जो सोचेंगे वहीं मिलेगा | गौतम बुद्ध विचार हिन्दी |Motivational Lines
जो सोचेंगे वहीं, मिलेगा | गौतम बुद्ध विचार हिन्दी |Motivational Lines .
कहते हैं कि दुनिया में मन सबसे ज्यादा शक्तिशाली चीज होती है। अगर किसी चीज को तुम पूरे मन से चाह लो तो तुम उसे हासिल कर सकते हो यह मैं नहीं कहती यह सभी महापुरुषों का कहना है। लेकिन अगर यह सत्य है। यह सच है तो हम जो अपने मन से चाहते हैं वह हमें हासिल क्यों नहीं होता कोई भी इंसान अपने मन में तो दुख नहीं चाहेगा। लेकिन वह रहता तो दुखी है हर इंसान अपने मन से तो कामयाब होना चाहता है।
खूब पैसा कमाना चाहता है लेकिन फिर भी वह कामयाब नहीं होता भला ऐसा दुनिया में कौन सा इंसान होगा जो अपने मन में यह चाहेगा कि मैं ना कामयाब रहूं या मैं पैसा ना कमाऊं सोचने की बात तो है। इसमें दो चीज निकलकर सामने आती है या तो वह महापुरुष गलत थे जिन्होंने यह बात बोली कि मन से चाहे कोई चीज हासिल हो जाती है या 'फिर हम गलत हैं।
आज की पोस्ट में मैं जो कहानी बताने वाली हूं। इसे समझने के बाद आपको एक ऐसा मंत्र मिलेगा जिससे आप यह समझ पाएंगे कि अपने मन में से कोई भी चीज कैसे करवाई जाती है मन में किसी भी चीज का बीज कैसे बोया जाता है। यह इस कहानी से आपको अच्छी तरीके से समझ में आ जाएगा। इससे आप यह भी समझ पाएंगे कि आकर्षण का नियम लॉ ऑफ अट्रैक्शन कैसे काम करता है। कहानी छोटी - सी है लेकिन बहुत गहरी है।
इस कहानी को पूरा लास्ट तक देखिएगा तभी आप अच्छे से इस कहानी का पूरा लाभ ले पाएंगे 'तो चलिए कहानी शुरू करते हैं और अपने मन का मंत्र यानी कि लॉ ऑफ अट्रैक्शन को समझते हैं।
जो सोचेंगे वहीं, मिलेगा | गौतम बुद्ध विचार हिन्दी :
एक बार की बात है एक आदमी के जीवन में सिर्फ दुख ही दुख था वह जो भी काम करता था उस बेचारे का वह काम पूरा ही नहीं हो पाता था। घर में आता तो घर में कलेश बना रहता किसी से कोई मदद मांगता तो कोई उसकी मदद नहीं करता।
ऐसा लगता था कि चारों तरफ से उसके ऊपर दुख का पहाड़ टूट पड़ा उसे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इन दुखों से कैसे पार पाऊं वह दिन रात बस यही सोचता रहता था 'कि अपने दुखों से छुटकारा कैसे पाना है।
इसी कारण से वह रात में भी नहीं सो पाता था उसकी आंखों के नीचे बड़े-बड़े काले घेरे बन गए थे। जो इस बात का प्रतीक थे 'कि वो आदमी कितना दुखी है और कितना चिंतित है कभी-कभी तो उसके मन में आत्महत्या करने के भी ख्याल आते थे।
लेकिन अपने परिवार की चिंता करके वह यह कदम नहीं उठा पाता वह इतना दुखी हो गया कि उसने निर्णय किया कि वह इन दुखों से छुटकारा पाकर ही रहेगा। इसके लिए चाहे उसे कितनी ही मेहनत करनी पड़े कुछ भी करना पड़े चाहे अंगारों पर चलना पड़े लेकिन इन दुखों से छुटकारा वह हासिल करके रहेगा।
ऐसे ही एक दिन उसने अपने मित्र से पूछा मैं अपने जीवन को कैसे सुधारों उसके मित्र ने उसे बताया तुम किसी बाबा के पास जाओ बाबाओं के पास ऐसा मंत्र होता है। जिससे सारे दुख मिट जाते हैं जीवन खुशियों से भर जाता है और धन संपदा भी हासिल होती है।
तुम किसी ऐसे बाबा को ढूंढ लो बस तुम्हारा काम बन जाएगा उस आदमी के मन में यह बात पूरी तरीके से बैठ गई कि कोई बाबा ही मेरा दुख दूर कर सकता है और' इसलिए उसे किसी भी बाबा के बार में पता चलता तो वह उस बाबा के पास पहुंच जाता उस बाबा को अपनी समस्या बताता उससे उसका समाधान पूछता और कहता कि बाबा मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं।
लेकिन मेरी इन समस्याओं से मुझे छुटकारा दिला दीजिए आप जो कहेंगे मैं वह करूंगा लेकिन आप मेरे जीवन को सुधार दीजिए बाबा उसे कुछ टोने टोट के बताया करते और बदले में दान दक्षिणा ले लेते यह टोना टोटका करने के बाद तुम्हारे घर में सुख शांति बनी रहेगी।
बस इस टोटके को पूरी विधि के साथ करना ऐसा सुनकर वह आदमी अपने घर लौटकर पूरी विधि के साथ टोने टोटके करने लगा लेकिन बहुत टोटके करने के बाद भी उसके जीवन में कुछ बदलाव नहीं आया इसके विपरीत उसका जीवन और ज्यादा दुखी हो गया। ऐसा करते-करते उसका धन भी धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा था।
जिससे उसके जीवन में दुख और ज्यादा बढ़ गया तब उसे लगा बाबाओ के पास जाने से तो मेरे जीवन में दुख कम होने की बजाय और बढ़ते ही जा रहे हैं। उसके मन में अब यह ख्याल आने लगा कि मुझे बाबाओं के पास जाना चाहिए या नहीं वह आदमी पूरी तरीके से दुखी हो गया और बहुत ज्यादा परेशान होने लगा।
उसने सोचा मेरे जीवन में से दुख कभी खत्म नहीं होगा और यह सोच सोचकर उस आदमी का बुरा हाल हो गया एक बार उसने सोचा कि मैं यह सारी बात अपने घनिष्ठ मित्र से बताता हूं। यह सोचकर वह अपने मित्र के यहां पहुंचा जब उसने अपने आप बीति अपने मित्र से बताई तो मित्र ने उसे एक बौद्ध भिक्षु का पता बताया।
मित्र ने कहा तुम इन बाबाओं के चक्कर में बिल्कुल मत पड़ो अगर तुम सही मायनों में अपनी समस्याओं से निजात पाना चाहते हो 'तो मैं तुम्हें एक भिक्षु का नाम बताता हूं। तुम उसकी शरण में जाओ निश्चित रूप से तुम्हारी समस्याओं का समाधान तुम्हें वहां मिल जाएगा।
अपनी समस्याएं लेकर वह आदमी उस बौद्ध भिक्षु के पास पहुंच गया और वह मन ही मन सोचने लगा यह भिक्षु दूसरे बाबाओं की तरह नहीं हो सकता क्योंकि यह तो दान दक्षिणा लेता ही नहीं और अगर दान दक्षिणा नहीं लेता तो यह सच में कोई सिद्ध बाबा होगा। और यह सोचकर वह भिक्षु के पास पहुंच जाता है।
जब वो आदमी वहां पर पहुंचता है तो भिक्षु ध्यान में बैठे हुए थे। यह देखकर आदमी वहीं पर चुपचाप बैठकर ध्यान से बाहर आने का इंतजार करने लगा थोड़ी देर बाद भिक्षु ने आंखें खोली तो सामने एक दुखी और परेशान युवक को बैठे देखा उसकी आंखों के नीचे काले घेरे देखकर ही वह समझ गए कि आदमी अपने जीवन से कितना परेशान है।
भिक्षु ने उसे संबोधित करते हुए कहा बच्चे तुम क्या चाहते हो भिक्षु के पास क्या लेने आए हो उस आदमी ने कहा गुरु मैं अपने जीवन से बहुत परेशान हूं। मैंने इन दुखों को दूर करने के लिए बहुत सारे रास्ते अपनाए हर वह तरकीब करके देखी जो किसी बाबा ने मुझे बताई हर वह काम किया जो कोई भी इंसान मुझसे करने को कहा लेकिन मेरे जीवन में दुखों की कोई कमी नहीं आई इसके विपरीत मेरे जीवन में दुखों की और बढ़ोतरी हो गई।
मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं कभी-कभी तो मैं आत्महत्या करने की सोचता हूं लेकिन मैं अपने परिवार की सोचकर यह कदम नहीं उठा पाता हूं। मैंने आपके बारे में बहुत सुना है गुरुजी मैं बहुत उम्मीद के साथ आपके पास आया हूं कृपा करके मुझे कोई ऐसा मार्ग बताएं जिससे मुझे अपने दुखों से छुटकारा मिल जाए।
उस बौद्ध भिक्षु ने उसकी बातें सुनकर महसूस किया कि आदमी तो सच में बहुत परेशान है भिक्षु ने उसकी बात सुनकर कहा बच्चा दुखों को दूर करने के लिए मंत्र ऐसे नहीं मिलते मंत्र पाने के लिए कुछ करना पड़ता है तुम कुछ कर सकते हो।
यह सुनकर पहले तो उस आदमी ने सोचा यह बाबा भी मुझसे दान दक्षिणा मांगेंगे लेकिन और कोई रास्ता ना पाकर उस आदमी ने उस भिक्षु से कहा गुरु जी आपको जितना भी दान दक्षिणा चाहिए। मैं देने के लिए तैयार हूं लेकिन आपका मंत्र सच्चा होना चाहिए वह पूर्ण होना चाहिए उसका फल मुझे मिलना चाहिए उसके बाद मैं आपको जो भी दान दक्षिणा लेना चाहते हो दे दूंगा।
भिक्षु ने कहा दान दक्षिणा तो बहुत छोटी चीज है मुझे वह चाहिए ही नहीं इस पर वह आदमी सोच विचार करके बोला तो गुरुजी मैं अंगारों पर भी चलने के लिए तैयार हूं। आप मुझे बस आज्ञा दीजिए भिक्षु ने कहा अंगारों पर चलने वाली छोटी चीज मैं तुमसे नहीं कराने वाला हूं।
![]() |
| गौतम बुद्ध विचार हिन्दी |
मैं जो तुमसे कराने वाला हूं वह बहुत कठिन मंत्र है। क्या तुम उसे पूरा कर पाओगे आदमी ने गुरु जी से कहा आप मुझे बताइए तो सही मुझे क्या कर ना होगा मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं।
इस पर बौद्ध भिक्षु ने उससे कहा यहां से जब तुम अपने घर जाओ तो रास्ते में अपने मन में यह दोहराते हुए जाना कि मैं सुखी हूं। मैं सुखी हूं। बार-बार अपने मन में यही चीज दोहराना और याद रहे जुबान पर यह नहीं आना चाहिए यह सिर्फ मन में दोहराना है।
यह सुनकर वह आदमी बोला गुरु जी बस इतनी सी बात यह तो मैं चुटकी बजाते हुए कर लूंगा लेकिन इससे होगा क्या ? बौद्ध भिक्षु ने कहा इस मंत्र को करके तो देखो वैसे भी तुमने इतने बाबाओं के मंत्र किए हैं तो इस मंत्र को भी करके देख लो उस आदमी ने सोचा कि बाबा को दान दक्षिणा तो ले नहीं रहे और छोटा सा मंत्र है इसे तो मैं कर ही लूंगा।
आदमी ने बोला ठीक है गुरुजी मैं यह मंत्र जरूर करूंगा और वह आदमी यह कहकर वहां से चला गया लेकिन जैसे ही वह चलने लगा पीछे से बा ने बोला बच्चा एक बात याद रखना जब तुम यह मंत्र अपने मन में दोहराना तो तुम्हारे मन में बंदर के विचार नहीं आने चाहिए।
बंदर का ख्याल भी नहीं आना चाहिए तभी यह मंत्र सिद्ध होगा आदमी बोला मुझे तो आज तक बंदर का कोई विचार नहीं आया तो अब क्यों आएगा आप चिंता मत कीजिए गुरुजी मैं बस मन में यही दोहरा हंगा कि मैं सुखी हूं।
मैं सुखी हूं इसके अलावा बंदर का कोई भी विचार मेरे मन में नहीं आएगा यह कहकर वह आदमी वहां से चल देता है वह अपने मन में मैं सुखी हूं मैं सुखी हूं। यह दोहराता हुआ थोड़ी दूर चला ही था कि उसके मन में अचानक बंदर का ख्याल आ गया बंदर का ख्याल एक बार आया और चला गया लेकिन उस आदमी ने सोचा आज तक तो मुझे बंदर का कोई विचार नहीं आया।
यह आज बंदर का विचार क्यों आया है ऐसा करके उसने बंदर के विचार को पकड़ लिया और यह भूल गया कि मुझे क्या मंत्र दोहराना है और वह फिर बंदर के बारे में सोचने लगा। जब थोड़ी देर बाद फिर से उसे होश आया तो वह फिर से अपना वही मंत्र दोहराने लगा जो गुरुजी ने उसे बताया था।
मैं सुखी हूं मैं सुखी हूं लेकिन अचानक से उसे एक बंदर दिखाई दिया और यह देखकर फिर से उसके मन में बंदर का विचार उठ गया यह देखकर वह इस विचार को बाहर फेंकना चाहता था। और वह चाहता था कि मेरे अंदर किसी तरीके से बंदर का विचार ना आए लेकिन उसे तो सामने बंदर ही दिखाई दिया ऐसे ही जद्दोजहद करते-करते घर पर पहुंचा और घर पर पहुंचने के बाद अपनी पत्नी को कहा।
हे बंदरिया मुझे खाने में बंदर परोस दो और जब उसे एहसास हुआ कि उसने यह क्या बोल दिया तो वह अपने बाल नोचने लगा दीवारों में सर मारने लगा कि आज तक मुझे बंदर का कोई विचार नहीं आया और आज मुझे यह क्या हो गया। मुझे हर जगह बंदर ही बंदर नजर आ रहे हैं।
यह कैसी माया है यही सोच सोचकर वह आदमी रात भर नहीं सो पाया रात भर करवट बदलते रहा और सुबह उठकर सीधे उसी गुरु जी के पास पहुंच गया और उनके चरणों में गिर करर कहा कि हे गुरु जी पता नहीं क्या चमत्कार हो रहा है। आज तक मुझे बंदर का कोई विचार नहीं आया लेकिन कल जब से आपने मुझसे कहा कि बंदर का विचार नहीं आना चाहिए।
तब से मुझे हर जगह बंदर ही बंदर नजर आ रहे हैं यह हो क्या रहा है गुरुजी यह सुनकर बौद्ध भिक्षु हंसने लगे उन्होंने कहा बच्चा मन का जाल एक ऐसा जाल है जिसे समझ पाना इतना आसान नहीं है। बंदर तो तुम्हारे रास्ते में पहले भी आया करते थे जब तुम मेरे पास आए थे।
लेकिन तब तुम्हारे ध्यान में यह बंदर नहीं था तब तुम्हारे ध्यान में सिर्फ दुख थे इसके बाद बाबा ने बताया कि बच्चा जब हम जिस चीज से दूर भागना चाहते हैं। वह चीज हमारे मन में बहुत गहरे से घर कर जाती है और हमारे अंतर मन में समा जाती है। असल में हम जिस चीज से छुटकारा पाना चाहते हैं ।
वह चीज और आपकी जिंदगी में घटित होती है और आखिरकार हमारे अंतर मन में छा जाती है हम ऊपर से तो यह बोलते हैं हमारे होठ यही बोलते हैं मैं सुखी हूं। मैं सुखी हूं लेकिन हमारे मन में दुख समाए होते हैं हमारे विचार में हमारे मन में दुख ही दुख दिखाई देते हैं।
इसलिए अपनी जुबान से बार-बार यह बोलने से कि मैं सुखी हूं। मैं सुखी हूं हम सुखी नहीं होंगे जब तक यह मंत्र हमारे अंतर मन में ना घर कर जाए इस पर उस आदमी ने पूछा गुरुजी लेकिन यह मंत्र हमारे अंतर मन में प्रविष्ट कैसे होगा।
यह सुनकर बौद्ध भिक्षु ने कहा बच्चा अपने दुखों से लड़ना बंद कर दो जब तक तुम अपने दुखों को दूर करने की सोचते रहोगे। तब तक वह दुख तुमसे चिपके रहेंगे और वह तुम्हारे अंतर मन पर अपना राज बनाए बैठेंगे और जिस दिन तुम उन दुखों के बारे में सोचना ही छोड़ दोगे।
उन दुखों से छुटकारा ही नहीं पाना चाहोगे उस दिन तुम्हारी जिंदगी से तुम्हारे सारे दुख गायब हो जाएंगे किसी भी चीज से छुटकारा पाने के लिए हमें उस चीज के बारे में सोचना पड़ता है और हम जितना ही उस चीज के बारे में सोचते हैं वह उतनी ही गहरी हमारे मन में घर करती चली जाती है।
इसलिए बौद्ध भिक्षु कहते हैं अगर तुमको किसी चीज से छुटकारा पाना है तो उसे वही छोड़ दो जो हो रहा है उसे होने दो ज्यादा सोचोगे तो वह क्रिया ज्यादा काम करेगी और तुम्हारी जिंदगी में सिर्फ वह ही क्रिया होगी।
दोस्तों यह छोटी सी कहानी हमें इतना ही बताती है कि दुखों के बारे में हम इतना सोचते हैं कि हमें दुखों से छुटकारा मिल ही नहीं पाता इसी वजह से बार-बार सोचने से वह दुख हमारे अंतर मन में घर कर जाते हैं और हमें एहसास भी नहीं होता वह कहते हैं।
ना दोस्तों कि हम जिस चीज को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं ज्यादा अहमियत दे रहे हैं उस चीज के बारे में सोचते हैं वह जिंदगी में और ज्यादा समाती जाती है जितना हम किसी चीज के बारे में सोचेंगे।
हमारा मन उतना उस चीज के पीछे भागेगा हमें उस चीज से लड़ना नहीं है बल्कि बिना सोचे गुजर जाना है और अगर हम इस मंत्र को समझ लेते हैं तो हम अपने जीवन में जो भी पाना चाहते हैं उसे पा सकते हैं।
धन्यवाद

Post a Comment