हैं। इसलिए निर्णय लेते समय हर प्रकार की भावना से दूर रहना चाहिए।


 चौथा दूसरों की प्रतिक्रिया और उनके अनुभवों का प्रयोग निर्णय लेते समय अवश्य करना चाहिए कई व्यक्ति ऐसे हो होते हैं जो खुद को सबसे बड़ा मानकर दूसरों के अनुभव को सुनना नहीं चाहते और ना ही उनकी प्रतिक्रिया पर विचार करते हैं। किंतु ऐसा नहीं करना चाहिए किसी भी निर्णय से पहले दूसरों के अनुभव और प्रतिक्रियाओं पर एक बार अवश्य विचार करना चाहिए।


 भले ही अंतिम निर्णय आपका हो किंतु यदि दूसरों के अनुभवों से आपको निर्णय लेने में सहायता मिल रही है तो इसमें कोई बुराई नहीं है पांचवा निर्णय लेते समय आंतरिक स पर अधिक ध्यान दें कई व्यक्ति ऐसे होते हैं। जो निर्णय लेते समय केवल और केवल बाहरी आवरण को देखते हैं।


 बाहरी आवरण पर मोहित होकर वे निर्णय ले लेते हैं। किंतु जब आंतरिक आवरण तक पहुंचते हहैं तब पता चलता है कि जो निर्णय उन्होंने लिया है वह गलत सिद्ध हो गया है बाहरी सुंदरता पर कभी मोह नहीं दिखना चाहिए निर्णय किसी वस्तु के विषय में हो या फिर व्यक्ति के विषय में हमेशा आंतरिक सुंदरता को सबसे ऊपर रखना चाहिए। इस प्रकार गौतम बुद्ध ने उपाली को जीवन में सही निर्णय लेने के लिए महत्त्वपूर्ण बातें बताई।


 उपाली गौतम बुद्ध से वादा किया कि अब जब भी वह निर्णय करेगा तब वह इन बातों का ध्यान अवश्य रखेगा। धन्यवाद दोस्तों उम्मीद करते हैं। कि आपको यह कहान पसंद आई होगी इस  न को लाइक और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें।


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.