GAUTAM BUDDHA KI KAHANI - अपने विचार बदलों सब कुछ बदल जाएगा | Inspirational And Motivational Kahani.
GAUTAM BUDDHA KI KAHANI
बुद्ध का एक शिष्य बहुत ही परेशान था वह बहुत कोशिश कर चुका था परंतु ना तो उसका ध्यान लग पाता और ना ही उसका चित्त शांत हो पाता वह लगातार बहुत प्रयास कर रहा था परंतु उसे सफलता नहीं मिल रही थी ।
थक हारकर जब वह ध्यान करने में नाकाम रहा वह बुद्ध के पास पहुंचा और बुद्ध को प्रणाम कर उसने कहा हे बुद्ध मुझ में क्या कमी है यहां जितने भी भिक्षु हैं सब किसी ना किसी स्तर तक अपनी साधना करके पहुंच रहे हैं ।
सब कुछ ना कुछ मिल रहा है परंतु बहुत प्रयास करने और प्रयत्न करने के बाद भी मैं कुछ भी नहीं प्राप्त कर सका मैं कहीं नहीं पहुंच सका मैं अपने मन को शांत नहीं कर पा रहा जैसा मैं सांसारिक जीवन में परेशान था।
वैसा ही मैं यहां भी परेशान हूं मुझे समझ नहीं आ रहा कि मुझ में क्या कमी रह गई बुद्ध ने कहा इस दुनिया में कमी तो किसी के पास भी नहीं है सब एक जैसी योग्यता रखते हैं परंतु कुछ अपनी योग्यता का उपयोग करते हैं और कुछ अपनी योग्यता को भुलाकर अयोग्यता को याद रखते हैं।
जो हमेशा अपनी कमियों को दोहराते हैं और अपने आप को कम समझते रहते हैं वह कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते इसके उल्टे जो व्यक्ति अपनी कमियों को भुलाकर अपनी योग्यता को पहचानते हैं वह हमेशा सफलता प्राप्त करते हैं।
शिष्य ने कहा हे बुद्ध मैं भी तो अपने सांसारिक जीवन की कमियों को छोड़कर आपके पास आपकी शरण में अपनी योग्यता को जानकर यहां आया था परंतु त सब कुछ करने के बाद भी मुझे कुछ नहीं मिल रहा बुद्ध ने कहा दो घोड़े जिसमें एक बीमार है और एक स्वस्थ है।
उन दोनों की योग्यता क्या है शिष्य ने कहा दोनों घोड़े चाहे वह बीमार हो या स्वस्थ हो दोनों की योग्यता तेज दौड़ना ही है बुद्ध ने कहा दो घोड़े जिनमें घोड़ा पूर्णतः स्वस्थ है और एक घोड़ा बीमार वह थोड़ा थोड़ा आगे बढ़ जरूर सकता है।
GAUTAM BUDDHA KI KAHANI
परंतु कभी भी तेज दौड़कर मंजिल पर नहीं पहुंच पाएगा बुद्ध ने कहा अगर वह घोड़ा अपनी बीमारी और अपने जख्मों से प्रेम करता हो तो और उसे ही बीमार और जख्मी रहने में मजा आता हो और वह अपनी बीमारी और अपने जख्म को रोज बढ़ाता हो।
तब वह कितना चल सकेगा और यह भी चाहता हो कि वह उस तेज दौड़ने वाले घोड़े से आगे निकल जाए तब क्या यह संभव हो सकेगा शिष्य ने कहा ऐसा नहीं हो सकेगा बुद्ध बल्कि वह घोड़ा तो कहीं पहुंच ही नहीं सकेगा।
बुद्ध ने कहा बस इसी कारण से तुम नहीं पहुंच रहे हो वह जख्मी घोड़ा कोई और नहीं तुम ही हो शिष्य ने कहा हे बुद्ध मैं आपकी बात समझ नहीं पाया बुद्ध मुस्कुराए और कहा मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं शायद तुम समझ सको कि मैं क्या कह रहा हूं।
एक गांव में एक युवा रहता था उसने अपनी आंखों में बड़े-बड़े सपने सजा रखे थे एक दिन एक युवती के प्रेम में पड़कर वह अपने उन सारे सपनों को भूल गया उसे लगने लगा कि जैसे वह यु ती ही उसकी सारी दुनिया है एक बार वह मिल जाए तो फिर सुख ही सुख है उससे बढ़कर कुछ भी नहीं है।
फिर सबसे लड़ झगड़ करर आखिरकार अंत में उसने अपने प्रेम को पा लिया उसने उस युवती के साथ विवाह कर लिया विवाह करने के बाद उस युवक पर जिम्मेदारियां आ गई अब उसने धन कमाना शुरू किया उसने बहुत मेहनत की वह अपने घर से दूर भी चला गया धन कमाया और उस धन को अपने घर अपनी पत्नी के पास भेजने लगा।
वह मेहनत करता धन कमाता और घर भेजता छ महीने में एक या दो बार वह मुश्किल से घर आ पाता एक दिन उसे अपने काम से निकाल दिया गया वह वापस घर आ रहा था उसे अपनी पत्नी बहुत याद आ रही थी परंतु उसके मन में शक का कीड़ा भी था कि वह अकेले कुछ गलत तो नहीं कर रही होगी।
मैं इतने समय बाहर रहता हूं कहीं वह बहक तो नहीं गई होगी ऐसे ही बहुत सारी बीमारियों को मन में लेकर वह घर पहुंचा रात का समय था कुछ भी ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था उसने बिना आवाज किए दरवाजे से झांकने की कोशिश की उसने देखा कि उसकी पत्नी के साथ एक पुरुष है।
यह देखते ही उसके सारे शक यकीन में बदल गए वह दुखी हो गया और चुपचाप वहां से चला गया अपनी पत्नी के द्वारा धोखा दिए जाने के कारण वह व्यथित था क्या करें उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वह सोच रहा था कि वह उसके साथ ऐसा कैसे कर सकती है वह इधर-उधर भटकने लगा।
हर किसी को अपने दुख की कहानी सुनाने लगा लोगों द्वारा उसे सांत्वना दिए जाने पर उसे बहुत अच्छा लगता जब लोग उसकी पत्नी की बुराई करते और कहते कि वह तुम्हारे साथ ऐसा कैसे कर सकती थी तुम्हारे साथ तो बहुत बुरा हुआ तुम्हारे जैसे अच्छे इंसान के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था।
तब उसे बहुत खुशी मिलती अब उसे दुखी रहने में मजा आने लगा था वह हमेशा कमजोर सा बीमार सा और दुखी सा रहता और अपनी पत्नी के धोखे को याद करके रोता रहता एक दिन उस युवक ने एक भिक्षु को देखा उसे देखकर उसे लगा कि संसार जीवन में जीने जैसा कुछ भी नहीं है इसलिए उसे भी भिक्षु बन जाना चाहिए इसलिए वह भिक्षु संघ में शामिल हो गया यहां भी वह अपनी आपबीती सबको सुनाता रहता।
वह चाहता कि सभी उसे सांत्वना दें वह उसके दुख को समझे और उसके साथ दुखी हो परंतु बाकी भिक्षु एक स्वस्थ घोड़े की भांती अपने ध्यान की यात्रा में भाग रहे थे परंतु वह भिक्षु एक बीमार और जख्मी घोड़े की तरह था।
जिसे अपनी बीमारी और जख्म कुरेद में मजा आता वहीं पड़ा हुआ बस दौड़ने की मंशा मन में लिए परेशान रहता जबकि वह यह नहीं जानता था कि जिस पुरुष को उसने अपनी पत्नी के पास देखा था वह उसकी पत्नी का भाई था जो अपनी बहन के बीमार होने पर उसकी देखभाल के लिए वहां आया था क्योंकि ?
उसका पति तो उसके पास था ही नहीं यह सुनते ही वह व्यक्ति बुद्ध केच में गिर गया और कहा हे बुद्ध यह तो मेरी ही कहानी है मैं ही अपनी पत्नी को छोड़कर आया था मुझसे यह क्या भूल हो गई मैंने उससे क्यों नहीं पूछा बिना सत्य का पता लगाए मैं उसे छोड़कर आ गया है बुद्ध में वापस जाना चाहता हूं।
क्या आप मुझे आज्ञा देंगे बुद्ध ने कहा तुम्हारे पास मौका है तुम चाहो तो यहां रुककर प्राप्त कर सकते हो जो वह बीमार घोड़ा कभी नहीं पा सकता शिष्य ने कहा हे बुद्ध आप सत्य कहते हैं परंतु मेरा मन अभी यहां नहीं है मैं अपनी गलती को सुधारना चाहता हूं।
बुद्ध ने कहा तो ध्यान रहे जीवन में दुखी होने के लिए इतने मौके नहीं हैं जितने कि सुखी और खुश रहने के लिए हैं परंतु हमारी आदत ही कुछ ऐसी हो गई है कि हमें जरा सा दुख होता है तो हम उसे सर पर उठाकर चारों ओर घूमते रहते हैं।
हमें अपने दुखों में मजा आता है और अगर दुखों में मजा नहीं आता तो लोग दुख छोड़ नहीं देते लेकिन वह उन दुखों को सबको बताते हैं बताने का आनंद लेते हैं और खुश होते हैं हम अपने दुख से चिपक जाते हैं हम खुद ही उसे छोड़ना नहीं चाहते।
इसी कारण हम हमेशा दुखी होते हैं इस दुनिया में सभी दुख से भाग रहे हैं और दुख की ओर ही भाग रहे हैं जो सत्य को जानता है वह उन हजारों कारणों को पकड़ता है जो खुशी देते हैं सुख देते हैं और उस कारण को हमेशा छोड़ देता है जो दुख का कारण बनता है।
हमें कोई चीज अच्छी नहीं लगती तो हम उसे छोड़ देते हैं परंतु दुख हमें अच्छा भी नहीं लगता और हम उसे छोड़ भी नहीं नहीं पाते दो लोग जब आपस में लड़ते हैं तो वह जानते हैं कि लड़ने से दुख पैदा होगा फिर क्यों वह आपस में लड़ते हैं।
कभी सोचा है इस बारे में विचार करना यह संसार मनुष्य के रूप में बीमार घोड़ों से भरा है जो हमेशा अपने घावों को हरा रखते हैं उन्हें इसमें मजा आता है उन्हें दुखी होने में मजा आता है वह हमेशा सताए हुए दिखाई देते हैं और वह अपने द्वारा ही सताए जा रहे हैं।
याद रखना तुम वापस तो जरूर चले जाओगे परंतु अपना जीवन ध्यान पूर्वक जीना क्योंकि दुखी होने का एक कारण हमेशा तुम्हारी आंखों के सामने नाचता रहेगा परंतु उसके पीछे सूखी होने के हजार कारण खड़े होंगे वह शीशे वापस चला गया पर आपको क्या लगता है।
वह बुध की बातों को समझ पाया होगा और अगर समझ लिया होगा तो वह कभी दुखी नहीं रहेगा आप ही बताएं कि आप सुखी होने के कितने कारण अपने आसपास देख पाते हैं और क्या आपके पास दुखी होने का केवल एक ही कारण नहीं है ।
दोस्तों यह कहानी ने आपको बहुत कुछ लाइफ लेसन पढ़ाया होगा उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आया होगा मिलते हैं एक नई कहानी के साथ तब तक के लिए सब्सक्राइब कीजिए।
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