स्वामी विवेकानंद स्टोरी इन हिन्दी | Swami Vivekananda Story

 


स्वामी विवेकानंद स्टोरी इन हिन्दी | Swami Vivekananda Story 


 स्वामी विवेकानंद स्टोरी इन हिन्दी = दोस्तों आज हम जिस किताब के बारे में बात करने जा रहे हैं। यकीन मानिए यह किताब आपकी पूरी तरह से जिंदगी बदलने की ताकत रखती है हम बात करने जा रहे हैं। स्वामी विवेकानंद द्वारा लिखी गई किताब कर्म योग के बारे में यह किताब इतनी पावरफुल है कि बड़े-बड़े सफल लोग इसे पढ़ने के लिए कहते हैं। यह एक पतली सी किताब है लेकिन बड़ी कमाल की है इस किताब का मकसद यह है कि व्यक्ति यह सच्चाई जान ले की इंसान अपनी तकदीर खुद बनाता है लेकिन कैसे बनाता है। यही इस किताब के एक छोटे से सारांश के माध्यम से जानेंगे तो चलिए जानते हैं।


स्वामी विवेकानंद स्टोरी इन हिन्दी | Swami Vivekananda Story .


 स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि इंसान की तकदीर बनाने वाली जो रत्न है सिर्फ वह एक चीज है। हमारा विचार स्वामी जी लिखते हैं हमारे विचारों में इतनी ज्यादा शक्ति होती है कि हम जिन मजबूत विचारों को लंबे समय तक अपने दिमाग में रखते हैं।


 वे वास्तविक रूप में साकार हो जाते हैं और उन्हीं विचारों से हमारे तकदीर बनती है। स्वामी जी कहते हैं इस अटल सत्य को हमेशा के लिए याद कर ले जैसे आपके विचार होंगे वैसी ही आपकी तकदीर होगी वैसा ही आपका जीवन होगा।


 अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इंसान के दिमाग में हर दिन बहुत सारे विचार आते हैं तो क्या यह सब विचार मिलकर हमारी तकदीर बनाते हैं। स्वामी विवेकानंद कहते हैं नहीं हमारी तकदीर बनाने में सबसे ज्यादा महत्व उस विचार का होता है जो हमारे दिमाग में सबसे मजबूत और स्थाई विचार होता है।


 आप अपने दिमाग की शक्ति को कभी कम ना समझे यह इतना ज्यादा शक्तिशाली है कि इसकी बदौलत मनुष्य कुछ भी कर सकता है तो चलिए एक उदाहरण से समझते हैं। आप लोगों ने अमेरिका के सबसे लोकप्रिय नेता और अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के बारे में तो जानते ही होंगे।


 अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 189 को अमेरिका के कुंट की में एक गरीब अश्वेत परिवार में हुआ था उनके पिता एक किसान थे बचपन में लिंकन साहब को पढ़ने का बहुत शौक था। वह बहुत मन लगाकर कोई किताब पढ़ते थे।


 जब वह छोटे थे तब उस समय अमेरिका में गुलामी और दास प्रथा का दौर था अमेरिका के गोरे लोग दक्षिणी राज्यों के बड़े खेतों के मालिक थे और वह अफ्रीका से काले लोगों को अपने खेतों में काम करने के लिए बुलाते थे और उन लोगों को दास के रूप में रखकर अपना गुलाम बना लेते थे।


 यह गोरे लोग इन अश्वेत लोगों से काफी मेहत वाला काम कराते थे इन लोगों का जीवन बहुत खराब था लिंकन साहब अपनी एक किताब में लिखते हैं कि हम लोगों के जैसे ही इन काले लोगों को यह गोरों लोग कीड़े मकोड़े जैसे समझते थे।


 अश्वेत लोगों की ऐसी दुर्दशा देखकर मैं रोने लगता था मेरे मन में सिर्फ एक ही सवाल उठता था कि हमारे जैसे इन असहाय लोगों को कोई मदद क्यों नहीं करता है ? क्या अश्वेत लोग इंसान नहीं होते हैं लिंकन साहब कहते हैं।


 उस समय मेरा उम्र 18 साल का था अश्वेत लोगों की ऐसी दुर्दशा देखकर मैं व्याकुल हो जाता मेरे मन में यह सब दृश्य घर कर गया था। मैं हमेशा सोचने लगा कि मनुष्य के प्रति मनुष्य के इस घटिया सोच को कैसे खत्म किया जा सकता है।


 मैं हमेशा इसी के बारे में सोचता था कि इस घटिया मानसिकता वाले लोगों को कैसे सुधारा जा सकता है यह विचार मेरे जीवन का उद्देश्य बन गया था इसके लिए मैं कुछ भी कर सकता था। मैंने काफी मेहत किया और पढ़ाई करके वकील बन गया इसके बाद धीरे-धीरे अपने लोगों के समक्ष जाने के बाद पता चला कि अश्वेत लोगों को तो कोई अधिकार प्राप्त ही नहीं है।


 जबकि लोगों को सभी अधिकार प्राप्त है फिर से मेरे मन में यह भेदभाव की खाई घर कर गया मैं अपने मन में थान लिया कि मैं इसे खत्म करके ही रोकूंगा लिंकन साहब कहते हैं। यह राष्ट्रपति तक का सफर तय करने में मुझे बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ा।


 इसके बावजूद भी मेरे मन में सिर्फ एक ही बात याद थी और व थी इन गोरों लोगों से काले लोगों को मुक्त कराना सभी को बराबरी का हक दिलाना है। इसके बाद 1860 में मैं अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बना राष्ट्रपति बनने के दो साल बाद  के जीवनी पूरे विस्तार से चाहिए तो आप लोग कमेंट जरूर करें।

अब्राहम लिंकन और स्वामी विवेकानंद की कहानी 

Swami Vivekananda Story


 अब आप लोग ही सोचिए एक छोटा सा सकारात्मक विचार एक गरीब किसान के बेटा को अमेरिका जैसे देश के राष्ट्रपति बना सकता है तो आप लोग क्या कुछ नहीं कर सकते हैं। इसलिए स्वामी विवेकानंद कहते हैं।


 जैसा इंसान अपने दिमाग में सोचता है वैसा ही वह बन जाता है अगर आप अपने जीवन को बदलना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने विचारों को बदलना होगा जब तक आप अपने विचारों को नहीं बदलेंगे।


 तब तक आपका जीवन नहीं बदल सकता है चलिए एक और उदाहरण से समझते हैं आप लोग जानते ही होंगे एक पौधा को उगाने के लिए सबसे जरूरी चीज क्या होता है सबसे जरूरी चीज बीज होता है क्योंकि बीज से ही पौधा उगता है बीज के बिना कोई पौधा पैदा नहीं हो सकता है।


 स्वामी जी कहते हैं इसी तरह विचार मन की बीज है जिसके बिना स्क्रम विचार का पौधा नहीं उग सकता है और उस विचार से उत्पन्न कर्म करने का फूल नहीं खिल सकता जब तक कोई बीज नहीं होगा तब तक कोई पौधा नहीं उगेगा।


 इसलिए स्वामी जी कहते हैं सबसे पहले विचार आते हैं उसके बाद में काम आता है सरल भाषा में सम तो आपके मन में कोई विचार आता है तभी तो आप उस विचार के अनुरूप काम करते हैं यानी विचार बीज है और काम उस बीज से उत्पन्न हुआ पौधा है और कर्म के इस पौधे से जो फल उत्पन्न होते हैं।


 वे फल है दुख और सुख विवेकानंद जी कहते हैं इस तरह हम देख सकते हैं कि मनुष्य अपने दिमाग में जिन विचारों के बीच बोता है वह उसी के अनुसार फल है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने अपने दिमाग में किस तरह की बोय है।


 अगर आप कोई सकारात्मक बीज बोए है तो आपका फल भी अच्छा ही मिलेगा अगर अपने मन में बुरे बीज बोए है तो बुरा ही परिणाम मिलेगा इंसान अपना तकदीर खुद ही बनाता है और अपना तकदीर खुद ही मिटाता है।


 विचारों के इस फैक्ट्री में आप जैसा हथियार बनाएंगे उसका परिणाम वैसा ही होता है मनुष्य इस फैक्ट्री में एक ऐसा हथियार बनाता है जो उसे नष्ट कर देते हैं दूसरी ओर वह ऐसे औजार भी बनाता है जो उसके लिए सुख शांति के मेहल खड़ा कर देता है स्वामी जी कहते हैं।


 इंसान का दिमाग एक बगीचे की तरह होता है वह बगीचा किस तरह से वृद्धि कर रहा है यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसकी देखभाल कैसे करते हैं इस बगीचे को या तो समझदारी से देखभाल करते हैं या उसको ऐसे ही अनियंत्रित तरीके से बढने के लिए उसके ही हाल पर छोड़ देते हैं।


 स्वामी जी कहते हैं मनुष्य को भी अपने दिमाग के इस बगीचे को हमेशा देखभाल करनी चाहिए उसमें से सभी गलत विचार और अशुद्ध विचारों को खरपतवार की तरह उखाड़ कर फेंक देना चाहिए हर सफल इंसान आज जहां भी है।


 जिस मुकाम पर है अपने विचारों की वजह से ही है उसने अपने चरित्र में जो विचार बनाए हैं वे ही विचार उसको वहां लेकर गए हैं अगर आप अपने जीवन में अच्छी चीजें चाहते हैं तो बुरे विचार को ना सोचे और अगर भूल से कोई बुरा विचार आपके मन में भटकता हुआ आ भी जाए तो उसे वहां जड़े जमाने और लंबे समय तक रहने की अनुमति बिल्कुल नहीं देना है।


 अब आप कहेंगे कि इस विचारों को कैसे रोके जब बुरे विचार आए तो आप अपनी मनपसंद के कोई काम करने लग जाए अच्छे विचारों और अच्छे कर्मों का कभी बुरे परिणाम नहीं होता है विवेकानंद जी कहते हैं जो व्यक्ति दुर्भावना आलोचना शंका और ईर्ष्या के विचारों में लगातार जी रहा है।


 वह व्यक्ति अपने आप को जेल बनाकर खुद को कैद कर रहे हैं लेकिन इन सबके बारे में अच्छा सोचना सबसे अच्छा व्यवहार करना और सभी चीजों में अच्छाई खोजना इस तरह के निस्वार्थ विचार स्वर्ग के द्वार है जिन लोगों के जीवन का कोई उद्देश्य नहीं होता वह व्यक्ति बहुत जल्द ही चिंताओं और कष्टों का आसानी से शिकार हो जा जाते हैं।


 इंसान को अपने दिल में सही उद्देश्य या लक्ष्य रखना चाहिए और उसे हासिल करने में जुट जाना चाहिए उसे अपने लक्ष्य के लिए अपने सभी विचारों को केंद्र बिंदु बना लेना चाहिए लक्ष्य को हासिल करना ही अपना सर्वोच्च कर्तव्य मानना चाहिए।


 लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पूरी तरह से अपने आप समर्पित होना चाहिए एक बार जब इसकी आदत पड़ जाती है तो इसकी बदौलत आप संसार में सब कुछ हासिल कर सकते हैं। जिस तरह शारीरिक दृष्ट से कमजोर व्यक्ति सही तरीके से और धैर्य से व्यायाम करके खुद को मजबूत बना सकता है।


 उसी तरह कमजोर विचारों वाला व्यक्ति भी सही विचारों का व्यायाम करके खुद को मजबूत बना सकता है कैसी लगी कहानी कमेंट में स्वामी विवेकानंद जी।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.