गौतम बुद्ध की कहानियां Pdf | तुम खुद ही दुःख पैदा कर रहे हों
गौतम बुद्ध की कहानियां Pdf | तुम खुद ही दुःख पैदा कर रहे हों | Motivational Kahani in Hindi
गौतम बुद्ध की कहानियां Pdf | तुम खुद ही दुःख पैदा कर रहे हों।
आमतौर पर हम सभी के पास एक ही साइज की खोपड़ी होती है ज्यादातर इंसानों की खोपड़ी में पर्याप्त दिमाग होता है। सभी में सिवाय उनके जिनमें जन्म से ही गंभीर खराबी हो लगभग सभी सामान्य इंसानों में वह होता है जो जीवन जीने के लिए जरूरी है।
लेकिन फिर ऐसा क्यों होता है' कि एक आदमी का दिमाग प्रतिभा से चमकता है और दूसरे आदमी का दिमाग भरा होता है दुख पीड़ा तनाव परेशानी और ऐसी ही चीजों से वह सभी भयंकर चीजें जो कोई नहीं चाहता लोगों के मन में चलती रहती हैं तो क्या यह ऊंची बुद्धि की बात है या किसी जादुई असर की वजह से है या फिर यह अपने अंदर जरूरी संतुलन लाने की बात है।
ताकि जीवन का जादू आपको छू सके एक टेढ़ी बुद्धि चाहे वह बाहर से कितनी भी स्मार्ट लगे इस जिंदगी को सुंदर तरीके से नहीं चला सकती और संतुलन सबसे जरूरी है। हर स्तर पर संतुलन वरना हमारा अपना शरीर और दिमाग हमारे खिलाफ हो जाएंगे।
इस हद तक कि आज दुनिया में आराम का एक ही विचार या तरीका है या तो सो जाइए या शराब या ड्रग्स कोशिश बस इतनी है। कि कुछ देर के लिए दिमाग से मुक्त हो जाए क्योंकि दिमाग इतनी बड़ी मुसीबत बन गया है।
अगर दिमाग नहीं होता तो आप कम से कम शांत होते है ना जिस चीज को विकसित होने में लाखों साल लग गए आज वह परेशानी बन गई है। इस शरीर में जो सबसे चमत्कारी चीज है वह दुख पैदा कर करने की मशीन बन गई है।
इसके कई पहलू हैं मैं इसे इतना सीधा-साधा नहीं बनाना चाहता पर सबसे बड़ी बात है सबसे महत्त्वपूर्ण बात है संतुलन का होना या ना होना तो यह इंसानी सिस्टम जो इस धरती की सबसे बेहतरीन मशीन है। अगर आप इस पर ध्यान ना दें और अगर यह आपके खिलाफ हो जाए तो इस दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है जो आपको बचा सके।
क्योंकि यहां इतना जटिल कुछ भी नहीं इसके जितना क्योंकि यही विकास और जटिलता का सबसे ऊंचा स्तर है अगर यही आपके खिलाफ हो गई तो आपको कोई नहीं बचा पाएगा मैं चाहता हूं कि आप यह समझ ले तो अगर इसे अपने खिलाफ होने से रोकना है और इसे पूरी तरह से समझना है तो एक खास स्तर का ध्यान देने की जरूरत होगी।
लेकिन इसे संतुलित करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं लगेगी बात सिर्फ इतनी सी है कि हम कुछ बुनियादी चीजें बिल्कुल गलत कर रहे हैं। इसको पूरी तरह से जानने के लिए बहुत सारे ध्यान समय शिक्षा सहायता मार्गदर्शन और बहुत सारी चीजें चाहिए।
लेकिन आप में थोड़ा सा संतुलन लाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं लगती बस आप जिंदगी में कुछ बुनियादी चीजें गलत कर रहे हैं। बुनियादी गलती से मेरा मतलब है कि एक बात सभी को समझ लेनी चाहिए सभी इंसानी अनुभव हमारे भीतर ही पैदा हो क्या ऐसा है।
सभी इंसानी अनुभव हमारे भीतर ही पैदा होते हैं तो जब भी खुशी दुख आनंद परमानंद भयंकर दुख हो इससे फर्क नहीं पड़ता कि क्या हो रहा है आपका अनुभव जो भी हो अच्छा या बुरा बस इतना समझ पाना कि यह भीतर से पैदा हो रहा है।
और सिर्फ भीतर ही पैदा हो सकता है या तो आप बाहरी मदद ले सकते हैं या आप खुद ही इसे बना सकते पर मूल रूप से यह भीतर ही पैदा होता है अगर यह एक चीज आपने नहीं समझी और दुखी होने पर आपको लगा कि यह उसकी वजह से है तो आप गए काम से आप बस कीबोर्ड यहां है और आप दीवार को पीट रहे हैं।
यह काम नहीं करेगा यह बुनियादी गलती लगभग 90 प्रतिशत लोग हमेशा करते हैं। जब वे दुखी होते हैं वे सोचते हैं यह इसकी वजह से है या उसकी या उसकी या फिर उसकी नहीं सारे इंसानी अनुभव भीतर से ही पैदा होते हैं अगर कुछ बुरा महसूस हो रहा है तो सबसे पहले इसे देखना होगा।
मैं इसके साथ क्या गलत कर रहा हूं क्या मैं खाना गलत खा रहा हूं। क्या मैं सो गलत रहा हूं क्या मैं बैठ गलत रहा हूं क्या मैं सांस गलत तरीके से ले रहा हूं क्या मेरा दिल गलत धड़क रहा है क्या मेरे अंदर की केमिस्ट्री में खराबी है।
इसी में कुछ खराबी है उसमें नहीं तो जैसे ही आप सोचते हैं कि दीवार को पीटकर आप इसे ठीक कर सकते हैं तो आप एक बुनियादी भूल कर चुके हैं। आप जितनी ज्यादा कोशिश करेंगे आप उतने ही दूर चले जाएंगे तो यह संभावना पहले सिस्टम में संतुलन लाने की योग की बुनियादी प्रकृति है।
योग के सबसे बुनियादी रूप आप में से कई शायद नाड़ी विभाजन या योग नमस्कार या सूर्य नमस्कार या सूर्य क्रिया कर रहे हैं यह सभी योग के बुनियादी रूप हैं। सबसे पहले संतुलन लाना जरूरी है संतुलन आने के बाद आप इस पर एक इमारत खड़ी कर सकते हैं अगर संतुलन ना हो तो आप जो भी बनाएंगे।
उसे और ज्यादा मुसीबत ही आएगी ऐसे में आप जितने बुनियादी रहेंगे उतना अच्छा होगा तो बहुत से लोग बस इसी खोज में हैं किसी तरीके से बुनियादी बने रहे क्योंकि अगर आप कुछ बनाते हैं तो भयंकर लगता है संतुलन के बिना संतुलन के बिना खड़ी कोई भी चीज एक बड़ी परेशानी होती है तो बेहतर है कि नीचे लेट जाओ जमीन के करीब रहो अगर ऊंचे उठेंगे तो मुसीबत होगी।
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| गौतम बुद्ध की कहानियां Pdf |
इसलिए कम बन जाओ बहुत से लोगों ने खुद को छोटी सी छोटी संभावना तक सीमित कर लिया है अगर मैं मुसीबत में नहीं फसता तो काफी है। बहुत सारे लोग यह मानव विकास की जबरदस्त बर्बादी है इस धरती पर पिछले कुछ सालों में जो भी हुआ है जीवन अपने सबसे सरल रूप से आज स्थिति तक पहुंचा है।
पूरी प्रक्रिया बर्बाद हो रही है और धरती मां आपको ऐसा करके बचकर निकलने नहीं देगी आपको इसकी कीमत चुकानी होगी। अगर आप जीवन को पीछे की ओर ले जाने की कोशिश करेंगे तो वह यह पक्का करेगी कि आप कीमत चुकाते तो यह वह इतनी सारी चीजें करने से पहले जरूरी है कि आप संतुलन लाने के लिए कुछ करें।
पहला कदम बस यह है कि जो भी अनुभव मैं अपने भीतर पैदा करता हूं संवेदना दर्द भरी मजेदार शानदार या भयंकर जिस भी चीज से मैं गुजरता हूं वह बुनियादी रूप से मेरे ही भीतर पैदा होती है और कहीं से नहीं हो सकता है। दूसरे लोग मदद करें लोग मदद करते हैं अगर आप दुखी हैं तो लोग उसमें ईंधन डालकर मदद करेंगे।
अगर आप खुश है तो लोग उसमें ईंधन डालेंगे हमारे आसपास अलग-अलग तरह के लोग हैं। वे आपकी मदद करते हैं जैसे भी वह जानते हैं लेकिन वास्तव में यह आपका ही बनाया हुआ है यह योग का बुनियादी पहलू है जो पहली शिक्षा दी गई थी।
वह यह थी कि यह आपका कर्म है मतलब यह आपने खुद बनाया है आपका जीवन और आपके जीवन का अनुभव पूरी तरह से आपके बनाए हुए हैं अगर यह एक चीज आप में गहरी नहीं उतरती तो आप जरूरी बदलाव नहीं लाएंगे। आपको अब भी लगता है हां मुझे पता है यह मेरे कर्म है पर आप जानते हैं मेरे पति ने क्या किया आप बदलाव नहीं ला पाएंगे।
पहले यह समझिए कि यह मेरी करनी है पूरी तरह से मेरा बनाया हुआ है जैसे ही आप यह देखते हैं। आप में इसे बदलने की क्षमता आ जाएगी मैं यह देख रहा हूं। लेकिन क्या आप जानते हैं उन्होंने कल मेरे साथ क्या किया तब आप बदलाव नहीं ला पाएंगे इससे फर्क नहीं पड़ता कि किसने क्या किया जो आपके भीतर हो रहा है। आपके जीवन के अनुभव पूरी तरह से आपके बनाए हुए हैं यही आपका कर्म है कर्म का मतलब है।
कुछ ऐसा नहीं जो ऊपर से आप पर टपकता है कर्मा मी र एक्शन कर्म का मतलब है। आपका काम यह आपका बनाया हुआ है यह आपकी करनी है तो अगर आप इस एक चीज को अपना लेंगे तो जरूरी संतुलन अपने आप आने लगेगा बस संतुलन आ जाए तो आप बहुत सी चीजें आजमाना चाहेंगे।
वरना मैं ऊंचे आकाश की इतनी सारी चीजों की बातें करता रहूंगा और आप बस दर्शक बने रहेंगे आप उड़ नहीं पाएंगे। आप दर्शक ही बने रहेंगे क्योंकि जब तक संतुलन नहीं होता आप जमीन से तीन इंच ऊपर नहीं जाना चाहते तो यह एक बुनियादी चीज है।
हम अलग-अलग तरीकों से इसकी बात करते रहे हैं पर अगर आप इस शरीर और मन इस इंसानी संभावना और मनुष्य कहलाने वाली इस इंसानी चेतना की पूरी क्षमता का उपयोग करना चाहते हैं तो पहली चीज यह है कि आप समझे और अपने भीतर पूरी तरह उतार ले कि मेरे जीवन की क्वालिटी पूरी तरह से मेरी बनाई हुई है।
यह किसी और ने बिल्कुल नहीं बनाई है अगर आप यह एक चीज फिक्स कर लेते हैं तो संतुलन आ जाएगा। अगर संतुलन आ जाए तो मैं आपको उन स्थानों पर ले जाने के लिए उतावला हूं जहां केवल संतुलन वाले लोग ही चल सकते हैं। दूसरे नहीं चल सकते।

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