खुद से बात करने का सही तरीका | Motivational Kahani hindi | Inspirational Kahani
खुद से बात करने का सही तरीका | Motivational Kahani hindi | Inspirational Kahani
Motivational Kahani hindi = कभी अपने आप से बात करते हुए यह ख्याल आया है कि आप खुद को ही नीचा दिखा रहे हैं या यह कि आप ऐसा सोच रहे हैं कि यह काम तो मुझसे होगा ही नहीं जी हां कई बार हम खुद से ही ऐसी बातें कर लेते हैं जो हमें अंदर ही अंदर कमजोर बना देती हैं। जैसे यह काम तो मुझसे होगा ही नहीं या मैं हमेशा गलतियां ही करता हूं यह सब बातें अपने आप से नकारात्मक रूप से बात करना है।
यह सुनने में भले ही छोटी बात लगे लेकिन यह अंदर अंदर हमें बहुत उतरती है यह नकारात्मक आत्म चिंतन है और इसका हमारे मन पर बहुत बुरा असर पड़ता है इस नकारात्मक आत्म चिंतन के दौरान मन में कई तरह के भाव आते हैं कभी गुस्सा आता है खुद पर कभी निराशा होती है। अपनी काबिलियत पर शक होने लगता है ऐसा लगने लगता है कि मानो हम हर काम में असफल ही होंगे।
ऐसा लगता है मानो हम खुद अपने सबसे बड़े दुश्मन बन गए हैं इससे हमारा आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाता है और हम नया करने से भी कतरा लगते हैं जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक सोच बहुत जरूरी होती है लेकिन नकारात्मक आत्म चिंतन को समझ ही ना पाए तो जिंदगी भर हम पीछे ही रह जाते हैं।
नतीजा यह होता है कि हम अपनी क्षमता से कम हासिल कर पाते हैं और जिंदगी में आगे बढ़ने में मुश्किलें आती हैं तो चलिए आज इसी नकारात्मक विचार को समझने की कोशिश करें और देखें कि इससे कैसे बचा जा सकता है एक बार फिर से में आपका स्वागत है तो चलिए कहानी शुरू करते हैं।
Motivational Kahani hindi .
दोस्तों बहुत समय पहले की बात है एक नगर में लोग खुशियां मना रहे थे। उस नगर में खुशियों का माहौल था एक तरफ जहां लोग खुशियां मना रहे थे। वहीं पर दूसरी तरफ एक लड़का उन सबसे अलग होकर एक पेड़ के किनारे उदास होकर बैठा था।
उसे मन ही मन यह चिंता सताए जा रही थी कि परीक्षा नजदीक आ चुकी थी और वह चाहकर भी पढ़ाई नहीं कर पा रहा था। वह चाहकर भी पढ़ाई में मन नहीं लगा पा रहा था। वह जितना पढ़ाई के बारे में सोचता उसके चेहरे पर उतनी ही निराशा और हताशा बढ़ जाती व सभी विचारों के बारे में सोच ही रहा था कि तभी वहां से एक गुरुवर गुजर रहे थे।
उन्होंने जब उस लड़के को देखा तो वह यह समझ चुके थे कि लड़का कुछ परेशान है। जरूर कोई समस्या है इसलिए वह उस लड़के के पास पहुंचे और उस लड़के से कहते हैं। क्या बात है बेटा पूरा गांव खुशियां मना रहा है गांव में खुशियों का माहौल है और तुम यहां इस सुनसान जगह पर इस पेड़ के नीचे अकेले बैठे हो और तुम बहुत उदास भी लग रहे हो आखिर क्या बात है।
उन गुरुवर की यह बात सुनकर उस लड़के ने जबरदस्ती अपने चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश की लेकिन मन में चिंता भरी होने के कारण वह मुस्कुरा ना सका इस पर गुरुवर एक बार फिर उस लड़के से कहते हैं। क्या बात है बेटा तुम इतनी गंभीर मुद्रा क्यों बनाए हुए हो आखिर क्या समस्या है।
तुम मुझसे बता सकते हो इस पर वह लड़का उन गुरुवर से कहता है। हे गुरुवर मेरी परीक्षा बहुत नजदीक आ चुकी है और मैं चाहकर भी पढ़ाई नहीं कर पा रहा पढ़ाई में मेरा मन ही नहीं लग रहा इस पर वह गुरुवर उस लड़के से कहते हैं। परंतु क्यों इसके पीछे कोई तो कारण होगा।
इस बार वह लड़का उन गुरुवर से कहता है। हे गुरुवर मैं जब भी पढ़ाई करने बैठता हूं और इस बीच अगर कहीं भी मैं अटक जाता हूं तो मेरे मन में तरह-तरह की शिकायतें उभरने लगती हैं। चिंता मुझे परेशान करने लगती है और एक के बाद एक नकारात्मक विचार मेरे मन में उमड़ते ही चले जाते हैं और उसके बाद मेरा पढ़ने में तनिक भी मन नहीं लगता।
मैं चाहकर भी पढ़ाई में मन लगा ही नहीं पाता और देखते ही देखते जब मैं उन नकारात्मक विचारों के सामने हार जाता हूं तो मैं अपनी किताबें बंद कर देता हूं और फिर ऐसे ही कहीं पर निकल जाता हूं। कभी अपने मित्रों के साथ तो कभी अपने आस पड़ोस के लोगों के साथ मैं अपना काफी समय यूं ही खराब कर देता हूं।
हालांकि भीतर से तो मैं चाहता हूं कि मैं पढ़ाई करूं अन्यथा मुझे इसका परिणाम भोगना होगा। लेकिन मैं चाहकर भी पढ़ाई कर नहीं पा रहा और ऐसा करीब पिछले दो महीनों से मेरे साथ हो रहा है मैं इन नकारात्मक विचारों से जितना छुटकारा पाने की कोशिश करता हूं। यह नकारात्मक विचार मुझे उतना ही घेर लेते हैं और यह मुझे डराते हैं।
मुझे परेशान करते हैं मैं चाहकर भी इनसे छुटकारा नहीं पा रहा उन गुरुवर ने उस लड़के की सारी बातें ध्यानपूर्वक सुनी और फिर वह उस लड़के से कहते हैं। बेटा मैं तुम्हारी मन की बातें समझ रहा हूं। लेकिन क्या तुम इसे एक उदाहरण के तौर पर समझा सकते हो इस पर वह लड़का उन गुरुवर से कहता है।
हे गुरुवर परीक्षा बहुत नजदीक है और मैंने कुछ हद तक पढ़ाई भी कर ली है। लेकिन जो बची हुई पढ़ाई है उसके लिए मुझे हर दिन करीब 10 से 14 घंटे तक यूं ही मन लगाकर पढ़ना होगा। इसके बिना मैं किसी भी हालत में अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाऊंगा जब यह ख्याल मेरे मन में आता है तो मैं डर जाता हूं।
मैं भीतर ही भीतर कांप उठता हूं और देखते ही देखते मेरी हिम्मत जवाब देने लगती है और मैं हार मान लेता हूं और फिर उसके बाद मेहनत करने का मानो मेरा मन ही नहीं होता मैं चाहकर भी ध्यान नहीं लगा पाता और अगली चीज जो मुझे परेशान कर रही है। रुको रुको बेटा उन गुरुवर ने उस लड़के को रोकते हुए कहा पहले हम एक-एक करके तुम्हारे मन के उन नकारात्मक विचारों को समझने की कोशिश करते हैं।
उन चिंताओं के पार जाने की कोशिश करते हैं। उनसे कुछ सीखने की कोशिश करते हैं। इतना कहकर गुरुवर उस लड़के से कहते हैं बेटा तुम यह कहना चाहते हो कि तुम्हें इस बात की चिंता है कि तुम अपनी बची हुई पढ़ाई कैसे पूरी करोगे। तुम एक दिन में इतनी मेहनत कैसे करोगे तो क्या तुम्हें इस चिंता के पीछे कहीं ना कहीं शिकायत नहीं नजर आ रही उन गुरुवर की यह बात सुनकर वह लड़का थोड़ा सा हिच किचा हुए उन गुरुवर से कहता है।
हे गुरुवर कैसी शिकायत इस पर वह गुरुवर मुस्कुराते हुए उस लड़के से कहते हैं। बेटा जब पढ़ाई करते वक्त तुम कहीं पर अटक जाते हो और बची हुई पढ़ाई के बारे में जब तुम सोचते हो तब तुम खुद से शिकायत करते हो कि मैं तो कमजोर हूं। मैं इतनी मेहनत नहीं कर सकता मैं भला यह कैसे कर पाऊंगा।
मैं भला एक साथ 10 से 14 घंटे तक कैसे पढ़ाई कर कर सकता हूं जरा खुद से पूछो यह जो शिकायतें तुम खुद से कर रहे हो यह सच है या झूठ या केवल यह सभी तुम्हारे मन की एक सोच है। उन गुरुवर के इतना कहने पर वह लड़का कुछ देर के लिए मौन हो गया उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह उन गुरुवर को क्या जवाब दे तभी वह गुरुवर उस लड़के से कहते हैं।
बेटा ऐसा कहां लिखा है कि तुम इतनी मेहनत नहीं कर सकते ऐसा कहां लिखा है कि तुम्हारे पास इतनी मेहनत करने की क्षमता नहीं है। क्या किसी ने तुमसे ऐसा कहा है कि तुम इतना ध्यान लगाकर पढ़ाई नहीं कर सकते इस बारे में वह लड़का जवाब देते हुए उन गुरुवर से कहता है।
हे गुरुवर आप सत्य कहते हैं ऐसा तो मुझसे किसी ने नहीं कहा इस पर वह गुरुवर उस लड़के से कहते हैं। बेटा तो तुमने खुद से यह कैसे मान लिया कि मैं इतना कमजोर हूं और मैं ऐसा नहीं कर सकता मैं ध्यान लगाकर पढ़ाई नहीं कर सकता यह सब केवल तुम्हारे मन का एक भ्रम है तो तुम्हारे मन की एक सोच है।
जिसे तुम अनजाने में बार-बार सोचकर उस पर विश्वास करके उसे सच बना रहे हो गुरुवर अपनी बात पूरी कर ही रहे थे कि तभी वह लड़का उन गुरुवर की बात काटते हुए कहता है। हे गुरुवर अगर यह सच नहीं है तो फिर सच क्या है उस लड़के की यह बात सुनकर गुरुवर मुस्कुराने लगे और उस लड़के से कहते हैं।
बेटा सच यह है कि तुम्हारे अंदर कितनी काबिलियत है यह जानने के लिए तुम्हें आखिरी हद तक मेहनत करनी होगी। तुम्हें अपनी पूरी कोशिश करनी होगी जब तुम अपनी पूरी क्षमता पर कार्य करोगे अपनी पूरी क्षमता के साथ पढ़ाई करोगे तभी तुम्हें पता चल पाएगा कि सच में तुम्हारी क्षमता क्या है।
इस पर वह लड़का उन गुरुवर से कहता है हे गुरुवर तो अब मुझे क्या करना चाहिए। इस पर वह गुरुवर उस लड़के से कहते हैं बेटा मेरी बात ध्यान से समझो हर चिंता के पीछे एक सकारात्मक संदेश होता है। जिसे हमें पहचानने की आवश्यकता होती है जैसे जब तुम्हारे मन में यह चिंता प्रकट होने लगी कि मैं अपनी बाकी की पढ़ाई इतनी जल्दी पूरी कैसे करूंगा तो इस चिंता के पीछे सकारात्मक संदेश क्या था।
इस पर वह लड़का कुछ देर सोच विचार करने के बाद उन गुरुवर से कहता है हे गुरुवर यही की परीक्षा बहुत करीब है और मुझे पूरा ध्यान और अपनी शक्ति लगाकर पढ़ने की जरूरत है। इस पर गुरुवर कहते हैं बिल्कुल सही तभी वह लड़का उन गुरुवर से कहता है ठीक है यह तो बहुत अच्छा तरीका है। इससे तो मैं आसानी से अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगा सकता हूं इतना कहकर वह लड़का वहां से जाने लगा तभी गुरुवर उस लड़के से कहते हैं।
रुको बेटा अभी चिंता पूरी तरह से पार नहीं हुई है जब भी तुम उस चिंता के पीछे का सकारात्मक संदेश समझ लो तो उसके लिए धन्यवाद करो और आगे बढ़ो अपने आप से कहो कि मैंने उस चिंता के पीछे का संदेश समझ लिया है और अब मैं पूरी ईमानदारी के साथ मेहनत करने के लिए तैयार हूं। मैंने यह भी स्वीकार कर लिया है कि मेहनत करने में मुझे कष्ट भी होगा तकलीफ भी उठानी पड़ेगी।
लेकिन मैं हार नहीं मानूंगा यह संदेश मुझ तक पहुंचाने के लिए आपका शुक्रिया आगे गुरुवर लड़के से कहते हैं जब तुम खुद से ऐसा कहोगे तो तुम्हें तत्काल अच्छा महसूस होगा हल्का महसूस होगा। क्योंकि तुम्हारे अंदर का वि द्वंद युद्ध पूरी तरह से समाप्त हो चुका होगा और तुमने उस चिंता के पीछे का संदेश भी अच्छी तरह से समझ लिया होगा।
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तुमने यह स्वीकार कर लिया है कि हां मुझे लंबे समय तक ध्यान करने की आवश्यकता है मुझे मेहनत करने की आवश्यकता है साथ में मुझे थोड़ी सी कष्ट और तकलीफ भी उठानी पड़ेगी हो सकता है कि इससे मुझे थोड़ी थकान भी हो। लेकिन मैं मेहनत करने से पीछे नहीं हटूंगा यह सब स्वीकार करते ही तुम्हारे अंदर एक ऊर्जा उत्पन्न होगी और ऐसा इसलिए होगा।
क्योंकि तुम्हारे मन का बोझ पूरी तरह से हल्का हो चुका है तुमने उन चीजों को स्वीकार कर लिया है जो चीजें तुम्हारा मन तुमसे स्वीकार करवाना चाहता था। किंतु अब यही मौका है इस मौके को खाली मत जाने देना और तत्काल इस पर निर्णय लेना तत्काल इस पर कार्य करना त काल इस सकारात्मक संदेश को अपना विश्वास बना लो इसे बार-बार दोहरा ताकि तुम इस पर पूरी तरह से विश्वास करने लगो।
आगे गुरुवर उस लड़के से कहते हैं बेटा यह कठिनाई का ही समय होता है जो कुछ कर दिखाने का होता है दर्द को ताकत में बदलने का होता है इस दुनिया में जितने भी महान लोग हैं। जिन्होंने भी अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल किया है उन्होंने इसी तरह अपनी शिकायतों अपनी कमजोरियों को ताकतवर और सकारात्मक सोच में बदला है।
उस पर पूर्ण रूप से विश्वास किया है और तभी वे लोग इतनी ऊंचाइयों तक पहुंच पाए हैं। आगे गुरुवर उस लड़के से कहते हैं बेटा अब तुम मुझे अपनी अगली समस्या बताओ और इसका निवारण भी तुम खुद ही करो इस पर वह लड़का कुछ देर सोच विचार करने के बाद उन गुरुवर से कहता है।
हे गुरुवर कभी-कभी मुझे लगता है कि मैंने बहुत समय खराब कर दिया मैं हार चुका हूं अगर मैंने छ महीने पहले मेहनत की होती इन चीजों की शुरुआत कर दी होती तो आज मैं कहीं और होता मुझे ऐसा लगता है कि अब इतनी मेहनत करके मुझे कोई लाभ नहीं होगा। इस पर गुरुवर उस लड़के से कहते हैं बेटा अब मुझे यह बताओ इस चिंता के पीछे शिकायत क्या है।
वह लड़का उन गुरुवर की बात मानते हुए कुछ देर के लिए उन विचारों पर सोचता है। लेकिन उसे कुछ भी समझ नहीं आता तभी गुरुवर उस लड़के से कहते हैं बेटा तुम खुद से शिकायत कर रहे हो कि तुमसे गलती हुई है और अब मैं इसे सुधार नहीं सकता तुम्हें ऐसा लगता है कि गलती होना मतलब हार मानना लेकिन जरा अपने आप से पूछो कि जो शिकायत अपने आप से कर रहे हो यह कोई सच है या केवल सोच इस पर वह लड़का कुछ देर सोच विचार करने के बाद उन गुरुवर से कहता है।
हे गुरुवर गलती मतलब हार मानना होता है यह तो मेरी एक सोच है लेकिन सच क्या है इस पर गुरुवर उस लड़के से कहते हैं। बेटा जब तुम संघर्ष करोगे तो तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा लेकिन अब मेरा यह प्रश्न है कि मुझे यह बताओ कि इस चिंता के पीछे का सकारात्मक संदेश क्या है।
इस पर वह लड़का कुछ देर फिर से सोच विचार कर उन गुरुवर से कहता है इस चिंता के पीछे का सकारात्मक संदेश यह है कि अब मैं यह गलती दोबारा नहीं होने दूंगा। मैं अपने जीवन में ऐसी स्थिति कभी दोबारा आने ही नहीं दूंगा जहां मेरी तैयारियां कम पड़ जाए और मैं हार मान बैठूं आगे वह लड़का उन गुरुवर से कहता है।
हे गुरुवर चिंता के पीछे का यह सकारात्मक संदेश मुझे मिल चुका है आपसे मैं ऐसी गलतियां कभी नहीं होने दूंगा मैं हमेशा से रहूंगा ऐसे में सही कर्म करने के पीछे ध्यान दूंगा हर कर्म को सही समय पर करूंगा। इतना कहकर वह लड़का उन गुरुवर से फिर कहता है हे गुरुवर उस सकारात्मक संदेश को स्वीकार करने के बाद मुझे अब बहुत अच्छा लग रहा है।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि इन चिंताओं के पीछे जो सकारात्मक संदेश होते हैं वह इतने ज्यादा शक्तिशाली होते हैं आगे वह लड़का उन गुरुवर से कहता है हे गुरुवर कृपया करके मुझे एक बार और इसे अच्छे से समझाइए मैं इसे अच्छे अच्छे से समझना चाहता हूं ताकि मैं ऐसी गलतियां दोबारा ना करूं आगे लड़का उन गुरुवर से अपनी अगली चिंता बताते हुए कहता है।
खुद से बात करने का सही तरीका | Motivational Kahani hindi | Inspirational Kahani
हे गुरुवर मुझे इस बात की बहुत चिंता होती है इतनी पढ़ाई करने के बाद भी यदि मेरा चयन ना हुआ तो मेरे रिश्तेदार मेरे पड़ोसी और मेरे गांव वाले क्या कहेंगे। इस पर गुरुवर मुस्कुराते हुए उस लड़के से कहते हैं। बेटा चिंता के पीछे की शिकायत देखो इस पर वह लड़का कुछ देर शांत हो गया और कुछ देर सोच विचार करने के बाद वह गुरुवर से कहता है।
हे गुरुवर मैं खुद से कह रहा हूं कि लोग मुझे पसंद करेंगे तो ही मैं खुद को पसंद करूंगा इसका अर्थ यह हुआ कि मैं दूसरों की सोच पर निर्भर हूं मैं दूसरों के हाथों की कठपुतली हूं और मुझे इस बात की चिंता हो रही है हे गुरुवर मैं सोच रहा हूं मैं जो इस शिकायत के पीछे का संदेश समझ पा रहा हूं। वह सच है या केवल सोच इस पर वह गुरुवर एक बार फिर उस लड़के से कहते हैं।
बेटा यदि तुम दूसरों की की नजरों से खुद को नापो ग तो हमेशा खुद को छोटा ही पाओगे क्योंकि छोटे लोग दूसरों के बारे में छोटा ही सोचते हैं और इसी के विपरीत सच यह है कि यह तुम्हारा काम है कि तुम खुद की इज्जत करो जो भी तुम कार्य कर रहे हो उसकी इज्जत करो और खुद पर भरोसा करो यही सच है।
तुम अपने बारे में कैसा महसूस करते हो खुद पर कितना विश्वास करते हो केवल और केवल यही मायने रखता है आगे गुरुवर उस लड़के से कहते हैं अब मुझे यह बताओ कि इस चिंता के पीछे का सकारात्मक संदेश क्या है। इस पर वह लड़का उन गुरुवर से कहता है। हे गुरुवर इस चिंता के पीछे का सकारात्मक संदेश यही है कि हमें नकारात्मक विचारों से बचकर रहना चाहिए और हमें ऐसे विचार सोचने चाहिए।
ऐसे विचारों पर ध्यान देना चाहिए जो हमें शक्ति दे आगे वह लड़का कहता है इस शक्तिशाली संदेश के लिए मैं आभारी हूं हमेशा सतर्क रहने की और अच्छे विचारों पर बार-बार ध्यान देने की जिम्मेदारी को मैं स्वीकार करता हूं। आपसे केवल और केवल मैं खुद पर विश्वास करूंगा अपने कर्मों पर विश्वास करूंगा और मैं यह देखूंगा कि मैं क्या कर रहा हूं और मुझे क्या करना चाहिए।
क्या मैं सही राह पर हूं या नहीं मैं स्वीकार करता हूं कि आज से केवल मैं अपनी नजरों से खुद को देखूंगा कौन मेरे बारे में क्या कह रहा है इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला इतना कहकर वह लड़का उन गुरुओं से कहता है।
हे गुरुवर मेरी समस्या तो सुलझ गई अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मैं बहुत हल्का महसूस कर रहा हूं। इस पर वह गुरुवर उस लड़के से कहते हैं बेटा जो भी तुमने अभी कुछ कहा है उसे तुम याद रखना और इसे कहीं पर लिख लेना और इस पर तत्काल कार्य करना ताकि तुम हर दिन यह देख सकूं कि तुम किस प्रकार नकारात्मक विचारों के प्रति सतर्क हो और तुम किस प्रकार प्रेरणा देने वाले विचारों पर ध्यान केंद्रित कर पा रहे हो।
आगे वह गुरुवर उस लड़के से कहते हैं ठीक इसी प्रकार तुम एक छोटी सी कार्यवाही करके खुद को यह एहसास दिला सकते हो खुद को याद दिला सकते हो खुद को साबित कर सकते हो कि तुम चिंता और शिकायतों से कहीं बड़े हो और इसी प्रकार बार-बार अपने विचारों पर कार्यवाही करने से हम अपने भीतर एक सकारात्मक मान्यताएं बना लेते हैं।
जिन पर हम विश्वास करते हैं और देखते ही देखते हम उन विश्वासों पर आंख बंद करके भरोसा करने लग जाते हैं आगे गुरुवर उस लड़के से कहते हैं। इसलिए बेटा इसी तरह से जब भी तुम्हें चिंता परेशान करे तो सबसे पहले चिंता के पीछे की शिकायत देखो और यह पता करो कि शिकायत सच है या फिर केवल सोच इससे आपके और शिकायत के बीच में थोड़ी दूरी बनेगी।
इस शिकायत का कड़वापन और असर थोड़ा सा कम होगा और आप उसके बारे में जानो उसे पहचानने की कोशिश करो उसके पीछे का सकारात्मक संदेश जानने की कोशिश करो और एक नई मान्यता तैयार करो तभी तुम अपने जीवन में सही ऊंचाइयों को छू पाओगे।
अपने जीवन में उन ऊंचाइयों तक पहुंच पाओगे जिनकी तुम कल्पना कर करते हो इतना कहकर वह गुरुवर शांत हो गए और उस लड़के को भी अभी समझ में आ चुका था कि वह अपने जीवन में बेवजह की चीजों से डर रहा था। जबकि उसे अपने विचारों से लड़ने की जरूरत थी और वह अपने आप से लड़ रहा था उसने जाने अनजाने अपने मन में नकारात्मक विचारों की मान्यता तैयार कर ली थी।
जिन पर वह आंख बंद करके भरोसा करने लगा था किंतु उसे तो अपने सकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था इसके बाद उस लड़के ने गुरुवर को प्रणाम किया और वापस घर लौट आया अब से वह दिन रात मेहनत करने लगा खूब मन लगाकर पढ़ाई करने लगा और जब उसके मन में कोई नकारात्मक विचार उत्पन्न होते तो वह उस नकारात्मक विचारों के पीछे का संदेश समझता और खुद से उन गलतियों को स्वीकार करता।
जिससे उसके मन में सकारात्मक ऊर्जा का निर्वाह होता और अपनी कमजोरियों को ताकत बनाकर वह आगे बढ़ता जाता दोस्तों आपने आज के इस कहानी से क्या सीखा व मुझे आप कमेंट में बता सकते हैं।
इसी के साथ में उम्मीद है कि आपको आज की कहानी पसंद आई होगी तो इस कहानी को उस इंसान को शेयर करें जिससे यह कहानी सुनने की जरूरत है और उसी के ठीक बाद चैनल को सब्सक्राइब करें तो चलिए फिर मिलते हैं ऐसी एक और नई कहानीयों में एक नए मैसेज के साथ तब तक के लिए अपना ख्याल रखें।
धन्यवाद और नमो बुद्धाय कभी अपने आप से बात करते हुए यह ख्याल आया है कि आप खुद को ही नीचा दिखा रहे हैं या यह कि आप ऐसा सोच रहे हैं कि यह काम तो मुझसे होगा ही नहीं जी हां कई बार हम खुद से ही ऐसी बातें कर लेते हैं जो हमें अंदर ही अंदर कमजोर बना देती हैं।
जैसे यह काम तो मुझसे होगा ही नहीं या मैं हमेशा गलतियां ही करता हूं यह सब बातें अपने आप से नकारात्मक रूप से बात करना है यह सुनने में भले ही छोटी बात लगे लेकिन यह अंदर अंदर हमें बहुत उतरती है। यह नकारात्मक आत्म चिंतन है और इसका हमारे मन पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
इस नकारात्मक आत्म चिंतन के दौरान मन में कई तरह के भाव आते हैं कभी गुस्सा आता है खुद पर कभी निराशा होती है अपनी काबिलियत पर शक होने लगता है। ऐसा लगने लगता है कि मानो हम हर काम में असफल ही होंगे ऐसा लगता है मानो हम खुद अपने सबसे बड़े दुश्मन बन गए हैं।
इससे हमारा आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाता है और हम नया करने से भी कतरा लगते हैं जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक सोच बहुत जरूरी होती है लेकिन नकारात्मक आत्म चिंतन को समझ ही ना पाए तो जिंदगी भर हम पीछे ही रह जाते हैं।
नतीजा यह होता है कि हम अपनी क्षमता से कम हासिल कर पाते हैं और जिंदगी में आगे बढ़ने में मुश्किलें आती हैं तो चलिए आज इसी नकारात्मक विचार को समझने की कोशिश करें और देखें कि इससे कैसे बचा जा सकता है।

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