ज्यादा बोलने की आदत | गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी | Gautam Buddha Story
ज्यादा बोलने की आदत | गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी | Gautam Buddha Story .
आदतें अच्छी या बुरी होती हैं अच्छी आदतों से हम जीवन में वह सब पा सकते हैं। जिनकी हम इच्छा रखते हैं दूसरी तरफ बुरी आदतें हमसे सब कुछ छीनने की शक्ति रखती है। आदतें हजारों तरह की होती हैं लेकिन अगर हम किसी भी आदत को जरूरत से ज्यादा दोहराते हैं तो वह बुरी आदत बन जाती है। जैसे खाना कोई बुरी आदत नहीं है। लेकिन ज्यादा खाना या खाते ही रहना एक बुरी आदत है बोलना कोई बुरी आदत नहीं है मगर ज्यादा या बेवजह बोलना एक काफी बुरी आदत है। आज हम बड़बोले विद्यार्थी की कहानी से जानेंगे इस तरह से होने वाले नुकसान और इससे छुटकारा पाने के तरीके।
गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी | Gautam Buddha Story
एक बार की बात है एक गुरु का एक शिष्य बहुत अधिक बोलने की आदत से परेशान रहता था जब भी वह किसी से मिलता मिलने के बाद अपने दोस्तों के सामने उस व्यक्ति के बारे में अपने विचार देना शुरू कर देता चाहे कोई उससे पूछे या नहीं वह अपने आसपास की लगभग हर चीज के बारे में आश्रम में रहने वाले लगभग हर छात्र और शिक्षक के बारे में अपनी राय बताता उसकी अपनी सकारात्मक या नकारात्मक राय थी।
जिसे वह बिना सोचे समझे लोगों के सामने रख देता जब भी आश्रम में रहने वाला कोई अन्य छात्र उसके पास कोई समस्या लेकर आता तो वह उसकी पूरी बात सुने बिना उसे सलाह देना शुरू कर देता वह अक्सर अपने दोस्तों से कहता रहता था। कि तुम इस काम को ऐसे करो वह काम ऐसे ही करना चाहिए।
उसे अपने आसपास की चीजों के बारे में जो भी आधा अधूरा ज्ञान था वह बीच-बीच में गपशप के दौरान बात करके उस ज्ञान का ढोंग करता था। उसकी इन्हीं हरकतों के कारण आश्रम के किसी भी छात्र या शिक्षक कभी उसे गंभीरता से नहीं लेते अक्सर उसके साथ पढ़ने वाले छात्र उससे दूर रहने की कोशिश करते थे क्योंकि ?
वह उन्हें हर बात पर सलाह देता था कोई नहीं चाहता था कि वह उनका दोस्त बने हर कोई उससे दूर रहना पसंद करता था और अक्सर आश्रम में रहने वाले अन्य छात्र उसकी पीठ पीछे उसकी इन आदतों के लिए उसका मजाक उड़ाते थे। वह लड़का खुद भी जानता था कि उसके बहुत बोलने की आदत के कारण उसे कोई पसंद नहीं करता वह भी इस आदत को बदलना चाहता था।
लेकिन चाहकर भी हर बात पर अपनी राय देने की आदत नहीं छोड़ पाता था एक दिन वह अपने गुरु के पास गया और अपनी सारी समस्या गुरु को बताई गुरु ने कहा बेटा वहीं व्यक्ति जरूरत से अधिक बोलता है जो सोचता है कि वह सब कुछ जानता है ऐसा व्यक्ति जो मानता है कि वह बहुत कम जानता है और अभी भी बहुत कुछ सीखना है।
वह कभी भी अधिक नहीं बोलता है और ना ही अपनी राय देता है तो पहले अपने अंदर से यह अभिमान दूर करो कि तुम सब कुछ जानते हो शिष्य ने गुरु के सामने सिर झुकाया गुरु ने कहा बेटा मैं एक दिन में आपकी बहुत ज्यादा बात करने की आदत एकदम से खत्म नहीं होगी। आपको धीरे-धीरे अपने अंदर से यह आदत खत्म करनी होगी लेकिन मैं तुमको यह जरूर बता सकता हूं कि तुम्हें किन मौकों पर चुप रहना चाहिए।
ताकि तुम खुद को दुखी होने और किसी बड़ी परेशानी में पड़ने से बच सको शिष्य ने गुरु की बात से सहमत होते हुए हां में सिर हिलाया गुरु ने कहा बेटा इन पांच अवसरों पर प्रत्येक व्यक्ति को अपना मुंह बंद रखना चाहिए। एक जब आपको लगे कि आपकी बातों से कोई आपकी भावनाओं को नहीं समझ सकता तो उस समय आपको चुप रहना चाहिए।
अक्सर हम अपने दुख दर्द लोगों को बताना शुरू कर देते हैं। जबकि हमारे आसपास रहने वाले ज्यादातर लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे जीवन में क्या चल रहा है हर व्यक्ति को केवल अपनी परवाह है वह केवल अपने बारे में बात करना चाहता है। वह केवल अपने बारे में सुनना चाहता है उसे हमारे जीवन की परेशानियों की परवाह नहीं होती और वह हमारे बारे में सुनना नहीं चाहता है ।
वह आपकी दुखद कहानी एक या दो बार सुन सकता है लेकिन उसके बाद वह आपसे दूर भागना शुरू कर देगा क्योंकि कोई भी दुखी होना पसंद नहीं करता किसी को भी एक उदास और असहाय व्यक्ति के साथ नहीं चाहिए होता है। इसलिए अपने कुछ करीबी दोस्तों और परिवार के अलावा किसी को भी अपनी परेशानी कभी ना बताएं क्योंकि अक्सर वे आपकी बातों को समझने के बजाय उनका मजाक उड़ाते हैं।
दूसरा जब आपको नहीं पता कि किसी विशेष अवसर पर क्या कहना है या आपको किसी विशेष घटना के बारे में केवल आधा अधूरा ज्ञान है तो ऐसे अवसर पर भी आपको चुप रहना चाहिए ऐसा व्यक्ति जो आधा अधूरा ज्ञान होने के बाद भी उस विषय पर बात करता है। वह अक्सर उपहास का पात्र बन जाता है ऐसे व्यक्ति को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता है।
केवल वही व्यक्ति अपनी बात प्रभावी ढंग से रख सकता है जिसे उस विशेष घटना या विषय का गहरा ज्ञान हो इसलिए यहां वहां से प्राप्त आदि अधूरी और अनप्री जानकारी के आधार पर कभी भी लोगों को समझाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए गुरु ने कहा जब कोई व्यक्ति आपके सामने किसी तीसरे व्यक्ति की बुराई कर रहा हो तो ऐसी स्थिति में आपको चुप रहना चाहिए।
Gautam Buddha Story | Inspirational And Motivational Kahani in Hindi
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| गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी |
आपको कभी भी ऐसी नकारात्मक बातचीत का हिस्सा नहीं बनना चाहिए क्योंकि आज वह व्यक्ति जो कर रहा है आपके सामने किसी तीसरे व्यक्ति की बुराई कल किसी और के सामने आपकी भी बुराई करेगा और इस बात की अधिक संभावना है कि आज आपने जिस तीसरे व्यक्ति की बुराई की है।
उसे भी इस बात का पता चल जाते तो आप पर ही मुसीबत आ सकती है इसलिए जब भी कोई किसी दूसरे व्यक्ति की बुराई करे या उसके गलत समय का मजाक उड़ाए तो आपको बस उसकी बात सुननी है। अपनी कोई राय नहीं देनी है। गुरु कहा जब कोई आप पर क्रोध और घृणा से चिल्लाता है आपका अपमान करने की कोशिश करता है तो ऐसी स्थिति में आप दूसरे व्यक्ति की क्रोध और घृणा को चुप रहकर कम कर सकते हैं चुप रहकर भी आप स्थिति को बिगड़ने से रोक सकते हैं।
जब आप ऐसा नहीं करते हैं और दूसरे व्यक्ति के क्रोध का उत्तर क्रोध से दे देते हैं तो परिणाम काफी भयंकर होता है यदि आप उस समय चुप रहते हैं तो यह बात उस क्रोधी व्यक्ति के दिल में महसूस होती है। जब क्रोध शांत हो जाता है तो वह अपनी गलती पर पछताता है और इस बात की भी संभावना बढ़ जाती है कि को आगे आकर आपसे माफी मांगे अपनी गलती के लिए और अगर वह माफी नहीं मांगता है तो वह अंदर से दोषी महसूस करने लगता है और फिर अगली बार आप पर गुस्सा करने या नफरत करने से पहले कई बार सोचता है।
लेकिन आपको हर हाल में या हर समय चुप भी नहीं रहना चाहिए अगर कोई गलत कर रहा है तो उसका जवाब आपको देना चाहिए क्योंकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं। जो हमारी खामोशी को हमारी कमजोरी समझते गुस्से में चुप रहने का यह तरीका केवल परिवार करीबी रिश्तेदारों और कुछ करीबी दोस्तों के लिए ही सही है हर इंसान के लिए नहीं अगर आप हर जगह खामोश रहने लगे तो इसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है ।
गुरु ने आगे कहा पांचवा जब कोई व्यक्ति अपने जीवन की कोई दुखद घटना या अपने जीवन की परेशानी साझा कर रहा हो ऐसे में आपको चुप रहना होगा और सिर्फ उसकी बातों को सुनना होगा। ज्यादातर लोग ऐसे हैं कि उनके सामने किसी ने उनकी समस्या सुनाई नहीं कि उन्होंने समाधान देना शुरू कर दिया हालांकि जब कोई व्यक्ति अपनी समस्या हमारे साथ सांझा कर रहा है तो वह हमसे किसी सुझाव की उम्मीद नहीं करता है।
वह चाहता है कि हम उसकी बात ध्यान से सुने क्योंकि जब हम उनकी बात सुनते हैं उस व्यक्ति को आंतरिक शांति मिलती है उसे लगता है कि कोई मेरी बातों को समझता है। अधिकांश समय जब लोग अपनी समस्याओं को हमसे सांझा करते हैं तो वे हमें केवल अपनी बात बताना चाहते हैं।
वे हमें से किसी भी प्रकार की सलाह नहीं चाहते क्योंकि वे पहले से ही सभी तरह की सलाह जानते हैं जो हम उन्हें देने जा रहे हैं मुसीबत के समय किसी व्यक्ति को सांत्वना देने का सबसे अच्छा तरीका उस व्यक्ति की बात को ध्यान से सुनना है। जब हम बिना ध्यान दिए लोगों की बातों को ध्यान से सुनते हैं बिना किसी सलाह के तब उनकी आंखों में हमारे लिए सम्मान और स्नेह का भाव पैदा हो जाता है।
उन्हें लगता है कि हम अधिक गंभीर बुद्धिमान और शांत दिमाग वाले लोग हैं इसलिए अब जब भी कोई अगली बार आपको को अपनी समस्या बताए तो बस उसकी बातों को ध्यान से सुने और जब तक वह आपसे ना मांगे उसे किसी प्रकार की सलाह ना दें। गुरु ने कहा मेरी एक बात हमेशा याद रखना जब आप कम बोलते हैं तो लोग आपकी ओर अधिक आकर्षित होते हैं कि आप कौन हैं और आप क्या सोचते हैं।
शिष्य ने हां में सिर हिलाया शिष्य अब गुरु के शब्दों को समझ गया था कि किन परिस्थितियों में उसे चुप रहना चाहिए। उसने यह भी सीखा था कि कम बोलने से वह आश्रम में अपनी प्रतिष्ठा वापस पा सकते हैं। उसने गुरु को धन्यवाद दिया और वहां से चला गए।
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