जो चाहोगे वहीं मिलेगा | Hindi Motivational Kahani | Motivational Story

 जो चाहोगे वहीं मिलेगा | Hindi Motivational Kahani | Motivational Story | Gautam Buddha Motivational Story,

Gautam Buddha Motivational Story

विश्वास एक ऐसी शक्ति है जिसके माध्यम से दुनिया को जीता जा सकता है लेकिन इसके लिए आपके अंदर सेल्फ कॉन्फिडेंस की भावना का होना आवश्यक है क्योंकि जब आप अपने मन से इस बात को सोचेंगे कि आप इस काम को आसानी पूर्वक कर सकते हैं तो यकीनन आप उसे कम को पूरा कर पाएंगे।

 इस बात को हम कहानी के माध्यम से आपको समझाने का प्रयास करेंगे अगर आप इस कहानी को पूरा अंत तक सुन लेते हैं तो आप लाइफ में जो चाहेंगे वह चीज आपको मिल सकता है और कहानी को एक लाइक जरूर करें। 


Hindi Motivational Kahani. 

 एक दिन गौतम बुद्ध से एक शिष्य ने पूछा हे महात्मा क्या ऐसा संभव है जो मैं मेरे मन में सोचू वह सारी चीजें अपने आप मुझे मिलना शुरू हो बुद्ध शिष्य से बोले ऐसा संभव तो है लेकिन क्या इसके लिए तुम यह दो चीजें कर पाओगे शिष्य बुद्ध से बोला इसके लिए कुछ भी करूंगा।

 बुद्ध उस शिष्य से बोले तो सुनो तुम अपने मन में जो चाहो वह तुम्हें मिलने लग जाए इसका पहला उपाय यह है कि तुम्हें अपने मन को अपने नियंत्रण में लाना सीख ना होगा जब तुम्हारा मन पूरी तरह से तुम्हारे काबू में आएगा तब उस दिन तुम्हें अपनी मनचाही चीजें मिलना शुरू होंगी शिष्य बुद्ध से बोला लेकिन गुरुजी मन को वश में कैसे लाया जाता है और इस समस्या का दूसरा उपाय क्या है बुद्ध शिष्य से कहते हैं।

 मन को वश में लाने का सबसे पहला और महत्त्वपूर्ण उपाय अपने इंद्रियों को संयमित करना होता है तुम्हारे पांचों इंद्रिया जब तुम्हारे वश में होंगी तभी तुम अपने मन को वश में करने में कामयाब हो पाओगे कहता हमारा मन हमारे काबू में आएगा और फिर जो मैं मेरे मन में सोचूं वह चीज मुझे मिलने लगेगी लेकिन गुरुदेव इंद्रिया तो मेरे काबू में है मैं जैसे चाहूं वैसे अपने हाथों को आंखों को या फिर पैरों को हिला सकता हूं।

 फिर मुझे जो चाहे वह चीजें क्यों नहीं मिल पाती बुद्ध शिष्य से कहते हैं बालक तुम अपने पांचों इंद्रियों की क्रिया के बारे में अपने मन में विचार कर रहे हो लेकिन अपने पांचों इंद्रियों को अपने काबू में रखने का असली अर्थ यह है कि तुम्हें किसी भी बहुत तिक चीज का मोह ना रहना जब मनुष्य के मन के अंदर अलग-अलग प्रकार के मोह उत्पादित होते हैं तब उसका मन उन चीजों को देख दुखी होता है।

 जिस वजह से वह व्यर्थ की चिंता में फंसता चला जाता है वही जिस इंसान का मन अपने काबू में होता है ऐसा व्यक्ति किसी भी प्रकार के मन के छला में ना फंसकर अपने लक्ष्य की ओर अग्रेसर होता है और वही व्यक्ति जीवन में आगे जाकर अपने लक्ष्य को पूरा कर जीवन में सफल बन पाता है शिष्य कहता है महात्मा मन को वश में करने का सही उपाय क्या है किस प्रकार मैं अपने मन को अपने वश में ला सकूंगा।

 और गुरुदेव दूसरा उपाय क्या है जिससे मैं अपनी मनचाही चीजों को पा सकता हूं बुद्ध शिष्य से से कहते हैं तुम्हें अगर अपने मन को बश में करने का उपाय पता करना है तो तुम सामने दिख रहे पेड़ के नीचे एक महीना हर दिन दो घंटों के लिए मौन रहकर ध्यान करना जैसे ही तुम्हारे इन 30 दिनों का सफर खत्म होगा वैसे ही तुम्हें अपने मन को काबू में करने का उपाय मिल जाएगा।



 इसके लिए तुम्हें अपने मन को वश में कर पाना अत्यंत जरूरी है जब तुम अपने मन को वश में कर लोगे तभी मैं तुम्हें दूसरे उपाय के बारे में बताऊंगा शिष्य बुद्ध को प्रणाम कर कहता है यह तो काफी आसान कार्य है एक महीना ही क्या मैं एक साल तक दो घंटे उस पेड़ के नीचे बैठ सकता हूं आप मुझे आज्ञा दे कल से ही मैं ध्यान में बैठने के लिए तैयार हूं।

 बुद्ध शिष्य से बोले ठीक है तुम पहले 30 दिन उस पेड़ के नीचे मौन रहकर ध्यान करके दिखा दो फिर हम आगे बात करेंगे उस शिष्य को लगता है गुरुदेव ने तो मुझे बहुत ही आसान कार्य सौंपा है इसे मैं आसान पूर्वक कर सकता हूं शिष्य दूसरे दिन गौतम बुद्ध को प्रणाम कर उस पेड़ के नीचे मौन रूप से बैठ गया तीन चार दिन तक ऐसे ही चलता रहा शिष्य हर दिन बुद्ध के पास जाता उनको प्रणाम करता।

 और उस पेड़ के नीचे जाकर मौन रूप से ध्यान करना प्रारंभ करता लेकिन जब छठे दिन रोज की तरह शिष्य उस पेड़ के नीचे बैठने जाता है तब उस समय उसका मन बेकाबू होने लगता है उसके मन में अलग-अलग चीजों के विचार आना शुरू होते हैं उसने अब तक जिस लोगों से बुरा बर्ताव किया अपने साथ गुरुकुल में पढ़ रहे भाइयों को उसने हर बार कैसे मूर्ख बनाया।

 और अपनी तारीफ करने के लिए गुरुजी को कब-कब झूठ बोला इन सारी बातों के विचार उसके मन में उत्पादित होने लगे जिससे उसका पूरी तरह ध्यान में मन लगना बहुत ही मुश्किल होने लगा थोड़े दिन बीते आज उस शिष्य का मौन रहकर ध्यान करने का 17 वा दिन था लेकिन उसके मन में बार-बार आते हुए गलत विचार उसे ध्यान को ठीक से करने नहीं दे रहे थे इसके लिए उसने मन में निर्णय किया मैं इस समस्या का हल गुरुदेव से पूछता हूं उन्हें इसका हल जरूर पता होगा ।

18वें दिन शिष्य के मुंह पर आ रहे भाव देखकर बुद्ध पहले ही समझ चुके थे कि आज यह सिर्फ प्रणाम करने नहीं अपितु किसी समस्या का हल पूछने आया है शिष्य बुद्ध के पास जाता है और कहता है महात्मा आपके बताए अनुसार मैं हर रोज 17 दिनों से उस पेड़ के नीचे ध्यान लगाने बैठ जाता हूं शुरुआती दिनों में मैं जब ध्यान लगाने बैठता था।

 तब मेरा मन पूरी तरह लगता था लेकिन अब उस पेड़ के नीचे जब मैं अपना ध्यान लगाने बैठ जाता हूं तब मेरा ध्यान अच्छे से नहीं लग पाता मेरे मन में अलग-अलग प्रकार के विचार आते हैं जो विचार मुझे आते हैं उनके बारे में सोचकर मुझे अपनी सोच के ऊपर गुस्सा आने लगता है मैंने अपने गुरु भाइयों के साथ कितना गलत किया कितनी ही बार मैंने आपसे प्रशंसा के खातिर झूठ बोला इन सभी गलत विचार मुझे अंदर से ही मैं अब तक कितना गलत था इस बात को उजागर कर हैं।

 जिस वजह से मेरा ध्यान पर मन लगना तो दूर में ध्यान करते समय इन्हीं विचारों से झुंझ रहता हूं महात्मा मुझ पर कृपा करें और मुझे इन गलत विचारों को अपने मन से पूरी तरह खत्म करने में सहायता कीजिए बुद्ध शिष्य से कहते हैं तुम्हें जब मैंने पहले दिन मौन रहकर पेड़ के नीचे बैठने के लिए कहा था तब तुम्हारे मन में किसी भी प्रकार के विचार नहीं आ रहे थे लेकिन अब 18 दिन बीतने के बाद तुम्हारे मन में अपनी गलतियों के विचार उत्पादित हो चुके।

Motivational kahani in hindi 


 जिसका कारण एक ही है जब तुम अपने गुरु भाइयों के साथ मस्ती करते थे और सबको अपनी तारीफ करने के लिए झूठी कहानियां सुनाते थे तब तुम शांत रहर अपने मन से बातें ना कर पूरे दिन गुरु भाइयों के सामने बढ़ावा करने में समय व्यतीत करते थे व्यक्ति अपने आप से किसी भी सवाल को पूछता नहीं है लोग शांत रहकर खुद से बात करना पसंद नहीं करते और दूसरों से अपनी समस्याओं का हल पूछकर उदास होते है। 

 जब इंसान अपनी किसी भी प्रकार की समस्या का हल शांत रहकर अपने आप से पूछता है तब उस वक्त उस व्यक्ति की बुद्धि खुद पे खुद उस इंसान को बताना शुरू करती है जब तुम अपने आप से बातें करना प्रारंभ करते हो तब तुम्हें खुद की अच्छाइयां और बुराइयां दोनों दिखना शुरू होती है जिसका फायदा तुम्हें भविष्य में होना शुरू होता है ।

यानी जब तुम्हें अपनी गलतियां दिखती तब तुम उन पर शांति से काम कर अपने आप ही आगे बढ़ना शुरू कर देते हो जिस वजह से तुम अपने मन में जिस भी चीज को सोचते हो उस चीज को प्राप्त करने का रास्ता तुम्हारी बुद्धि तुम्हें दिखाना शुरू करती है बौद्ध कहते हैं इसलिए मैंने पहले ही दिन तुम्हें बताया था जैसे-जैसे तुम शांत रहकर अपने मन से विचार करना शुरू करोगे वैसे-वैसे तुम्हें अपनी मनचाही चीजें मिलना प्रारंभ होंगी बुद्ध शिष्य से बोले गुरुदेव आपने मुझे दूसरा उपाय बताने का भी वादा किया था मुझे लगता है वह उपाय इससे आसान होगा कृपा कर मुझे दूसरा भी उपाय बताइए बुद्ध शिष्य को बोले मैं तुम्हें दूसरा उपाय तुम्हारे 30 दिन पूरे होते ही बता दूंगा ।

शिष्य बुद्ध को निराशा भरी नजरों से देख और वहां से चला जाता है थोड़े दिन बीतते आज उस शिष्य के 30 दिन पूरे हो चुके थे शिष्य बुद्ध के पास चला जाता है और बुद्ध से पूछता है हे गुरुदेव मुझे मेरा मन इतना हल्का क्यों लग रहा है आज मेरे मन में पहले से कम विचार आते हैं।

 और मेरे मन में किसी चीज को प्राप्त करने का मोह भी नहीं है लेकिन गुरुदेव दूसरा उपाय क्या था जिसे आपने उस दिन नहीं बताया बुद्ध शिष्य से कहते हैं दूसरा उपाय था ही नहीं बस मैंने तुम्हें इसीलिए दूसरे उपाय के बारे में बताया था क्योंकि कि तुम ध्यान के इस 30 दिन में भटक ना जाओ तुम अपने ध्यान के इन दिनों पूरी तरह से खत्म कर पाओ जिससे तुम्हें अपने अंदर की आवाज को पहचानने में मदद हो और तुम जान सको कि ऐसा संभव जरूर है कि जो तुम चाहो वो तुम्हें मिल सकता है लेकिन अपने मन को वश में करने के बाद इसके रास्ते और भी ज्यादा आसान हो जाते हैं।

 इसलिए इंसान का मन अगर उसके वश में हो तो वो अपनी मन चाहिए चीज को प्राप्त करने में समर्थ रहता है वही दोस्तों गौतम बुद्ध की इस कहानी को आप अपने परिवार या मित्रों के साथ शेयर करके उन्हें भी बुद्ध के ज्ञान से अवगत करा सकते हैं अगर आपको अपने मन बुद्धि या शरीर से संबंधित और गौतम बुद्ध के विचारों से संबंधित नई-नई जानकारियां जानने में आपको इंटरेस्ट है तो इस और चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले।


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