मृत्यु की दुःख | गौतम बुद्ध की कहानियाँ Pdf | Gautam Buddha Motivational Story In Hindi

 मृत्यु की दुःख | गौतम बुद्ध की कहानियाँ Pdf | Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 


गौतम बुद्ध की कहानियाँ Pdf = दोस्तों जीवन में मौत एक ऐसी सच्चाई है जिसका हम सभी को सामना करना पड़ता है। कभी-कभी हम अपने जीवन के समस्याओं में इतने उलझे होते हैं कि हम यह भूल जाते हैं कि यह जीवन हमसे कभी भी कुछ भी मांग सकता है। भूल जाते हैं कि कभी-कभी चीजें हमारे नियंत्रण में नहीं होती हम सोचते हैं कि मौत सिर्फ दूसरों के साथ होती है लगता है जैसे हमारे चाहने वाले हम जिन्हें दिल से प्यार करते हैं वह हमेशा हमारे साथ रहेंगे कभी नहीं जाएंगे।

 लेकिन ऐसा नहीं होता यह एक गलत फहमी है हम भी इससे बच नहीं सकते और दुर्भाग्य वर्ष हमारे करीबी लोग भी इस सच से बच नहीं सकते पर हम अपने किसी प्यारे को खोने के बारे में सोचकर डर जाते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि हमारा भी ऐसा वक्त आ सकता है यह हमें हैरान कर देता है। क्योंकि हम समझते हैं कि सब कुछ ठीक है लेकिन अचानक सब कुछ बदल जाता है और जब हम किसी अपने करीबी इंसान को अचानक से बिना किसी चेतावनी के खो देते हैं तो यह भ्रम हमें अक्सर भी भीतर से तोड़ देता है।

 हमें अंदर से खाली कर देता है एक अचानक के धक्के जैसा होता है जिससे हम अंधेरे में चले जाते हैं किसी को खोने का दुख सबके लिए अलग तौर पर होता है। जब हम किसी अपने को खोते हैं तब हमें एहसास होता है कि वह हमारे लिए कितने महत्त्वपूर्ण थे उनकी कही हुई बातें उनके किए गए काम उनकी हर छोटी से छोटी बात का हमें याद रहती है। लेकिन जब वे चले जाते हैं तब हमें लगता है जैसे सब कुछ खत्म हो गया है। गौतम बुद्ध ने अपने सिद्धांतों में भी यही समझाया है जैसे सुख और दुख जीवन का हिस्सा है वैसे ही जन्म और मृत्यु भी जीवन का हिस्सा है।

 लेकिन दुखों से घिरे रहने वाले इंसान को यह जीवन नर्क लगने लगता है उसे लगता है कि यह धरती ही नर्क है लेकिन हम यह नहीं समझ पाते कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस मुश्किल और दुख भरे समय में हमें यह याद रखना चाहिए कि मौत का सामना हर किसी को करना पड़ता है। हमें मौत को स्वीकार करना सीखना चाहिए और आसपास के लोगों के साथ मिलकर इस समस्या से बाहर निकलना चाहिय।

 यह हमारे लिए एक अवसर है अपनी जिंदगी के असली मतलब को समझने का तो हम भी एक ऐसी ही कहानी के माध्यम से आपको इस सिक्के के दो पहलू समझाने की कोशिश करेंगे दोस्तों जिस तरह मैं अपनी कहानियों के माध्यम से दुनिया में मोटिवेशन फैलाता हूं और कोशिश करता हूं कि आपके जीवन में यह कहानियां काम आए वैसे ही आपका ंंBest life Hindi  को सब्सक्राइब करना मुझे मोटिवेशन देता है और आपके एक लाइक से यह कहानी उन लोगों तक पहुंच सकती है जो आप ही की तरह बुद्ध के उपदेश सुनना चाहते हैं तो अभी लाइक करें चलिए बिना किसी देरी के आगे बढ़ते हैं और कहानी शुरू करते हैं।


गौतम बुद्ध की कहानियाँ Pdf | Gautam Buddha Motivational Story In Hindi .

 एक बार गौतम बुद्ध एक नगर से गुजर रहे थे बुद्ध उस गांव में भिक्षा लेने गए थे। अपने शिष्यों के साथ गांव से भिक्षा लेकर वह अपने आश्रम की ओर निकल पड़ते हैं तभी रास्ते में उन्होंने एक छोटे बच्चे को देखा जो अपने घर के आंगन में खेल रहा था और उसकी मां कुछ काम कर रही थी।


 तभी उस बच्चे की मां ने बुद्ध को देखा उन्हें प्रणाम किया और फिर कहा आप रुकिए मैं आपके लिए कुछ लेकर आती हूं। बुद्ध ने उससे कहा मेरा पात्र भरा हुआ है मैं उतना ही लेता हूं जितना मेरे पात्र में आता है। इसलिए आज मैं कुछ नहीं ले सकता मैं कल फिर आऊंगा तुम मुझे कल दे देना बुद्ध ने उस बच्चे के सर पर हाथ रखा और वहां से चले गए।


 अगले दिन बुद्ध फिर उसी स्त्री के पास आए स्त्री बुद्ध को देखकर बेहद खुश हो गई और उन्हें एक पात्र में चावल भर कर देती है बुद्ध ने यह उपहार स्वीकार किया और उस स्त्री को कहा तुम्हारा धन्यवाद ऐसे ही कई दिन बीत गए जब भी बुद्ध उस गांव में जाते वह स्त्री हमेशा उन्हें भिक्षा में कुछ ना कुछ जरूर देती एक दिन जब बुद्ध उस स्त्री के पास भिक्षा लेने गए तो उन्होंने देखा कि वह स्त्री अपने बेटे को हिलाकर जगाने की कोशिश कर रही है और फुट फुट कर रो रही थी।


 देखने से ऐसा लग रहा था कि बच्चा बेहोश हो गया है बुद्ध ने स्त्री से पूछा बेटी यह क्या हुआ तुम्हारा बेटा बेहोश क्यों हो गया स्त्री ने बताया गुरुदेव मेरा बेटा कुछ दिनों से बीमार था। उसको तेज बुखार भी था मैंने गांव के वैद्य को भी दिखाया और इलाज शुरू किया लेकिन फिर भी मेरे बेटे की हालत ठीक नहीं हुई।


 अभी थोड़ी देर पहले मेरा बेटा चलते-चलते तेज बुखार की वजह से बेहोश हो गया बुद्ध ने लड़के का परीक्षण किया और समस्या को समझने के बाद बुद्ध ने उस स्त्री को कुछ जड़ीबूटी दी और कहा इसे चावल के बीच दबाकर रख देना और अपने बच्चे को इसका रस निकाल कर पिलाना इस तरह वह स्वस्थ बना रहेगा।


 स्त्री ने उस जड़ीबूटी को रख लिया और बुद्ध उसके बाद वहां से चले गए एक महीने बाद बुध श्रावस्ती में जाकर वह लोगों को उन पीड़ा  के बारे में उपदेश दे रहे थे जो सभी लोगों को प्रभावित कर रहे थे तभी उस सभा में एक स्त्री अपने बच्चे को अपने गले से लगाए बुद्ध के पास पहुंची और बच्चे को बुद्ध के चरणों में रखकर बोली।


 हे बुद्ध मौत क्या होती है उसकी पीड़ा क्या होती है यह आप मुझसे पूछो मैं एक विधवा हूं और अब मेरा बेटा मेरा पुत्र भी मुझे अब छोड़कर चला गया है। अपने बेटे की इतनी छोटी उम्र में मृत्यु किसी मां को ना देखनी पड़े मैंने आज तक बहुत दान किए कभी किसी का बुरा नहीं चाहा ना मैंने आज तक भगवान से कुछ मांगा लेकिन अब मेरे इस बेटे को देखिए वह अब ना तो रोता है ना हंसता हैश


 क्या आपने मुझे नहीं पहचाना बुद्ध ने उस बच्चे को अपनी गोद में उठाकर उस स्त्री से कहा तुम्हारा पुत्र बहुत ही सुंदर है मैंने तुम्हें कुछ जड़ी बूटियां दी थी क्या तुमने उसे नहीं पिलाया वह स्त्री बुद्ध के चरणों में गिरकर बोली हे बुद्ध मुझे माफ कर दें वह जड़ी बूटियां मैंने फेंक दी थी। मैं आप पर विश्वास नहीं कर पाई मुझे लगा कहीं वह जड़ी बूटियां मेरे पुत्र को हानि ना पहुंचा दे गांव के कुछ लोग भी आपको पाखंडी और ढोंगी बताते थे।


 बुद्ध ने उस स्त्री को कहा कि क्या अब तुम्हें मुझ पर विश्वास है स्त्री बोली हां बुद्ध मैं मेरे बेटे को ठीक करने के लिए हर जगह गई तब किसी ने मुझसे कहा कि आप बुद्ध के पास जाओ उस सब की समस्या को दूर कर तुम्हारी समस्या को भी जरूर दूर कर देंगे। हे बुद्ध आप मेरे बेटे को कृपया करके जीवित कर दें।

गौतम बुद्ध के प्रेरक कहानी | Gautam Buddha Motivational Story In Hindi 

गौतम बुद्ध की कहानियाँ Pdf 

 बुद्ध ने स्त्री से कहा जैसे जीवन सत्य है वैसे ही मृत्यु भी सत्य है उसे स्वीकार करना चाहिए। जीवन एक बहती हुई नदी की तरह है यह आगे बढ़ता है और इसके पथ को कुछ भी नहीं रोक सकता जिस तरह एक नदी समुद्र में जाके मिल जाती है। हमारी आत्मा को भी इस कुदरत में ही जाना है।


 स्त्री बोली हे बुद्ध आप मेरी वेदना नहीं समझ रहे हैं मैं एक विधवा हूं मेरे जीने का इकलौता सहारा मेरा पुत्र था और अब वह भी मुझे छोड़कर चला गया अब मैं किसके सहारे जिऊंगी। मुझे ज्ञान के बड़े उपदेश नहीं चाहिए मुझे केवल मेरा पुत्र चाहिए क्या आप उसे जीवित नहीं कर सकते क्या आप मुझ पर रहम नहीं करेंगे।


 बुद्ध बोले ठीक है मैं तुम्हारे बेटे को अवश्य जीवित कर दूंगा लेकिन उसके लिए तुम्हें सबसे पहले मेरा एक काम करना होगा तुम्हें जाकर किसी एक घर से मुट्ठी भर पीली सरसों के दाने लाने हैं। वो स्त्री कहती है ठीक है बुद्ध मैं अभी लेकर आती हूं। बुद्ध ने कहा रुको तुम्हें यह सरसों के दाने किसी ऐसे घर से लाने हैं जहां आज तक कोई मृत्यु ना हुई हो।


 उस स्त्री आंसू पोछ कर बोलती है। हे बुद्ध मैं अभी लेकर आती हूं वह अपने बेटे को लेकर दौड़ती हुई गांव की तरफ जाती है वहां उसने एक घर का दरवाजा खटखटाया गृहस्वामी बाहर आया उस स्त्री ने उस गृह स्वामी से एक मुट्ठी पीली सरसों के दाने मांगे उस स्वामी ने स्त्री को सरसों के दाने दे दिए।


 वह खुशी खुशी दाना लेकर जा रही थी कि तभी उसे याद आया कि बुद्ध ने ऐसे घर से दाने लाने के लिए कहा था जहां किसी की भी मृत्यु ना हुई हो स्त्री ने गृहस्वामी से पूछा क्या तुम्हारे घर में किसी की मृत्यु हुई है। स्वामी ने कहा हां कुछ दिन पहले मेरे पिता की मृत्यु हुई थी। स्त्री ने दान ने स्वामी को वापस कर किसी दूसरे घर पर जाने का फैसला किया दूसरे घर में जाकर उस स्त्री ने फिर से सरसों के दाने मांगे और पूछा कि क्या तुम्हारे घर में किसी की मृत्यु हुई है।


 आदमी ने कहा कि हां आज से 10 साल पहले मेरा पूरा परिवार बाढ़ में बह गया था। केवल मैं अकेला जीवित रह गया और अब मैं अकेले अपनी जिंदगी का बोझ उठा रहा हूं। उस स्त्री ने सोचा कि ऐसा घर कहां पर मिलेगा जहां पर किसी की मृत्यु ना हुई हो। लेकिन फिर भी उस ने कोशिश जारी रखी उस स्त्री ने हार नहीं मानी वह पूरे दिन सुबह से शाम तक पूरे गांव में घूमती रही।


 लेकिन उसे कोई भी ऐसा घर नहीं मिला जहां किसी की मृत्यु ना हुई हो वह स्त्री रोते-रोते अपने बेटे को गले से लगाकर बुद्ध के पास जा रही थी तभी उसे रास्ते में एक शमशान घाट दिखा उसने वहां जाकर अपने बेटे के लिए एक गड्ढा खोदना शुरू कर दिया वह गड्ढा खोदती जा रही थी और रोती जा रही थी।


 उसके बाद उसने काफी देर तक अपने बेटे को निहारा और उसका माथा चूमते हुए उसने फिर उसी गड्ढे में अपने बेटे को दफन कर दिया और अपने आंसू पोछ कर बुद्ध के पास आ गई बुद्ध उसी सभा में स्त्री का इंतजार कर रहे थे। वह बुद्ध के चरणों में गिरकर रोने लगी उसके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।


 वह बस रोती जा रही थी जिसे जीवन मिला है उसे मृत्यु भी अवश्य मिलेगी चाहे राजा हो या रंक युवा हो या कोई वृद्ध मृत्यु सभी को आनी है।। लेकिन अब तुम उसके अगले सफर के लिए उसे विदा करना होगा। वह स्त्री बुद्ध से बोली हे बुद्ध आप सच कहते हैं पहले मुझे ऐसा लग रहा था कि मृत्यु का दर्द केवल मेरे अंदर ही है।


 लेकिन फिर मैंने देखा कि दुनिया में लोग मुझसे भी ज्यादा पीड़ा और दुख का अनुभव कर रहे हैं। इस पर बुद्ध कहते हैं तुम्हारा बेटा कहीं नहीं गया है वह तुम्हारे आसपास ही है उसे महसूस करो यह परम सत्य है जब तक सृष्टि रहेगी दुख मनुष्य के साथ सा साथ चलता रहेगा और उसका कारण है।


 मनुष्य का खुद के साथ किसी को बांध लेना और जब तक वह रहेगा तब तक हमें दुख होता रहेगा और जब तक मोह रहेगा तब तक हमें दुख होता रहेगा। जब कोई वस्तु हमारे पास रहती है तो हमें उसकी कद्र नहीं होती लेकिन जैसे ही वह हमसे दूर चली जाती है उसके ना होने का एहसास हमारे अंदर गहरी पीड़ा बना देता है और हम दुखी हो जाते हैं।


 हम जीवन को होश में नहीं जीते इसीलिए मृत्यु होने पर हम रोते हैं छटपटाते हैं लेकिन उसे समझते नहीं हैं वह स्त्री बुद्ध से कहती है हे बुद्ध यह तो सभी को पता है। लेकिन इससे मुक्ति कैसे पाए बुद्ध ने कहा मुक्ति के लिए भी विवेक जगाना आवश्यक है शांत हुए बिना विवेक नहीं जा सकता जब तुम शांत होकर सोचोगे तब तुम्हें लगेगा कि मृत्यु परम सत्य है।


 तब तुम्हें लगेगा जैसे जन्म होता है वैसे ही मृत्यु भी जीवन का परम सत्य है सुख और दुख दोनों को होश में देखने के बाद तुम्हें अनुभव होगा कि यह दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और जब तुम्हारा मन इस चेतना से भर जाएगा। तब तुम यह जान और समझ पाओगी कि जन्म और मृत्यु मिलन और वियोग नहीं है।


 एक ही होते हैं वह स्त्री बुद्ध से बोली यह बुद्ध आपने मुझे एक नया रास्ता दिखाया है मुझे अब तक मेरे पुत्र के जाने के बाद अपना जीवन व्यर्थ लग रहा था। लेकिन अब मुझे जीवन का मोल समझ आ गया है जो रास्ता आपने मुझे दिखाया है अब मैं उसी पर चलूंगी।


 दोस्तों आपने आज के इस कहानी से क्या सीखा वह मुझे आप कमेंट में बता सकते हैं इसी के साथ में उम्मीद है कि आपको आज की वीडियो पसंद आई होगी तो इस कहानी को उस इंसान को शेयर करें जिससे यह कहानी सुनने की जरूरत है और उसी के ठीक बाद चैनल को सब्सक्राइब करें तो चलिए फिर मिलते हैं ऐसी एक और नई कहानी में एक नए मैसेज के साथ तब तक के लिए अपना ख्याल रखें।


 धन्यवाद और नमो बुद्धाय .

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