अकेले पन को ताकत बनाओ | Gautam Buddha Ki Kahani | Motivational Kahani in Hindi

 अकेले पन को ताकत बनाओ | Gautam Buddha Ki Kahani | Motivational Kahani in Hindi .


Gautam Buddha ki kahani =  कहा जाता है कि मानव जाति एक सामाजिक प्राणी है। उसके जीवन में जो भी आदतें और अनुशासन आते हैं। वह इसी समाज की देन है बच्चा जब छोटा होता है तो वह अपने आसपास के लोगों को देखकर ही चलना बैठना और बोलना सीख पाता है। अपने जीवन को सही तरीके से जीने और खुशी से समय बिताने के लिए अपने दुख दर्द तकलीफों को बांटने के लिए हमें परिवार और दोस्तों के सहारे की जरूरत होती है।

 कोई भी मनुष्य कभी अकेला नहीं रहना चाहता वह चाहता है कि उसके आसपास उसके अपने लोग रहे लेकिन कई बार परिस्थितियों के कारण जब मनुष्य को अकेले रहना पड़ता है। तब वह इसे बहुत बड़ा दुख और बोझ मानकर चलते हैं। अकेलापन सामान्य मनुष्य के लिए भले ही दुख का कारण हो सकती है।


 लेकिन विशेष गुणों वाले व्यक्ति अकेलेपन को कभी बोझ नहीं मानते बल्कि वह इसे अवसर के रूप में देखते हैं। क्योंकि अकेले रहने से मनुष्य को बहुत अधिक ताकत मिलती है और उसका मस्तिष्क भी ज्ञान के गुणों से परिपूर्ण होता है।

 आइए इस कहानी के माध्यम से समझते हैं कि गौतम बुद्ध ने किस प्रकार से अकेलेपन से दुखी एक व्यक्ति को अकेलेपन की ताकत का अनुभव कराया दोस्तों 'गौतम बुद्ध की शिक्षा हर किसी के जीवन को नई दिशा दे सकती है 'अगर आप भी इसे मानते हैं तो कमेंट्स में नमो बुद्धाय लिखना मत भूलिए चलिए अब कहानी शुरू करते हैं। 


अकेले पन को ताकत बनाओ।




Gautam Buddha Ki Kahani | Motivational Kahani in Hindi


एक समय की बात है गौतम बुद्ध भ्रमण करते हुए एक नगर में जा पहुंचे नगरवासियों ने उनका खूब स्वागत किया गौतम बुद्ध के आराम के लिए नगर के सबसे सुंदर घर को सजा दिया गया सभी लोग बुद्ध की सेवा के लिए तत्पर थे।


 किंतु बुद्ध ने नगर के भीतर जाने से मना कर दिया और कहा कि वह नगर के बाहर वृक्ष के नीचे ही आराम करेंगे 'क्योंकि वह थोड़े समय के लिए अकेले रहना चाहते हैं। बुद्ध की आज्ञा मानकर सभी नगरवासी चले गए नगरवासियों के जाने के बाद बुद्ध ने अपनी आंखें बंद की और ध्यान की अवस्था में जाने लगे।


 तभी उन्हें किसी के रोने की आवाज सुनाई दी बुद्ध ने तुरंत अपनी आंखें खोली और इधर-उधर देखा तो पाया कि एक व्यक्ति उनसे थोड़ी दूर पर बैठा हुआ है। और वह चिल्ला चिल्लाकर रो रहा है बुद्ध तुरंत ही उसके पास पहुंच गए उन्होंने उस व्यक्ति से उसके दुख का कारण जानने का प्रयास किया।


 उस व्यक्ति ने बताया कि बचपन में ही उसके माता-पिता का देहांत हो गया था। इस कारण वह अकेले इत्यादि मांगकर अपना भरण पोषण करता था। जीवन में कभी उसके कोई मित्र नहीं बने क्योंकि वह गरीब था कोई भी उससे मित्रता नहीं करना चाहता था।


 बचपन से ही वह स्वयं को बहुत अकेला महसूस करता था समय आने पर उसका विवाह भी हुआ किंतु उसकी पत्नी और बच्चों ने कभी उसका सम्मान नहीं किया और उसे उसके ही द्वारा बनाए गए घर से बाहर कर दिया जीवन में उसकी यही अपेक्षा थी कि वह अकेला ना रहे किंतु हर परिस्थिति में उसे सभी ने अकेला छोड़ दिया और अब वह लेपन से बेहद दुखी हो चुका है।


 इस कारण यहां बैठकर रो रहा है। बुद्ध ने उसे व्यक्ति के बातों को ध्यान से सुना उसे समझाते हुए गौतम बुद्ध बोले क्या जब तुम पैदा हुए थे तब तुम्हारे साथ कोई था। उस व्यक्ति ने ना में उत्तर दिया बुद्ध ने फिर अगला प्रश्न किया क्या जब तुम इस धरती से जाओगे तब तुम्हारे साथ कोई जाएगा।


 उस व्यक्ति ने फिर ना में सिर हिलाया बुद्ध बोले फिर तुम्हें यह आशा क्यों है कि तुम्हारे साथ कोई रहे वह बड़े ही भाग्यशाली होते हैं। जिन्हें अकेले रहने का सुख प्राप्त होता है बड़े-बड़े महात्माओं ने सिद्धियां प्राप्त की ज्ञान प्राप्त किए लेकिन इस प्राप्ति का मार्ग अकेलेपन से होकर जाता है।


 सबसे पहले उन्होंने अकेलेपन का मार्ग चुना और तभी जाकर उन्हें ज्ञान मिला मैंने स्वयं भी अकेलेपन का मार्ग चुना तभी उस व्यक्ति ने सवाल किया क्या आपको अकेले डर नहीं लगता बुद्ध मुस्कुराए और बोले डर किस बात का मैं यहां पर अकेला नहीं था मैं स्वयं के साथ था।


 व्यक्ति उसने दूसरा प्रश्न किया कि हम सब मानव जाति हैं और हमें जीवन जीने के लिए दूसरे मनुष्यों की सहायता की आवश्यकता होती है। क्या हम अकेले रहकर जीवन बिता सकते हैं। बुद्ध ने कहा कि एक बालक जब छोटा होता है तो उसे मां की आवश्यकता होती है।


 पिता की आवश्यकता होती है। किंतु कुछ ही समय में जब वह बालक बड़ा हो जाता है तो उसकी आत्मनिर्भरता स्वयं के ऊपर आ जाती है। हम इस धरती पर अकेले ही जन्म लेते हैं मृत्यु के समय भी अकेले ही होते हैं तो फिर अकेलेपन से घबराना   क्यों ?


 जो व्यक्ति अकेले रहते हैं वह सबसे अधिक ताकतवर होते हैं। वह व्यक्ति अपने जीवन में होने वाली सभी घटनाओं के लिए स्वयं जिम्मेदार होते हैं। उनके पास सोचने के लिए अधिक वक्त होता है एक अकेला व्यक्ति संसार को उत्तम दृष्टिकोण से देखता है और समाज में बदलाव लाने का प्रयास करता है।


 जीवन में यदि सफल होना है तो समूह का त्याग करके सबसे अधिक समय स्वयं को देना चाहिए। कोई व्यक्ति जब अपने लिए एकांत चुनता है वह अपने सभी कार्यों को बहुत ही सही दृष्टिकोण से देख पाता है और स्वयं की आदतों में सुधार कर पाता है।


 जब हम समूह में होते हैं तो हम दूसरे के जीवन और दूसरों की बातों पर अधिक ध्यान देते हैं। इससे हमारा स्वयं का विकास प्रभावित होता है हमारे अंदर क्रोध और ईर्ष्या की भावना आ जाती है और जिनके अंदर यह नकारात्मक भावनाएं होती हैं उनके अंदर सफल होने की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं।


 अकेले रहने वाले व्यक्ति बेहद समझदार और सुलझे हुए माने जाते हैं समाज में उनकी सलाह को महत्व दिया जाता है। अकेले रहने से व्यक्ति को इसलिए भी ताकत मिलती है क्योंकि वह अपने व्यवहार के बारे में अच्छी तरह जान पाता है।


 उसे अपनी ताकत और अपनी कमजोरी की जानकारी होती है वह स्थिति का सामना अन्य व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकता है। बुद्ध की बातों को सुनते हुए वह व्यक्ति ध्यान मग्न था तभी उसने फिर प्रश्न किया कि हे तथागत क्या अकेले रहने से मनुष्य का व्यक्तित्व भी प्रभावित होता है।


 तब गौतम बुद्ध ने कहा कि यदि समूह में रहने वाले व्यक्ति और अकेले समय बिताने वाले व्यक्ति की तुलना की जाए तो समूह में रहने वाले व्यक्ति अक्सर अपने आसपास के लोगों के व्यक्तित्व से प्रभावित रहते हैं।


 उनके परिवार और मित्रों का व्यक्तित्व जिस प्रकार का होता है उनका व्यक्तित्व भी उसी प्रकार बन जाता है। लेकिन अकेले रहने वाले व्यक्ति एक नए प्रकार के व्यक्तित्व का विकास करने में सक्षम होते हैं। वह किसी के प्रभाव में नहीं आते बल्कि स्वयं अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं इतिहास के बड़े-बड़े कवि और कलाकार आमतौर पर अंतर्मुखी और अकेले रहने वाले व्यक्तियों में गिने जाते हैं।


 क्योंकि अकेले रहने से उनके अंदर सृजन करने की क्षमता बढ़ती है जब अकेले समय बिताते हैं तो श्रीजन पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। इसलिए जीवन में कभी भी अकेलेपन को नकारात्मक और दुख से नहीं जोड़ना चाहिए। बल्कि यह सोचना चाहिए कि ईश्वर ने यही सबसे सुनहरा अवसर दिया जिसमें हम स्वयं के व्यक्तित्व की पहचान कर पाएंगे।


 एकांत रहने में अद्भुत शक्ति मिलती है। उस व्यक्ति ने फिर प्रश्न किया कि एकांत रहने में किस प्रकार की शक्ति की मिलती है एकांत रहने से व्यक्ति अपने लक्ष्य की ओर अधिक तेजी से पहुंच सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन कुछ समय अकेले व्यतीत करना चाहिए।


 प्रतिदिन संभव नहीं है तो महीने के कुछ दिन या फिर साल के कुछ दिन यदि वह अकेले रहकर स्वयं का विश्लेषण करें तो निश्चित ही वह दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति बन सकता है। कई बार बुद्धिमान व्यक्ति जब मूर्खों का साथ पकड़ लेते हैं। तो उनकी बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती है।


 इसलिए मूर्खों के साथ चलने से बेहतर है कि अकेले चला जाए ताकि स्वयं का विकास हो सके कई बार व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पर इतने निर्भर हो जाते हैं कि वह स्वयं को प्रेम करना भूल जाते हैं। दूसरे व्यक्ति पर भावनात्मक रूप से या फिर किसी भी तरह से निर्भर होना अच्छी बात नहीं है। यह हमारे निजी विकास में बाधा पहुंचाती है एकांत रहने वाले व्यक्ति प्रेम को भी अच्छी तरह समझते हैं और स्वयं के प्रति दयालु भी होते हैं।


 जबकि समूह में रहने वाले व्यक्ति अक्सर अपनी तुलना करके स्वयं के व्यक्तित्व को छोटा मानने लगते हैं। लेकिन जब व्यक्ति अकेलेपन की अवस्था में होते हैं तो उनके प्रतियोगिता किसी से नहीं होती है वह स्वयं से ही प्रतियोगिता करते हैं और अपनी अच्छाइयों को अपनी कमियों को अच्छी तरह से देखते हैं।

Gautam Buddha Story in hindi, Gautam Buddha Story, Gautam Buddha teaching .

Gautam Buddha ki kahani 


 उसका विश्लेषण करते हैं इतना ही नहीं एकांत की अवस्था में वह कम समय में ही अपनी समस्याओं का समाधान कर लेते हैं। जबकि समूह में रहने वाले व्यक्ति यदि कोई निर्णय लेता है तो इसका निर्णय भी अन्य व्यक्तियों की इच्छा से प्रभावित होता है।


 गौतम बुद्ध की बातों को ध्यान से सुन रहे उस व्यक्ति ने फिर प्रश्न किया कि जिन व्यक्तियों के परिवार और मित्र हैं। वह किस प्रकार अकेले रह सकते हैं। गौतम बुद्ध ने कहा कि अकेले रहने का यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि सब कुछ त्याग कर जंगल की ओर चले जाओ गृहस्थ जीवन और समाज के प्रति कुछ महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियां होती हैं।


 जिनका निर्वहन करना आवश्यक होता है किंतु इस अवस्था में रहते हुए भी यदि स्वयं का विकास करना है तो प्रतिदिन कुछ समय अकेले अवश्य बिताना चाहिए। अकेले रहने वाले व्यक्तियों की मानसिक स्थिति अन्य व्यक्तियों की तुलना में बेहद मजबूत हो जाती है। क्योंकि वे इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि परिस्थितियों चाहे कैसी भी हो उन्हें स्वयं ही स्वयं की सहायता करनी होगी।


 कोई अन्य व्यक्ति उनकी सहायता नहीं कर सकता इस संसार में जिस व्यक्ति ने अकेलेपन की ताकत को समझ लिया वह उच्चतम शिखर तक पहुंचता है। और जीवन में उसे जो कुछ भी चाहिए उसने जो भी लक्ष्य तय किया है वह उन्हें अवश्य पा लेता है।


 किंतु कई बार अकेले रहने वाले व्यक्ति नकारात्मक भाव से भी गुजरते हैं। उनके अंदर कई प्रकार की नकारात्मक बातें आ जाती हैं और वह दुखी रहने लगते हैं ऐसा होना स्वाभाविक है। मन में नकारात्मक बातों का आना दुखी होना यह सब मनुष्यों के संवेग है कि यह दुख और नकारात्मक भाव लंबे समय तक मनुष्य के जीवन में नहीं रहना चाहिए।


 ईश्वर ने यदि तुम्हें अकेले रहने का अवसर दिया है तो इसे सहर्ष स्वीकार करो और यह सोचो कि ईश्वर ने जो कुछ भी किया है। इसमें अवश्य ही तुम्हारी कोई भलाई छिपी हुई है अन्य व्यक्ति अपने सांसारिक जीवन का त्याग करके अकेले रहने के लिए जंगलों की ओर जाते हैं और तुम हो जिसे ईश्वर ने जीवन के प्रारंभ से ही अकेलेपन का अनुभव कराया।


 इस कारण तुम्हें सदैव कृत होना चाहिए मन के नकारात्मक भाव और दुख के स्थान पर तुम्हें सकारात्मक बातें सोचनी चाहिए और अपने एकांत समय को सही दिशा में लगाना चाहिए। गौतम बुद्ध बोले कि प्रारंभ में तुम्हें अवश्य ही पीड़ा महसूस होगी किंतु समय के साथ तुम्हें इसका लाभ भी मिलेगा।


 अपने जीवन को सही लक्ष्य में लगाओ और अपने लिए अनुशासन तय करो जब कभी एकांत में बैठो तो अपनी दोनों आंखें बंद करके और ध्यान लगाओ ज्ञान की गहरी अवस्था तुम्हें सकारात्मकता की ओर लेकर जाएगी।


 इस प्रकार गौतम बुद्ध ने उसे व्यक्ति को अकेलेपन की ताकत का अनुभव करवाया उस व्यक्ति ने गौतम बुद्ध से वादा किया कि अब वह जीवन में कभी दुखी नहीं होगा। बल्कि एकांत समय को अवसर बनाकर जीवन में बड़े लक्ष्य की प्राप्ति करेगा।

 उम्मीद करते हैं कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी हम सभी अपने प्रतिदिन के जीवन में कभी ना कभी अकेला अवश्य महसूस करते हैं किंतु यही वह समय होता है। जब हम अपने विकास के बारे में सोच सकते हैं इस कहानी को अपने परिवार और दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी प्रेरणा मिल सके।


कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.