हर समय खुश कैसे रहें | Gautam Buddha Motivational kahaniya | Motivetion Life
हर समय खुश कैसे रहें | Gautam Buddha Motivational kahaniya, life motivation
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| Gautam buddha motivational kahaniya |
ज्यादा काम करो कम सोचो बाकी का सब भूल जाओ ऐसा गौतम बुद्ध ने कई सालों पहले अपने शिष्यों से क्यों कहा था इसके पीछे का रहस्य क्या है आज इसी रहस्य को हम गौतम बुद्ध की कहानियों के माध्यम से जानेंगे तो दोस्तों पहली कहानी है हर समय खुश कैसे रहे एक शिष्य की कहानी। यह कहानी है एक बुद्धिस्ट साधु की और एक गरीब व्यक्ति की यह कहानी आपको बताएगी कि कैसे हर परिस्थिति में खुश रहे।
हर समय खुश कैसे रहें | Gautam Buddha.
एक जंग में एक संत रहता था इस संत के आश्रम में कई सारी गाय थी एक दिन इस संत के पास एक गरीब व्यक्ति आया और उसने संत से कहा कि मेरे पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है और कई दिनों से मैं भूखा हूं आप मुझ पर अपनी कृपा करो और मुझे अपना शिष्य बना लो ताकि मैं आपके साथ आपके आश्रम में रह सकूं संत ने इस गरीब व्यक्ति की बात मान ली और उसे अपना शिष्य बना लिया संत ने उसे एक गाय दे दी और कहा कि तुम इस गाय की सेवा करो तथा इससे मिलने वाला दूध केवल तुम्हारा ही होगा।
इसके अलावा रोज तुम दो बार भगवान के नाम का जाप भी किया करो संत की बात को मानते हुए शिष्य ने गाय की सेवा करनी शुरू कर दी और रोज भगवान का नाम लिया करता था गाय से मिलने वाला दूध शिष्य खुद ही पी जाता था आश्रम में रहकर शिष्य काफी खुश था और एक दिन उसने संत का धन्यवाद करते हुए उनसे कहा कि आपकी वजह से ही मेरा जीवन सुखी हो पाया है संत मुस्कुराकर बोले यह तो अच्छा है लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही गायक हो गई।
गायक होने के कारण शिष्य को दूध नहीं मिल रहा था जिसकी वजह से उसने पूजा करना भी छोड़ दिया और दुखी रहने लग गया शिष्य ने संत से मुलाकात की और संत को बताया कि उसकी गाय खो गई है जिसकी वजह से उसका मन मंत्र जाप में भी नहीं लग रहा और वह कई दिनों से दुखी है यह बात सुनकर संत ने कहा यह भी अच्छा है कुछ समय बाद शिष्य को गाय वापस मिल गई और वह फिर से खुश रहने लग गया श ने यह बात संत को बताई संत ने गाय मिलने की बात सुनकर कहा यह तो अच्छा है।
यह सुनते ही शिष्य हैरान हो गया और उसने संत से कहा मेरे जीवन की हर परिस्थिति में आप अच्छा है यही क्यों कहते हैं संत ने जवाब देते हुए कहा सुखी और सफल जीवन पाने के लिए सुख हो या दुख हर समय प्रसन्न रहना चाहिए जीवन में आई बुरी स्थिति में अपने आप को दुखी नहीं रखना चाहिए जब हम हर समय खुश रहते हैं तब जीवन से दुख का अनुभव स्वतः खत्म हो जाता है संत की यह बात सुन शिष्य को समझ आ गया कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों ?
ना हो हमें सदैव प्रसन्न ही रहना चाहिए ऐसा करने से दुख महसूस नहीं होता और खुशी के साथ जीवन कट जाता है तो दोस्तों चलिए बढ़ते हैं हमारी दूसरी कहानी की तरफ दूसरी कहानी है साधु और राजा की कहानी बहुत समय पहले की बात है एक राज्य में एक दयालु राजा राज्य करता था वह प्रजा का हिताशी था प्रजा का हित उसके लिए सर्वोपरि था वह हमेशा इस प्रयास में रहता कि उसकी प्रजा को कोई समस्या कोई परेशानी ना हो सभी सुख चयन का जीवन बसर करें उसके शासन में प्रजा प्रसन्नता और सुख से जीवन व्यतीत कर रही थी राजा वेश बदलकर राज्य भ्रमण पर निकलता और प्रजा की स्थिति के बारे में पता करता यदि उसे पता चलता कि प्रजा किसी प्रकार के कष्ट में है।
तो वह उन कष्टों को दूर करने का प्रयास करता एक बार वह इसी प्रकार वे बदलकर राज्य भ्रमण पर निकला भ्रमण करते-करते वह एक जंगल से गुजरा और रास्ता भटक गया उसके सैनिक पीछे छूट गए और वह अकेला रह गया रास्ता ढूंढता हुआ वह एक स्थान पर पहुंचा उसने देखा कि वहां एक कुटिया बनी हुई है राजा को भूख लगाई थी उसने सोचा यहां अवश्य भोजन की व्यवस्था हो जाएगी उसने अपने घोड़े को एक पेड़ से बांधा और कुटिया में प्रवेश किया वह एक साधु की कुटिया थी गेरू वस्त्र धारण किए एक साधु पेड़ के नीचे आसन लगाकर बैठे थे उनकी आंखें बंद थी।
और वे ध्यान में लीन थे राजा ने देखा कि उस स्थान का वातावरण बहुत ही सुंदर है पेड़ पौधे हरे भरे हैं जिनमें फूल और फल लदे हुए हैं पंछी उन्मुक्त होकर विचरण कर रहे हैं राजा यह देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ वह साधु के पास गया और उन्हें प्रणाम कर उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया साधु ने आहट पाकर आंखें खोली और अपने सामने एक नौजवान को पाया उसके मुख का तेज देखकर ही साधु समझ गए कि वह कोई राज सी व्यक्ति है राजा ने उन्हें बताया कि वह रास्ता भटक गया है साधु ने उसे अपने आश्रम में शरण दी खाने के लिए मीठे फल दिए राजा ने कभी उतने मीठे फल नहीं खाए थे।
उसके चकित होकर पूछा गुरुवर आज तक मैंने इतने मीठे और स्वादिष्ट फल नहीं खाए इनके इतने मीठे होने का कारण क्या है साधु ने कहा इस राज्य का राजा अत्यंत दयालु और न्याय प्रिय है इसलिए यह फल इतने मीठे हैं जब तक वह अपनी प्रजा का हित श रहेगा दिन दुखियों का सहायक रहेगा यह फल ऐसे ही मीठे रहेंगे राजा को यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ उसके लिए इन बातों पर विश्वास करना कठिन था जब साधु से आज्ञा लेकर वह लौटा तो उसने निश्चय किया कि वह इस बात का परीक्षण अवश्य करेगा।
उसे अपने सैनिक मिल गए जो जंगल में उसे ढूंढ रहे थे वह अपने राज्य वापस लौट गया वापस लौटने के बाद उसने प्रजा पर जुल्म ाने शुरू कर दिए उसने किसानों का लगान बढ़ा दिया और प्रजा पर ना ना प्रकार के कर लगा दिए अब वह अपना धन भोग विलास में खर्च करने लगा और प्रजा की ओर से उदासीन हो गया प्रजा पर अत्याचार बढ़ने लगे तो पूरे राज्य में त्राहि त्राहि मच गई।
कुछ दिनों बाद राजा फिर जंगल में उसी साधु की कुटिया में पहुंचा इस बार उसने देखा कि वहां का वातावरण भिन्न है पेड़ पौधे सूख चुके हैं फूल मुड़झा गए हैं फल सड़ चुके हैं यह देखकर वह चकित रह गया वह साधु के पास गया और उसे प्रणाम किया साधु ने उसे खाने के लिए फल दिए इस बार फलों का स्वाद कड़वा था राजा ने साधु से इसका कारण पूछा साधु ने कहा इस राज्य का राजा बाद पहले जैसा नहीं रहा उसे प्रजा के हित का कोई ख्याल नहीं है वह प्रजा पर अत्याचार करने लगा है उसके प्रति प्रजा के मन में कड़वाहट बस गई है।
इसीलिए इन फलों का स्वाद कड़वा है राजा साधु की कुटिया से अपने राज्य लौट आया उसे साधु की बात समझ आ गई थी अगले दिन से वह फिर से अपनी प्रजा का ध्यान रखने लगा उसके बदलते ही फिर से प्रकृति ने अपना रंग बदला और हरी भरी हो गई तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा यदि अच्छे कर्म करोगे तो अच्छा फल मिलेगा बुरे कर्म करोगे तो बुरा यदि हम किसी को कड़वाहट देंगे तो बदले में हमारे जीवन में भी कड़वाहट घुल जाएगी।
इसलिए हमेशा सबका भला करें तो दोस्तों चलिए बढ़ते हैं हमारी तीसरी कहानी की तरफ तीसरी कहानी एक गुरु और शिष्य की कहानी एक गुरु अपने शिष्य के साथ कहीं जा रहे थे चलते-चलते उन्हें प्यास लगी तो वे दोनों एक खेत के पास जाकर रुक गए खेत की हालत देखकर लगता था कि खेत का मालिक खेत पर जरा भी ध्यान नहीं देता है उन्होंने देखा खेत में एक घर भी है।
दोनों जाकर दरवाजा खटखटा हैं घर में से एक आदमी उसकी पत्नी और दो बच्चे बाहर आते हैं सभी ने फटे पुराने कपड़े पहने हुए होते हैं गुरु कहते हैं क्या हमें पानी मिल सकता है काफी प्यास लगी हुई है वो व्यक्ति उन्हें पानी लाकर देता है फिर गुरु कहते हैं आपका खेत इतना अच्छा है लेकिन इसमें कोई भी फसल क्यों नहीं बोई गई व्यक्ति कहता है हमारे पास एक भैंस है जो काफी दूध देती है।
जिसे बेचकर और पीकर हमारा गुजारा हो जाता है इसलिए बेवजह खेती क्यों करूं गुरु कहते हैं क्या हम आज की रात यहां रुक सकते हैं कल सुबह होते ही हम यहां से निकल जाएंगे व्यक्ति कहता है ठीक है आप यहां रुक सकते हैं आधी रात होते ही गुरु अपने शिष्य से कहते हैं उठो हमें अभी के अभी यहां से निकलना है लेकिन जाने से पहले हम इस व्यक्ति की भैंस को पहाड़ से गिराकर मार देंगे यह सुनकर शिष्य को काफी बुरा लगा लेकिन वह अपने गुरु की बात टाल नहीं पाया वे दोनों रातों रात भैंस को मारकर वहां से भाग जाते हैं।
10 वर्ष बाद जब शिष्य अपनी शिक्षा पूरी कर लेता है तब वह सोचता है क्यों ना अपनी गलती को सुधारा जाए उस आदमी के पास वापस जाकर उसकी मदद की जाए शिष्य उसी गांव उसी जगह वापस जाता है और देखता है वहां के सारे खेतों में दूर-दूर तक काफी फल लगे हुए हैं और वहां एक बहुत बड़ा घर भी है शिष्य को लगता है शायद वह आदमी सब कुछ बेच के यहां से जा चुका होगा शिष्य वहां से वापस जाने लगता है।
तभी वहां घर के आगे एक कार आकर रोकती है कार में से वही व्यक्ति बाहर आता है जिससे शिष्य 10 साल पहले मिला था शिष्य उसके पास जाकर कहता है आपने मुझे पहचाना मैं 10 साल पहले आपसे मिला था व्यक्ति कहता है हां उस दिन को मैं कैसे भूल सकता हूं शिष्य कहता है आप तो बहुत गरीब थे आखिर आप इतने अमीर कैसे बने व्यक्ति कहता है क्या बताऊं आपके जाने के बाद मेरी भैंस की मौत हो गई मैं कुछ दिन काफी दुहा की रहा परेशान रहने लगा।
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| Life motivation |
लेकिन जीवन जीने के लिए कुछ तो करना ही था मैं लकड़ियां काट करर बेचने लगा जिससे कुछ पैसे आए तो मैंने खेत की बुआई कर दी फिर उससे और पैसे आए तो मैंने सारी जगह खरीद ली और फलों की बुआई करवा दी और आज मैं आसपास के इलाकों में फलों का सबसे बड़ा व्यापारी हूं और मेरे पास लाखों रुपए हैं अगर उस दिन भैंस की मौत नहीं हुई होती तो आज मैं इतना सफल नहीं हुआ होता
दोस्तों इस कहानी से यह साफ पता चलता है कि जीवन में हर परेशानी आपके लिए एक बड़ा मौका लेकर आती है अगर अभी आपके जीवन में परेशानी आई है तो यकीन मानो एक बहुत बड़ी सफलता भी अपने साथ लेकर आई है यकीन मानिए बुरे वक्त में आपने हिम्मत नहीं हारी तो आने वाले समय में आप बेहद सफल होने वाले हैं।
अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी है तो और लोगों और अपने करीबी दोस्तों के साथ शेयर करें तो दोस्तों चलिए बढ़ते हैं हमारी चौथी कहानी की तरफ चौथी कहानी पहले अपनी नजर को बदलो एक बार एक बहुत बड़ा नेता एक साधु के छोटे से आश्रम में गया वह साधु के बारे में बहुत सुनना था तो उसके मन में आया कि मैं एक बार जाकर देखता हूं कि लोग उसकी इतनी तारीफ क्यों करते हैं जब वह उस आश्रम में गया तो वहां पर एक छोटा सा कमरा था जहां पर एक कालीन बिछा हुआ था।
वहां पर कुछ लोग नीचे बैठे हुए थे और साधु जी सामने बैठे हुए थे कुछ सवाल जवाब चल रहा था वह नेता उस आश्रम में आया और उस नेता के साथ में चार बॉडीगार्ड भी थे और उसकी यह आदत थी कि जहां पर भी वह जाता था लोग अपनी जगह से खडे डेढ़े हो जाते थे और उसकी तरफ देखते थे हाथ जोड़ते थे और सर झुकाते थे लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ साधु व्यस्त होने के कारण उसकी तरफ देखा तक नहीं तभी नेता को लगा कि यह मेरी बेइज्जती है और वह इस बात से गुस्सा हो गया नेता ने थोडा गुस्से से साधु की बात को बीच में काटते हुए कहा कि मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूं।
साधु ने उसकी तरफ देखा और बोला आप थोड़ी देर रुकिए पहले मैं इनके सवाल का जवाब दे दूं उसके बाद मैं आपसे बात करता हूं तब तक आप अगर चाहे तो आप बैठ सकते हैं बस साधु का इतना कहने की ही देरी थी नेता का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और फिर उसने अपना सारा गुस्सा उस साधु पर निकाल दिया अभी तक वह नेता बहुत तमीज से आप आप कह कर के बात कर रहा था लेकिन अब वह तू तड़ाक पर उतर आया नेता ने उस साधु को कहा तुझे पता भी है मैं कौन हूं और तू किससे बात कर रहा है साधु ने उसकी तरफ देखा और कहा मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप कौन है लेकिन आप जो कोई भी है अगर आप चाहते हैं कि मैं आपके सवाल का जवाब दूं या आपसे बात करूं तो आपको कुछ देर रुकना होगा और साधु की यह कहते हैं।
नेता गुस्से से पागल हो गया और वही सबके सामने चीखने चिल्लाने लग गया अब मैं तुझे तेरी असली औकात दिखाऊंगा तूने मुझसे पंगा लेकर के ठीक नहीं किया तुझे पता भी है मैं तेरे बारे में क्या सोचता हूं साधु ने फिर से नेता की तरफ देखा और बड़े ही प्रेम से कहा कि मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप मेरे बारे में क्या सोचते हैं आप जो चाहे वह मेरे बारे में सोच सकते हैं फिर नेता ने उससे कहा कि तू चाहे सुनना चाहता है या नहीं लेकिन मैं तुझे यही सबके सामने बताऊंगा कि मैं तेरे बारे में क्या सोचता हूं।
तू कोई साधु नहीं है तू एक बहुत ही घटिया इंसान है तू एक ढोंगी है पाखंडी है और यहां पर जितने भी लोग बैठे हैं उन सबको बेवकूफ बना रहा है तेरा बस एक ही मकसद है इन लोगों की जेब में जितना भी पैसा है वह सब तेरे पास में आ जाए तू अपने फायदे के लिए इन लोगों का इस्तेमाल कर रहा है और अब मैं तुझे नहीं छोड़ने वाला हूं पूरी दुनिया के सामने तेरा पर्दाफाश करके रहूंगा लेकिन उसके इतना बोलने के बाद भी हल्की सी मुस्कान उस साधु के चेहरे पर बनी ही रही यह देखकर वह और भी तिलमिला गया और उसने कहा अब बहुत हो गया अब मैं यहां एक मिनट भी नहीं रुकने वाला लेकिन अभी भी तेरे पास मौका है।
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| Hindi Motivational kahani |
अगर मुझसे माफी मांगनी है या मुझसे कुछ कहना है तो कह सकते हो इतना सब होने के बाद भी साधु के चेहरे पर एक मुस्कान थी और वह बिल्कुल शांत था और फिर उन्होंने अपनी आंखें बंद करी और फिर साधु ने अपनी आंखें खोली हाथ जोड़े और कहा कि मुझे आपसे कोई गिला शिकवा नहीं है आपके लिए मेरे मन में कोई भी गलत ख्याल नहीं है जो भी मेरे बारे में आपने कहा वह आपकी अपनी सोच थी तो मुझे आप में कोई भी बुराई नजर नहीं आती है।
मुझे आप बहुत ही भले इंसान लग रहे हैं और साधु के इतना कहते ही नेताजी का दिमाग सातवें आसमान पर पहुंच गया उसके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी थी क्योंकि उस साधु ने वही कहा जो बाकी सब लोग उस नेता को कहते हैं और वह खुशी-खुशी उस आश्रम से अपने अपने घर की तरफ चला गया और जाकर के अपने पिताजी के साथ में बैठ गया उसके पिताजी ध्यान में थे।
उन्होंने पूरी जिंदगी सिर्फ लोगों की सेवा करी और और बदले में कुछ भी उम्मीद नहीं किया तो थोड़ी देर बाद जब उन्होंने अपनी आंखें खोली और देखा अपने बेटे को अपने साथ बैठे हुए तो उनके बेटे के चेहरे पर आज एक अजीब सी खुशी थी जो आज से पहले उन्होंने कभी नहीं देखी थी फिर उसने एक-एक करके सब कुछ बताया कि आज क्या हुआ किस तरह से वह आश्रम गया और वहां पर क्या हुआ उसने क्या कहा और साधु जी ने क्या कहा जब उसके पिताजी नेने पूरी बात सुनी तो थोड़ा सा मुस्कुराए और अपने बेटे को देख कर के बोले कि उन्होंने तुम्हारी तारीफ नहीं करी क्योंकि ?
उन्होंने वह नहीं कहा कि जो तुम हो उन्होंने वह कहा कि जो वह खुद है और तुमने जो भी कुछ उनको कहा वह नहीं कहा कि जो वह है बल्कि तुमने वह का जो तुम खुद हो यही बात वेदों में भी कही गई है यथा दृष्टि तथा सृष्टि यह दुनिया तुम्हें वैसी नहीं दिखती जैसी यह दुनिया है यह दुनिया वैसी दिखती है तुम्हें जैसे तुम खुद हो जिसकी नजर जैसी है उसके लिए यह दुनिया वैसी ही है तो अगर तुम अपनी दुनिया को बदलना चाहते हो तो उसका सिर्फ एक तरीका है।
अपनी नजर को बदलो तो दोस्तों चलिए बढ़ते हैं हमारी पांचवी कहानी की तरफ पांचवी प्रेरणादायक कहानी है सात महत्त्वपूर्ण संदेश जो बदल सकते हैं आपकी दुनिया यह कहानी है सफलता और समृद्धि की कहानी एक वकील की जो उसकी सफलता से शुरू हुई और उसके व्यक्तित्व की समृद्धि पर समाप्त हुई एक वकील जूलियन जो सफलताओं की ऊंचाइयों को छू रहा है लाखों करोड़ों की संपत्ति है लेकिन फिर भी जीवन में खुशी और संतुष्टि का अभाव है जीवन की वास्तविक खुशी ढूंढने के लिए वह भारत आता है।
और हिमालय पर जाकर एक संत से मिलता है तो उससे सच्ची खुशी का रहस्य बताता है और कहता है यह शिक्षा अपने तक सीमित ना रखकर तुम्हें सब में बांट होगी जब वह वापस आता है तो उसके जीवन से निराशा और उदासी दूर हो चुकी होती है तब उसका दोस्त जॉन उससे पूछता है कि तुम में यह परिवर्तन कैसे आया तब जूलियन उसे सारी कहानी बताते हुए उस संत की शिक्षा के बारे में बताता है आपको भी अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए उन सात मूल मंत्रों को जानने की आवश्यकता है।
जो आज हम आपको यहां बताने जा रहे हैं पहला मंत्र सकारात्मक सोच और मस्तिष्क पर नियंत्रण आप अपने आसपास सकारात्मकता तभी महसूस कर सकते हैं जब यह आपके भीतर मौजूद हो अपने मस्तिष्क से निराशा नकारात्मक सोच और अतीत की कड़वी यादों के बोझ को हमेशा के लिए निकाल दे इस कचरे को दिमाग में जमा ना होने दें हर वक्त सकारात्मक सोचना ही आपकी सफलता की ऊंचाई को तय करता है सकारात्मक विचार आपको रचनात्मकता से भी परिचित कराएंगे जो आपके जीवन को बेहतर बनाएंगे याद रखें कि आपके जीवन की गुणवत्ता आपके विचारों की गुणवत्ता पर ही निर्भर करती है जब आप दिमाग पर और सोच पर नियंत्रण हासिल कर लेंगे।
तब आपको वह ऊर्जा प्राप्त होगी जो आपके सपनों को पूर्ण करने में सहायक और जरूरी होगी इसलिए मस्तिष्क पर नियंत्रण करना जरूर आना चाहिए दूसरा मंत्र लक्ष्य निर्धारण और उस पर केंद्रित रहना लक्ष्य के बिना जीवन अधूरा होता है क्योंकि आपको पता ही नहीं होता कि आप क्यों जी रहे हैं आपकी जिंदगी का मकसद क्या है याद रखिए मंजिल तक पहुंचने के लिए मंजि की होना भी जरूरी है इसीलिए एक लक्ष्य अवश्य निर्धारित करें और उस तक पहुंचने के लिए सही रास्तों का चुनाव करें बीच रास्ते में यदि किसी की मदद की जरूरत महसूस हो तो हिच किचा जाए नहीं बल्कि खुलकर अपनी बात कहे लेकिन रुके नहीं आपको किसी भी परिस्थिति में लक्ष्य से भटकना नहीं है।
तीसरा मंत्र निरंतर सुधार अपने डर और अपनी कमियों या कमजोरियों को पहचाने उनका सामना करें और जल्द से जल्द उन्हें दूर करने की कोशिश करें ध्यान रखें की असफलता ही हमें सफलता की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है इसीलिए अपनी गलतियों से हार ना माने बल्कि उनसे सीखें और आगे बढ़े ज्ञान कभी पूर्ण नहीं होता इसलिए हमेशा हर चीज से कुछ ना कुछ सीखते रहना चाहिए चौथा मंत्र आत्म संयम और अनुशासन सुखद जीवन के लिए चौथी सबसे महत्त्वपूर्ण चीज है अनुशासन और आत्म संयम यह आपके व्यक्तित्व को मजबूती प्रदान करती है इसलिए अपने आप को अनुशासित करें और संयमित जीवन जिए अंदर की जिज्ञासा को कभी मरने ना दे।
क्योंकि यही जिज्ञासा कुछ नया करने नया सीखने के लिए आपको हमेशा प्रेरित करेगी पांचवा मंत्र वक्त की कद्र करें कल करे सो आज कर आज करे सो अब पल में प्रलय होएगी बहुरी करेगा कब कबीर दास जी हमें अपने इस दोए से सीखते गए हैं कि जो काम कल करना चाहते हो वह आज ही कर लेना चाहिए बल्कि अभी ही कर लेना चाहिए दोस्तों बीता हुआ समय कभी लौट कर नहीं आ इसलिए उसकी अहमियत समझिए और समय का सदुपयोग करें अभी बहुत समय है अभी बहुत समय है यही सोचते सोचते हम अपना कीमती समय बिता देते हैं सबसे पहले तो काम को टालने की बुरी आदत से बचे क्योंकि ?
इससे आप अपना काफी समय बर्बाद कर देते हैं प्राथमिकताएं तय करें और उसी अनुसार अपना हर काम करें छठा मंत्र सकारात्मक व्यक्तित्व रखें बुरे वक्त में अगर कोई चीज काम आती है तो वह है आपका सकारात्मक व्यक्तित्व हमेशा याद रखिए कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है सकारात्मक सोचना शुरू करें जो बीत गई ।
वो बात गई लेकिन आज का समय केवल आपका है इस पर केवल आपका ही नियंत्रण है साथ ही स्वार्थ की भावना से बचते हुए दूसरों की भी मदद जरूर करें दूसरों की मदद करके जिस खुशी और संतुष्टि का अनुभव आप करेंगे वह लाखों रुपयों की कमाई से भी बढ़कर होगा सातवा मंत्र अपने आज को भरपूर जिए यकीन मानिए छोटे-छोटे पलों में में खुशियां ढूंढ लेंगे।
तो ही बड़ी खुशियां प्राप्त कर पाएंगे हर पल में कुछ नया ढूंढे हर पल को जिंदा दिली से जिए और हर पल का जश्न मनाए चाहे वह दोस्तों के साथ घूमने हो पत्नी के साथ चाय पर गपशप हो या प्रेमिका के साथ रूठ ना मनाना हो हर वक्त को एंजॉय करें आज के बिताए हुए खुशनुमा पल ही भविष्य की सुनहरी यादें बनकर हमें खुश करते हैं अपनी खुशियों को दीपक कि वह लॉ मानिए जिसे आपको बुझने नहीं देना है ध्यान रखें कि हमारी खुशियों की चाबी केवल हमारे पास होती है असफलताओं से शिक्षा लेकर कड़वे अनुभव को शिक्षक मानकर दिल में केवल अच्छी यादें बसाकर बस आगे बढ़ते जाइए।
तो दोस्तों चलिए बढ़ते हैं हमारी छठी कहानी की तरफ छठी कहानी है जब तक अच्छी बातों को अपने जीवन में नहीं उतारेंगे तब तक इनसे कोई लाभ नहीं मिलेगा बुद्ध से एक व्यक्ति ने कहा कि तथागत मैं रोज आपके प्रवचन सुन रहा हूं लेकिन मुझे इसका कोई लाभ नहीं मिला एक व्यक्ति गौतम बुद्ध का प्रवचन सुनने रोज आया करता था और बडे डे ही ध्यान से उनकी बातें सुनता था बुद्ध अपने प्रवचनों में लालच मोह बैर और अहंकार छोड़कर जीवन में सुख शांति बनाए रखने की बातें किया करते थे।
एक दिन वह व्यक्ति गौतम बुद्ध के पास आया और बोला कि तथागत मैं लगभग एक माह से आपके सभी प्रवचन सुन रहा हूं क्षमा करें उनका मुझ पर कोई असर नहीं हो रहा है आपकी कही गई हर एक बात सत्य है लेकिन फिर भी मुझ पर इनका कोई असर नहीं हो रहा है इसका क्या कारण है क्या मुझ में कोई कमी है गौतम बुद्ध ने शांति से उसकी बातें सुनी और उस व्यक्ति से पूछा कि तुम कहां रहते हो उस व्यक्ति ने उत्तर दिया कि मैं श्रावस्ती में रहता हूं बुद्ध ने पूछा यह जगह यहां से कितनी दूर है।
उस व्यक्ति ने जगह की दूरी बताई इसके बाद बुद्ध ने फिर पूछा तुम वहां कैसे जाते हो व्यक्ति ने बताया कि कभी घोडे पर कभी बैलगाडी पर बैठकर जाता हूं बुद्ध ने फिर पूछा कि तुम्हे वहां पहुंचने में कितना समय लगता है व्यक्ति ने पहुंचने का समय भी बता दिया इसके बाद बुद्ध ने अंतिम प्रश्न पूछा कि क्या तुम यहां बैठे-बैठे ही श्रावस्ती पहुंच सकते हो इस प्रश्न के जवाब में व्यक्ति ने कहा कि तथागत यह कैसे हो सकता है इसके लिए तो चलना पड़ेगा तभी मैं वहां पहुंच सकता हूं बुद्ध ने कहा कि सही बात है हम चलकर ही हमारे लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं ठीक इसी प्रकार जब तक हम अच्छी बातों का पालन नहीं करेंगे उन पर चलेंगे नहीं तब तक हम पर प्रवचनों का कोई असर नहीं होगा व्यक्ति को बुद्ध की बातें समझ आ गई और उस दिन के बाद उसने भी बुद्ध के बताए मार्ग पर चलना शुरू कर दिया।
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