शांत रहना सिखों | Buddhist Motivational Story On Silence

 शांत रहना सिखों | Buddhist Motivational Story On Silence | Hindi Motivational Kahani. 

अगर खुद को बदलना चाहते हो तो सबसे पहले प्राचीन रहस्यमय विचारों को खुद के दिमाग के अंदर डालना होगा इन विचारों को अपने दिमाग के अंदर डालने के बाद इसको अपनी जिंदगी में अमल में लाना होगा इसके बाद तुम दिमाग से इतने मजबूत हो जाओगे कि तुम्हें जिंदगी में कोई व्यक्ति बुद्धि के मामले में हरा नहीं सकेगा एसी सिख गौतम बुद्ध ने कई सालों पहले उस वक्त की पीढ़ी को क्यों दी थी इसके पीछे का रहस्य क्या है आज इसी रहस्य के बारे में हम गौतम बुद्ध की कहानियों के माध्यम से जानेंगे तो बिना देर किए चलिए उन कहानियों की शुरुआत करते हैं।

Buddhist Motivational Story 

1.   Gautam Buddha Inspirational Story in hindi,


 पहली कहानी विचारों पर एक बुद्ध कहानी एक बार एक व्यक्ति गौतम बुद्ध के पास गया और बोला बुद्ध मैं अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुनता हूं कि हम जो सोचते हैं वही बन जाते हैं इसलिए मैं आपसे जानना चाहता हूं कि हमारा जीवन हमारे विचारों से कैसे जुड़ा है और हमारे विचार हमारे जीवन को किस हद तक प्रभावित करते हैं बुद्ध ने कहा है।

 कि यह सत्य है कि मनुष मनुष जो सोचता है वही बन जाता है कोई भी विचार जिसे हम लंबे समय तक अपने मन में रखते हैं और उसके बारे में बार-बार सोचते रहते हैं हम वैसे ही बन जाते हैं लोग उन्हीं के साथ अपना निर्माण करते हैं विचार जिसके बारे में वह लगातार बनता रहता है व्यक्ति का चरित्र उसके विचारों से भी बनता है यदि विचार अच्छे हैं।

 तो चरित्र भी शुद्ध होगा और यदि विचार ही प्रदूषित है तो चरित्र भी बुरा होगा अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि आपके जीवन का हर पहलू आपके किसी नाना किसी पहलू से जुड़ा है आप आज जो भी हैं अपने विचारों की वजह से हैं आपके विचार अच्छे या बुरे किसी ना किसी तरह से आपके जीवन को अच्छा या बुरा बना रहे हैं हम जैसा सोचते हैं वैसा ही हमारा चरित्र बन जाता है।

 जिस प्रकार स्वस्थ बीज के बिना कोई वृक्ष विकसित नहीं हो सकता उसी प्रकार अच्छे विचारों और अच्छे चरित्र के बिना कोई भी मनुष्य सफल नहीं हो सकता और यदि उसके विचार नकारात्मक है तो वह अपने जीवन को गलत दिशा में मोड़ देगा उसी प्रकार हमारे जीवन में अपने विचारों और कर्मों के माध्यम से कई बीज बोए और उस बीज का फल या तो हमें दु हाक दे सकता है या खुशी यदि हमने सकारात्मक विचारों के बीज बोए तो हमें सफलता और खुशी मिलेगी लेकिन यदि बोए गए बीज नकारात्मक विचारों के हैं तो सफलता और दुख साथ-साथ चलेंगे जिन लोगों को आप सफल और महान मानते हैं।

 वे यहां ऐसे ही नहीं पहुंच गए उन्होंने अपने विचारों पर नियंत्रण रखकर अपना चरित्र ऐसा बनाया कि और इसी चरित्र के बल पर उन्होंने महानता की ऊंचाइयों को छुआ तो मूल रूप से आपके अंदर जो विचार हैं यदि आपके मन में दूसरों के प्रति क्रोध ईर्ष्या घृणा है तो आप बाहर भी वैसे ही होंगे तो आपको बाहर भी वही मिलेगा तुम्हें ऐसे लोग मिलेंगे जो तुम्हारे साथ वैसा ही करेंगे।

 यदि तुम्हारे पास प्रेम शांति करुणा है तो तुम वैसे ही बन जाओगे और आप बाहर भी वैसा ही पाएंगे और और जो ऐसे विचार रखता है उसे सम्मान और प्यार दोनों मिलता है वस्तुतः मनुष्य अपने जीवन का निर्माता स्वयं है वह इसे बना या बिगाड़ सकता है मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण अपने कार्यों और विचारों से करता है अपना समुदाय बनाता है अपनी किस्मत खुद बनाता है।

 व्यक्ति ने कहा लेकिन बुद्ध में अपने विचारों से खुद को कैसे सुधार सकता हूं बुद्ध ने कहा था कि अगर तुम खुद को सुधारना चाहते हो तो सबसे पहले अपने विचारों पर ध्यान देना शुरू करो तुम्हें यह देखना होगा कि तुम दिन भर क्या सोच रहे हो क्या तुम दिन भर मन में बुराई और लोगों के प्रति नफरत पाल रहे हो आपको बस इस बात पर ध्यान देना है कि आप अच्छाई की ओर जा रहे हैं या बुराई की ओर जब आप अच्छे से समझ जाएंगे कि आपके दिमाग में अच्छे विचार चलते हैं या बुरे तभी आप अपने सोचने के तरीके में बड़ा सकारात्मक बदलाव कर पाएंगे।

 आपके अंदर कभी ना खत्म होने वाला खजाना है आप नहीं जानते कि आप क्या कर सकते हैं आप किस तरह की अद्भुत शक्तियां प्राप्त कर सकते हैं आपने महान योद्धाओं और महान लोगों के बारे में तो सुना ही होगा यदि आपको उनकी शक्तियों पर विश्वास नहीं है आपको बस यह मानना होगा कि आग के बिना धुआ नहीं होता जरूर उनमें कुछ तो बात होगी।


 जिसकी वजह से उनके बारे में इतना कुछ लिखा और कहा गया है तो वे कौन लोग थे जो दुनिया में महान योद्धा और आदर्श के रूप में पूजे जाते थे अगर हम थोड़ा और गहराई से सोचे तो यह वे लोग थे जिन्होंने अपने भीतर के अटूट खजाने को पहचाना वे लोग अभ्यास करते रहे और सभी की भलाई करने वाले लोगों की मदद करके खुद को बेहतर बनाते रहे और वे दुनिया में महान और अमर हो गए और अगर आप भी ऐसा ही करना चाहते हैं।

 तो सबसे पहले आपको अपने विचारों पर ध्यान देना होगा बुद्ध ने आगे कहा एक मानव के मन की बगीचे से तुलना की जा सकती है जैसे बगीचे को साफ और सुंदर रखना समय-समय पर उसमें उगने वाले खर पतवार को हटाना पड़ता है रोज पानी देना पड़ता है पौधे की देखभाल करनी पड़ती है उसी तरह हमें अपने मन को भी सुंदर और सकारात्मक बनाए।

 रखने के लिए उसका ख्याल रखना होगा इसमें से लगातार नकारात्मक विचारों को हटाकर सकारात्मक विचारों को जगह देनी होगी इसके लिए हमें डर चिंता नफरत और ईर्ष्या जैसी भावनाओं से खुद को दूर रखना होगा और इसके लिए आपको अपने अंदर चल रहे विचारों पर लगातार ध्यान देना होगा।

 किसी भी व्यक्ति के अंदर उठने वाले विचार और उसका चरित्र अधिकतर उसके आसपास के वातावरण और परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी व्यक्ति की स्थिति खराब है त उसके विचार सदैव त्रुटिपूर्ण रहेंगे वह उन पर ध्यान देकर अपने विचारों को बदल सकता है और जैसे ही उस व्यक्ति के विचार बदल जाते हैं तो उसका चरित्र और उसके काम करने का तरीका अपने आप बदल जाता है।

 यह सभी चीजें धीरे-धीरे सीखनी होती हैं विचारों के काम करने के तरीके को समझना होगा आपको सबसे पहले यह स्वीकार करना होगा कि जो काम सामने वाला कर सकता है वह आप भी कर सकते हैं आपको बस इसका बार-बार अभ्यास करने की जरूरत है नई चीजें सीखने की जरूरत है जैसे-जैसे आपका मन बदलेगा आपकी परिस्थितियां भी बदल जाएंगी आप जो भी विचार बीज रूप में अपने मन में डालते जाएंगे यह धीरे-धीरे आपके चरित्र और आपके कार्यों में दिखना शुरू हो जाएगा।

 और एक बार वह विचार आपके अंदर जड़े जमा लेगा तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकेगा लेकिन अगर वह बीज या विचार नकारात्मक है तो आपको भी असफलता से कोई नहीं बचा सकता इसलिए अपने विचारों के प्रति बहुत जागरूक रहने की जरूरत है आप अपने अंदर किस तरह के विचार ला रहे हैं एक बात हमेशा याद रहे हमें वह नहीं मिलता जो हम चाहते हैं।

 बल्कि हमें वह मिलता है जो हम हैं और हम अपने विचार हैं इसलिए इच्छा करना और उस इच्छा के बारे में अच्छा सोचते रहना और उसे पूरा करने का प्रयास करना दो बिल्कुल अलग चीजें हैं क्योंकि इच्छा तो हर कोई करता है लेकिन उस इच्छा के बारे में लगातार सकारात्मक सोचना और उसे पाने के लिए कड़ी मेहनत करना बहुत ही कम लोग ऐसा कर पाते हैं।

Gautam budh ki kahaniya 


 इसलिए अगर आप अपनी परिस्थितियों को बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको खुद को बदलना होगा लेकिन ज्यादातर लोग अपनी परिस्थितियों को तो बदलना चाहते हैं लेकिन अपने सोचने और काम करने के तरीके को नहीं बदलना चाहते और अगर लोग ऐसे ही रहेंगे तो उनके हालात कभी नहीं बदलेंगे उस व्यक्ति ने कहा कि बुद्ध हमारे विचारों का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है बुद्ध ने कहा था कि हमारा शरीर हमारे दिमाग का गुलाम है।

 हम जो भी सोचते हैं उसका पहला प्रभाव हमारे शरीर पर ही पड़ता है आपने देखा होगा कि जो लोग बहुत अधिक चिंता करते हैं और डरते हैं वे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं साथ ही जो लोग दूसरों से ईर्ष्या करते हैं और हमेशा नकारात्मक सोचते हैं वे भी बहुत जल्द मानसिक और शारीरिक बीमारी का शिकार हो जाते हैं और अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आपके साथ भी ऐसा ही होगा इसके विपरीत जो लोग हमेशा खुश रहते हैं वे दूसरों के बारे में अच्छा सोचते हैं हमेशा स्वस्थ रहने के के बारे में सोचते रहते हैं।

 तो उनकी ऊर्जा एक समान हो जाती है और इस ऊर्जा का सकारात्मक प्रभाव सबसे पहले उनके शरीर पर पड़ता है क्योंकि जिस व्यक्ति का मन शांत होता है उस व्यक्ति के शरीर की आधी बीमारी अपने आप ही खत्म हो जाती है हम स्वस्थ रहेंगे या बीमार यह हमारे आसपास के माहौल और परिस्थितियों के अलावा हमारी सोच पर भी निर्भर करता है एक कमजोर और बीमार विचार हमारे शरीर को भी कमजोर और बीमार बना देता है।

 आपने अपने आसपास देखा होगा कि जो लोग बीमार होने से सबसे ज्यादा डरते हैं वो सबसे ज्यादा बीमार पड़ते हैं इस डर ने लाखों लोगों की जान ले ली है इसके विपरीत जो लोग अपने शरीर के बारे में अच्छा सोचते हैं वे स्वस्थ और मजबूत महसूस करते हैं और जिनके विचार शुद्ध होते हैं उनका शरीर स्वस्थ और मजबूत हो जाता है।

 वैसा ही हमारा शरीर सिर्फ एक उपकरण है और हमारा मस्तिष्क इस उपकरण को नियंत्रित कर रहा है जैसे अच्छा भोजन हमारे शरीर के लिए जरूरी है उसी तरह अच्छी सोच यह हमारे शरीर के लिए भी बहुत महत्त्वपूर्ण है जैसे ही आपके विचार शुद्ध हो जाएंगे इसका सबसे पहला असर आपके शरीर पर दिखाई देगा एक शुद्ध और सकारात्मक दिमाग आपको कभी भी खराब खाना खाने नहीं देगा।

 इसलिए सबसे पहले अपने दिमाग को सुरक्षित रखें फिर यही दिमाग आपके शरीर को हर बीमारी से बचाएगा यदि कोई बीमार और कमजोर व्यक्ति अपने शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ बनाना चाहता है तो उसे सबसे पहले अपने शरीर को ठीक करना चाहिए विचार और उसका मन उसे प्रकृति के संपर्क में रहना चाहिए उसे सूरज की रोशनी में रहना चाहिए और एक सेकंड के लिए भी अपने शरीर के बारे में नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए।

 वह जैसा स्वास्थ्य चाहता है वैसा ही उसे महसूस करना चाहिए और पूरा विश्वास है कि वह वैसा बन सकता है उस व्यक्ति ने कहा बुध अब आप मुझे बताएं कि हमारे विचार हमारे लक्ष्य को कैसे प्रभावित करते हैं बुद्ध ने बताया कि जब तक आपका लक्ष्य आपके विचारों के अनुरूप नहीं होगा तब तक आपको सफलता नहीं मिल सकती है।

 कहने का मतलब यह है कि आप हर दिन एक नई चीज सोच सकते हैं जो मैं आज चाहता हूं यह बनना कल मैं वह बनना चाहता हूं या बाद में कुछ और लेकिन जब तक आप अपने लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं करते तब तक आप कोई भी बड़ा काम नहीं कर सकते क्योंकि नियम यह है कि जो काम हम बार-बार करते हैं उसी काम में हम आश्वस्त सफलता हासिल कर सकते हैं अगर आप हर दिन अपना लक्ष्य बदलते रहते हैं तो आप कहीं नहीं जा रहे हैं।

 इसलिए आपके जीवन में एक निश्चित लक्ष्य होना चाहिए और आपको अपनी पूरी मेहनत और लगन से उस लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास भी करना चाहिए और इसके लिए आपको अपने सभी विचारों को अपने लक्ष्य पर केंद्रित करना होगा अन्यथा आपके विचार बिखरे रहेंगे और हो सकता है कि एक बार आप असफल हो जाए या आपको शुरुआत में कोई सफलता ना मिले तो दूसरों को देखकर आपके मन में यह ख्याल ने लगा कि यह काम तो आसान है।

 जब वह इस काम में सफल हो सकता है तो मैं भी सफल होकर अच्छा पैसा और नाम कमा सकता हूं और यह भी संभव है कि इस काम में असफल होकर भी तुम दूसरी तरफ भागो और ऐसा करते समय आप कई काम करते हैं लेकिन हो सकता है कि आप किसी एक चीज में सफल ना हो पाएं इसीलिए आपको पहले एक चीज तय करनी होगी तभी आपके विचार एक काम पर फोकस कर पाएंगे अब आपका वह लक्ष्य कुछ भी हो सकता है।

 चाहे मन की शांति पाना हो या अमीर बनना हो लेकिन याद रखें लक्ष्य वही है जो आपके विचारों को एक दिशा में केंद्रित रख सके यदि आप बार-बार अपने लक्ष्य हासिल करने में असफल हो रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसे हासिल नहीं कर सकते बल्कि इसका मतलब है कि आपके पास आपने लक्ष्य को हासिल करने का तरीका गलत है इसलिए आपको अपना लक्ष्य नहीं बदलना है बल्कि अपनी सोच और अपने काम करने का तरीका बदलना है।

Motivation life students 


 अगर आप ऐसा करेंगे तो आप धीरे-धीरे सीख जाएंगे और अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे अपनी असफलताओं से कभी मत डरो अगर आप कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं तो आपको अंदर से बहुत मजबूत होना होगा क्योंकि चाहे आप कुछ भी करें लोग अक्सर आपको अपनी बातों से कमजोर और हताश करने की कोशिश करेंगे इसलिए अगर आप डरेंगे।

 तो आप अपने किसी भी लक्ष्य में सफलता हासिल नहीं कर पाएंगे क्योंकि डर आपकी सभी आशाओं को नष्ट कर देता है और आपके सभी विचार केवल आपके डर तक ही सीमित रह जाएंगे और डर डर कर आप अंततः खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार बना लेते हैं तब आपको समझ आएगा कि आपने अपने झूठे डर के एहसास में कितनी बड़ी गलती कर दी है।

 और फिर आपके लिए खुद को उस स्थिति से बाहर निकालना बहुत मुश्किल हो जाएगा इसलिए सबसे पहले एक लक्ष्य बनाएं ताकि आपके विचार उस पर नींगा हो सके उसके बाद अगर आप बार-बार असफल होते हैं तो भी घबराएं नहीं क्योंकि यह लक्ष्य हासिल करने का ही एक हिस्सा है और पूरा विश्वास रखें कि आप जरूर सफल होंगे और एक दिन तुम भी हो जाओगे उस व्यक्ति ने कहा बुद्ध विचारों और मन की शांति के बीच क्या संबंध है।

 बुद्धा ने बताया कि मन की शांति एक ऐसा खजाना है जिसे दुनिया के एक प्रतिशत लोग भी हासिल नहीं कर सकते और जिसने यह खजाना हासिल कर लिया है वह दुनिया के सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हैं वह भीड़ में अलग दिखता है यह कहना उतना आसान नहीं है जितना लगता है मन की शांति केवल लंबे समय तक आत्म नियंत्रण के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है।

 जब कोई व्यक्ति खुद को समझता है और दुनिया प्यार और प्यार के बीच के अंतर को समझता है उसके अंदर नफरत डर और ईर्ष्या जैसी भावनाएं खत्म हो जाती हैं और एक दिन व्यक्ति को मन की सच्ची शांति मिल सकती है और यही हर इंसान का अंतिम लक्ष्य भी है एक शांत व्यक्ति सबसे खराब परिस्थितियों में भी खुद को नियंत्रित कर सकता है एक शांत व्यक्ति के पास जितनी मानसिक शक्ति होती है उतनी किसी और के पास नहीं होती शांत व्यक्ति का अर्थ है वह व्यक्ति जिसका मन पूर्णतः शांत हो क्योंकि ?

 जैसे ही आपका मन शांत हो जाता है आपके सभी विचार शांत हो जाएंगे और तब आपको महसूस होगा कि सचमुच आपका दिमाग कितना शक्तिशाली है जैसे ही आपको मानसिक शांति मिलेगी आप महसूस करेंगे कि आपकी मानसिक शक्ति इतनी बढ़ गई है कि आपके लिए सब कुछ आसान हो गया है आप जहां भी हो आपकी परिस्थितियां जो भी हो आप खुद को स्वीकार करना शुरू कर देंगे आप हमेशा खुश रहेंगे।

 और अगर आप यह मुकाम हासिल करना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत आपको अपने विचारों से करनी होगी अपने विचारों पर नियंत्रण और अपने विचारों पर यह नियंत्रण आप केवल और केवल ध्यान के माध्यम से ही प्राप्त कर सकते हैं इतना कहकर बुद्ध चुप हो गए और ध्यान करने लगे और वह व्यक्ति भी उनको प्रणाम करके चला गया।

 यह कहानी आपको कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जसूर बताएं और इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें तो दोस्तों अब चलिए हमारे दूसरे कहानी की शुरुआत करते हैं दूसरी कहानी।

2  गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानियां,

 

एक बार की बात है एक गांव में एक बुड्ढा व्यक्ति रहता था पूरे गांव में बूढ़े व्यक्ति को सब बदकिस्मत मानते थे पूरा गांव बूढ़े व्यक्ति को अपनी अजीबो गरीब हरकतों से परेशान करता था सारा गांव उस बूढ़े व्यक्ति से थक चुका था बूढ़ा व्यक्ति हमेशा ही सबसे नाराज रहता था जिस कारण बूढ़े व्यक्ति का स्वभाव हमेशा ही उदास और चिड चिपन वाला हो गया था।

 बूढ़ा व्यक्ति जितने दिन भी जीवित रहता वह उतना ही दुखी रहता बूढ़े व्यक्ति के द्वारा बोले शब्द लोगों को तीर की तरह चुपते थे हर कोई उस बूढ़े व्यक्ति से बात करने से बचता था कहने की बात यह है कि बूढ़े व्यक्ति का दुर्भाग्य हर किसी के लिए घातक हो गया था उस बूढ़े व्यक्ति से जो भी मिलता था उसके लिए सारा दिन अशुभ हो जाता था लोगों को लगता था।

 कि बूढ़े व्यक्ति के बगल में रहना अस्वाभाविक और अपमानजनक है बूढ़े व्यक्ति के पास होने से लोग बहुत ही ज्यादा दुखी हो जाते थे लेकिन एक दिन ऐसा हुआ ही बूढ़ व्यक्ति सबको बहुत ही ज्यादा खुश नजर आ रहा था बात ऐसी थी कि आज बूढ़ा व्यक्ति 80 साल का हो गया था यह बात पूरे गांव में आग की तरह फैल गई बूढ़ा व्यक्ति आज किसी से कोई शिकायत नहीं कर रहा था लोगों ने पहली बार जीवन में बूढ़े व्यक्ति को इतना खुश देखा सभी गांव के लोग इकट्ठा हो गए।

 सबने यह जानने की इच्छा थी कि आज बूढ़ा व्यक्ति इतना खुश क्यों है एक आदमी से बूढ़े आदमी से पूछा तुम्हें क्या हुआ है आज इतना क्यों खुश हो जवाब देते हुए बूढ़ा व्यक्ति बोला आज कुछ खास नहीं मैं अपने पूरे जीवन में 80 साल से खुशी की तलाश कर रहा था पर मुझे कभी खुशी नहीं मिली जीवन भर मेरी यह तलाश बेकार ही गई लेकिन आज मैंने यह सोच लिया है कि अब से मैं बिना खुशी की तलाश के बगैर जीवन जिऊंगा और मैं अब यही सोचकर खुश हूं कहानी की सीख इस कहानी से हमें यह सीख मिली कि हमें जीवन में खुशी को ढूंढने के लिए उसके पीछे नहीं भागना चाहिए।




 जीवन आनंदमय तरीके से जि तो खुशी अपने आप मिलेगी तो दोस्तों अब चलिए हमारे तीसरे कहानी की शुरुआत करते हैं तीसरी कहानी एक बार की बात एक देश में एक राजा रहता था जो कि अपने बढे से महल में शान से रहा करता था उस महल में बहुत ही सुंदर बगीचा लगा हुआ था जिसमें कई प्रकार के फूल और पेड लगे हुए थे उसमें एक अंगूर का पेठान भी लगा हुआ था बगीचे की देखभाल के लिए राजा ने वहां एक माली रखा हुआ था। 

 माली हर रोज उस बगीचे की देखभाल करने के लिए आता था माली जब बगीचे में देखता है कि एक चिदर के पेडा से अंगूर तो ढाक ले जा रही थी माली ने देखा कि [संगीत] चिद्धारवार ही लेकर जाती थी माली ने उस चिद्धारवार फिर वह माली राजा के पास अपनी समस्या लेकर गया वह राजा के दरबार में गया और राजा को सारी बात बताई राजा को उस चदिया पर बहुत गुस्सा आया राजा ने माली से कहा कि तुम चिंता मत करो।

 उस चिया को मैं खुद पकड़ दूंगा फिर अगले दिन राजा उस पे दह के पीछे छुपकर चिदंबारठील या चिया ने राजा से कहा कि आप मुझे छोड़ ते मैं आपको ध्यान की चार बातें बता सकती हूं राजा बहुत गुस्से में था उसने चिदेय छोड़ डीच दूंगा तो चिद्दी भी जाने नाना दो तथा दूसरी बात यह है कि कभी भी उस बात पर यकीन ना करो जो हो ही नहीं सकती राजा अब और गुस्से में आ गया उसे चिदर थी उसने गुस्से में कहा चलो अब तीसरी बात बताओ तो तीसरी बात यह है कि कभी भी बीत चुकी बातों पर पछतावा ना करो राजा ने कहा कि तुम बकवास कर रही हो।

 ऐसे कुछ नहीं होता इसमें क्या ज्ञान की बात है राजा ने उसे गुस्से में और कस के पगडी डीडी अच लिया फिर चिया ने बोला कि राजा जी पहले मेरी चौथी बात तो सुन ले तो राजा ने कहा बोल क्या है तुम्हारी चौथी बात चिद्दू लेकिन अपने मुझे बहुत कस के पकडा हुआ है मुझसे बोला नहीं जा रहा आप मुझे थोड़ी देर के लिए छो डट दे तो मैं आपको वो बात बता सकती हूं राजा ने चिदर जाकर बैठ गई पिड ढ पर बैठने के बाद चि दिया ने राजा से कहा।

 कि मेरे पेट में दो हीरे हैं जो कि बहुत कीमती है लेकिन अब आप उन्हें कभी हासिल नहीं कर सकोगे चिदर राजा को बहुत पक्ष तावा हुआ वह सोचने लगा कि वह उन हीरो को हासिल कर सकता था लेकिन अब पछतावे के अलावा वह कुछ नहीं कर सकता था राजा को पछताते हुए देख के धिया ने कहा कि राजा जी अपने मेरी ज्ञान की बातें अच्छे से सुनी नहीं मैंने आपसे कहा था।

 कि कभी भी अपने हाथ में आए दुश्मन को हाथ से जाने ना दो लेकिन अपने मोर छोड़ दिया मैंने कहा था कि कभी किसी ऐसी बात पर यकीन मत करो जो हो नहीं सकती क्या आपको सच में लगता है कि मेरे इस छोटे से पेट में दो हीरे हैं चिया ने कहा कि मेरे पेट में कोई हीरे नहीं है और जब मेरे पेट में हीरे ही नहीं है और मैं आपके हाथ से निकल गई तो फिर आप किस बात का पक्ष दावा कर रहे हैं राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया उसे चिया की सारी बातें समझ में आ गई।

 उसने खुश होकर उस चिया को उस पेड में रहने की आज्ञा दे दी चलिए अब कहानी की सिख को जानते हैं चिद्धावलप्पु हुए समय के बारे में सोचने से वह वापस नहीं आ जाता इसलिए हमें आज में जीना चाहिए और कभी भी किसी की बात पर ऐसे ही यकीन नहीं करना चाहिए तो दोस्तों अब चलिए हमारे चौथे कहानी की शुरुआत करते हैं चौथी कहानी एक बार की बात है।

 एक गांव में एक व्यापारी रहता था जिसे ऊंट पालने का बहुत शौक था उसके पास कई ऊंट भी थे एक दिन वह व्यापारी अपने किसी काम के सिलसिले में किसी दूसरे गांव गया जहां पर उसने एक ऊंट बेचने वाले के पास एक बहुत ही खास किस्म का ऊंट देखा व्यापारी को वो ऊंट बहुत पसंद आया उसने उस ऊंट को खरीदने की सोची वो ऊंट वाले के पास गया और उस ऊंट का मोल भाव करने लगा वह दोनों कई घंटों तक ऊंट के भाव को लेकर बातें करते रहे।

 जिसके बाद व्यापारी ने उस ऊंट को खरीद लिया ऊंट को खरीदने के बाद व्यापारी अपना काम खत्म करके अपने गांव चला गया अपने घर जाकर व्यापारी ने अपने नौकर से कहा कि तुम इस ऊंट को बाकी ऊंटों के साथ बांध दो और इसे साफ कर दो यह कहकर व्यापारी अपने घर में आराम करने के लिए चला गया।

गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी 


 नौकर उस ऊंट को उस जगह पर ले गया जहां बाकी ऊंट बंधे हुए थे फिर उसके बाद वह उसकी सफाई करने लगा ऊंट की सफाई करते समय उस ऊंट की सीट के नीचे एक थैली मिली उसने थैली को खोल के देखा तो उसमें बहुत से हीरे पडे डढेरू को देखकर वह नौकर बहुत हैरान हुआ उसने सोचा कि यह हीरे उसके मालिक के हैं तो वह व्यापारी के पास गया।

 और उसको वोह थैली दिखाई नौकर ने मालिक से पूछा कि क्या यह हीरो की थैली आपकी है यह ऊंट की सीट के नीचे पेड ढ़ हुई थी तो वह व्यापारी बहुत हैरान हो गया और उसने कहा कौन सी थैली यह मेरी थैली नहीं है फिर व्यापारी ने थडा सोचा और कहा कि शायद यह थैली उस ऊंट वाले की होगी जो गलती से आ गई है हमें यह थैली उसे वापस करनी होगी अपने मालिक की यह बात सुनकर नौकर सोचने लगा कि उसका मालिक कितना बेवकूफ है हीरो की थैली वापस करने की बात कर रहा है।

 नौकर ने उस व्यापारी से कहा कि मुझे नहीं लगता को वापस करने की कोई जरूरत है वैसे भी किसी को क्या पता चलेगा अपने नौकर की यह बात सुनकर उस व्यापारी ने कहा कि नहीं मैंने सिर्फ ऊंट खरीदा है मेरा इन हीरो पर कोई हक नहीं मैं इसे वापस कर दूंगा इतना कहकर व्यापारी ने वह थैली ली और उसे वापस करने के लिए चल गया वह सीधा उस ऊंट वाले के पास गया और जाते ही उसे उसकी थैली लौटा दी अपनी हीरो की थैली को वापस पाकर ऊंट वाला बहुत खुश हुआ।

 उसने कहा कि मैं इसके बारे में भूल ही गया था कि मैंने यह थैली ऊंट की सीट के नीचे रखी हुई है आपका बहुत शुक्रिया कि अपने यह मुझे वापस कर दी मैं आपको इसके लिए इनाम देना चाहता हूं आप इनमें से कोई भी दो हीरे रख सकते हैं ऊंट वाले के यह बात सुनकर व्यापारी ने कहा कि नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं है मैंने पहले ही इस थैली से दो सबसे कीमती हीरे अपने पास रख लिए हैं यह बात सुनते ही ऊंट वाले ने अपनी थैली से सारे हीरे निकाले और उन्हें गिनने लगा हीरो को गिनने के बाद ऊंट वाले ने कहा कि यह तो सारे पूरे हैं फिर तुमने कौन से हीरे निकाले।

 फिर व्यापारी ने कहा कि मैंने इस थैली को वापस करके ईमानदारी और खुद्दारी के दो हीरो को अपने पास रख लिया है व्यापारी की यह बात सुनकर वहां पर खाडी ओरे सभी लोग और ऊंट वाला बहुत खुश हुए और उसकी बहुत तारीफ की तो दोस्तों चलिए अब इस कहानी की सिख को समझते हैं।

 इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जिसके पास ईमानदारी और खुद्दारी नाम के दो हीरे हैं वो इस दुनिया में सबसे ज्यादा अमीर इंसान है इन दोनों हीरो से बढा और कीमती हीरा और कोई नहीं है तो दोस्तों अब चलिए हमारे पांचवे कहानी की शुरुआत करते हैं पांचवी कहानी दोस्तों बहुत समय पहले की बात है एक दिन बातों बातों में राजा चंद्रसेन ने माधव से पूछा अच्छा यह बताओ कि किस प्रकार के लोग सबसे अधिक मूर्ख होते हैं और किस प्रकार के सबसे अधिक सयाने माधव ने तुरंत उत्तर दिया महाराज ब्राह्मण सबसे अधिक मूर्ख और व्यापारी सबसे अधिक सयाने होते हैं।

 ऐसा कैसे हो सकता है राजा ने कहा मैं यह बात साबित कर सकता हूं माधव ने कहा कैसे राजा ने पूछा अभी जान जाएंगे आप जरा राजगुरु को बुलवा इए राजगुरु को बुलवाया गया माधव ने कहा महाराज अब मैं अपनी बात साबित करूंगा लेकिन इस काम में आप दखल नहीं देंगे आप यह वचन दे तभी मैं काम आरंभ करूंगा राजा ने माधव की बात मान ली माधव ने आदर पूर्वक राजगुरु से कहा राज गुरु जी महाराज को आपकी छोटी की आवश्यकता है इसके बदले आपको मुंह मांगा इनाम दिया जाएगा।

 राजगुरु को काटो तो खून नहीं वर्षों से पाली गई प्यारी छोटी को कैसे कटवा दें लेकिन राजा की आज्ञा कैसे टाली जा सकती थी उसने कहा माधव मैं इसे कैसे दे सकता हूं राजगुरु जी आपने जीवन भर महाराज का नमक खाया है छोटी कोई ऐसी वस्तु तो है नहीं जो फिर ना आ सके फिर महाराज मुह मागा इनाम भी दे रहे हैं राजगुरु मन ही मन समझ गया कि यह माधव की चाल है माधव ने पूछा राजगुरु जी आपको छोटी के बदले क्या इनाम चाहिए।

 राजगुरु ने कहा पांच स्वर्ण मुद्राएं बहुत होंगी पांच स्वर्ण मुद्राएं राजगुरु को दे दी गई और नाई को बुलावा करर राजगुरु की छोटी कटवा दी गई अब माधव ने नगर के सबसे प्रसिद्ध व्यापारी को बुलवाया तिनाली राम ने व्यापारी से कहा महाराज को तुम्हारी छोटी की आवश्यकता है सब कुछ महाराज का ही तो है जब चाहे ले ले लेकिन बस इतना ध्यान रखें कि मैं एक गरीब आदमी हूं व्यापारी ने कहा तुम्हें तुम्हारी छोटी का मुंह हमा मांगा दाम दिया जाएगा माधव ने कहा सब आपकी कृपा है लेकिन व्यापारी ने कहा क्या कहना चाहते हो तुम माधव ने पूछा जी बात यह है।

 कि जब मैंने अपनी बेटी का विवाह किया था तो अपनी छोटी की लाज रखने के लिए मैंने पूरी 5000 स्वर्ण मुद्राएं खर्च की थी पिछले साल मेरे पिता की मौत हुई तब भी इसी कारण 5000 स्वर्ण मुद्रा का खर्च हुआ और अपनी इसी प्यारी दुलारी छोटी के कारण बाजार से कम से कम 5000 स्वर्ण मुद्राओं का उधार मिल जाता है अपनी छोटी पर हाथ फेरते हुए व्यापारी ने कहा इस तरह तुम्हारी छोटी का मूल्य 15000 स्वर्ण मुद्राएं हुआ ठीक है यह मूल्य तुम्हें दे दिया जाएगा 15000 स्वर्ण मुद्राएं व्यापारी को दे दी गई।

 व्यापारी छोटी मुड़वान बैठा जैसे ही नाई ने छोटी पर उस्तरा रखा व्यापारी खड़क कर बोला संभलकर नाई के बच्चे जानता नहीं यह महाराज चंद्रसेन की छोटी है राजा ने सुना तो आग बबूला हो गया इस व्यापारी की यह मजाल कि हमारा अपमान करे उन्होंने कहा धक्के मारकर निकाल दो इस सिरफिरे को व्यापारी 15 हज स्वर्ण मुद्राओं की थैली को लेकर वहां से भाग निकला कुछ देर बाद माधव ने कहा आपने देखा महाराज राजगुरु ने तो पांच स्वर्ण मुद्राएं लेकर अपनी छोटी मूड वाली व्यापारी 15000 स्वर्ण मुद्रा भी ले गया।

 और छोटी भी बचा ली आप ही कहिए ब्राह्मण सयाना हुआ कि व्यापारी राजा ने कहा सचमुच तुम्हारी बात ठीक निकली दोस्तों इस कहानी से हम यह सिख मिली कि बुद्धि का इस्तेमाल हर जगह हमें जीत दिलाता है मन को स्थिर कर जो बुद्धि का उपयोग करता है वह जीवन में कभी असफल नहीं होता है इसीलिए हमें हर कार्य में हमारी बुद्धि का उपयोग करके ही अपने कार्य में सफलता हासिल करनी है तो दोस्तों अब चलिए हमारे छठे कहानी की शुरुआत करते हैं ।



छठी कहानी अब दूसरी कहानी की शुरुआत कुछ इस प्रकार होती है दोस्तों बहुत समय पहले की बात है माधव एक ईमानदार तथा धर्म प्रिय व्यक्ति था वह प्रतिदिन ईश्वर की आराधना बिना नागा किया करता था इससे उसे नैतिक व मानसिक बल प्राप्त होता था वह अक्सर कहा करता था कि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि ईश्वर हम पर कृपा दृष्टि नहीं रखता। 

 लेकिन ऐसा होता नहीं कभी-कभी तो उसके वरदान को भी लोग शाप समझने की भूल कर बैठते हैं वह हमको थोड़ी पीड़ा इस शाय देता है ताकि बड़ी पीड़ा से बच सके एक दरबारी को माधव की ऐसी बातें पसंद नहीं आती थी एक दिन वही दरबारी दरबार में माधव को संबोधित करता हुआ बोला देखो ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया कल शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था।

 तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है कुछ चुप रहने के बाद बोला माधव मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है यह सुनकर वह दरबारी नाराज हो गया कि मेरी तो उंगली कट गई और माधव को इसमें भी अच्छाई नजर आ रही है।

 मेरी पीड़ा तो जैसे कुछ भी नहीं कुछ अन्य दरबारियों ने भी उसके सुर में सुर मिलाया तभी बीच में हस्तक्षेप करते हुए राजा चंद्रसेन बोले माधव हम भी ईश्वर पर भरोसा रखते हैं लेकिन यहां हम तुम्हारी बात से सहमत नहीं इस दरबारी के मामले में ऐसी कोई बात नहीं दिखाई देती जिसके लिए उसकी तारीफ की जाए माधव मुस्कुराता हुआ बोला ठीक है जहांपना समय ही बताएगा अब तीन महीने बीत चुके थे।

 वह दरबारी जिसकी उंगली कट गई थी घने जंगल में शिकार खेलने निकला हुआ था एक हिरण का पीछा करते वह भटक कर आदिवासियों के हाथों में जा पड़ा वे आदिवासी अपने देवता को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि में विश्वास रखते थे अंततः वे उस दरबारी को पकड़कर मंदिर में ले गए बलि चढ़ाने के लिए लेकिन जब पुजारी ने उसके शरीर का निरीक्षण किया तो हाथ की एक उंगली कम पाई मंदिर का पुजारी बोला नहीं इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती।

 यदि नौ उंगलियों वाले इस आदमी को बलि छड़ा दिया गया तो हमारे देवता बजाय प्रसन्न होने के क्रोधित हो जाएंगे अधूरी बलि उन्हें पसंद नहीं हमें महामारिचयादी अगले दिन वह दरबारी दरबार में माधव के पास आकर रोने लगा तभी राजा भी दरबार में आ पहुंचे और उस दरबारी को माधव के सामने रोता देखकर हैरान रह गए तुम्हें क्या हुआ रो क्यों रहे हो राजा चंद्रसेन ने सवाल किया जवाब में उस दरबारी ने अपनी आप बीती विस्तार से कह सुनाई वह बोला अब मुझे विश्वास हो गया है कि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है यदि मेरी उंगली ना कट्टी होती तो निश्चित ही आदिवासी मेरी बलि चढ़ा देते ।

Buddha updesh 


इसीलिए मैं रो रहा हूं लेकिन यह आंसू खुशी के हैं मैं खुश हूं क्योंकि मैं जिंदा हूं माधव के ईश्वर पर विश्वास को संदेह की दृष्टि से देखना मेरी भूल थी दोस्तों इस कहानी से हम सिख मिलती है कि जीवन में हम किसी भी परिस्थिति में डरना नहीं चाहिए और खुद पर विश्वास कायम रखना चाहिए जिस इंसान का खुद पर विश्वास होता है ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं होता दोस्तों मैं उम्मीद करता हूं कि यह कहानी सुनने से आपके जीवन में अच्छे बदलाव आए होंगे।

 आपको इस वीडियो से क्या सीखने मिला कमेंट करके जरूर बताइए और अपने परिवार दोस्तों या आपके करीबी इंसान के साथ यह कहानी शेयर करके उन्हें भी इस ज्ञान से परिचित करवाए बाकी अगर आपको यह काहानी दिल से अच्छी लगी हो तभी इस वीडियो को लाइक कर देना और आपने अब तक इस चैनल को सब्सक्राइब ना किया हो तो चैनल को सब्सक्राइब भी जरूर कर देना आपका हर दिन शुभ हो और खुशियों से आपका जीवन भरा रहे धन्यवाद.

 नमो बुद्धाय thank's

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.