शांत रहना सिखों | Gautam Buddha Ki Kahani | Buddha Motivational Story

 शांत रहना सिखों| Gautam Buddha Ki Kahani | Buddha Motivational Story 


शांत रहना सिखों | Gautam Buddha Ki Kahani = दोस्तों बहुत सारे लोगों को शांत रहना सीखना होता है उन्हें मौन रहने के पीछे का रहस्य जानना होता है जिस वजह से आज की यह कहानी शांत रहने के फायदे और शांत रहना क्यों जरूरी होता है इसके ऊपर है दोस्तों कहानी की शुरुआत कुछ इस प्रकार होती है।



Gautam Buddha Ki Kahani | Buddha Motivational


  पहली कहानी बोलना ही हमें अपने भीतर की ओर लौटने नहीं देता आश्रम के सभी बच्चे जब दूसरे कामों में लगे होते थे। तो एक बच्चा एक कोने में बैठा चुपचाप अपने आप में खोया रहता था। वह अक्सर किसी से ज्यादा बात नहीं करता था।


 आश्रम की सभी जिम्मेदारियां पूरी करने के बाद जहां सभी बच्चे पूरे दिन की घटनाओं की चर्चा करने लगते हैं। वहीं पर वह शांत रहने वाला बच्चा एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर ध्यान करने लगता सभी बच्चों को आश्चर्य होता था। क्योंकि उसका कोई दोस्त नहीं था वह अवसर आश्रम में अकेला ही घूमता रहता था।


 यह देखकर उसके गुरु को बड़ी प्रसन्नता होती थी उसे लगता था कि कोई तो है आश्रम में जो मौन यानी कि चुप रहने की ताकत को समझता है। उसके महत्व को समझता है आश्रम के बारे में जब भी कोई जरूरी निर्णय लेना होता उसकी राय जरूर लिया करते थे। लेकिन यही बात गुरु जी के एक दूसरे शिष्य को बड़ी खटकती थी।


 क्योंकि वह गुरु जी का प्रिय शिष्य बनना चाहता था इसीलिए वह गुरु जी के सामने दूसरे बच्चों के कामों में कुछ ना कुछ कमियां निकालता रहता था। जिससे गुरुजी उसे महान समझने लग जाए अक्सर वह अपनी जिम्मेदारियां पूरी तरह से निभाने का दिखावा भी करता चाहे उससे कोई सलाह ना भी मांगे लेकिन फिर भी वह उन्हें अपनी सलाह देता रहता था।


 वह बहुत ही बातूनी शिष्य था और आश्रम के दूसरे सभी बच्चों में बहुत प्रसिद्ध भी था। क्योंकि वह सबसे हंसी मजाक करता रहता था उनसे दिन भर बातें करता रहता था इसीलिए उसकी सबसे दोस्ती हो गई थी। लेकिन जब आश्रम के गुरु उसकी राय ना लेकर दूसरे बच्चे की राय लेते थे तो यह बात उसे बड़ी खटकती थी उसे यह लगता था कि वह उस दूसरे बच्चे से ज्यादा बुद्धिमान है।


 लेकिन गुरुजी फिर भी उसकी तरफदारी करते हैं ऐसा नहीं था कि गुरुजी को बानी शिष्य के स्वभाव के बारे में पता नहीं था। लेकिन गुरुजी उसे अपने तरीके से सीख देना चाहते थे ताकि उसकी ज्यादा बोलने की आदत दिखावा करने की आदत दूसरों में कमियां निकालने की आदत हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाए और वह मौन रहकर ध्यान की गहराइयों को छुपाए असल में हर सच्चे गुरु की यही इच्छा होती है।


 वह किसी तरीके से उस बातूनी शिष्य को एहसास कराना चाहते थे कि चुप रहने से ही उसे असीम सत्य को जाना जा सकता है। उस विराट का एहसास चुप होकर ही किया जा सकता है। एक दिन गुरुजी को एक तरीका सूझा उन्होंने आश्रम के सभी बच्चों को अपने पास बुलाया और कहा कि मैं तुम सभी को दो-दो हिस्सों में बांटकर अलग-अलग गांवों में भिक्षा मांगने के लिए भेज रहा हूं और जो भी दो बच्चे सबसे ज्यादा भिक्षा मांगकर लाएंगे उन दोनों को आश्रम की सभी जिम्मेदारियां निभाने का मौका दिया जाएगा।



 अपनी बात जारी रखते हुए गुरु जी ने बताया कि भिक्षा मांगने से हमारा अहंकार खत्म होता है। इसीलिए हर शिष्य पूरे मन से भिक्षा मांगे कोई भी इस काम को औपचारिकता में ना ले वरना तो वह अपने जीवन का बहुत बड़ा ज्ञान खो देंगे। आश्रम के गुरुजी ने जानबूझकर बातूनी शिष्य और चुप रहने वाले शिष्य की जोड़ी बना दी बातूनी शिष्य के मन में सिर्फ एक ही बात चल रही थी कि इस बार उसे मौका मिला है और इस बार वह गुरुजी को दिखा देगा कि वह चुप रहने वाले शिष्य से कितना ज्यादा प्रतिभावान है।



 दोनों शिष्यों ने आपस में अपनी सहमति से निर्णय लिया कि दोनों गांव के अलग-अलग जगह से भिक्षा मांगना शुरू करेंगे ताकि भिक्षा मांगने का काम जल्दी खत्म किया जा सके चुप रहने वाला शिष्य हर द्वार पर जाकर अपने हाथ जोड़कर अपना भिक्षा का पात्र उनके सामने कर देता उसके चेहरे पर एक सादगी और उसकी आंखों में एक एकांत होता था।


 जिससे भिक्षा देने वाले उसे भिक्षा देकर अपने अपने आप को अनुग्रहित समझते थे वहीं पर दूसरा बातूनी शिष्य हर द्वार पर जाकर उनको कुछ ना कुछ ज्ञान देने लगता था। जिससे ज्यादातर लोग उसे बिना भिक्षा दिए ही लौटा देते थे। पूरे गांव में भिक्षा मांगकर जब दोनों गांव के बीच में मिले तो बातूनी शिष्य ने देखा कि चुप रहने वाले शिष्य के पास उससे दुगनी भिक्षा थी।


 यह देखकर उसे मन ही मन बहुत ठेस पहुंचा लेकिन जब वह दोनों भिक्षा का सामान लेकर आश्रम की तरफ जा रहे थे। तब बातूनी को एक चालाकी सूझी उसने चुप रहने वाले शिष्य से कहा कि हमें अपनी भिक्षा एक ही थैले में डाल लेनी चाहिए गुरुजी ने हम दोनों को एक साथ भिक्षा लाने के लिए कहा था। चुप रहने वाले शिष्य ने बिना कुछ बोले अपनी सारी भिक्षा उसके थैले में डाल दी बातूनी शिष्य मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि अब गुरुजी को यह पता नहीं चलेगा कि ज्यादा भिक्षा हम में से किसने मांगी।


 उसे लग रहा था कि गुरुजी मुझे इससे कम प्रतिभावान समझेंगे इसीलिए उसने यह तरकीब लगाई सभी शिष्यों के आने के बाद संध्या के समय जब सभी की भिक्षा तो ली गई तो इन दोनों शिष्यों की भिक्षा सबसे ज्यादा निकली गुरुजी ने इन दोनों का अभिवादन करते हुए आश्रम के सभी बच्चों के सामने उनकी पीठ थपथपाते हुए उन्हें मुबारकबाद दी और कहा कि मैं आश्रम का कार्यभार तुम दोनों को नहीं सौंप सकता इससे आपसी मतभेद होने का खतरा रहता है।


 इसीलिए तुम दोनों में से जो ज्यादा भिक्षा लेकर आया है आश्रम की जिम्मेदारी उसे ही सौंपी जाएगी जब उन्होंने उनसे पूछा कि तुम में से ज्यादा भिक्षा कौन मांग कर लाया था तो बातूनी शिष्य ने कहा कि गुरुजी में इससे दुगनी भिक्षा मांग कर लाया था। लेकिन मुझसे गलती हो गई कि मैंने वह दोनों भिक्षा एक ही थैले में डाल ली मुझे नहीं पता था कि आप ऐसा निर्णय लेने वाले हैं वरना तोहे अपनी भिक्षा का थैला अलग ही रखता।


 इस पर गुरुजी ने चुप रहने वाली शिष्य से पूछा कि क्या तुम इसके बाद से सहमत हो क्या तुम इससे कम भिक्षा लेकर आए थे यह सुनकर चुप रहने वाले शिष्य ने कहा कि गुरुजी मेरे पास ऐसा कोई साधन नहीं है। जिससे मैं यह साबित कर पाऊं कि मैं इससे ज्यादा भिक्षा लेकर आया था असल में यह उल्टा बोल रहा है दुगनी भिक्षा मैं लेकर आया था। 

Buddhist Story In Hindi | Motivational Kahani in Hindi 

Gautam Buddha Ki Kahani 

 यह मुझसे आधी भिक्षा लेकर आया था और इसी ने ही मुझसे भिक्षा एक थैले में डालने की बात कही थी। आश्रम से कुछ दूरी पर एक पहाड़ी थी जिसके पीछे सूरज अभी-अभी संध्या के समय ढल रहा था गुरुजी को तो पता था कि सच कौन बोल रहा है। लेकिन बाकी बच्चों के सामने सच साबित करने के लिए उन्होंने उन दोनों से एक सवाल पूछा कि पीछे पहाड़ी पर तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है।


 यह सुनकर वाचाल शिष्य झट से बोल पड़ा कि गुरुजी पहाड़ी के पीछे सूरज अपना रंग बिखेर रहा है आसमान में लालिमा छाई हुई है। यह बहुत ही सुंदर दृश्य है वह तो और भी बहुत कुछ कहना चाहता था। लेकिन गुरुजी ने उसे चुप करते हुए दूसरे शिष्य से जवाब जानने के लिए जब उसकी तरफ देखा तो उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे श्रद्धा भक्ति और प्रेम से उसकी आंखें भर आई थी।


 गुरुजी को उससे पूछने की जरूरत ही नहीं पड़ी गुरुजी ने सभी बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने सवाल किया था कि पहाड़ी के पीछे तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है। ज्यादातर लोगों को यही दिखाई देगा कि एक बहुत सुंदर दृश्य है लेकिन मजे की बात यह है कि सुंदरता बोलकर नहीं बताई जा सकती उसे महसूस किया जा सकता है और सामने वाला उस सुंदरता को आपकी आंखों में देख पाता है। चुप रहने वाले शिष्य की तरफ इशारा करते हुए गुरु जी ने कहा कि असल में सुंदरता इसी बच्चे ने देखी है।


 दूसरे बच्चे ने सिर्फ सुंदरता की उप व्याख्या की है लेकिन इसने वास्तविकता में उस सुंदरता को महसूस किया है। अपने आप को ऊंचा दिखाने की सभी कोशिशें नाकाम होती देख वाचाल शिष्य वहीं पर फूट फूट कर रोने लगा। उसको चुप कराते हुए गुरुजी ने कहा कि बेटा मुझे पहले से पता था कि तुम झूठ बोल रहे हो लेकिन मैं तुम्हें उस झूठ का एहसास कराना चाहता था।


 सभी बच्चों को संबोधित करते हुए गुरुजी ने बताया कि शब्द जाल की तरह होते हैं हमारे ज्यादा बोलने की वजह से बहुत सारी समस्याएं पैदा होती है जब कोई आदमी एक बात को बढ़ा चढ़ाकर बोल देता है तो उसे सिद्ध करने के लिए वह शब्दों के जाल में फंसता चला जाता है और इसी वजह से अंतर्मुखी होने की बजाय वह बहिर्मुखी होता चला जाता है।


 वहीं पर जिस भी व्यक्ति को अपनी अंतर यात्रा करनी होती है उसे सबसे पहले चुप रहना सीखना होता है। जरूरत से ज्यादा बोलना या फिर हर वक्त बोलते ही रहना यह सब हमारी अंतर यात्रा में बाधा बन जाती है जब आप चुप रहने का अभ्यास करते हैं तो आप अपने साथ वक्त बिताने लगते हैं। जिससे कि आप अपने एकांत को जान पाते हैं और एक बार अगर मन में एकांत स्थापित हो जाए तो आपकी आंखों में आपके चेहरे पर वह सादगी वह एकांत व स्पष्टता की झलक सब कुछ सामने नजर आने लगता है।


 कुछ साबित करने को नहीं रह जाता कुछ बताने को नहीं रह जाता सब कुछ आंखों में देखा जा सकता है। चुप रहने वाले शिष्य की तरफ इशारा करते हुए गुरु जी ने कहा कि अभी जो दृश्य है इस बच्चे ने देखा वह ज्यादा बोलने वाला आदमी कभी नहीं देख पाएगा। वह अपनी बुद्धि से तर्क वितर्क करता रहेगा कि उसे क्या-क्या दिखाई दे रहा है।


 लेकिन उसमें से ये महसूस कुछ भी नहीं कर पाएगा उसे दिखाई दे जाएंगे पहाड़ सूरज या फिर उसकी लालिमा लेकिन उस सुंदरता को उस विराट को उस अद्वैत को वह कभी नहीं देख पाएगा। अगर चुप रहने की कला सीखनी है तो तुम्हें सबसे पहले एक बात ध्यान रखनी होगी कि तुम्हें किसी को भी प्रभावित करने की कोशिश नहीं करनी है। ज्यादातर लोग इसी वजह से ज्यादा बोलते हैं।


 क्योंकि वह दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं अपने आप को साबित करना चाहते हैं और उस साबित करने के चक्कर में वह शब्दों के जाल में फंसते चले जाते हैं और धीरे-धीरे वही उनकी आदत बन जाती है अगर कोई व्यक्ति दूसरों को प्रभावित करना चाहता है तो वह कितने लोगों को प्रभावित कर पाएगा उसकी यह भूख बढ़ती जाएगी और वहीं संसार में सभी को कभी भी प्रभावित नहीं कर पाएगा।


 इसलिए यह समझने की बात होती है कि बहिर्मुखी होने की बजाय हम अंतर्मुखी होकर अपने आप को समझ सकते हैं अपनी बातों को खत्म करते हुए गुरुजी ने अपना आखिरी संदेश दिया उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति ज्यादा समय तक चुप नहीं रह सकता तो उसे थोड़े समय से अभ्यास करना चाहिए। निश्चित संकल्प लेकर किसी व्रत की भांति दिन में कुछ समय या फिर हफ्ते में कुछ समय या फिर एक दिन चूप रहने का अभ्यास जरूर किया जाना चाहिए।


 इससे हमारी चुप रहने की आदत धीरे-धीरे खुद पर खुद चुप रहने लगते हैं तो हमें चुप रहने का आनंद पता चल जाता है उसके बाद हमें प्रयास नहीं करना पड़ता बल्कि हमारा मन आनंद की तरफ अपने आप बढ़ता चला जाता है। चुप रहने की कला सीखने के बाद आपकी बुद्धिमानी और आपकी स्पष्टता दोनों में बहुत ज्यादा फायदा होगा। वास्तविकता में जिसे दर्शन कहते हैं वह मौन रहकर ही किया जा सकता है।


 इसके बाद सभी बच्चों ने कुछ समय चुप रहने का संकल्प लेकर गुरुजी ने अपनी बात खत्म कर दी और सभी बच्चे रात्रि का भोजन करने के लिए एक साथ भोजन कक्ष में पहुंच गए तो दोस्तों कैसी लगी यह कहानी आपको कमेंट सेक्शन में जरूर बताना तो चलिए अब हमारी शांति के फायदे के ऊपर दूसरी कहानी की शुरुआत करते हैं।


 2     दूसरी कहानी गौतम बुद्ध ने कहा इन पांच जगहों पर चुप रहना सीखो। गौतम बुद्ध की कहानियां Pdf 



गौतम बुद्ध की कहानियां Pdf = जो लोग बुद्धिमान हैं वह यह जानते हैं कि शब्द हथियार की तरह होते हैं जिनसे किसी को भी बचाया जा सकता है या किसी को भी मारा जा सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि शब्दों से किसी को मारा कैसे जा सकता है तो जरा सोचिए ज्यादातर आत्महत्याओं के पीछे किसका कारण होता है।

 किसी के पति ने कुछ कहा किसी के पिता ने कुछ कहा और उन लोगों ने आत्महत्या कर ली यह आत्महत्या किसके कारण हुई वह पीड़ित के मन को इतना दुखी कर गए कि उसके मन से वह दुख सहना और ज्यादा बर्दाश्त करना नामुमकिन हो गया और इसी वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली ऐसे ही आपके शब्द किसी को नया जीवन प्रदान कर सकते हैं।

 जब कोई आदमी उदास होता है या दुखी होता है तो आपके शब्द उसमें एक नया जोश एक नया उत्साह भर सकते हैं और एक हारा हुआ आदमी अपने जीवन में एक नई शुरुआत कर सकता है सिर्फ शब्दों के माध्यम से हमारी वाणी के माध्यम से तो अब तक आप यह तो समझ ही गए होंगे कि हमारे शब्द हमारे जीवन को किस तरह निर्धारित करते हैं।

 शब्दों में कितनी ताकत होती है और किसी से बात करते वक्त हमें कितनी सावधानी से अपने शब्द सुनने चाहिए आज की जो बौद्ध कहानी में आपको सुनाने वाला हूं उसमें आपको सीधे-सीधे तौर पर कुछ ऐसे तरीके पता चलेंगे कुछ ऐसी परिस्थितियां पता चलेंगी।

 जहां पर आपको हमेशा चुप रहना चाहिए कुछ परिस्थितियों में अगर आप कुछ नहीं बोलेंगे तो वही आपके लिए सबसे ज्यादा बेहतर होगा इससे पहले कि आप इस कहानी में खो जाए इस चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लें तो चलिए कहानी शुरू करते हैं।


गौतम बुद्ध ने कहा इन पांच जगहों पर चुप रहना सीखो।

 एक बार की बात है एक युवा लड़का एक बार एक बौद्ध भिक्षु के पास पहुंचा वह काफी परेशान लग रहा था और उसने बौद्ध भिक्षु से जाकर पूछा कि हे महात्मा मैं अपने आप से परेशान हूं अपने आप से दुखी हूं बाहरी रूप से मुझे कोई दुख नहीं है।


 मैं धन धान्य संपन्न हूं मुझे कोई शारीरिक रोग भी नहीं है लेकिन मैं खुद से परेशान रहता हूं अपने मन से परेशान रहता हूं अक्सर मेरी बातों को मेरा कोई भी दोस्त गंभीरता से नहीं लेता है और ना ही मेरे परिवार के लोग मेरी किसी बात को गंभीरता से लेते हैं।


 मैं जो कुछ भी सलाह देता हूं या तो वह उसे मजाक में उड़ा देते हैं या फिर उसे गंभीरता से लेते नहीं है मेरी बातों को कोई गंभीरता से क्यों नहीं लेता है क्यों मेरी बातों पर कोई अमल नहीं करता क्यों मेरी बातों में कोई रुचि नहीं दिखाता क्या कारण है कृपया मुझे बताने का कष्ट करें और मेरे मन के इस दुख को दूर करें।


 यह सुनकर बौद्ध भिक्षु ने कहा कि आज सुबह में चालित ध्यान करके वापस आ रहा था रास्ते में कुछ कौवे कांव कांव कर रहे थे और वहीं पर जब मैं चलता हुआ कुछ दूर आया तो मुझे एक मोर की मधुर आवाज सुनाई दी यह सुनकर अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि कि कौवे कितना कांव कांव करते हैं। कितना बोलते रहते हैं लेकिन कोई भी प्राणी कोय की आवाज को पसंद नहीं करता मोर हमेशा सही परिस्थिति के हिसाब से बोलता है।


 जब भी बारिश होने वाली होती है और बादल गरजते हैं और बारिश होने की आशंका होती है ऐसे में मोर अपनी मधुर आवाज में गाता है जो सभी को प्रिय होता है सभी को अच्छा लगता है। ऐसे ही अगर इंसान सही परिस्थिति के हिसाब से सही शब्द बोले सही वाणी बोले तो वही वाणी दूसरों के लिए संगीत हो जाती है।


 संगीत बन जाती है और दूसरे लोग तुमसे सम्मोहित हो जाते हैं और वहीं पर तुम्हें सब लोग गंभीरता से लेने लगते हैं और दूसरी तरफ अगर तुम यूं ही बेफिजूल ऐसे ही बोलते रहते हो बिना किसी बात के बोले चले जाते हो तो फिर तुम्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता तुम उस कौवे की भांती हो जाते हो जिसकी वाणी कोई पसंद नहीं करता और बाद में तुम्हें दुख होता है कि तुम्हें कोई गंभीरता से क्यों नहीं लेता।


 इसीलिए अपने शब्दों को को बेहद बुद्धिमानी के साथ इस्तेमाल करना सीखो अगर तुम नहीं सीखो ग तो समाज में तुम्हें कोई सम्मान या कोई गंभीरता से नहीं लेगा यह सुनकर वह युवा लड़का बोला कि हे महात्मा मैं जानता हूं कि मैं ज्यादा बोलने की बीमारी से ग्रस्त हूं मुझे इतना नहीं बोलना चाहिए।


 लेकिन मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाता और ना ही मैं इतना बुद्धिमान हूं कि मैं अपने शब्दों को नाप तोलक बोल सकूं मैं तो किसी से बात करते वक्त इतना सोचता भी नहीं कि मुझे अपने शब्द किस तरह इस्तेमाल करने हैं कृपया कर के कुछ ऐसी परिस्थितियां बता दीजिए जहां पर मुझे कम बोलना है या फिर बोलना ही नहीं है।


 हमेशा चुप रहना है अगर आप मेरा ऐसे मार्गदर्शन कर सकते हैं तो मेरा जीवन आसान हो जाएगा और मुझे ज्यादा दिमाग या अपनी बुद्धि लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी यह सुनकर बौद्ध भिक्षु ने मुस्कुराते हुए कहा कि बेटा वैसे तो इंसान को हर परिस्थिति में सोच समझ कर ही बोलना चाहिए। लेकिन अगर वह हमेशा होश में नहीं रह पाता है ध्यान में नहीं रह पाता है तो तुम्हारे दैनिक जीवन की कुछ ऐसी परिस्थितियां बता रहा हूं।


 जहां पर तुम्हें हमेशा चुप रहना है अगर तुम ऐसी जगहों पर कुछ बोलोगे तो तुम्हारा अपमान ही होगा या फिर तुम्हें कोई गंभीरता से नहीं लेगा सबसे पहली जगह है या यूं कहे ऐसी परिस्थिति जहां पर इंसान को हमेशा चुप रहना चाहिए वह है जब किसी ऐसे विषय के बारे में बातचीत हो रही हो जिसके बारे में आपको कोई जानकारी ही नहीं है तो ऐसी परिस्थिति में व्यर्थ में बीच में टांग अड़ाना अपना ज्ञान देना व्यर्थ का न आपको कुछ पता नहीं है।


 लेकिन फिर भी आप अपना ज्ञान देने के लिए उत्सुक हैं तो ऐसी जगह पर आपका अपमान ही होगा जरा तुम खुद सोचो जब कोई बीमार आदमी अपनी बीमारी के बारे में चर्चा कर रहा हो और आपको उस बीमारी के बारे में कोई भी ज्ञान नहीं है। लेकिन फिर भी आप व्यर्थ में बेकार में उसे ऐसी ऐसी औषधियां बता रहे हैं जिनका उसकी बीमारी से कोई तालमेल ही नहीं है तो ऐसे में आप अपनी प्रतिष्ठा अपने हाथों से खो रहे होते हैं और आपको पता ही नहीं होता होता है।


 ऐसी परिस्थिति में आदमी को हमेशा सुनना चाहिए ध्यान से सुनना भी एक कला होती है अगर आप सुनने का दिखावा करेंगे तो कहीं ना कहीं सामने वाले आदमी को यह एहसास हो जाता है कि यह मेरी बात पूरे ध्यान से नहीं सुन रहा है। इसीलिए जब आपको किसी विषय के बारे में पूरी तरह से जानकारी ना हो तो वहां पर केवल अपने कान लगाना ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है।


 ज्यादा जरूरी होता है आप उस इंसान की बातें ध्यान से सुन सकते हैं और इसी बीच आप दोनों के बीच एक संबंध पैदा होगा और उस संबंध सच्चा होगा क्योंकि आपने उसके बात को बड़े ही ध्यान से सुना है और इस बात का पता सामने वाले को भी होता है तो हम बिना कुछ बोले सिर्फ सुनने मात्र से किसी को अपना दोस्त है। अपना मित्र बना सकते हैं इस बात को हमेशा ध्यान में रखना दूसरी जगह जहां इंसान को हमेशा चुप रहना चाहिए।


 वह है खाना खाते वक्त खाना इंसान को हमेशा चुप रहकर खाना चाहिए मौन रहकर खाना चाहिए। महात्मा बुद्ध और उनके भिक्षु हमेशा चुप रहकर भोजन करते हैं शांत भाव से भोजन करते हैं परिपूर्ण होकर भोजन करते हैं पूरी तरह से करते हैं एक एक टुकड़े का स्वाद लेकर भोजन करते हैं और ऐसा भोजन जब आपके शरीर में पहुंचता है तो वह आपके अंग अंग तक ऊर्जा पहुंचाता है।


 अक्सर हम भोजन करते वक्त कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं कुछ ना कुछ सुनते रहते हैं लेकिन मौन रहकर पूरा स्वाद लेकर उस भोजन को कभी नहीं करते हम उस भोजन को करते वक्त आधे अधूरे ही रह हैं और इसीलिए हमारा शरीर रोगों से ग्रस्त हो जाता है। जरा तुम खुद सोचो बौद्ध भिक्षु हमेशा भिक्षा लेकर भोजन करता है और भिक्षा भी कितनी बिल्कुल मामूली सी और वह भी एक वक्त तो एक वक्त भोजन करने के बाद भी वह इतने स्वस्थ रहते थे।

Motivational Kahani in Hindi | Inspirational Story in hindi 

गौतम बुद्ध की कहानियां Pdf


 इतने उत्साह जोश और आनंद से भरे होते थे और हम तो इतना खाना खाते हैं इतनी सारी भोजन की सामग्री हमारे लिए उपलब्ध होती है लेकिन हमारे शरीर में कोई ऊर्जा नहीं होती इसका सबसे बड़ा कारण होता है कि हम अपना भोजन होश में नहीं करते हैं। परिपूर्ण होकर नहीं करते हैं मौन रहकर नहीं करते हैं।


 इसीलिए अपना भोजन हमेशा मौन रहकर ही करो तीसरी जगह जहां पर अगर आपने चुप रहना सीख लिया तो इसका मतलब यह है कि आपने अपने ऊपर विजय हासिल कर ली जी हां गुस्से में शांत रहना या चुप रहना इतना आसान नहीं होता है। अक्सर हम गुस्से से भरकर कुछ ऐसे शब्द या अपशब्द बोल जाते हैं जिसका पछतावा हमें हमेशा रहता है।


 लेकिन जुबान से निकला हुआ शब्द वापस नहीं हो सकता उस शब्द को मिटाया भी नहीं जा सकता अब वह जिंदगी भर हमारे दामन से जुड़ चुका है और वह गुस्से में बोला गया अब शब्द हमारे मन को समय-समय पर बेचैन करता रहता है। दुखी करता रहता है लेकिन गुस्से के वक्त चुप रहना सीखना भी एक बहुत बड़ी कला होती है गुस्से में आदमी का अपने ऊपर काबू कहां रहता है अपनी इंद्रियों को वश में कहां रख पाता है इसीलिए इस कला को आप तभी सीख सकते हैं।


 जब आप गुस्सा भी होश में रहकर कर पाए जब भी आपको गुस्सा आए आपके दिमाग में सिर्फ एक ही बात आए कि मुझे चुप रहना है मुझे किसी से कुछ गाली गलौच नहीं करना किसी को कोई अपशब्द नहीं बोलना और जब यह विचार गुस्से के साथ जुड़ जाता है और धीरे-धीरे यह आदत बन जाता है तो आप अपने गुस्से को भी काबू में करना सीख जाते हैं।


 जब भी कभी गुस्सा आए तो किसी को कुछ बोलने की बजाय कुछ शारीरिक व्यायाम करना शुरू कर दो उछलना भागना दौड़ना जिम करना कुछ भी आप ऐसा व्यायाम कर सकते हो जिसमें आपका शरीर थक जाए आप पाएंगे कि जब आपका शरीर थक जाता है तो आपका मन भी शांत हो जाता है। आपने उस गुस्से की ऊर्जा को एक सकारात्मक रूप दे दिया और यही बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान होती है जो दूसरों के तानों से भी अपना घर बना लेता है अपनी कामयाबी के रास्ते निकाल लेता है।


 वही सच में बुद्धिमान आदमी है जो जहर को भी दवा बनाकर इस्तेमाल करना सीख जाए वही असली बुद्धिमान होता है चौथी जगह जहां आप चुप रहेंगे तो आपके लिए वहीं सबसे ज्यादा बेहतर होगा होगा वही आपको सम्मान दिलाएगा चौथी जगह है जब चार लोग आपस में बैठकर बातें कर रहे हो कोई बैठक कर रहे हो तो वहां पर जब चार लोग बात कर रहे होते हैं तो चारों लोग एक साथ तो बात कर नहीं सकते।


 एक बार में एक व्यक्ति बोलेगा और तीन सुनेंगे तभी वह बैठक कामयाब हो पाएगी तभी वह चर्चा सही रूप में आगे बढ़ पाएगी लेकिन अगर कोई आदमी ऐसा बैठा हुआ है जो बीच में ही दूसरे की बात काटकर अपनी बात को ऊपर रखना चाहता है तो ऐसे में वह चर्चा या वह बैठक आपको कहीं नहीं पहुंचाएगी और चारों लोगों के बीच आप सबसे मूर्ख कहलाओगे।


 अगर आपको अपनी बात कहनी है तो सामने वाले को अपनी बात पूरा करने दो उसके बाद अपने विचार रखो यही एक भद्र पुरुष या फिर कहीं अच्छे आदमी की पहचान होती है और आखिरी जगह अगर हमारे माता-पिता हमें कुछ कह देते हैं। हमारे बड़े बुजुर्ग हमें किसी बात पर डांट देते हैं या हमें थप्पड़ भी मार देते हैं तो ऐसी जगहों पर आपका चुप रहना ही उनके प्रति सम्मान दिखाएगा उनके प्रति आदर का भाव व्यक्त होगा।


 अगर आप उनके सामने उनका विरोध कर देते हैं उनका प्रतिरोध कर देते हैं तो वह गुस्सा तो थोड़ी देर बाद शांत हो जाएगा लेकिन वह कहीं गई बात वो विरोध किया हुआ शब्द या फिर कुछ भी उल्टा सीधा हमेशा आपके मन को सताएगा और आपके माता-पिता को हमेशा यही लगेगा कि आज यह हमारी इज्जत नहीं करता आज ही हमारी बात नहीं मानता।


 क्योंकि यह कमाने लग गया है यह बड़ा आदमी बन गया है ऐसी-ऐसी बातें उठेंगी ऐसे-ऐसे तंज कसे जाएंगे इसीलिए ऐसी जगह पर आप मौन रही है चुप रहिए कुछ मत बोलिए अपने गुस्से को अपने अंदर ही पी लीजिए कुछ व्यायाम कर लीजिए भाग लीजिए दौड़ लीजिए आपका मन अपने आप शांत हो जाएगा। आखिर में बौद्ध भिक्षु ने अपनी बात को खत्म करते हुए कहा कि कम शब्दों में अपनी भावनाओं को उतारना सीखो शब्द हथियार की तरह होते हैं।


 बोलो तो होश में बोलो ध्यान में बोलो जीवन शैली ऐसी बना लो कि आप जब भी बोलो पूरे होश में रहकर बोलो पूरे आनंद के साथ बोलो पूरे प्रेम के साथ बोलो ऐसी वाणी बोलो जो दूसरे के दिल को ठंडक पहुंचाती हो दूसरे के मन को भी शांत कर देती हो और वह तभी संभव है। जब आप प्रतिपल होश में रहकर बोले इसके बाद वह युवा लड़का बौद्ध भिक्षु के सामने नतमस्तक हो गया और उनको प्रणाम करते हुए अपने घर वापस लौट गया।


 दोस्तों मैं उम्मीद करता हूं कि यह कहानी सुनने से आपके जीवन में अच्छे बदलाव आए होंगे आपको इस वीडियो से क्या सीखने मिला यह कमेंट करके जरूर बताए और अपने परिवार दोस्तों या आपके करीबी इंसान के साथ यह कहानी शेयर करके उन्हें भी इस ज्ञान से परिचित करवाएं बाकी अगर आपको यह कहानी दिल से अच्छी लगी हो तभी इस कहानी को लाइक कर देना और आपने अब तक इस चैनल को सब्सक्राइब ना किया हो तो चैनल को सब्सक्राइब भी जरूर कर देना आपका हर दिन शुभ हो और खुशियों से आपका जीवन भरा रहे।

 धन्यवाद नमो बुद्धाय

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