Buddhist Story On Life Changing Motivetion | गौतम बुद्ध

 Buddhist Story On Life Changing Motivetion | गौतम बुद्ध 


नमस्कार दोस्तों, Best Life Hindi, चैनल में आपका दिल से स्वागत है। दोस्तों बेकार का पश्चाताप उसे कहते हैं जब इंसान सोचता है की जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था, कोई तरकीब लगा ली होती या फिर कोई उपाय सूज गया होता किसी से थोडी सलाह ले ली होती या फिर खुद की सूझबूझ इस्तेमाल की होती, तो आज ये गलती नहीं होती इस तरह पश्चाताप करने का कोई लाभ भी नहीं है, क्योंकि आप अतीत को बदलने का प्रयास कर रहे हैं लाख कोशिश करेंगे तब भी अपने अतीत को आप बदल नहीं पाएंगे इसीलिए इस तरह के पश्चाताप केवल चिंता पैदा करते हैं 

लेकिन यही पश्चाताप बड़े काम के सिद्ध हो सकते हैं अगर मनुष्य सिख लेकर खुद को बदलने का प्रयास करें क्योंकि आप अतीत नहीं हो आप अभी पूरी तरह से हुए नहीं हो हो रहे हो तुम आने वाले भविष्य हो इसीलिए तुम खुद को बदल सकते हो और अगर अतीत की गलतियां से सिख लेकर खुद को बदलने का तुम प्रयास करते हो तो सही मायनों में वही पश्चातताप काम का होता है आज की इस कहानी के माध्य से मैं आपको कुछ ऐसे तरीके बताने वाला हूं जिनसे आप अपने अतीत की गलतियां को भूलकर आप अपने आप को एक नया इंसान बना सकते हैं जो लोग खुद पर संदेह करते हैं अपने ही विचारों में उलझे रहते हैं अतीत की गलतियां अतीत के कर्म उन्हें परेशान करते रहते हैं उनके लिए यह तरीके वरदान साबित होंगे तो चलिए एक कहानी शुरू करते हैं।

 


एक सन्यासी की कहानी 

जीवन में सालों मेहनत करने के बाद भी जब इंसान को उसके कर्मों का फल नहीं मिलता तो वह अंदर से निरसा हो जाता है कुछ ऐसा ही एक सन्यासी के साथ हुआ था उसने सन्यास ये सोचकर ग्रहण किया था कि मैं सत्य की खोज किसी भी कीमत पर करके ही रहूंगा लेकिन 30 साल बीत चुके थे और अभी तक उसका अपने मन पर कोई भी वश नहीं था। 


 जब भी उसकी नजर सुंदर स्त्रियों पर पड़ जाती तो उसके मन में कामुक विचार उठने लगता जब भी वह अकेले में बैठता तो उसे खुद पर प पश्चाताप होता कि वह क्यों सन्यासी बन गया वह भी अच्छा पैसा काम सकता था अच्छा परिवार बसा सकता था उसके भी बच्चे हो सकते थे पत्नी हो सकती थी लेकिन यह सारे सुख त्याग कर मैं जंगल में क्यों चला आया और इसी तरह के विचारों से वह बहुत ज्यादा नकारात्मक हो गया था छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाना।


 किसी कामयाब आदमी को देखकर अंदर जलन पैदा होना और इसी तरह की अनेक  प्रकार के विचार उसे परेशान करते रहते थे और इन्हीं विचारों से वह इतना परेशा न हो गया कि उसने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया वह चाहकर भी अपनी पुरानी जिंदगी में वापस नहीं जा सकता था क्योंकि उसने सबके सामने सन्यास लिया था और सन्यास लेने के बाद इंसान का घर परिवार सब कुछ पीछे बिछड़ जाता है।


 वह एक पहाड़ी के ऊपर खड़ा हुआ था और नीचे देखते हुए उसके मन में अभी भी वही विचार चल रहे थे कि अगर मैंने अपने जीवन में सही फैसला लिए होते कोई तरकीब लगा ली होती या फिर कोई उपाय सूझ गया होता किसी से थोड़ी सलाह ले ली होती या फिर खुद की सूझबूझ इस्तेमाल की होती तो आज मुझे आत्महत्या करने की जरूर ना पड़ती वह पहाड़ी से छलांग लगाने वाला था तभी खुशकिस्मती से वहां पर एक और सन्यासी पहुंच गया ।


जब उसने उस सन्यासी को पहाड़ी पर खड़े हुए देखा तो उसे समझते देर ना लगी कि पूरा मामला क्या है इस बीच सन्यासी ने चिल्लाकर उस युवा सन्यासी से कहा कि भंते जहां से छोड़कर जा रहे हो वापस वहीं से शुरुआत करनी पड़ेगी सोच लो युवा सन्यासी गुस्से में टपाक से बोल पड़ा कि क्यों वहीं से शुरुआत करनी पड़ेगी इस बारे मै वह गलतियां नहीं करूंगा जो मैंने पहले की थी युवा सन्यासी ने रोते हुए कहा कि मानता हूं कि अनजाने में मुझसे कुछ गलतियां हुई हैं।

Buddhist Story On Life Changing


 लेकिन ऐसा नहीं है कि वह गलतियां मैं हमेशा दोहराता रहूंगा उन गलतियां से मैंने बहुत बड़ी सिख ली है लेकिन बदकिस्मती यही है कि उन गलतियां को अब ठीक नहीं किया जा सकता यह सुनकर वृद्ध सन्यासी जोर-जोर से हंसने लगा आसमान में बिजलियां कड़क रही थी और वह वृद्ध सन्यासी चिल्ला चिल्लाकर एक ही बात कह रहा था कि अतीत में हुई।

 गलतियां कोई नहीं सुधार सकता क्योंकि बीता हुआ समय कभी लौटकर वापस नहीं आता मूर्ख होते हैं वह लोग जो सोचते हैं कि मैं अतीत को बदल सकता हूं उनसे बड़ा अज्ञानी इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं हो सकता है।

 

क्योंकि जब तुम समय को ही वापस नहीं मोड़ सकते तो तुम अपने अतीत को कैसे बदल सकते हो लेकिन जो समझदार और ज्ञानी मनुष्य होते हैं वह एक बेहतर और अनुभवी इंसान बनने के लिए जीवन में गलतियां करना कितना जरूरी होता है गलतियां के करण ही तुम सिख लेकर भविष्य में खुद को बदलना चाहते हो।


 खुद को एक बेहतर इंसान बनाने का प्रयास करते हो जब तक तुम्हें खुद की कमियां ही पता नहीं चलेगी तब तक तुम अपने आप को बेहतर बनाने का प्रयास कैसे करोगे और कमियां सिर्फ गलतियां की वजह से ही पता चलती है गलत करते हैं वह मां-बाप जो अपने बच्चों को गलतियां करने का मौका ही नहीं देना चाहते जीवन वह युद्ध का मैदान होता है ।


जहां पर एक इंसान गलतियां करके खुद को योद्धा बनाता है और जो इंसान यह सोचता है कि मैं जीवन में कोई भी गलती ही नहीं करूंगा तो इसका मतलब यह है कि जीवन के रनक्षेत्र में वह हिस्सा ही नहीं लेना चाहता।

 और जो इंसान युद्ध के मैदान से भाग खड़ा होता है उसे कायर कहते हैं कायर होते हैं ऐसे लोग जो अपने अतीत की गलतियां से डरकर नई शुरुआत ही नहीं करते हैं जीवन तो चलते रहने का नाम है चलते हुए इंसान गिरता भी है रोता भी है लेकिन रुकता कभी नहीं है वह फिर खड़ा होता है फिर चलता है क्योंकि ?


 जीवन चलते रहने का नाम है बूढ़े सन्यासी ने कहा कि आज मैं तुम्हें ऐसे पांच तरीके बताने वाला हूं जिनका पालन पुरे करके तुम अपने अतीत की गलतियां को अपनी ताकत में बदल सकते हो बूढ़े सन्यासियों ने पूछा कि क्या तुम वह तरीके सुनना पसंद करोगे अगर सुनना ही चाहते हो तो पूरा ध्यान लगाकर सुनना।


 सबसे पहले अपने मन में से आत्महत्या का ख्याल निकाल दो फिर पहाड़ी के इस तरफ आ जाओ ताकि हम बैठकर चर्चा कर सकें युवा सन्यासी ने सोचा कि थोड़ी देर में तो मैं आत्महत्या कर ही लूंगा क्यों ना इस आखिरी समय में इस बूढ़े सन्यासी की बात सुन ली जाए। 


तो यही सोचकर उसने उस बूढ़े सन्यासी से कहा कि तुम्हें पांच तरीके बताने में ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए जल्दी से अपनी बात खत्म करो फिर मुझे आत्महत्या करनी है बूढ़े सन्यासी ने ज्यादा समय ना लेते हुए सबसे पहले तरीका बताना शुरू किया उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह जानो कि अतीत में जो भी गलती हुई है।


 वह किसके कारण हुई है उसके पीछे क्या कारण था कोई भी गलती करने के पीछे कुछ मुख्य कारण होते हैं तुम्हें वह कारण पहचानने होंगे वह कारण या तो कोई मजबूरी हो सकती है या कोई इंसान हो सकता है जिसकी वजह से तुमने यह गलती की या इसके पीछे तुम्हारा कोई अपना स्वार्थ भी हो सकता है तुम्हें वह कारण पहचाना है अगर किसी से धोखा मिला तो क्यों मिला क्योंकि शायद आपने ज्यादा विश्वास कर लिया होगा।

Motivational kahani in hindi 

 एक बार अगर वह कारण पकड़ में आ जाए तो तो आपको पता चल जाएगा कि आपकी कमी क्या है आपकी कमजोरी क्या है और एक बार अगर किसी गलती के पीछे की वजह समझ में आ जाए तो वह गलती सुधारी जा सकती है भविष्य में दोबारा घटित होने से रोका जा सकता है बूढ़े सन्यासी ने बड़ी ज्ञान की बात बताई उन्होंने कहा कि गलतियां हमें दुख नहीं देती हैं।


 दुख हमें तब होता है जब हम अपनी गलतियां को बार-बार दोहराते हैं जब हमें यह लगने लग जाता है कि हम शायद अपनी गलतियां को सुधार नहीं पाएंगे शायद हमारे अंदर उतना आत्म बल नहीं है कि हम अपनी गलतियां से सिख लेकर उन्हें सुधार सके जब हमें खुद पर इस बात को लेकर संदेह होने लगता है तब हमें पीड़ा होती है अगर एक बार गलती करके उससे सिख ले ली जाए तो विश्वास करो जीवन में कोई दुख नहीं रहेगा।


 इसके लिए हमें उस गलती के पीछे की वजह पता होना बहुत आवश्यक है जब खाली बैठकर चिंतन करोगे तो इतना कठिन नहीं है यह ढूंढना और एक बार अगर उस गलती के पीछे की वजह समझ में आ जाए तो फिर यह दूसरा तरीका काम आता है गलती के पीछे की वजह समझ में आने के बाद खुद से एक सवाल पूछो यह गलती करने से पहले तुम कैसे इंसान थे।


 और यह गलती करने के बाद तुम्हारे अंदर क्या बदलाव आया क्या तुमने अपनी गलती से सिख ले ली तो क्या सिख ली और अपने बारे में नया क्या जाना बूढ़े सन्यासी ने कहा कि ऐसे सवाल खुद से पूछने के बाद तुम पाओगे कि तुम्हारे जीवन में कुछ नए अनुभव जुड़ गए हैं यह अनुभव जीवन में आगे बढ़ने के लिए विकास करने के लिए बहुत आवश्यक होते हैं कुछ लोगों को धोखा मिलता है तो उन्हें लगता है कि उनकी इसमें क्या गलती थी।


 उन्हें धोखा क्यों मिला लेकिन आपको धोखा आपकी संवेदनशीलता के कारण ही मिलता है आप ज्यादा संवेदनशील है दूसरों की भावनाओं को ज्यादा समझते हैं इसीलिए उन पर विश्वास कर लेते हैं और आपको धोखा मिलता है तो इसमें में आपकी संवेदनशीलता ही आपके धोखे का करण बनती है ।


और यही आपकी गलती है और अब आपको अपनी गलती की वजह भी पता चल गई है तो यह वजह समझ में आने के बाद आपको अपने बारे में नया जानने को मिला कि आप ज्यादा संवेदनशील हैं इसीलिए आपको धोखे मिलते हैं अगर एक बार आपने अपने बारे में निरीक्षण करना शुरू कर दिया तो आपको अपने बारे में बहुत सी अद्भुत बातें भी पता चलती जाएगी आप खुद आश्चर्य चकित हो जाएंगे कि आप अपने आप को कितना जानने लगे हैं।


 इसीलिए खुद का निरीक्षण करना बहुत आवश्यक होता है और तीसरी तरीके से हम खुद से संकल्प करते हैं दृढ़ संकल्प लेते हैं कि हम भविष्य में कभी भी यह गलती नहीं दोहराएंगे कोई नई गलती कर लेंगे कोई नई सिख मिलेगी लेकिन यह गलती दोबारा कभी नहीं दोहराएंगे बूढ़े सन्यासी ने बताया कि तीन तरह के लोग होते हैं एक वह जो दूसरों की गलतियां से सीखने हैं दूसरे वह जो खुद गलती करते हैं ।


तब सीखते हैं और तीसरी वह जो जो गलतियां करते रहते हैं लेकिन कभी सिख नहीं लेते नदी का मतलब तभी निकलता है जब वह अलग-अलग जगह से होकर गुजरती है अगर वह एक जगह पर ठहर जाएगी तो वह कभी नदी नहीं कहलाए गी इसी प्रकार जीवन भी नई गलतियां करने के लिए बना है ।

इसीलिए जो गलती तुमने एक बार कर दी तो उसके बाद खुद से दृढ़ संकल्प ले लो कि नई गलती होगी तो ठीक वरना यह गलती जीवन में कभी नहीं दोहराउगां तभी आप जीवन के प्रति बुद्धिमान हो सकते हैं बुद्धिमानी से भरा जीवन जी सकते हैं वरना तो एक जानवर के जीवन में और तुम्हारे जीवन में कोई फर्क नहीं रहेगा।


 चौथा तरीका बताते हुए सन्यासी ने कहा कि कई बार हमें अपनी गलतियां का पहले ही एहसास हो जाता है गलती होने से पहले ही हमें पता चल जाता है कि हमसे गलती होने वाली है इसीलिए अगर गलती होने से पहले आपको एहसास हो रहा है तो आप बहुत खुशकिस्मत हैं और आप उस गलती को होने से रोक सकते हैं ब्रह्मांड हमें संकेत देता है हम सबने महसूस भी किया होगा लेकिन हम फिर भी उसे नजरअंदाज कर देते हैं जिसका परिणाम हमें भविष्य में भोगना पड़ता है।

 

धीरे-धीरे जब आप अपने अतीत की गलतियां से सीखने लगते हो तो आपका अनुभव बढ़ने लगता है जीवन के बारे में समझ पैदा होती है और जब समझ पैदा होने लगती है तो गलतियां को होने से रोका जा सकता है अपनी बुद्धिमानी का इस्तेमाल करिए चिंतन करिए कि कोई काम आप कर रहे हैं उसका परिणाम क्या हो सकता है क्या यह कोई गलती तो नहीं कहलाएगी और इसी तरह आप जीवन के लिए परिपक्व बनते जाते हैं।


 यही आपका विकास है और सभी मनुष्यों को यहां से होकर गुजरना ही होगा वरना तो जीवन वहीं पर ठहर जाएगा आगे नहीं बढ़ेगा आगे बढ़ाना है तो इस तरीके की प्रणाली अपनानी होगी आखिरी और सबसे महत्त्वपूर्ण सिख अगर तुम गलतियां से अनुभवी इंसान बन चुके हो तो अब तुम दूसरों के लिए मार्गदर्शक का काम कर सकते हो दूसरों के लिए दीपक बनकर उन्हें रोशनी दे सकते हो।

 

आखिरकार हम वैसे ही बन जाते हैं जैसा हम सोचते हैं और जब आप दूसरों की सहायता करने की सोचते हो तो आप खुद एक बेहतर इंसान बनते चले जाते हो फिर प्रकृति आपकी सहायता करती है ब्रह्मांड आपको रास्ता दिखाता है और आप जब मानव जाति का कल्याण करने के कार्य में लग जाते हैं तब वह शास्त्रों में सबसे श्रेष्ठ कार्य माना जाता है इससे श्रेष्ठ कार्य कोई हो नहीं सकता है।

 जो मनुष्य समस्त जीव जंतुओं और मानव जाति के कल्याण के बारे में सोचते हैं ऐसे लोग परमात्मा तुल्य हो जाते हैं उनके मन में करुणा और प्रेम उत्पन्न होने लगता है और परमात्मा करुणा और प्रेम का ही दूसरा नाम है यह प्रवचन सुनकर वह युवा सन्यासी उस बूढ़े सन्यासी के चरणों में गिर पड़ा और उसे कहने लगा कि आपने मुझे ऐसे निर्मल और जीवन को सार्थक बना देने वाले ज्ञान दिये है। ईसको  पाकर उसकी आंखों से धन्यवाद के फल स्वरूप आंसू बहने लगे थे और वह बूढ़ा सन्यासी उस युवा सन्यासी को  समझाया दोनों ही अपने आश्रम लौट आए।

 

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हम अपने बीते हुए अपने अतीत को हम बदल नहीं सकते पर हम अपने आने वाले भविष्य को बदल सकते हैं और अगर अतीत की गलतियां से सिख लेकर खुद को बदलने का प्रयास करते हैं तो सही मायनों में हम एक बेहतर जिंदगी जी पाएंगे तो दोस्तों कैसी लगी आपको यह कहानी आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताना और अच्छी लगी हो तो इस चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लेना तो चलिए मिलते हैं ऐसी ही कोई नई कहानी में तब तक के लिए अपना ख्याल रखें धन्यवाद और नमोह बुद्धाय।


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