कभी हार मत मानना | प्रेरणादायक कहानियाँ

 कभी हार मत मानना | प्रेरणादायक कहानियाँ | Hindi Stories In Hindi 


एक बार की बात है एक बादशाह ने अपनी प्रजा के लिए एक मुकाबला आयोजित किया उन्होंने एक अजीबोगरीब चुनौती पेश करके लोगों को हैरान कर दिया उन्होंने कहा कि जो भी आदमी एक भैंस को अपनी पीठ पर उठा लेगा उसे बादशाह 10000 सोने के सिक्के इनाम में देंगे। 


 10000 सोने के सिक्के एक बहुत बड़ी रकम थी कुछ लोग तो यह सुनकर हंस पड़े कि ऐसा कैसे मुमकिन है और कुछ लोगों ने किस्मत आजमाने और मुकाबले में हिस्सा लेने का फैसला कर लिया पूरी रियासत से बेशुमार पहलवान और नौजवान जो अपने आप को बहुत ताकतवर समझते थे।


 वे मुकाबले में हिस्सा लेने के लिए बादशाह के महल में पहुंचने लगे हर कोई अपनी किस्मत और ताकत को आजमाना चाहता था। लेकिन भैंस को उठाना कोई आम बात नहीं थी कोई भी कामयाब नहीं नहीं हो पाया बादशाह भी खुश था कि उसने लोगों को ऐसी चुनौती दी है जो किसी से भी पूरी नहीं हो पा रही कोई भी मुकाबले को जीत नहीं पा रहा था।


 एक दिन एक नौजवान लड़का बादशाह के दरबार में आया और बोला बादशाह सलामत मैं आपकी चुनौती को स्वीकार करता हूं। लेकिन मुझे इसके लिए कुछ समय चाहिए मैं ठीक दो साल और 11 महीनों के बाद मैं भैस अपनी पीठ पर उठाकर आपके दरबार का चक्कर लगाऊंगा।


 बादशाह यह सुनकर हैरान तो हुआ लेकिन उसने उस नौजवान को इजाजत दे दी दरबार में मौजूद सभी लोग उस नौजवान का मजाक उड़ाने लगे। वे बोले अभी तो तुम कुछ नहीं कर सकते दो साल 11 महीनों के बाद में क्या कर लोगे।


 लेकिन वह नौजवान शांत रहा और अपने घर वापस चला गया ठीक दो साल 11 महीनों के बाद वह आदमी भैंस को अपने कंधों पर उठाकर बादशाह के दरबार में दाखिल हुआ बादशाह का तख्त मानो कांपने लगा। दरबार में मौजूद हर आदमी की आंखें हैरत से फटी रह गई।


 उस नौजवान ने बादशाह के दरबार का चक्कर लगाया बादशाह ने उस नौजवान को अपने पास बुलाया और कहा मैंने तो बस लोगों का मजा उड़ाने के लिए यह चुनौती दी थी। मुझे यकीन नहीं था कि ऐसा कोई कर पाएगा।

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प्रेरणादायक कहानियाँ 

 लेकिन तुमने यह कैसे कर लिया उस आदमी ने कहा बादशाह सलामत मेरे उस्ताद ने मुझे दो बातें सिखाई थी। पहले जब चुनौती बहुत बड़ी हो बहुत मुश्किल हो बिल्कुल नामुमकिन लगे तो उसे इतना छोटा बना दो कि वह तुम्हें बिल्कुल आसान लगने लग जाए।


 और दूसरी बात उस मकसद को हासिल करने के लिए एक दिन भी बर्बाद किए बिना सख्त मेहनत करते रहो जब तक अपने मकसद को हासिल ना कर लो उसने आगे कहा जब मैं आज से दो साल 11 महीने पहले आपके दरबार से गया था तो घर जाकर मैंने भैंस का एक छोटा सा बच्चा लिया जिसे मैं आसानी से अपने कंधे पर उठा सकता था।


 हर रोज मैं उस भैंस के बच्चे को अपने कंधे पर उठाकर गांव के चक्कर लगाता था। धीरे-धीरे वह भैंस बड़ी होती गई और मेरी ताकत भी बढ़ती गई मेरे दिल में उस भैंस को उठाने के ख्याल से कोई डर नहीं आता था। क्योंकि यह भैंस मेरे लिए आज भी उस छोटे से बच्चे की तरह ही है।


 दोस्तों इस कहनी से हमने सीखा कि काम कितना भी बड़ा हो अगर हम उसे छोटे-छोटे लक्ष्यों में बांटते हैं तो किसी भी बड़े काम को आसानी से पूरा किया जा सकता है। लगातार प्रयास करते रहिए और मेहनत करते रहिए कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता  है।

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