Motivational Story in Hindi | success motivational story in hindi

 Motivational Story in Hindi | success motivational story in hindi.



Motivational Story in Hindi 


जब एक लंबे अरसे तक प्रयास करने के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगती तो निराशा होनी स्वाभाविक होती है लेकिन इस निराशा में कुछ लोग अपने लक्ष्य को छोड़ देते हैं नए रास्ते पर निकल जाते हैं नया लक्ष्य चुन लेते हैं लेकिन कुछ लोग ही होते हैं जो अपने पुराने रास्ते पर निरंतर चलते रहते हैं अगर आप अपनी हार को स्वीकार करना सीख जाते हैं तो आपके जीतने के रास्ते खुल जाते हैं।

 क्योंकि सब लोग जीतने के पीछे ही तो लगे हुए हैं लेकिन हारने के कितने तरीके हो सकते हैं यह कोई नहीं जानना चाहता दोस्तों तथागत गौतम बुद्ध का जीवन खुद में एक प्रेरणा है एक राजकुमार के भौतिक सुख सुविधाओं के जीवन से निकलकर जब उन्होंने सन्यास का मार्ग अपनाया था तो उन्होंने क्या-क्या पड़ाए क्या-क्या दुख नहीं देखे आत्मज्ञान की प्राप्ति से [संगीत] पहले तथागत के जीवन की एक ऐसी घटना का उल्लेख करना चाहता हूं जब उन्होंने एक लाश एक मुर्दा शरीर पे से उसका कफन उतार कर खुद का वस्त्र बना लिया था।

short motivational story in hindi

 जिन लोगों को अपने ऊपर संदेह होता है अपनी काबिलियत पर अपने लक्ष्य पर शंका होती है तो ऐसे लोगों को तथागत गौतम बुद्ध के जीवन की इस घटना को जरूर सुनना चाहिए जो उनके लिए निरंतर पथ प्रदर्शक का काम करेगी दोस्तों इससे पहले कि मैं तथागत के जीवन की इस घटना को उल्लेख करूं मैं आपको बताना चाहता हूं कि काफी लोग कमेंट करते हैं कि जो मेरे चैनल पर मैं कहानियां सुनाता हूं वो एआई वॉइस की होती है।

 यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वॉइस होती है लेकिन आप मेरी आवाज अगर सुन रहे हैं तो आपको यह पता चल गया होगा कि ये किसी एआई की वॉइस नहीं है यह मेरी खुद की ही आवाज है इससे पहले कि आप इस कहानी में खो जाएं इस चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लें तो चलिए कहानी शुरू करते हैं बात उस समय की है जब तथागत ने दो गुरुओं से शिक्षा प्राप्त कर ली थी एक थे आचार्य आलर कलाम और दूसरे थे आचार्य उदरकल्प आत्मज्ञान की प्राप्ति का मार्ग नहीं मिला तो उन्होंने निश्चय किया कि वह अब रास्ते पर आगे अकेले बढ़ेंगे स्वयं बढ़ेंगे और खुद का गुरु वह स्वयं बनेंगे और इसीलिए नदी पार करके वह अकेले जंगल की तरफ निकल जाते हैं।

motivational story for students

 अंधेरी रातों के गुप्त अंधेरे में व जंगल में अकेले निकल जाते थे जहां इंसान के जाते हुए डर के मारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं ऐसी जगहों पर वह रात रात भर अकेले बैठे रहते थे ध्यान साधनाएं करते रहते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि अगर किसी तरह अपने मन के डर को अपने मन के भय को दूर किया जा सके तो जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल सकती है हालांकि उन्होंने आचार्य उद्र और आचार आलर कलाम से जो शिक्षाएं प्राप्त की थी उनसे उन्हें समाधि की अवस्था तो प्राप्त हो गई थी।

 लेकिन समाधि की अवस्था प्राप्त करने के बाद उन्हें परम आनंद की तो प्राप्ति होती थी लेकिन फिर भी जीवन मरण के चक्र से मुक्ति का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था तथागत ने कठोर शरीर पीड़न तप करना आरंभ कर दिया था उन्होंने निश्चय कर लिया था कि किसी भी कीमत पर वह आत्मज्ञान की प्राप्ति करके रहेंगे उन्हें हर प्राणी मात्र की चिंता थी इसीलिए वह चाहते थे कि आत्मज्ञान की प्राप्ति के बाद पूरे विश्व को पूरे संसार को पूरे जन समुदाय को एक ज्योति का मार्ग दिखलाएंगे और यही उनके लिए हमेशा एक प्रेरणा के स्त्रोत बना रहा तथागत को कठोर शरीर पीड़न तप करते हुए ती महीने गुजर चुके थे।


 जब वह आचार्य उद्र के पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए गए थे तो वहां पर उनका एक बहुत अच्छा मित्र बना था जिसका नाम कौंडन्यपुर तथागत से बहुत ज्यादा प्रभावित था इसीलिए अपने चार मित्रों के साथ वह तथागत को ढूंढ निकालते हैं और तथागत को हाथ जोड़कर कहते हैं कि हे सिद्धार्थ हमें आपके साथ तपस्या करनी है आचार्य उद्र की जितनी शिक्षाएं थी वो सभी शिक्षाएं हमने प्राप्त कर ली हैं अब आगे की शिक्षा और आगे की तपस्या हम लोग आपके साथ करना चाहते हैं।

 तथागत ने इसके लिए हामी भर दी और इसके बाद उन पांचों लोगों ने आसपास ही अपने लिए गुफाएं ढूंढ ली थी वो पूरे दिन वहां पर ध्यान अभ्यास कर करते रहते और इस दौरान एक युवा जाकर नगर में भिक्षा टन करके लाता था और उस भिक्षा को छह लोगों में बराबर बांट दिया जाता था हर एक के हिस्से मुट्ठी भर चावल आते थे जिससे कि वो लोग जीवित रह पाते थे और इस प्रकार ये चक्र चलता रहता था हर युवा का एक दिन छोड़ एक दिन नंबर आता रहता था बारी-बारी करके हर एक युवा का भक्ट करने का नंबर आता था इस प्रकार उनका जो ध्यान साधना करने का समय था वो भी बढ़ जाता था एक युवा भिक्षा टन करने के लिए जाता था और बाकी पांचों युवा ध्यान साधना हों में लीन रहते थे।


 इस प्रकार की ध्यान साधनाएं करते हुए उन्हें 6 महीने बीत चुके थे उन पांचों युवाओं को लगा कि हमारे लिए इस प्रकार का कठोर शरीर पीड़न तप करना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि तथागत तो पूरे पूरे दिन भूखे रहते थे कभी-कभी तो वह एक अमरूद पूरे दिन में खाकर जीवित रहते थे और कभी-कभी तो जंगल में पड़े सूखे गोबर को भी खा लेते थे और उन्होंने 6 महीने से ना तो स्नान किया था और ना ही अपने बाल और दाढ़ी मुंडवा थे उनके बाल और उनकी दाढ़ी काफी बड़ी-बड़ी हो चुकी थी।

 उन्हें देखकर ऐसा लगता था जैसे कोई भुखमरी का शिकार पागल इस जंगल में घुसाया हो और बेतहाशा इधर-उधर दौड़ा जा रहा हो काफी बेचैन रहने लगे थे कोई लक्ष्य कोई मंजिल दिखाई नहीं दे रही थी लेकिन ऐसे समय में भी ध्यान वो निरंतर करते थे क्योंकि ध्यान ही एक मात्र ऐसा सहारा था जो उन्हें इस घुप अंधेरे वाले जंगल में टिकाए हुए था वरना तो इस दुनिया में उनका और दूसरा क्या सहारा था वो तो इसी के लिए अपना घर छोड़कर निकले थे और ऐसे ही एक दिन ध्यान करते समय उन्हें आत्म दृष्टि प्रदान हुई उन्हें लगा कि अपने शरीर को पीड़ा पहुंचाने का यह आत्म ज्ञान की प्राप्ति का रास्ता कितना भ्रांति पूर्ण है।


 उन्हें किसी भी तरह कोई ऐसा रास्ता ढूंढना होगा जिससे कि वह आत्मज्ञान की प्राप्ति कर सके क्योंकि अपने शरीर को पीड़ा पहुंचाने से हमारे मन को भी पीड़ा पहुंचती है और जब तक हमारा मन आनंद या प्रसन्नता में नहीं रहेगा तब तक ऐसी ऐसी आत्मज्ञान की प्राप्ति का क्या फायदा क्या लाभ और जब जब ऐसे प्रश्न उनके मन में कधे तो उन्होंने निश्चय किया कि वह आज ही अपनी जीवन शैली बिल्कुल बदल देंगे अब वह अपने मन का और अपने शरीर का पूरी तरह से पोषण करेंगे और यही सोचकर जब वो शमशान घाट से ध्यान लगाकर उठे तो उन्होंने देखा कि एक मुर्दा लाश पर ईंट के रंग का कफन ढका हुआ है।

 उन्होंने सोचा कि इस मुर्दा को तो इस कफन की कोई आवश्यकता नहीं होने वाली शायद ये कफन मेरे कुछ काम आ सके उनके वस्त्र पूरी तरह से फट चुके थे जिससे उनका बदन ढकना भी मुश्किल हो गया था और इसीलिए अपना बदन ढकने के लिए उन्होंने वो कफन उस लाश पे से खींच लिया वो मुर्दा शरीर एक अधेड़ उम्र की महिला का था काफी समय से उसे वहां रखने के कारण उसका शरीर पूरी तरह से फूल गया था यह देखकर तथागत को महसूस हुआ कि समय कितनी तेजी के साथ निकल जाता है।


 अगर युवावस्था में सत्य की प्राप्ति के लिए कोई उपाय ना किया जाए तो बुढ़ापा आने में ज्यादा समय नहीं लगता है और यही सोचकर वो उस कफन को लेकर नदी में नहाने के लिए निकल जाते हैं उन्हें स्नान किए हुए भी काफी दिन हो गए थे उन्होंने स्नान करना खाना पीना अपनी देखरेख करना बिल्कुल पूरी तरह से बंद ही कर दिया था नदी में जब उन्होंने डुबकी लगाई तो उन्हें असीम आनंद की प्राप्ति हुई उन्होंने वह जो कफन था उसको धोया और अच्छी तरह से निचोड़ करर उसे किनारे पर सुखा दिया और खुद अच्छी तरह से रगड़ रगड़ कर स्नान करने लगे काफी देर तक नहाने के बाद जब वोह नदी से बाहर निकलने लगे तो अचानक उनके शरीर में बहुत दुर्बलता आ गई।

 उन्हें चक्कर आने लगा वो कुछ ही दूर चले थे कि बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े वह तो भला हो सुजाता जो कि उसी गांव की एक लड़की थी और दूध लेकर एक पेड़ को चढ़ाने के लिए जा रही थी जब उन्होंने इस सन्यासी को बेहोशी की हालत में देखा तो उन्होंने वह दूध किसी पेड़ पर चढ़ाने से अच्छा उस युवा सन्यासी को पिलाना ठीक समझा सुजाता ने उस दूध की कुछ बूंदे ही सिद्धार्थ के मुंह में डाली होंगी कि सिद्धार्थ को फिर से अपनी चेतना का आभास हुआ जैसे उनके शरीर में फिर से शक्ति लौट आई हो और उन्हें एहसास हुआ कि दूध शरीर को कितनी शक्ति प्रदान करता है।

 वह अचानक बेहोशी से बाहर आकर सुजाता के सामने उठ बैठे और उससे और दूध पिलाने की इच्छा जताई यह दूध पीकर सिद्धार्थ के मन को एक नई ऊर्जा उसके शरीर को एक नई शक्ति मिली और इस शक्ति को प्राप्त करने के बाद सिद्धार्थ ने पूरी तरह से निश्चय कर लिया था कि वह अब अपने शरीर को पीड़ा देना पूरी तरह से बंद कर देंगे यही सोचकर वह जंगल में वापस लौट आते हैं और ध्यान में लीन हो जाते हैं धीरे-धीरे सुजाता स के पास आने लगी वह अक्सर उनके खाने पीने के लिए कुछ वस्तुएं लेकर आती थी और जब कोंडन ने और उसके चार मित्रों ने सिद्धार्थ को सुजाता के साथ हंस मुस्कुरा करर बात करते हुए देखा तो उन्हें लगा कि सिद्धार्थ अपने पथ से भटक गए हैं।

 अब वह तपस्या नहीं कर रहे हैं शायद उनके मन में भोग विलास पनपने लगा है और इसीलिए उन्होंने सिद्धार्थ से दूर जाकर अपनी तपस्या जारी रखने का निश्चय किया और उसका मित्र कोंडन ने अपने चार मित्रों के साथ अपनी आगे की यात्रा पर निकल पड़ता है आगे चलकर जब बुद्ध को आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है तो यही वह पांच मित्र थे जिन्हें उन्होंने पहली बार सारनाथ में अपना पहला प्रवचन दिया था अब बुद्ध उस जंगल में बिल्कुल अकेले थे अकेले रहकर वो अपनी तपस्या कर रहे थे सुजाता उनके लिए खाने पीने का सामान लाती रहती थी और बुद्ध अपने लिए और समस्त मानव जाति के लिए आत्मज्ञान का रास्ता ढूंढ रहे थे देखिए समझने वाली बात यह है कि बुध अब हर चीज पर ध्यान लगाने लगे थे।

motivational story

 सूर्य की किरण कोई पत्ता किसी पक्षी की आवाज और उन्हें महसूस हुआ कि प्रकृति में हर एक चीज आपके लिए आत्मज्ञान का रास्ता खोल सकती है मुक्ति का रास्ता इस ब्रह्मांड के छोटे से छोटे कण में भी विद्यमान रहता है लेकिन अज्ञानता वर्श इंसान उस चीज को देख ही नहीं पाता उसके लिए चाहिए दिव्य आंखें जो ध्यान साधना हों से हासिल की जा सकती है बुद्ध को यह बात अच्छी तरह से मालूम हो गई थी और इसीलिए उन्होंने अपना रास्ता इसी प्रकार तय करना जारी रखा यह जो तथागत के जीवन की अद्भुत घटना थी।

 इससे हमें तीन सीख मिलती है पहली कि अगर आपको किसी गुरु से शिक्षा लेनी है तो शिक्षा प्राप्त करने के बाद आप अपनी यात्रा को आगे जारी रखें एक जगह पर ही अटक कर ना रहे बहुत सारे लोग होते हैं जो एक जगह पर चले जाते हैं और फिर जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते हैं अगर आपको उनसे पूरी शिक्षा मिल चुकी है तो आपको अपनी यात्रा आगे बढ़ानी चाहिए क्योंकि यात्रा हमेशा चलती रहती है बहते हुए पानी की तरह बनो एकदम नर्म शीतल और दूसरों की प्यास बुझाने वाला और जो हमेशा अपनी या त्रा में निरंतर रहता है दूसरी सीख आप जीवन के कठिन पलों में अपने आप को बिल्कुल अकेला पाएंगे।


 लेकिन उससे घबराना मत क्योंकि वहीं से आपके जीवन के नए रास्ते खुलते हैं हमने इस कहानी में सुना कि जब सुजाता बुद्ध के लिए खाना लेकर आती थी तो उनके मित्रों को इससे बड़ी ईर्ष्या होती थी उन्हें लगता था कि बुद्ध का अब एक उद्देश्य रह गया है जीवन में सिर्फ अपना पेट भरना और अपनी तपस्या से वो दूर भटक रहे हैं और यही सोचकर उन्होंने अपने मित्र का साथ छोड़ दिया था और इस कारण वो बिल्कुल अकेले रह गए थे लेकिन बुद्ध ने इस बात की कभी भी परवाह नहीं की उन्हें पता था कि वो किस रास्ते पर चल रहे हैं।

 इसीलिए जब खुद पर अपने आपको विश्वास होता है तो किसी और के प्रमाण की आवश्यकता नहीं रहती और बाद में जब आप अपने लक्ष्य में सफलता हासिल कर लेते हैं तब वही लोग आपके पास शिक्षा या ज्ञान ग्रहण करने के लिए आते हैं क्योंकि यही तो पांच मित्र थे जिन्हें बाद में बुद्ध ने आत्मज्ञान का रास्ता दिखलाया लेकिन एक बात समझने की यह है कि छोटी सी सफलता हाथ लगने के बाद लोग अहंकारी हो जाते हैं घमंड से भर जाते हैं लेकिन तथागत को जब आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई तो उन्हें बिल्कुल भी अहंकार नहीं हुआ क्योंकि अहंकार के साथ आत्मज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है।


 इसीलिए आप चाहे कितनी भी बड़ी सफलता हासिल क्यों ना कर ले लेकिन अपनी सफलता पर कभी भी अहंकार मत करना अपने विरोधियों को कभी भी नीचा दिखाने की कोशिश मत करना क्योंकि बुद्ध को भी जब आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई थी तो उन्होंने अपना मार्ग सबसे पहले उन्हीं पांच मित्रों को बताया था तीसरी सीख जो सबसे महत्त्वपूर्ण है वह यह है कि जीवन में जब भी आपको असफलता हाथ लगती है आप जीवन में नाकामयाब होते हैं तो रास्ते पर हमेशा चलते रहना है उससे डरना नहीं है घबराना नहीं है पीछे नहीं हटना है क्योंकि जब भी आप नाकामयाब होते हैं तो कामयाबी का एक नया रास्ता खुलता है।

 लेकिन जहां से हम पीछे पलटते हैं वहीं से वह नया रास्ता शुरू होता है लेकिन पीछे पलटने के बाद वह रास्ता दिखाई नहीं देता है तथागत को भी दो गुरुओं से शिक्षा प्राप्त करने के बाद जब आत्मज्ञान की प्रा नहीं हुई तो वह वापस लौटकर अपने राजमहल में नहीं गए बल्कि उन्होंने निश्चय किया कि वह खुद अकेले ही उस रास्ते पर आगे बढ़ेंगे और इसीलिए उनके आश्रम को छोड़कर वह जंगल में अकेले रहने के लिए आ जाते हैं अब वह खुद के गुरु स्वयं बन चुके थे और यहीं से उनकी रास्ता का नया अध्याय खुलता है आगे तथागत की यात्रा कैसी रही उनके जीवन में क्या-क्या कठिनाइयां आई और किस प्रकार उन्होंने संसार को आत्मज्ञान का मार्ग दिखलाया और उनका अतीत राजमहल में कैसा रहा था।


 जहां से उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी इस पूरी कहानी को मैं आपको सुनाना चाहता हूं लेकिन इसके लिए मुझे आपका सपोर्ट चाहिए अगर इस वीडियो पर 50000 लाइक आते हैं लोगों को शेयर की जाती है अगर आप लोगों की रिक्वेस्ट आती है कमेंट्स में तो ही मुझे तथागत की इस कहानी को सुनाने का आनंद आएगा क्योंकि जब तक सुनने वाले नहीं रहेंगे तो सुनाने वाला क्या ही करेगा।

 वह तो बेवकूफ और पागल कहलाएगा इसीलिए आप इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें और आप कमेंट्स में यह भी बताएं कि आप तथागत के जीवन का का कौन सा अध्याय सुनना चाहते हैं ताकि वह अध्याय में अपनी आवाज में आप लोगों के सामने अपने चैनल के माध्यम से ला सकूं तो मिलते हैं अगले अध्याय में तब तक के लिए अपना ख्याल रखें।

 

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.