ज्यादा अच्छा मत बनो |गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी pdf
ज्यादा अच्छा मत बनो |गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी pdf | प्रेरणादायक कहानी |Motivational Story In Hindi.
गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी pdf = गौतम बुद्ध की कहानियां भले ही आज के समय में ना हो लेकिन उनकी कहानियां मानवीय भावनाओं से जुड़ी हुई हैं इसलिए वे आज भी हमारा मार्गदर्शन करती हैं यही कारण है कि बुद्ध की कहानियां अत्यंत लोकप्रिय हैं इसीलिए आज हम आपके लिए बुद्ध की एक ऐसी ही लोकप्रिय कहानी लेकर आए हैं हमें उम्मीद है कि आपको गौतम बुद्ध की यह कहानी बहुत पसंद आएगी ।
बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी pdf
एक बार एक इंसान महात्मा के पास आता है और कहता है। महात्मा मैं एक बहुत ही सीधा और अच्छा इंसान हूं 'मैं हमेशा ही सबकी सहायता करने की कोशिश करता हूं। सबको खुश रखने की कोशिश करता हूं।
लेकिन सब मेरा फायदा उठाते हैं और मेरा मजाक बनाते हैं' कोई भी मुझे गंभीरता से नहीं लेता यहां तक कि मेरे परिवार वाले भी मेरी इज्जत नहीं करते और ना ही घर के किसी महत्त्वपूर्ण काम में मेरी सलाह नाही लेते जबकि अपने तीनों भाइयों की तुलना में मैं सबसे ज्यादा काम करता हूं। घर वालों की बात भी मानता हूं 'मां-बाप की सेवा भी करता हूं लेकिन मेरी भावनाओं को कोई भी नहीं समझता है।
सब मेरा फायदा उठाते हैं आखिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है। उस व्यक्ति की पूरी बात ध्यान से सुनने के बाद महात्मा जी ने बोले किसने कहा कि तुम एक सीधे और अच्छे व्यक्ति हो असल में तो तुम एक अच्छे इंसान होने का दिखावा कर रहे हो। यह सुन उस इंसान को बुरा महसूस हुआ।
लेकिन वह फिर भी महात्मा की बात सुनता रहा महात्मा ने उससे पूछा अच्छा बताओ कि तुम हर इंसान की सहायता क्यों करना चाहते हो ? क्यों तुम सबको खुश रखने की कोशिश करते हो ?
उस व्यक्ति ने कहा ताकि सामने वाला मुझे भी खुश रखे मेरी बात माने मेरी इज्जत करें मेरी भावनाओं को समझे और मुझे एक अच्छा इंसान समझे महात्मा ने कहा बस यही तुम्हारी समस्या है कि तुम दूसरों को खुश रखने का प्रयास कर रहे हो।
ताकि वह भी तुम्हें खुश रखे तुम अपनी खुशी दूसरों के अंदर ढूंढ रहे हो तुम दूसरों की नजरों में अच्छा और खुद की तारीफ सुनने के लिए सामने वाली की जी हजूरी कर रहे हो 'और फिर उम्मीद कर रहे हो कि सामने वाला भी तुम्हारे साथ ऐसा ही व्यवहार करेगा तो ऐसा नहीं होता।
क्योंकि कोई भी ऐसे इंसान को गंभीरता से नहीं लेता जो लोगों की हर बात में हां में हां मिलाता है। अब मैं तुम्हें कुछ ऐसी आदतें बताता हूं जो लोग खुद को अच्छा मानते हैं। पहली आदत खुद को अच्छा मानने वाले लोग यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि वह लोगों का ख्याल रखते हैं।
उन्हें लोगों की चिंता है इसीलिए वह सबकी सहायता करने पहुंच जाते हैं फिर चाहे सामने वाले को उनकी मदद की जरूरत हो या ना होश दूसरी आदत खुद को अच्छा मानने वाले लोग दूसरों से खुद की तारीफ के भूखे होते हैं।
इसीलिए वह ज्यादातर मौकों पर वही काम करते हैं जिससे सामने वाला खुश हो और उनकी तारीफ करें अगर उन्हें लगता है कि किसी काम से सामने वाला व्यक्ति दुखी हो जाएगा तो वह उस काम को हाथ तक नहीं लगाते।
तीसरी आदत खुद को अच्छा मानने वाले व्यक्तियों को लगता है कि उन्हें अपनी कमियों और कमजोरियों को दूसरे लोगों से छुपाना चाहिए। क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर दूसरों को उनकी कमी और गलतियों के बारे में पता चल गया तो लोग उनका मजाक बनाएंगे उनकी बेइज्जती करेंगे उन पर दूसरे लोग गुस्सा होंगे और उन्हें एक कमजोर व्यक्ति मानेंगे।
प्रेरणादायक कहानी |Motivational Story In Hindi. |Gautam Buddha Motivational Story
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| गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी pdf |
चौथी आदत अच्छे व्यक्ति खुद की जरूरतों को सबसे ऊपर रखने से डरते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से ही दूसरे लोग उन्हें लालची समझेंगे और फिर वह लोगों की नजरों में एक अच्छे इंसान नहीं रह जाएंगे।
पांचवी आदत खुद को अच्छा समझने वाले लोग मानते हैं कि वह केवल तभी खुश रह सकते हैं। जब उनके आसपास का हर इंसान खुश रहे इसीलिए वह अपने आसपास के हर व्यक्ति को खुश रखने की कोशिश करते हैं। अब तुम्हें सुनने में लग सकता है कि इन आदतों में क्या बुराई है।
सबका भला करना तो अच्छी बात है 'लेकिन समस्या यह है कि खुद को अच्छा समझने वाले व्यक्ति असल में जैसे दिखते हैं वैसे होते नहीं यह अंदर से कुछ और ही होते हैं। क्योंकि वह अच्छा बनने के चक्कर में दूसरों की बुराई को भी छिपा देते हैं। सामने वाले व्यक्ति को कभी भी उसकी गलतियां नहीं बताते और केवल वही बोलते और करते हैं।
जिससे सामने वाला खुश रहे दूसरा अच्छे लोग अपनी जरूरतों और कामों को महत्व नहीं देते इसीलिए यह दूसरों से सीधे अपना काम करवाने से घबराते हैं। जिसकी वजह से यह दूसरे लोगों के साथ चालाकी करने की कोशिश करते हैं। अपने जरूरी कामों को करवाने के लिए भी जैसे कि सामने वाले की चापलूसी करना या फिर उसके किसी काम के बहाने अपना काम भी कर लेना।
तीसरा खुद को अच्छा मानने वाले लोग केवल पाने की उम्मीद से ही कुछ देते हैं। यह इस बात का दिखावा तो करते हैं कि यह लोगों की सहायता करना चाहते हैं। लेकिन यह सहायता सिर्फ इसीलिए करते हैं इन्हें अच्छा इंसान समझे और जरूरत पड़ने पर इनकी भी सहायता करें।
लेकिन अगर इन्हें सहायता के बदले सहायता नहीं मिलती तो यह गुस्सा हो जाते हैं। सामने वाले से अंदर ही अंदर नफरत करने लगते हैं और उससे बदला लेने का मौका ढूंढने लगते हैं।
चौथा खुद को अच्छा दिखाने वाले लोग दूसरों को मना नहीं कर पाते और दूसरों के काम करने के चक्कर में यह अपने और अपने परिवार के जरूरी कामों को भी पूरा नहीं कर पाते पांचवा अच्छे लोगों को लगता है। यह सभी उन्हें पसंद करें सभी इनसे प्यार करें जिससे दूसरे लोगों को इनका दोस्त बनने में दिक्कत होती है।
क्योंकि यह हर किसी के सबसे पसंदीदा इंसान बनना चाहते हैं यह सारी बातें सुनने के बाद उस व्यक्ति ने महात्मा से कहा तो आपके कहने ने का मतलब है कि हम एक अच्छे इंसान ना बने बल्कि एक बुरे इंसान बन जाए और लोगों का फायदा उठाए महात्मा ने कहा नहीं मैं तुम्हें बुरा इंसान बनने के लिए नहीं कह रहा लेकिन हां तुम्हें बहुत सीधा इंसान भी नहीं बनना अब मैं तुम्हें बताता हूं कि एक व्यक्ति को कैसा इंसान बनने का प्रयास करना चाहिए।
महात्मा ने कहना शुरू किया तुम्हें एक सीधा या दूसरों की नजरों में अच्छा इंसान बनने की तुलना में एक सुलझा हुआ इंसान बनने का प्रयास करना चाहिए। एक सुलझा हुआ इंसान वह होता है। जिसे सबसे अच्छा इंसान बनने का कोई शौक नहीं है वह जैसा है वैसा ही खुद को पसंद करता है।
वह जानता है कि वह एक इंसान है और उसमें बहुत सी कमियां हैं और वह अपनी कमियों को स्वीकार्यता भी है। एक सुलझा हुआ इंसान यह भी अच्छे से जानता है कि उसकी और उसके परिवार की कुछ महत्त्वपूर्ण जरूरतें हैं।
जिन्हें उसे ऊपर रखना होगा वरना उसके साथ-साथ उसके परिवार का जीवन भी परेशानियों में पड़ जाएगा हो सकता है कि उसकी ऐसी सोच की वजह से उसके आसपास के लोग उसके मित्र या रिश्तेदार उससे नाराज हो जाएं। लेकिन वह इसे भी स्वीकार है यहां पर बात स्वार्थी होने की नहीं बल्कि जीवन की सच्चाई को स्वीकारने की है।
क्योंकि तुम महात्मा नहीं हो कि तुम्हारी कोई इच्छा ही नहीं है। किसी से कोई उम्मीद नहीं है या कोई जरूरतें शेष नहीं रही तुम एक साधारण इंसान हो और एक साधारण इंसान की सोच के साथ अगर तुम सबको खुश रखने का प्रयास करोगे तो तुम हमेशा दुखी रहोगे।
क्योंकि तुम्हारी भी सामने वाले से उम्मीदें बढ़ेंगी और जब वह उम्मीदें पूरी नहीं होंगी तो तुम दुखी हो जाओगे इसीलिए जो इंसान यह कहता है कि मैं सबकी मदद करूंगा सबको खुश रखूंगा और मुझे बदले में किसी से कुछ भी नहीं चाहिए यहां तक कि अपनी तारीफ भी नहीं तो पहले उस इंसान को बुद्धत्व प्राप्त कर लेना चाहिए।
क्योंकि एक आत्म ज्ञान को प्राप्त व्यक्ति ही किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता पर क्योंकि आत्म ज्ञान को प्राप्त करना सबके बस की बात नहीं है। इसीलिए तुम्हें इस जीवन के सत्य को स्वीकारना होगा और दुखी होने से बचने के लिए एक सीधा इंसान बनने की बजाय एक सुलझा हुआ इंसान बनने का प्रयास करना होग
अब मैं तुम्हें बताता हूं कि एक सुलझे हुए इंसान में क्या-क्या विशेषताएं होती हैं पहली विशेषता यह है कि यह अपनी और अपने चाहने वालों की जरूरतों को ऊपर रखते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यह लोग दूसरों की जरूरतों को कम समझते हैं या फिर दूसरों को गिराकर खुद ऊपर बढ़ने की कोशिश करते हैं।
बल्कि इसका मतलब यह है कि यह लोग दूसरों की फालतू जरूरतों के लिए तब तक उपस्थित नहीं होते जब तक कि इनकी खुद की महत्त्वपूर्ण जरूरतें पूरी ना हो जाए हालांकि अगर कोई इंसान सच में मुसीबत में फंसा हुआ है और उसे इनकी सहायता की सख्त जरूरत है।
तभी अपने महत्त्वपूर्ण कामों को पीछे रखकर भी उसकी सहायता के लिए उपस्थित हो जाते हैं और यह अपने से कमजोर और ज जरूरतमंद लोगों की भी अपनी हैसियत के अनुसार सहायता करने के लिए तैयार रहते हैं।
यह बस अपना बेवजह शोषण नहीं होने देते और इस बात पर भरोसा रखते हैं कि अगर इन्हें सच में किसी की सहायता करनी है तो पहले इन्हें उसकी सहायता करने के लायक बनाना होगा और लायक वह सक्षम बनने के लिए इन्हें अपनी जरूरतों का भी ध्यान रखना होगा।
क्योंकि अगर एक व्यक्ति खुद ही बहुत ज्यादा बीमार है तो फिर वह दूसरे बीमार व्यक्ति की सेवा कैसे कर सकता है। एक सुलझा हुआ इंसान इस बात को मानता है कि हर इंसान की अपनी कुछ जरूरतें और इच्छाएं होती हैं। जिसका उसे ध्यान रखना चाहिए लेकिन खुद को अच्छा दिखाने वाला इंसान हमेशा यह दिखाने की कोशिश करता है कि उसकी अपनी कोई जरूरतें या इच्छाएं नहीं हैं।
इसीलिए वह हमेशा दुखी रहता है दूसरी विशेषता एक सुलझा हुआ इंसान इस बात को अच्छे से जानता है कि वह अपने आसपास के हर इंसान को खुश नहीं रख सकता इसीलिए वह केवल उसी व्यक्ति को खुश रखने का प्रयास करता है जो उसके लिए मायने रखते हैं जो सच में उससे प्यार करते हैं।
उसकी परवाह करते हैं लेकिन अगर उसकी बहुत कोशिश करने के बाद भी सामने वाला उससे दूरी बनाने का प्रयास करता है। उससे खुश नहीं रहता या फिर उसके साथ सहज महसूस नहीं करता तो फिर एक सुलझा हुआ इंसान ऐसे व्यक्ति से दूरी बनाने से भी पीछे नहीं हटता फिर चाहे वह उसका कोई परिवार जन सगा संबंधी या फिर दोस्त क्यों ना हो ?
क्योंकि वह किसी से जबरदस्ती नहीं कर सकता सिर्फ उसे खुश रखने या सामने वाले की नजरों में अच्छा इंसान बनने के लिए इस तरह वह खुद को बेवजह दुखी होने से बचा लेता है लेकिन जो अच्छा होने का दिखावा करते हैं। वह सबको खुश करने के चक्कर में अपने जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण इंसान को ही दुखी कर बैठते हैं जो कि वह खुद है।
तीसरी विशेषता एक सुलझा हुआ इंसान वैसा जीवन जीने का प्रयास करता है जैसा वह जीना चाहता है। वह सिर्फ किसी दूसरे को खुश करने के लिए अपने जीने का तरीका नहीं बदलता इसका मतलब यह नहीं है कि उनके जीने का तरीका ऐसा है।
जिससे लोगों को समस्या हो वह बस दूसरे क्या कहेंगे इस चक्कर में अपना मन मार कर नहीं रहता और खुलकर पूरे जोश और उत्साह के साथ अपना जीवन जीता है उसे अपनी पसंद नापसंद पता होती है। इसीलिए वह वही करता है जिसमें उसे खुशी मिलती है उसे अच्छे से पता होता है कि वह कौन है।
उसे अपने आप पर भरोसा होता है इसीलिए उसे किसी इंसान की छोटी चापलूसी करके खुद को अच्छा दिखाने या खुद की तारीफ सुनने की जरूरत नहीं होती महात्मा जी ने आगे कहा अगर तुम अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हो तो अपने आप से दो प्रश्न पूछो पहला क्या मैं अपने लिए वह जिंदगी बना रहा हूं ?
जो मैं असल में अपने लिए चाहता हूं और दूसरा अगर मैं नहीं बना रहा तो क्यों नहीं बना रहा हूं जब तुम इन दोनों सवालों के बारे में गहराई से विचार विमर्श करोगे तब तुम जान पाओगे कि तुम अपनी मनचाही जिंदगी सिर्फ इसलिए नहीं बना पा रहे हो क्योंकि तुम दूसरों के सामने अच्छा ब बनने का प्रयास कर रहे हो।
जिसकी वजह से तुम अपनी इच्छाओं और जरूरतों को प्राथमिकता नहीं देते हो और दूसरों को ही खुश करने में लगे रहते हो। इसीलिए अगर तुम एक खुशहाल और मन चाहे जिंदगी जीना चाहते हो तो एक सुलझा हुआ इंसान बनने का प्रयास करो ना कि सीधा इंसान इतना कहकर महात्मा मौन हो गए।
व्यक्ति को भी अब समझ आ चुका था कि उसे एक सुलझा हुआ इंसान बनना है ना कि सीधा उसने इतनी अमूल्य जानकारी के लिए महात्मा का धन्यवाद किया और वहां से चला गया दोस्तों मैं उम्मीद करता हूं कि इस कहानी से आपको जरूर कुछ सीखने को मिला होगा ।

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