यह चार आदतें छोड़ दे। Gautam Buddha Story | Motivational Kahani in Hindi

 यह चार आदतें छोड़ दे। Gautam Buddha Story | Motivational Kahani in Hindi 


  

Gautam Buddha Story = दोस्तों इस कहानी में मैं आपको चार ऐसी आदतों के बारे में बताने वाला हूं जिसे आप अपने जीवन में अपनाकर एक अच्छी जिंदगी जी सकते हैं और अच्छे कामों में अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं 'अगर आप इन चार आदतों को अपने जीवन में अपना लेते हैं तो फिर आप अपने जीवन को एक खुशहाल जिंदगी में बदल देंगे 'और फिर आपका मन कभी भी बेचैन नहीं होगा ना ही उदासीन रहेगी और ना ही बेफिजूल के कामों में व्यस्त रहेगा।


Gautam Buddha Story | Motivational Kahani in Hindi.

 दोस्तों प्राचीन समय में एक बार किसी राज्य का राजकुमार महात्मा बुद्ध के पास आया और वह महात्मा बुद्ध से बोला गुरुवर आप हमेशा कहते रहते हैं ध्यान करो-ध्यान करो लेकिन मेरे लिए ध्यान करना तो दूर की बात है।


 मैं कुछ समय के लिए अपनी आंखें बंद करके शांति से बैठ भी नहीं पाता हूं मेरा मन इतना बेचैन है कि यह हर समय कुछ ना कुछ सोचता रहता है। मैं जब भी ध्यान करने बैठता हूं तो मेरे अंदर विचारों का तूफान आने लगता है लोगों के बारे में में सोचकर अपने जीवन की बीती घटनाओं के बारे में और अपने भविष्य के बारे में और ऐसी ही ना जाने कितने सारे अजीबोगरीब विचार लगातार मेरे मन में आते रहते हैं।


 मैं इन्हें रोकने की बहुत कोशिश करता हूं लेकिन जब मैं इन्हें रोकने मैं असफल हो जाता हूं तो मैं ध्यान को तोड़कर बैठ जाता हूं। इतनी बातें कहने के बाद वह महात्मा बुद्ध की ओर देखता है और कहता है गुरुवर आप मेरी इस समस्या का कोई समाधान बताएं फिर गौतम बुद्ध ने कहा मैं क्या समाधान बता सकता हूं सोचो तुम्हारा ही मन है।


 लेकिन यह तुम्हें कुछ देर तक आंख बंद करके बैठने भी नहीं देता है कितना आजाद कर रखा है तुमने इसे फिर राजकुमार ने कहा गुरुवर मैंने बहुत सोचा लेकिन मुझे अपनी इस समस्या का कोई समाधान नहीं मिला इसलिए मैं आपकी शरण में आया हूं। अब आप ही कोई रास्ता दिखाएं फिर बुद्ध ने कुछ देर तक राजकुमार के चेहरे की तरफ बड़े ध्यान से देखा और फिर कहा ठीक है।


 तुम यह चार आदतें छोड़ दो और फिर तुम्हारा मन लगने लगेगा।

 फिर राजकुमार पूरे ध्यान लगाकर बुद्ध की बातें सुनने लगा गौतम बुद्ध ने कहा।

1 पहली आदत दूसरों के मन को पढ़ना छोड़ दो।

 तुम और तुम्हारे जैसे ज्यादातर लोग यही गलती कर रहे हैं वह दूसरों की मन की बातों को पढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। सामने वाला मेरे बारे में ऐसा सोच रहा है और यही एक आदत तुम्हें सबसे ज्यादा बेचैन और परेशान कर रही है।


 ज्यादातर  लोग दूसरों के मन की बातों को गलत और नकारात्मक तरीके से ही पढ़ते हैं। जैसे कि लोग अक्सर सोचते हैं कि दूसरे लोग उनकी तरक्की से जलते हैं उसे नीचा दिखाना चाहते हैं। उसे पसंद नहीं करते उसकी मदद नहीं करना चाहते और ऐसी ही ना जाने कितनी सारी नकारात्मक बातें यह लोग दूसरों के प्रति अपने अंदर बैठा लेते हैं फिर उनके बारे में ही सोचते रहते हैं।


 उनसे बदला लेने के तरीके सोचते रहते हैं उन्हें नीचा दिखाने के मौके ढूंढते रहते हैं और दूसरों के प्रति यही नकारात्मक सोच इन्हें दुखी करती है और फिर यह लोग बेचैनी महसूस करते हैं। इसलिए दूसरे लोग क्या सोच रहे हैं इसका अनुमान लगाना बंद करो दूसरे लोगों के विचारों को पढ़ने की कोशिश करना बंद करो अगर पढ़ना ही है तो खुद के विचारों को पढ़ना शुरू करो।


 तुम्हारे अंदर क्या चल रहा है कहीं तुम नकारात्मक सोच शिकायत या बुराई करने जैसी आदतों के शिकार तो नहीं हो रहे हो फिर बुद्ध ने कहा।


2 दूसरी आदत यह सोचना कि असफल हो गए तो लोग हंसेंगे

 लोगों को हंसने दो लोगों को असफलता पर हंसना तो लोगों का धर्म है। क्योंकि अगर तुम सफल हो जाते तो यही तो वह लोग हैं जो तुम्हारी तारीफ करते तुम्हें सम्मान देते तुम पर गर्व करते अगर तुम अपनी सफल होने पर दूसरों से तारीफ की उम्मीद करते हो तो अपनी असफलता पर उनके हंसने से तुम्हें दुखी नहीं होना चाहिए।


 और समस्या ही यही है कि हम इंसान असफलता को बुरा मानते हैं जबकि असफल होना सफल होने से भी ज्यादा जरूरी है। क्योंकि बिना असफल हुए सफल इंसान के अंदर घमंड और दूसरों को खुद से छोटा समझने की भावना पैदा करती है। जबकि असफलता हमें विनम्र रहना धैर्य रखना और लगातार प्रयास करना सिखाती है।


 इसलिए असफलता को बुरा मत समझो और अगर तुम्हारे काम में असफल होने की संभावना नहीं है तो इसका अर्थ है कि तुमने अपना लक्ष्य अपनी क्षमताओं से छोटा बनाया है और अगर लोग तुम पर हंस नहीं रहे हैं तुम्हें ताने नहीं मार रहे हैं। तुम्हारी बुराई नहीं कर रहे हैं तो तुम अंदर से मरे हुए हो तुम अपने मानसिक सीमाओं से बाहर जाकर कुछ नया करने का प्रयास नहीं कर रहे हो क्योंकि ?


 असफल भी वही होता है जो कुछ नया करने का प्रयास करता है और एक बात हमेशा याद रखना अगर तुम्हारे अंदर असफल होने का साहस नहीं है तो तुम कभी भी तुम बड़ा लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते जो तुम करना चाहते हो इसलिए असफल होने और लोगों के हंसने से डरना बंद कर दो।

Gautam Buddha Ki Kahani | प्रेरणादायक कहानी 

Gautam Buddha Story


 3   बुद्ध ने आगे कहा तीसरी आदत समय को काटना छोड़ दो।

 लोगों को लगता है कि वह समय को काट रहे हैं। लेकिन असल में समय हर बार उन्हें काट रहा है लोगों के द्वारा समय को व्यर्थ के कामों में बर्बाद करने का केवल एक ही कारण है और वह यह है उन्हें लगता है कि उनके पास बहुत समय है जबकि सच्चाई यह नहीं है क्योंकि उनसे पहले वाले लोगों को भी यही लगता था कि उनके पास बहुत समय है।


 लेकिन उन्हें पता नहीं चल पाया कि कब समय बीत गया और उनका बुलावा आ गया और जब तक उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ तब तक समय उनके हाथ से निकल चुका था। बस सिर्फ पश्चाताप ही रह गया था कि सारा जीवन व्यर्थ के कामों में बर्बाद कर दिया और फिर वह चले गए इस दुनिया से बिना खुद को जाने बिना।


 इस जीवन की सच्चाई को समझे इसलिए जब तक यह जीवन है इसे अच्छे कामों में लगाओ खुद को जानने में दूसरों की मद मदद करने में लोगों को सही राह दिखाने में मानवता के कल्याण में और दूसरी बात समय को बर्बाद करने से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली है। हालांकि समय काटने से तुम्हें क्षणिक खुशी तो महसूस हो सकती है लेकिन जब तुम्हें होश आता है और तुम देखते हो कि कितना सारा समय बर्बाद किया जा चुका है।


 तब तुम्हें खुद पर क्रोध आता है और तुम पश्चाताप के भाव से भर जाते हो और फिर यही पश्चाताप का भाव तुम्हारे अंदर तनाव पैदा करता है और तुम बेचैन हो जाते हो और लगातार अपनी उस गलती के बारे में सोचते रहते हो फिर तुम्हारा किसी भी काम में मन नहीं लगता और तुम उदास रहने लगते हो और यह चक्र लगातार चलता रहता है जिसकी शुरुआत हुई थी।


 समय को काटने से इसलिए समय को काटना बंद करो और वह करना शुरू करो जो जरूरी है बुद्ध ने आगे कहा चौथी आदत यह सोचना छोड़ दो कि मुझसे बड़े-बड़े लोग नहीं कर पाए तो मैं कैसे कर पाऊंगा असल में दूसरों से खुद की किसी भी चीज में तुलना करना ही व्यर्थ है सबकी परिस्थितियां अलग-अलग हैं सबकी सोच अलग है अगर दूसरे नहीं कर पाए तो हो सकता है कि तुम ही कर जाओ।


 क्योंकि अक्सर वही लोग इतिहास रचते हैं जिनसे ज्यादा उम्मीद नहीं होती और फिर हो सकता है कि जिसे तुम बड़ा समझ रहे थे जिसके लिए तुम सोच रहे थे कि उसने बहुत मेहनत की है बहुत प्रयास किया है। उसने कभी उतना प्रयास किया ही ना हो केवल मेहनत करने का दिखावा किया हो क्योंकि ज्यादातर लोग कभी उतनी मेहनत करते ही नहीं हैं।


 जितनी उन्हें अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए करनी चाहिए और दूसरे लोगों के सामने यह दिखाने का प्रयास करते रहते हैं कि मैंने तो बहुत मेहनत की थी। लेकिन मेरी किस्मत ही खराब थी और यही वह लोग हैं जो दूसरों को बातों ही बातों में कहते रहते हैं कि जब इतनी मेहनत करने के बाद मैं सफल नहीं हो पाया तो तुम कैसे हो पाओगे।


 लेकिन अंदर ही अंदर यह इस बात को जानते हैं कि उन्होंने कभी उतनी  कोशिश नहीं की थी जितनी उन्हें करनी चाहिए थी। यह बस दूसरों की नजरों में अपनी इज्जत बचाने के लिए और इस डर से कि कहीं दूसरा व्यक्ति इनसे आगे ना निकल जाए यह अपने अधूरे प्रयास से घबराते रहते हैं और दूसरों को डराते रहते हैं।


 जब मैं नहीं कर पाया तो तुम कैसे कर पाओगे इसलिए किसी दूसरे असफल व्यक्ति को देखकर यह सोचना छोड़ दो कि तुम यह सफल हो जाओगे तुम बस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करो और बाकी सब समय पर छोड़ दो फिर बुद्ध ने आ कहा कि अगर तुमने यह चार आदतें छोड़ दी तो तुम्हारा मन एकदम शांत हो जाएगा और फिर तुम जहां चाहो वह अपना मन लगा सकते हो।


 इतना कहकर बुद्ध मौन हो गए और राजकुमार को भी अब समझ आ चुका था कि उसे क्या करना है उसने मन ही मन उन चारों आदतों को छोड़ने का निश्चय किया और बुद्ध का धन्यवाद कर वहां से चला गया।


 दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग मेरे बारे में क्या सोच रहे हैं अगर मैं कोई काम करता हूं तो लोग उस काम को लेकर हंसें इसके अलावा हमें अपना व्यर्थ ही समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।


 इसके अलावा हमें कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि अगर किसी व्यक्ति से कोई काम नहीं हो पाया है तो मैं उसे नहीं कर पाऊंगा अगर दोस्तों आप मेहनत से किसी भी काम को करते हैं तो कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता और एक ना एक दिन सफलता अवश्य मिलती है धन्यवाद

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.