ध्यान करने के सही विधि | Meditation In Hindi

 ध्यान करने के सही विधि | Meditation In Hindi 


ध्यान करने के सही विधि

दोस्तों अगर ध्यान में प्रवेश करना है तो आपको प्रत्येक दिन अपने ध्यान में बदलाव लाने होंगे यानी जैसे-जैसे आपके शरीर में बदलाव आएंगे और आपके सांस लेने की गति में स्थिरता आएगी वैसे-वैसे आप ध्यान की गहराई में जाना शुरू हो जाओगे।


 आप जितना भी समय ध्यान में बिताते हैं उसके प्रभाव अगर आपकी बॉडी यानी शरीर पर आ रहे हैं तो आपका ध्यान बिल्कुल सही दिशा में है। लेकिन अगर आप बहुत ही लंबे समय से ध्यान करने का प्रयास कर रहे हैं।


 उसके बावजूद भी आपको ध्यान में कोई आनंद महसूस नहीं हो रहा और आप ध्यान करते-करते अपने ही विचारों में खो जाते हो कभी आपका ध्यान में मन ही नहीं लगता तो ऐसा आपके साथ क्यों हो रहा है।


 क्योंकि आप लोगों को कभी भी ध्यान की टेक्निक्स बताई नहीं जाती है आप लोग केवल अपनी आंखें बंद कर लेते हो और ध्यान में जाने का प्रयास कर लेते हो ऐसे तो आप लोग सालों साल ध्यान के अनुभव नहीं कर पाएंगे। 


 इसीलिए बिल्कुल सिंपल मेथड आपको मेडिटेशन के करने होंगे और एक नहीं 10 से अधिक टेक्निक्स आपको ध्यान में जाने की अपनानी होगी उनमें से कोई एक टेक्निक्स आपके लिए काम कर जाती है।


 क्योंकि सभी का शरीर एक जैसा नहीं होता है कभी आपने यह सोचा है कि जब आप ध्यान करते हो तो आपके शरीर में चलने वाले सांस आपका ध्यान समाधि तक बिल्कुल सरलता से कैसे पहुंच जाते हैं लेकिन ध्यान करने का जो सबसे बड़ा नियम है।


 वह है समय अगर आप ध्यान करने का सही समय नहीं चुन पा रहे हैं तो ध्यान में काफी कठिनाइयां आपके साथ में हो सकती है और बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो बड़े ही लंबे समय से ध्यान करते आ रहे हैं।


 लेकिन अभी तक उनका ध्यान उन्हें गहराई के अनुभव नहीं करा रहा है ऐसी स्थिति में आपको आवश्यकता पड़ती है कुछ नया अपनाने की जो हम आपको आज इस कहानी में बताएंगे हम आपको बताएंगे कि कैसे आप ध्यान में बड़ी सरलता से प्रवेश कर सकते हो।


 लेकिन यह जो विधि है उसके नियम भी हम आपको बताने वाले हैं और साथ ही इस ध्यान विधि को करने से आपके शरीर में पहले दिन से ही ध्यान के अनुभव आपको प्राप्त हो सकते हैं। लेकिन यह विधि आपको 10 दिन लगातार करनी होगी ध्यान करने से पहले आपको अपने सांसों को पहचानना होगा।


 आप लोग हैरान हो जाओगे इस बात को सुनकर कि आपकी सांसें आपको ध्यान से समाधि तक ले जा सकते हैं अगर आप निरंतर सांसों की विधि का प्रयोग अपने ध्यान में करते हैं तो आपका ध्यान आपके जीवन को बदल सकता है। आइए सबसे पहले हम जानते हैं कि आपका शरीर जिसमें 72000 नाड़ना आपके शरीर में रक्त संचार और सांस को सही रूप से आपके शारीरिक अंगों तक पहुंचती है।


 लेकिन अगर हमारी यह नाणिज है तो हमें ध्यान में काफी कठिनाइयां महसूस हो सकती है और 72000 नाड़ियों का ध्यान में बहुत बड़ा बलिदान होता है। क्योंकि ध्यान में आपके शरीर का रक्त संचार बिल्कुल सही दिशा में जाना चाहिए और आपकी सांस भी सही रूप में चलनी चाहिए।


 एक गहरी और लंबी ली हुई सांस आपके पूरे शरीर में फैलती है अगर आप अपने ध्यान में सांस को महसूस कर लेते हैं कि यह सांस कैसे आपके पूरे शरीर में भ्रमण कर रही है तो उसी दिन से आपकी ध्यान में यात्रा करने की शुरुआत हो जाती है और इस यात्रा को करने के लिए आपको अपने सांसों के साथ जुड़ना होगा।


 आपको गहरे ध्यान में जाने के लिए अपने सांसों का सहारा लेने की आवश्यकता है जब आपकी सांस आपकी इड़ा नाड़ी और पिंगला नाड़ी से होते हुए यानी आपके नाक के दाएं और बाएं छेद से जो सांस आपके शरीर में जाती है।


 आपको वहीं से अपनी सांसों के साथ जुड़ जाना है यही 10 दिन का प्रयास आपको करना होगा कि आप अपने सांसों के साथ जुड़ सके और अपने शरीर के हर उस अंग को महसूस कर सके जहां पर आपकी सांस पहुंच रही है।


 अब सबसे पहले बात आती है सही मुद्रा में बैठने की ध्यान में बैठने के लिए आपको सुखासन मुद्रा का इस्तेमाल करना चाहिए या फिर अगर आपकी पीठ में दर्द रहता है या किसी भी प्रकार की कोई समस्या है जिसकी वजह आपकी पीठ में दर्द बनता है तो आप इस ध्यान को लेट कर भी कर सकते हैं।


 केवल एक बात आपको याद रखनी होगी कि जब आप अपने ध्यान में प्रवेश करना चाहते हैं और ध्यान की शुरुआत करते हैं तो आपकी रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए।


 क्योंकि जब आपके शरीर में सांस अंदर की तरफ जाती है तो आपके शरीर में सीधी प्रवेश करती है और सीधा आपके मूलाधार चक्र के पास जाकर टकराती है वहां पर एक ऊर्जा पैदा करती है जो ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी यानी आपकी रीढ़ की हड्डी के पास एक ऐसी नाड़ी है।


Meditation In Hindi 


 जिसके अंदर एक लिक्विड भरा हुआ है यानी उस लिक्विड को शारीरिक ऊर्जा भी कहा जाता है और इस नाड़ी की शुरुआत आपके मूलाधार चक्र से होती है और जब आपकी सांस इस नाड़ी के ऊपर प्रेशर डालती है तो सु चमना नाड़ी के अंदर का लिक्विड ऊपर की तरफ चला जाता है और जब यह लिक्विड ऊपर की तरफ उठता है तो आपका ध्यान अपने आप ही गहरा होता चला जाता है यह तो हो गया कि कैसे यह विधि आपके लिए काम करेगी जो अब हम आपको बताने जा रहे हैं।


 ध्यान में प्रवेश करना है तो 10 दिन का अभ्यास आप लगातार कीजिए आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब आपका ध्यान में अचानक ही प्रवेश हो गया अब आपको पहले पांच दिन ध्यान के दौरान अपने शरीर की आवाजों को महसूस करना है।


 यानी जब आप ध्यान करते हो तो आपको अपने शरीर के भीतर जो भी हलचल महसूस होती है इस हलचल को आपको केवल महसूस करते रहना है। उसे ध्यान के दौरान बंद आंखों से देखने का प्रयास करना है।


 यानी आपको अंतर्म होकर अपने शरीर के भीतर होने वाली हलचल को पकड़ना है आपको इस दौरान अपने दिल की धड़कन महसूस होगी उसकी आवाज से आप सुनते रहे और उसके बाद आपको अपने शरीर के किसी भी अंग में अगर कोई हलचल महसूस हो रही है तो उसे अंदर ही अंदर देखते रहे और महसूस करते रहे जैसे कि जिस शरीर के हिस्से में चिटियों का काटना वाइब्रेशन होना और काफी व्यक्तियों को तो अपने पेट से आवाज आती हुई महसूस होती है तो जो भी आपके साथ में ध्यान की स्थिति में हो रहा है।


 केवल उसे महसूस करते रहे लेकिन इस दौरान कोई भी विचार आपके मन में नहीं आना चाहिए केवल आप ध्यान में ऐसा विचार रखें कि आप अपने शरीर को बंद आंखों से देख पा रहे हैं और कुछ समय बाद आपका ध्यान अपने आप ही आपकी सांसों पर आ जाएगा और फिर लगातार कुछ समय अपनी सांसों को महसूस करते रहे कि कैसे यह सांस आपके शरीर में प्रवेश कर रही है और कैसे शरीर से बाहर की ओर जा रही है।


 आप अपना ध्यान अपनी नाक पर भी लगा सकते हैं और अपनी नाभी पर भी बेहतर होगा कि आप सांस को अपने शरीर में खींचते समय अपना ध्यान अपनी नाभि पर रखें और सांस को छोड़ते समय अपना ध्यान आप अपनी नाक पर पर रखें ऐसा करने से आपका सांसों के साथ शांत रूप से संपर्क बनना शुरू हो जाएगा आपकी नाक में दो छेद हैं।


 जहां से आपकी सांस अंदर की तरफ यानी आपके शरीर में जाती है केवल आपको इस मार्ग से ध्यान में प्रवेश करना है इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना होगा कुछ समय बाद आपको अपनी सांसों की आवाजें अपने कानों में सुनाई देना शुरू हो जाएगी और फिर आप अपना ध्यान अपने कानों पर ले आए और पूरे ध्यान के अनुसार अपनी सांसों की आवाज को सुनते रहे।


 लेकिन किसी भी प्रकार का कोई विचार आपके मन में ना आए इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना है केवल अपनी सांसों की आवाज आप सुनते रहे और जैसे-जैसे आपकी सांस आपके शरीर में जा रही है और बाहर आ रही है और उससे जो भी आवाज आपको सुनाई दे रही है केवल उसे सुनते सुनते आप अपने ध्यान में जाने का प्रयास करें।


 यानी अपने शरीर को ढीला छोड़ना शुरू कर दीजिए आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आपका शरीर ढीला होता रहेगा वैसे-वैसे आपका शरीर स्थिर अवस्था में जाना शुरू हो जाएगा सबसे पहले आपके पास आपका पेट आपकी दोनों बाजू य सुन्न पढना शुरू हो जाएगी।


 उसके बाद आपका पूरा शरीर शन अवस्था में चला जाता है और जो भी हिस्सा आपके शरीर का अगर अभी भी शून्य नहीं हो पाया है क्योंकि ऐसे कुछ अंग रह जाते हैं जो पूर्ण रूप से सुन्न अवस्था में नहीं आ पाते जो केवल उसी हिस्से पर आपको अपना ध्यान ले जाना है और उसे महसूस करते रहना है।


 आप देखेंगे कि कुछ समय बाद वह शरीर का हिस्सा भी अचानक ही सुन्न हो चुका है तो सबसे पहले और पांचवें दिन तक आपको यही अभ्यास करना है जब आप लगातार इसी अभ्यास को पाच दिन करेंगे।


 यानी सबसे पहले आपके शरीर में होने वाली हलचल को महसूस करना अपने शरीर की आवाजों को सुनना और अपने शरीर को ढीला छोड़ते चले जाना अगर आप ऐसा करेंगे तो पा दिन के भीतर ही आपके शरीर में और आपके ध्यान में जो अनुभव आपको आएंगे वह बड़े ही लाजवाब होंगे।


 इसके बाद आपको अगले पाच दिन का प्रयास करना है अब जो मैं बताने जा रहा हूं आपको ऐसा करना है सेम वही प्रोसेस पाच दिन करने के बाद छठे दिन जब आपका शरीर स्थिर अवस्था में आना शुरू हो जाए तो आपको महसूस होगा।


 ध्यान में विचारों की संख्या काफी हद तक बढ़ रही है जो कि ऐसी स्थिति में आपका ध्यान अपने आप ही आपकी आज्ञा चक्र पर चला जाता है जिसकी वजह से आपको अपने सर के नीचे का हिसाब महसूस ही नहीं होता यह ऐसी अवस्था होती है जिसमें आपके मन में बड़ी उत्सुकता जागती है।


 आपके मन में हमेशा यही रहेगा कि मैं ध्यान में प्रवेश करने वाला हूं अब मैं ध्यान में जाने वाला हूं मुझे जो भी ध्यान में दिखाई दे रहा है मुझे इसके अंदर प्रवेश करना है। मैं ध्यान में चला जाऊंगा तो यह सब कुछ विचार आपको अपने मन में नहीं लेकर आने हैं।


 क्योंकि यहीं से आपका मन आपको भ हटने का पूर्ण प्रयास करता है। आपको बिल्कुल निर्विचार होकर बैठना है और किसी भी प्रकार का कोई बुरा विचार अपने मन में लेकर नहीं आना है आपको यह महसूस ही नहीं करना है कि आप ध्यान की अवस्था में बैठे हुए हैं और आप ध्यान में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे हैं।


 इन बातों को जब तक आप नहीं भूलोगे तब तक आप ध्यान में प्रवेश नहीं कर पाओगे तो सबसे पहले बात आती है कि आपको अपने भीतर से उत्सुकता को नष्ट करना होगा और वह कैसे होती है आइए जानते हैं।


 इसके लिए आपको फॉर्मेशन की आवश्यकता पड़ती है यानी आपको अपनी ध्यान में यह बोलना है कि मुझे कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है सब कुछ मेरे पास पहले से ही मौजूद है मैं केवल अब यहीं पर हूं जो मुझे ध्यान में दिखाई दे रहा है मुझे कुछ भी इससे आगे का रहस्य नहीं जानना है।


 मैं आज भी अच्छा हूं मैं कल भी अच्छा रहूंगा मुझे तो बस जो यह अंधेरा अपने ध्यान में दिखाई दे रहा है केवल इस सी के अंदर प्रवेश करना है और इसे पहचानना है कि यह कहां तक जा रहा है यह रास्ता कितना लंबा है।


 केवल मुझे यही पहचानना है यह बात आपको ध्यान के दौरान अपने मन ही मन दोहरा है और जब आप ऐसा करेंगे तो आपके अंदर से उत्सुकता काफी हद तक कम होने लगेगी और जब आपके शरीर से आपके मन से यह उत्सुकता कम हो जाती है तो आप खुद ध्यान में प्रवेश कर जाते हो।


 क्योंकि जब आप अपने शरीर से अपना ध्यान दूर ले जाते हो और इस ब्रह्मांड से दूर ले जाते हो अपने घर से दूर ले जाते हो तो आप ध्यान में गहरा प्रवेश करना शुरू कर देते हो यह बड़ी ही रहस्यमय बात है।


 आप इस विधि को दोहरा करर जरूर देखना 10 दिन के बाद जो भी अनुभव आपको आए आप कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें साथ ही चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलें।

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