बुद्ध ने क्यों कहा कि ईश्वर नहीं होता है | महात्मा बुद्ध की कहानियाँ | प्रेरणादायक कहानियां

 बुद्ध ने क्यों कहा कि ईश्वर नहीं होता है | महात्मा बुद्ध की कहानियाँ | प्रेरणादायक कहानियां | Motivational Kahani in Hindi. 


महात्मा बुद्ध की कहानियाँ =  दोस्तों आज की इस कहानी में हम जानेंगे कि गौतम बुद्ध क्यों ईश्वर को मानने से इंकार करते थे।  दोस्तों आपके दिमाग में भी कभी ना कभी यह सवाल जरूर आया होगा कि ईश्वर होता है या नहीं और वह होता भी है तो दिखाई क्यों नहीं देता तो चलिए जानते हैं। आज की इस कहानी के माध्यम से कि बुद्ध ने आखिर ईश्वर के होने या ना होने के बारे में क्या कहा दोस्तों गौतम बुद्ध अपने जीवन काल में अपने प्रवचनों के द्वारा मानव जीवन में बहुत क्रांतियां लाई हैं और हम यह भी जानते हैं कि गौतम बुद्ध की बातों में जीवन जीने की एक कला की चाबी छुपी है।

 उनके जीवन में घटित हुई घटनाओं से बहुत कुछ सीखने को मिलता है ऐसे ही एक घटना के बारे में मैं आज आपको इस वीडियो के माध्यम से बताऊंगी गौतम बुद्ध के समय में एक सवाल उनसे अक्षर पूछा जाता था कि ईश्वर है या नहीं और हर बार बुद्ध एक अलग जवाब देते थे। ईश्वर के बारे में पूछा गया यह सवाल आज भी पहेली है और बुद्ध के समय में भी पहेली ही था लोगों ने यह सवाल कई बार बुद्ध से पूछा लेकिन बुद्ध कभी भी इसका सही जवाब नहीं देते थे। 


महात्मा बुद्ध की कहानियाँ | प्रेरणादायक कहानियां 

एक बार की बात है एक ज्ञानी पंडित गौतम बुद्ध के प्रवचनों को सुनने आया करता था और वह पंडित उनकी बातों से सहमत भी था वह मानता था कि गौतम बुद्ध एक ज्ञानी पुरुष है।


 एक बार बुद्ध ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए थे और वह व्यक्ति उनके पास गया और उसने बुद्ध से पूछा बुद्ध कृपया आप मुझे बताएं कि ईश्वर है या नहीं मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप मेरे सवाल का  सही जवाब दे क्योंकि बुद्ध के बारे में अक्सर यह कहा जाता था कि किसी भी प्रश्न का वह कभी सीधा जवाब नहीं देते थे।


 उनके हर जवाब में रहस्य भरा होता था। ज्ञानी पंडित ने कहा मुझे ईश्वर के बारे में आपसे जानना है ईश्वर है या नहीं बुद्ध उनकी बात सुनकर मुस्कुराए और फिर पंडित से बोले ठीक है मैं तुम्हारे सारे सवाल का जवाब जरूर दूंगा लेकिन उसके पहले मेरे कुछ प्रश्नों का जवाब तुम्हें देना होगा।


 उस पंडित ने कहा बिल्कुल मैं आपके प्रश्नों का जवाब देने के लिए बिल्कुल तैयार हूं। फिर बुद्ध ने उससे प्रश्न किया क्या तुम सूर्य को मानते हो पंडित ने बुद्ध की तरफ देखा और कहा यह किस प्रकार का प्रश्न है मैं छोटा सा बच्चा हूं जो आप मुझे ऐसे सवाल पूछ रहे हैं। सूर्य तो साक्षात प्रकट है और पूरी दुनिया को रोशनी देता है धरती पर रहने वाले हर जीव को सूर्य से ऊर्जा प्राप्त होती है सूर्य को तो हम रोज ही देखते हैं।


 बुद्ध ने उससे कहा ईश्वर के होने के बारे में प्रश्न कहां से आया क्योंकि जिस प्रकार सूर्य हमारे सामने है उसके होने का कोई प्रश्न नहीं होता तब ईश्वर के लिए य सवाल क्यों उठा ईश्वर को मानने की क्या आवश्यकता है इसका मतलब तो यह हुआ आपके मन में कहीं ना कहीं ईश्वर के प्रति संदेह है। क्योंकि ईश्वर सूर्य की तरह आपके सामने नहीं है आप ईश्वर को भी बुद्धि से ढूंढने निकले हो और बुद्धि केवल उन्हीं बातों को मानती है जो उसके सामने दिखाई देता है।


 क्योंकि ईश्वर तुम्हारे सामने नहीं दिखाई देता इसलिए आज ये प्रश्नन तुम्हारे दिमाग में घूम रहा है और ईश्वर कभी भी आपको प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं दिखाई देगा और अगर वह दिख भी गया तो वो ईश्वर नहीं होगा। गौतम बुद्ध ने कहा तुम ईश्वर को मानते हो या नहीं असल में यह प्रश्न ही गलत है और गलत प्रश्न का सीधा उत्तर कैसे दिया जा सकता है।


 इसलिए अगर तुमने गलत प्रश्न पूछा तो तुम्हें उत्तर भी गलत ही मिलेगा पंडित बुद्ध की बात सुनकर थोड़ा सा भ्रमित हो गया उसने कहा बुद्ध आप किस तरह की बातें कर रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है बुद्ध ने कहा अगर मैं तुम्हें सीधे शब्दों में बताऊं तो इसका मतलब यह है कि ईश्वर को माना नहीं बल्कि जाना जा सकता है।


 अगर तुम मुझसे यह प्रश्न करते कि मैं ईश्वर को जानना चाहता हूं तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता था और जिस दिन तुम ईश्वर को जान जाओगे उस ईश्वर की व्याख्या तुम सीधे कभी नहीं कर पाओगे। लेकिन लोगों को ईश्वर के दर्शनों का स्वाद चखने में मजा जरूर आता है तुम कभी अपना अनुभव किसी को नहीं दे सकते हो अगर तुमने एक बार ईश्वर को जान लिया तो इसकी व्याख्या तुम कभी नहीं कर पाओगे।


 लेकिन किसी को अनुभव कराने में सहायता जरूर कर सकते हो दोस्तों आपने बुद्ध के जीवन की कितनी कहानियां किस्से सुने होंगे वहां आपने देखा होगा कि बुद्ध ने कभी भी ईश्वर के बारे में स्पष्ट नहीं कहा और इसी वजह से कई बार बुद्ध के ऊपर उंगलियां भी उठी लोगों ने यहां तक कह दिया कि बुद्ध कुछ भी नहीं जानते क्योंकि बुद्ध इस तरीके के प्रश्नों का ठीक से उत्तर नहीं दे पाते थे।

प्रेरणादायक कहानियां | Motivational Kahani in Hindi. 

महात्मा बुद्ध की कहानियाँ 


 गौतम बुद्ध इस तरीके के प्रश्नों से हमेशा बचा करते थे क्योंकि ईश्वर और आत्मा के संबंध में कोई उत्तर नहीं दिया जा सकता है और अगर कभी देना भी पड़े तो वह उदाहरण के माध्यम से उसे समझाने का प्रयास करते थे। क्योंकि ईश्वर और आत्मा के संबंध में कोई उत्तर नहीं बनाया आज तक और मेरा मानना तो यह है कि बुद्ध को सचमुच ज्ञान प्राप्त हुआ था।


 वह उस ईश्वर का अनुभव कर चुके थे और कोई भी व्यक्ति जो इस अनुभव को प्राप्त कर चुका हो वो व कभी भी ईश्वर के बारे में या ज्ञान के बारे में सीधा-सीधा कभी नहीं बताता वह आपके प्रश्न को बीच में ही लटका देता है। क्योंकि वह चाहता है कि आप उसका स्वात चख गौतम बुद्ध ने कभी वह गलती नहीं की जो आज के कुछ धर्म गुरु कर रहे हैं।


 कहने का मतलब है कि जितने भी ज्ञानी पुरुषों ने ईश्वर के बारे में स्पष्टीकरण किया उनके अनुयायियों ने उनके धर्म गुरुओं द्वारा ईश्वर के बारे में कही हुई बातों को मान लिया और अपने अलग-अलग समुदाय बना लिए फिर क्या हुआ यह आप देख ही सकते हैं उन गुरुओं द्वारा की गई प्रामाणिकता के आधार पर आज वह सभी समुदाय एक दूसरे के दुश्मन बने फिर रहे हैं।


 अगर कोई व्यक्ति ईश्वर की सीधी व्याख्या कर देगा तो अज्ञानी हों की भीड़ उसकी बातों को मान लेगी वह भी ईश्वर का अनुभव कभी नहीं करेगी वह भीड़ तो केवल आपकी कही हुई बातों के आधार पर किताबें लिख देगी और हाथ में तलवार लेकर चल पड़ेगी कि हम अपने समुदाय को बढ़ाएंगे और अपने धर्म को बढ़ाएंगे।


 शायद बुद्ध इस बात को जानते थे इसलिए उन्होंने कई बार ईश्वर के वजूद को भी नकारा और उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि आपकी प्यास और गहरी हो सके आप उसको जानने के लिए उतावले हो जाएं अगर बुद्ध ईश्वर के बारे में सीधे-सीधे कह देते तो भीड़ आसानी से उनकी बात मान जाती और ऐसे ही हमने धरती पर ना जाने कितने ही ईश्वर और भगवान को जन्म दे दिया।


 ऐसा लगता है ईश्वर ने मनुष्य को नहीं बल्कि मनुष्य ने ईश्वर को पैदा किया है जो भी धर्म योगी ईश्वर के बारे में अगर दो शब्द कह देता है तो सारी भीड़ उस धर्म योगी को ही ईश्वर मानने लगती है सिर्फ इसी बात से बचने के लिए गौतम बुद्ध कभी ईश्वर की बातें नहीं किया करते थे।


 दोस्तों गौतम बुद्ध की इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवान को मानना नहीं बल्कि जानना चाहिए और उसका अनुभव कर लेना चाहिए क्योंकि ईश्वर को जानने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है और वो है ध्यान ध्यान में जितनी गहराई में जाओगे उतना ही तुम्हारा ईश्वर के प्रति अनुभव होता चला जाएगा और तुम्हारे सभी प्रश्नों के उत्तर भी तुम्हें मिल जाएंगे।

 धन्यवाद नमो बुद्धाय

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