बाज़ की तरह बनो अकेला और निडर | Buddhist Story On Lonely And Fearless

 बाज़ की तरह बनो अकेला और निडर | Buddhist Story On Lonely And Fearless


बाज़ की तरह बनो अकेला और निडर | Buddhist Story On Lonely And Fearless


नमस्कार दोस्तों फिर से स्वागत है आप सभी

का आपके अपने चैनल बधा इंस्पायर्ड 2.0 में एक बार की बात है पहाड़ों के दूसरी पार एक

राजा का शासन था वह राजा बहुत ही शक्तिशाली था उसके पास सब कुछ था बेशुमार

दौलत थी अच्छी प्रजा थी जो उसका ख्याल रखती थी उसके आदेशों का पालन किया करती थी

और वह भी अपनी प्रजा का खूब ध्यान रखा करता था उन्हें कभी किसी चीज की कोई कमी

महसूस नहीं होने देता था कहने को तो राजा के पास सब कुछ था किसी चीज की कोई कमी

नहीं थी लेकिन उसका मन कभी किसी एक काम पर नहीं टिक पाता था वह जब भी किसी भी चीज को

करने का प्रयास करता तो उसका ध्यान कहीं भटक जाता था इस चीज को लेकर वह बहुत

चिंतित रहता था कई बार वह अपने बगल के राज्य के राजाओं से भी मिला था और सभी ने

उसे अलग-अलग राय दी सभी ने उस राजा को अलग-अलग तरीके बताए जो भी तरीके उस राजा

ने सुने थे उन तरीकों को अपने जीवन में उतारा लेकिन उन उपायों से उसे कोई लाभ ना

मिला जिसके कारण वह हमेशा चिंतित रहता परेशान रहता कई बार तो रातों को उसे नींद

भी नहीं आती थी और केवल करवटें बदलता रहता एक दिन राजा के कानों तक एक बात पहुंची कि

उसके राज्य में एक ऐसा साधारण व्यक्ति है जिसके शब्द अनमोल हैं जीवन का रहस्य छुपा

है जीवन का सत्य छुपा है और उस व्यक्ति से मिलने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं

क्योंकि हर व्यक्ति की समस्या का समाधान वह बहुत ही सरलता और आसानी से करता है यह

बात सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ उसे लगा कि अब उसके सवालों का जवाब उसे मिल जाएगा

इतनी तारीफ सुनकर राजा ने यह तय किया कि वह तुरंत ही जाकर उस व्यक्ति से मिलेंगे

और उसे यह भी पता चल जाएगा कि जो लोग उनकी इतनी तारीफ कर रहे हैं क्या वह सच है या

नहीं अगले दिन सुबह सुबह वह राजा उस व्यक्ति से मिलने के लिए निकल गया रास्ता

कुछ ज्यादा ही लंबा था जिस कारण राजा ने बीच रास्ते में आराम किया वहां पर उपस्थित

हर कोई उस व्यक्ति के बारे में जानता था जब राजा ने उनसे उस व्यक्ति के बारे में

पूछा तो वे लोग उस साधारण व्यक्ति की खूब तारीफ कर रहे थे तभी राजा ने सोचा कि लगता।

Gautam Buddha Motivational Story 

है यह व्यक्ति बहुत बुद्धिमान है बहुत ज्ञानी होगा और प्रभावशाली व्यक्ति होगा

अन्यथा हर कोई उसकी इतनी तारीफ नहीं करता जरूर ही उस व्यक्ति में ऐसी कोई बात होगी

जिसके कारण हर कोई उन्हें जानता है और उनकी तारीफ कर रहा है उस व्यक्ति की तारीफ

सुनकर राजा के मन में उससे मिलने की उत्सुकता और अधिक बर गई अब वह राजा जल्द

से जल्द उस व्यक्ति से मिलना चाहता था जिसके कारण वह आगे का सफर तय करना शुरू कर

देता है जैसे-जैसे वह राजा उस व्यक्ति के आश्रम पहुंचता है आश्रम में उसे कोई नजर

नहीं आता आश्रम के पीछे एक छोटा सा बगीचा जब राजा वहां पहुंचता है तो उसने देखा कि

एक माली बगीचे में काम कर रहा है उसका पूरा शरीर मिट्टी से लत पट है पैरों में

कोई चप्पल नहीं है इसको देखकर राजा ने माली से कहा सुनिए महोदय इस आश्रम के गुरु

कहां है मैं उनसे मिलने आया हूं इस पर वह माली जवाब देते हुए कहता है श्रीमान आप

अंदर बैठिए मैं उन्हें बुलाता हूं वे जल्द ही आपसे मिलेंगे बात सुनकर राजा अंदर

कुटिया में जाकर बैठ गया और उसका आश्रम में आने का इंतजार करने लगा कुछ देर

प्रतीक्षा करने के बाद जब साधारण व्यक्ति उस राजा के सामने पहुंचा उसने देखा कि यह

तो वही व्यक्ति है जो बगीचे में काम कर रहा था राजा ने उन्हें नमस्कार किया और

बहुत हैरानी से कहा अरे आप तो वही माली है जो बाहर बगीचे में काम कर रहे थे लेकिन

अबकी बार तो माली एक बौद्ध भिक्षु के रूप में आया था तभी बौद्ध भिक्षु राजा से कहते

हैं सम्राट मुझे माफ कीजिए मैं बगीचे में छोटा सा काम कर रहा था मैं यहां का मालिक

हूं और मैं ही वह असाधारण व्यक्ति हूं जिससे आप यहां इतनी दूर मिलने आए हैं।

motivational story in hindi


कृपया करके अपने आने का कारण बताएं इस पर राजा उन बौद्ध भिक्षु से कहते हैं हे

महाराज मैंने सुना है कि आप जैसा व्यक्ति इस पूरे राज्य में नहीं है मैंने आपकी

तारीफ सुनी है मैंने आपके बारे में कई सारी अच्छी बातें सुनी है मैंने यह भी

सुना है कि आपके पास जो भी अपनी समस्या लेकर आता है उसकी समस्या का समाधान आप

अवश्य करते हैं इसी कारण मैं आज आपसे यहां पर मिलने आया हूं और मैं आपसे उपदेश चाहता

हूं लेकिन मेरे मन में एक शंका है इस पर बौद्ध भिक्षु राजा से कहते हैं कैसी शंका

है इस पर राजा कहता है मैंने बहुत से विद्वानों को देखा है बहुत से ज्ञानियों

को देखा है वे जब भी चलते हैं तो उनके पास तरह-तरह के ज्ञान की किताबें होती हैं

उनके पास ऐसा कोई ना कोई संकेत जरूर नजर आता है जिससे यह पता चल सकता है कि वे लोग

ज्ञानी हैं आपके पास तो ना कोई ज्ञान की किताबें हैं

और ना ही कोई ऐसे संकेत आप में नजर आ रहे हैं लेकिन उसके बावजूद आप बहुत शांत नजर आ

रहे हैं क्या आप मुझे इसका रहस्य बता सकते हैं इस पर बौद्ध भिक्षु मुस्कुराने लगे और

राजा से कहते हैं मेरा ज्ञान तो इस संस्कार में प्रकृति के रूप में हर जगह है

मैं अपना ज्ञान जीवन की सरल और साधारण वस्तुओं से ही लेता हूं पर महाराज आप यहां

किसी समस्या को लेकर परेशान है कृपया आप मुझे आपके यहां आने का कारण

समझाएं इस पर राजा कहते हैं हे गुरुवर मेरा यहां आने का कारण यह है कि मैं किसी

भी काम को लेकर लंबे समय तक इस कार्य पर अपना ध्यान नहीं लगा पा रहा मैं कुछ ही

देर में उस कार्य से भटक जाता हूं कृपया करके मुझे समस्या का समाधान बताएं मैं इस

बात से काफी चिंतित हूं बौद्ध भिक्षु ने राजा की चिंता को समझकर कहा महाराज आपकी

समस्या मुझे समझ आ गई है आप जिस कार्य पर ध्यान नहीं लगा पा रहे उसके लिए मैं आपको

एक उपाय बता सकता हूं लेकिन आज आपको देर हो चुकी है आप मुझे कल सुबह मिले कल सुबह

का समय ठीक रहेगा कल सुबह जब आप मुझसे मिलेंगे तो मैं आपके सभी सवालों का जवाब

आपको दे दूंगा यह कहकर बौद्ध भिक्षु वापस अपने बगीचे में लौट गए और वह राजा भी वापस

अपने महल लौट गया लेकिन राजा को रात भर नींद नहीं आई वह बस यही सोच में खोया रहा

कि आखिर भिक्षु मुझे क्या बताने वाले हैं वह तो मुझे एक साधारण सी माली नजर आ रहे

हैं लेकिन जिस तरह से उनका मन शांत था जिस तरह से वह शांत नजर आ रहे थे यह बहुत

आश्चर्य करने वाली बात है रात भर राजा खयालों में ही खोया रहा अगले दिन सुबह

सूरज निकलने से ठीक पहले राजा उस श्रम पर वापस पहुंचा वहां पर बौद्ध भिक्षु पहले से

ही उपस्थित थे जैसे ही सम्राट वहां पहुंचा उन बौद्ध भिक्षु ने एक पानी का छोटा सा जग

सम्राट के हाथ में थमा हुए कहा इसे लीजिए और पौधों पर धीरे-धीरे पानी डालिए यह आपके

सामने पूरे 15 पौधे हैं इन सभी पर आपको इसी प्रकार पानी डालते चलना है लेकिन जब

आप इस क्रिया को कर रहे होंगे तो उस वक्त मेरी एक बात का अवश्य ध्यान रखेंगे कि आप

आपको इस दौरान कुछ और नहीं करना है ना कुछ सोचना है और ना ही कहीं आपका ध्यान भटकना

चाहिए आप जब इन पौधों को पानी दे रहे होंगे तो आपका पूरा ध्यान केवल इन पौधों

पर ही होना चाहिए यदि इस बीच आपके मन में कोई विचार आए तो वहीं पर रुक जाइएगा और

फिर दोबारा से पौधे पर पानी डालना शुरू कर दीजिएगा और जब आप मेरी बात मानकर इसी

प्रकार इन सभी 15 के 15 पौधों को पानी दे देंगे तब आप मेरे पास आइएगा मैं आपके सभी

सवालों का जवाब आपको दे दूंगा राजा ने आज तक ऐसा कोई काम नहीं किया था और उसे यह

काम बहुत छोटा सा लग रहा था राजा पहली बार ऐसा कोई काम करने जा रहा था उसने पानी के

जग से पहले पौधे पर बहुत ही ध्यान पूर्वक पानी दिया और फिर दूसरे पौधे की ओर आगे

गया दूसरे पौधे पर भी उसने ध्यान पूर्वक पानी दिया फिर उसने तीसरे पौधे पर पानी

देना शुरू किया ही था कि उसके मन में तरह-तरह के विचार उत्पन्न होने लगे उसे

अपने महल का बगीचा याद आने लगा जहां पर तरह-तरह के फूल थे तरह-तरह के पौधे लगे।

buddha motivational story in hindi


हुए थे तभी अचानक उस राजा को बौद्ध भिक्षु की बात याद आ गई कि यदि मन में कोई भी

विचार उत्पन्न हो तो उसे फिर से पहले पौधे से पानी देना शुरू करना होगा राजा तुरंत

पहले पौधे के पास वापस पहुंचा और उसने फिर से पहले पौधे को पानी दिया दूसरे पौधे को

उसने फिर से ध्यान पूर्वक पानी दिया जैसे ही वह तीसरे पौधे पर पी पहुंचा उसके मन

में फिर से कई तरह के विचार उत्पन्न होने लगे अबकी बार यह सोच रहा था पता नहीं मेरे

बिना मेरे साम्राज्य में क्या हो रहा होगा और अबकी बार राजा को बहुत क्रोध आने लगा

मैंने सोचा कि आखिर मैं यह छोटा सा कार्य क्यों नहीं कर पा रहा हूं वह तुरंत ही फिर

से पहले पौधे के पास पहुंचा उसने अबकी बार बहुत ध्यानपूर्वक पहले पौधे को पानी दिया

दूसरे पौधे को भी ध्यानपूर्वक पानी दिया ऐसे करते करते अबकी बार राजा करीबन पांच

पौधों में बहुत ही ध्यानपूर्वक पानी दे चुका था लेकिन अब जैसे ही उसने सातवें

पौधे पर पानी देना शुरू किया उस पानी को देखकर राजा के में नदी के विचार उत्पन्न

होने लगे सम्राट बहुत परेशान हो चुका था जितनी बार वह पौधों को पानी देने का

प्रयास करता है हर बार वह असफल हो जाता है उसका मन उतना ही ज्यादा उदास होता जाता है

और वह खुद पर क्रोधित हो जाता है राजा यह बात बहुत अच्छी तरह से जानता था कि भिक्षु

उसकी परीक्षा ले रहे हैं वह बहुत बुद्धिमान था इस कारण उसने उन बौद्ध

भिक्षु के सभी नियमों का पालन करना जरूरी समझा राजा जितनी बार भी कोशिश करता है हर

बार वह असफल हो जाता उसका मन उतना ही ज्यादा व्याकुल होता जाता हमेशा खुद को

किसी ना किसी विचार में उलझा हुआ पता ऐसे ही करते-करते सुबह से शाम का वक्त हो चुका

था लेकिन अब तक वह सम्राट पूरे 15 पौधों में पानी नहीं दे पाया था जब बौद्ध भिक्षु

लौटकर शाम को वापस आश्रम पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वह राजा थक हार कर बैठा

हुआ है और तरह-तरह की बातों में उलझा हुआ है

तभी बौद्ध भिक्षु राजा के पास पहुंचे और कहने लगे राजन मैं तुम्हारी ईमानदारी से

बहुत खुश हूं तुमने अपने कार्य को पूरे मन और लगन के साथ करने का पूरा प्रयास किया

इसलिए जो बात मैं तुम्हें बताने जा रहा हूं उसे बहुत ही ध्यान पूर्वक सुनना और

समझने का प्रयास करना जब हमारा मन विचारों से खाली हो जाता है तब उसमें मन का असली

स्वरूप नजर आता है तब साधारण से साधारण सा काम भी हमें ज्ञान और शांति देता

इस पर राजा उन बौद्ध भिक्षु से कहता है महाराज पर यह कैसे संभव है कि जब भी कोई

कार्य करता हूं तो मन में कई तरह के विचार उत्पन्न होते हैं और मैं उन विचारों में

फंसकर रह जाता हूं और वहां से बाहर निकलने का कोई रास्ता मुझे नजर नहीं आता तभी

बौद्ध भिक्षु मुस्कुराने लगे और राजा से कहते हैं तुम पौधों में पानी नहीं डाल रहे

थे तुम तो जल्दी-जल्दी अपने इस कार्य को बस खत्म करना चाहते

तुम्हारे मन में तो यह विचार उत्पन्न हो रहा था कि तुम जल्दी से जल्दी इन 15 पौधों

में पानी दे दो और उसके बाद तुम मुझसे मिल सको और अपने प्रश्नों का उत्तर जान सकूं

किसी कारण बस यह कार्य तुम्हें बोझ प्रतीत हो रहा था मानो मैंने तुम्हारे कंधों पर

एक बोझ रख दिया हो और यही कारण है कि तुम अपने आप को इस पल में रोक नहीं पाए जब

हमारे सामने रखा हुआ कार्य बोझ लगता है तो हम उसे बस जैसे तैसे खत्म करना चाहते हैं

और उस काम को करते समय हम अपना पूरा ध्यान उस कार्य पर नहीं दे पाते किंतु अगर तुम

इस पल के महत्व को समझ पाए इसके महत्व को महत्व दे पाए और केवल पौधों और पानी पर

ध्यान देते तो तुम्हें कोई भी विचार परेशान नहीं कर पाता इस पर राजा कहता है

महाराज मुझे आपकी यह बात समझ में नहीं आ रही है कि मैं जल्दी जल्दी इस कार्य को

खत्म करके आपसे मिलना चाहता था जिस कारण मेरा मन इस कार्य में पूरी तरह से नहीं लग

सका लेकिन यह एक पल है जो हम जी रहे हैं उस पल में रहना बहुत कठिन है क्या मुझे

इसके लिए कोई तपस्या या तप करना होगा इस पर बौद्ध भिक्षु एक बार फिर मुस्कुराने

लगे और राजा से कहते हैं जिस शांत मन की तलाश तुम कर रहे हो वह शांत मन तो पहले से

ही मौजूद है वह तो पहले से ही तुम्हारे भीतर है इसके लिए तुम्हें कहीं भी जाने की

कोई आवश्यकता नहीं है और ना ही तुम कहीं शांत जगह जाने की आवश्यकता है इसके लिए

कुछ जरूरी है तो वह अपनी सांसों पर ध्यान देना इसलिए अपनी सांसों पर ध्यान देना

सीखो हम किस तरह से सांस ले रहे हैं और किस तरह से त्याग रहे हैं इस बात को देखने

और समझने का प्रयास करें तब तुम्हें यह समझ में आ जाएगा कि तुम्हारी सांसों के

साथ ही बना हुआ है उसके बाद तुम चाहो तो कोई भी कार्य करते वक्त भी अपनी सांसों पर

ध्यान दे सकते हो जब तुम कहीं चल रहे हो कोई ऐसा कार्य कर रहे हो तो तुम्हें अपनी

सांसों पर ध्यान देना चाहिए या कोई भी ऐसी क्रिया जो तुम्हें वर्तमान से बांधे रखे

इसका एक और तरीका है दो चार मिनट अपने आसपास की प्रकृति पर गौर करो देखो कि क्या ?


success motivational story in hindi


चल रहा है तुम्हारे आसपास इससे तुम वर्तमान में आ जाओगे फिर तुम अपने कार्य

को जल्दी जल्दी बस यूं ही खत्म नहीं करके उसे पूरे मन से करने का प्रयास करोगे

जिससे तुम्हारा मन एकाग्र होगा और जब तुम्हारा मन एकाग्र हो तो तुम चाहे कोई भी

कार्य क्यों ना करो फिर चाहे वह छोटा हो या बड़ा तुम्हारा मन उसमें पूरी तरह से

विलीन हो जाएगा और वह कार्य ही तुम्हें शांति और ज्ञान भी प्रदान करेगा ऐसे समय

पर हमारे मन में किसी प्रकार के कोई विचार उत्पन्न नहीं हो पाते और हमारे भीतर की जो

शांति है वह प्रकट होने लगती है हम उसमें मग्न हो जाते हैं इससे तुम चाहे तो आनंद

कह सकते हो या फिर वर्तमान में जीना कह सकते हो और यह व्यवस्था सरलता से प्राप्त

भी कर सक हो बस तुम्हें केवल अभ्यास करना होगा बौद्ध भिक्षु राजा से कहते हैं जो मन

मुश्किलों में शांत रहता है मुश्किलों से भागता नहीं है केवल सचेत रहता है वह मन हर

परेशानी को पार कर सकता है हर दुविधा से बाहर निकल सकता है राजा को बौद्ध भिक्षु

की यह सारी बातें समझ में आ चुकी थी उसने उन बौद्ध भिक्षु को प्रणाम किया और वहां

से वापस वह अपने राज्य महल लौट आया उसने अपनी सांसों पर ध्यान देना शुरू किया और

धीरे-धीरे इस निरंतर अभ्यास के कारण वह अपने हर कार्य को ध्यान और मन लगाकर किया

करता था जिससे उसे असीम शांति मिलती थी और वह छोटे-छोटे कार्यों से भी ज्ञान प्राप्त

कर लेता था इसलिए दोस्तों कभी किसी कार्य को बोझ मानकर मत कीजिए क्योंकि यदि आप उसे

बोझ मानेंगे तो जल्दी जल्दी उसे आप अपने ऊपर से उतारने का प्रयास करेंगे अर्थात

उसे जल्दी-जल्दी खत्म करने का प्रयास करेंगे लेकिन इस प्रयास के दौरान आप जो भी

कार्य कर रहेंगे वह पूरे मन और लगन से नहीं हो पाएगा और ऐसे में आप उस कार्य को

जो अंजाम देना चाहते हैं हो सकता है कि आप उसे अंजाम भी ना दे सके और इसी कारण आपके

मन में तनाव भी पैदा होता है हम चिंतित रहने लगते हैं परेशान रहने लगते हैं

क्योंकि जो अंजाम हम उस कार्य को देना चाहते थे वह अंजाम हम उस कार्य को नहीं दे

पाते और हम में से अधिकांश लोग यही गलतियां करते हैं जब उन्ह कोई कार्य सौपा

जाता है तो वह उस कार्य को करने का प्रयास तो करते हैं लेकिन वह चाहते हैं कि वह

कार्य कितनी जल्दी खत्म हो जाए और वह उस कार्य को करते वक्त अपने आप को वहां नहीं

रख पाते बल्कि उनका मन तो कहीं और ही भटकता रहता है हमारा मन हम पर हावी होने

लगता है हमें तरह-तरह के विचार दिखता है और हम उन विचारों में डूबते चले जाते हैं

हम उन विचारों में चले जाते हैं और फिर वहां से हमें निकालने का का कोई रास्ता

नजर नहीं आता जिससे हमारे मन में तनाव पैदा होने लगता है हम बहुत परेशान रहने

लगते हैं हम चाहकर भी किसी कार्य को नहीं कर पाते और जो कार्य हमें वर्तमान की ओर

ले जा सकता था उस दरवाजे को हम खुद ही बंद कर देते हैं क्योंकि वह कार्य हमें बोझ

लगने लगता है इसलिए जब भी आप कोई कार्य शुरू करना चाहते हैं तो उससे पहले अपना

पूरा ध्यान अपनी सांसों पर केंद्रित करें और फिर आप चाहे तो अपने काम के दौरान भी

अपनी सांसों पर अपना ध्यान लगाए रख सकते हैं और यही सांस का जो ध्यान है यह आपके

काम के ध्यान में परिवर्तित हो जाएगा और इस कार्य में जो भी कठिनाइयां उत्पन्न हो

रही हैं उसे आप पल भर में सुलझा देंगे फिर चाहे कैसी भी विपरीत परिस्थिति या आपके

सामने क्यों ना आ जाए आप उस कार्य को पूरे मन और लगन के साथ पूरा करके ही रहेंगे तो

दोस्तों उम्मीद है इस कहानि से आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा और अगर कुछ सीखने

को मिला हो तो हमारे इस वीडियो को लाइक शेयर और बुधा इंस्पायर्ड 2.0 चैनल को

सब्सक्राइब जरूर कर लीजिएगा और साथ ही कमेंट में नमो बुद्धाय जरूर लिखिए धन्यवाद ।

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.