मौन रहने के फायदे |Positive krishna quotes on life

 मौन रहने के फायदे |Positive Krishna quotes on Life


inspirational quotes श्री कृष्णा सर्वश्रेष्ठ सुविचार



श्री कृष्ण कहते हैं दुनिया की सबसे तेज छुरी हमारी जबान है और दुनिया के सबसे खतरनाक हथियार हमारे शब्द हैं जो बिना किसी का खून बहाए लोगों को अंदर ही अंदर मार सकते हैं।


 हमारे शब्द हमारी ताकत हो सकते हैं उसी के साथ यह हमारी सबसे बड़ी कमजोरी भी हो सकते हैं अगर हमें नहीं पता कि कब कहां और क्या और कितना बोलना है यदि हम सही समय पर सही इरादे के साथ सही शब्दों का प्रयोग करते हैं तो यह हमें एक सफल व्यक्ति बनाता है।


 लेकिन अगर हम सही समय पर सही इरादे से सही शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते तो यह हमारे जीवन को नर्क से बदतर बना सकता है तो चलिए जानते हैं एक कहानी के माध्यम से चुप रहकर जीवन को कैसे बदला जा सकता है।


 जापान में एक बहुत ही प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु रहा करते थे उनका नाम जयसूर्या था जय सूर्या अकेले रहते थे दुनिया के शोर शराबे से दूर जंगल में वह रहते थे और वह बड़े ही ध्यानी और प्रभु भक्त व्यक्ति थे इसलिए वह पूरे जापान में बहुत प्रसिद्ध थे।


 एक दिन एक राजकुमार जयसूर्या के पास आया और बोला हे प्रभु मैं हमेशा थका हुआ निराश और परेशान महसूस करता हूं मेरा मन बहुत अशांत रहता है हालांकि मेरे पास सब कुछ है दौलत शोहरत सुख सुविधाएं जो हर व्यक्ति चाहता है या पाने की चाहत करता है लेकिन फिर भी मेरे अंदर इतनी अशांति और चिंता क्यों है।


 जयसूर्या ने उसकी बात बहुत ही ध्यान सुनी और कुछ सोचने के बाद कहा तुम इस प्रश्न का उत्तर जानते हो बस तुमने कभी इस प्रश्न को हल करने की कोशिश नहीं की है जयसूर्या ने आगे कहा मैं एक खोज करना चाहता हूं क्या तुम मेरा साथ उसमें दोगे इस खोज के बाद तुम्हारे जीवन में किसी भी तरह की अशांति और चिंता नहीं रहेगी।


 यह बात सुनकर राजकुमार बहुत खुश हो उसने जयसूर्या से कहा बताइए मुझे क्या करना होगा अपने मन के शांति के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूं राजकुमार की बात सुनकर जयसूर्या ने कहा तो फिर अगले 15 दिन तक मेरे आश्रम में रहोगे और एक सामान्य व्यक्ति की तरह अपना जीवन व्यक्तित्व करोगे और इन 15 दिनों में तुम अकेले और चुपचाप रहोगे।


 जितना हो सके कम बोलोगे राजकुमार सहमत हो गया पहले दिन राजकुमार को लगा कि उसका मन सामान्य से अधिक अशांत और विचलित है उसके मन में तरह-तरह के विचार आ रहे थे और वह आम लोगों की तरह जीवन जीने में असहज महसूस कर रहा था और उसे अंदर से बोलने की चाहत हो रही थी।


 लेकिन वह चुपचाप रहा उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला अगले दिन वह वैसे ही पूरा दिन चुपचाप बैठा रहा अगले दो-तीन दिन बस वह चुपचाप बैठे रहता लेकिन रात होते-होते उसे अंदर ही अंदर शांति का अनुभव होने लगा उसके लिए यह अनुभव अजीब था।


 वह खुद से पूछ रहा था कि वह अंदर ही अंदर इतना खुश क्यों है अगले दिन राजकुमार अकेला चुपचाप बैठा रहा और वह प्रकृति को निहारने लगा वह पौधों को फूलों को आकाश में उड़ रहे पक्षियों को देख रहा था वह अपने जीवन में पहली बार यह अद्भुत दृश्य महसूस कर रहा था कि उसके आसपास कितनी सुंदरता है।


 अब वह दिन भर प्रकृति की सुंदर को निहारता रहता और ताजगी महसूस करते रहने लगा था इसी तरह से 10 दिन बीत गए थे और उसके मन की सारी बेचैनी सारी हलचल और सभी तरह के तनाव गायब हो गए 11वें दिन की सुबह राजकुमार फिर से एकांत में बैठ गया और कुछ ही मिनटों में उसकी आंखें अपने आप बंद हो गई और वह गहरे ध्यान में चला गया।


 वह पूरे दिन वही पर ध्यान लगाकर बैठा रहा और गहरे ध्यान में डूबा रहा ना कोई ना कोई चिंता राजकुमार भीतर से असीम शांति और आनंद से भर गया राजकुमार अपने बाकी के चार दिन इसी तरह व्यतीत करने के बाद जयसूर्या के पास गया और उन्हें प्रणाम किया और बोला हे भिक्षु महाराज मुझे उत्तर मिल गया कि मेरे में इतनी उथल-पुथल और चिंता क्यों था।


 मैं जान गया कि मेरा मन इतना अशांत और विचलित क्यों था जयसूर्या ने मुस्कुराते हुए कहा बताओ क्या उत्तर मिला तुम्हें राजकुमार ने कहा मैं जरूरत से ज्यादा बातें करता था मैं किसी पर भी अपने शब्द और ऊर्जा व्यर्थ करता था।


 मैं दिन भर अपने लोगों से फालतू बातें करता और अकेले में उन्हीं लोगों के बारे में सोचता रहता था ज्यादातर समय नेगेटिव बातें सोचता रहता और इस तरह से मैं अपना समय बर्बाद कर देता था ज्यादा बोलने और नेगेटिव सोचने से मेरा मन अशांत और बेचैन हो गया था।


 इसी वजह से मैं किसी काम को ठीक से नहीं कर पा रहा था जिसकी वजह से मैं हर काम में असफल होने लगा और फिर इन्हीं लगाता मिलने वाली असफलताओं की वजह से ही मैं उदास और चिड़चिड़ा हो गया इन्हीं सभी चीजों के वजह से मेरा जीवन बर्बाद हो रहा था यहां पर हुए 15 दिन मेरे लिए पूरी तरह से अलग थे।


 मुझे कुछ अलग ही एहसास यहां पर हो रहा था अब मुझे ऐसा लग रहा है मैं अपना जीवन पूरी तरह से जी रहा हूं लेकिन इसके पहले मैं अपना जीवन गलत तरीके से जी रहा था।


 जीवन में खुद को जानना और समझना बहुत जरूरी होता है जो मैंने पिछले 15 दिनों में अनुभव किया राजकुमार की सारी बातें सुनने के बाद जयसूर्या ने कहा सिर्फ तुम ही नहीं दुनिया में ज्यादातर लोग जरूरत से अधिक बोलते हैंश


 आज भी लोग ज्यादातर समय केवल दूसरों को नीचा दिखाने के लिए ही बर्बाद करते हैं जयसूर्या ने राजकुमार को चुप रहने का महत्व समझाते हुए कहा एक बार गौतम बुद्ध से उनके एक शिष्य ने पूछा आप ज्यादातर चुप क्यों रहते हैं।


 तब बुद्ध उन्हें चुप रहने के फायदे को समझाते हैं चुप रहने से व्यक्ति अंदर से अनंत शांति और गहराइयों में होता है मौन अपने भीतर उतरने की पहली सीढ़ी है मौन के बिना खुद को जाना असंभव है खुद को जाने और समझने का पहला नियम है मौन हो जाओ कम बोलने का कोई भी नुकसान नहीं है।


 लेकिन यदि आप ज्यादा बोलते हैं तो आप अधिक गलतियां करते हैं अगर व्यक्ति कम बोलना शुरू कर दें तो संसार की 90 पर मुसीबतें अपने आप खत्म हो जाएंगी जिसने मौन रहने की कला जान ली वह भीड़ में भी अकेले रहने कला जान लेता है एकांत में तो आदमी आनंदित रहता है दूसरों की उपस्थिति ही तो बेचैनी पैदा करती है।


 चुप रहने की शक्ति से अधिकतर ऊर्जा को बचा लोगे इस कहानी से हमें यह सख को मिलता है कि चुप रहने में भी एक अद्भुत शक्ति होती है अगर हम सही समय पर सही शब्दों का प्रयोग करते हैं तो हम अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदल सकते हैं।


 चुप रहने से हम अपने आत्मा की गहराइयों में जा सकते हैं और अंदर से शांति का अनुभव कर सकते हैं इससे हम अपने विचारों और भावनाओं को साफ करके अपने जीवन को सकारात्मक बना सकते हैं चुप रहने की कला हमें सीख चाहिए।


 ताकि हम अपने शब्दों का सही इस्तेमाल करके अपने और दूसरों के जीवन को सुधार सके।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.