स्वामी विवेकानंद की जीवन की अनोखी कहानी | Swami Vivekananda Motivational Story In Hindi
स्वामी विवेकानंद की जीवन की अनोखी कहानी | Swami Vivekananda Motivational Story In Hindi .
दोस्तो swami Vivekananda की येसे तो अनेको कहानियां प्रसिद्ध है मगर यह कहानी स्वामी विवेकानंद की जीवन की अनोखी कहानी है स्वामी विवेकानंद की वैसे तो जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है उन्होंने जो भी कुछ कि यह जो भी कुछ कहा वह सारा ही एक से बढ़कर एक है लेकिन इस सब में से जो मेरा पर्सनल फेवरेट है जो मुझे बहुत ज्यादा पसंद है वह एक लाइन जिसने सिर्फ हिंदुस्तानियों का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का दिल जीत लिया वहीं कही थी 893 में शिकागो अमेरिका है वहीं उनकी स्पीच की पहली लाइन थी वह लाइन थी सिस्टर्स एंड ब्रदर्स आफ अमेरिका इस से क्या पता लगता है इससे हम को उनकी सोच के बारे में पता लगता है उनकी थिंकिंग के बारे में पता लगता है कि वह सामने वाले को अपना समझते हैं फिर चाहे वो किसी भी देश का हो किसी पर इल्जाम का हो चाहे वह देखने अनुसार लोगों से उनके कपड़े उन चैनलों को किसी भी वे में कोई भी हो इस पूरी दुनिया में वह सब कौन है वह सब हमारे भाई बहन है।
यह पूरा का पूरा एसेंस है सारे विघ्नों का वहां पर सिर्फ एक बात कही जा रही है कि हम सब एक है है कि आप में और मुझ में उस पर है ही नहीं कि हम सब जुड़े हुए हैं एक दूसरे से और इस तरीके से जुड़े हुए अलग हो ही नहीं सकते मतलब क्या है कितना हमारे अपने और हम सबके जैसे आज ऐसे बहुत सारे लोग हैं मैं किसी का भी नाम नहीं लूंगा जो अपने आप को रिलीज़ बोलते हैं स्पिरिचुअल बोलते हैं फिर धर्म के नाम पर एक दूसरे से लड़ते हैं तो इसका मतलब उनको समझ ही नहीं आया है कि धर्म का असली मतलब क्या है।
इन पर कोई भी ऐसा इंसान जो कि सेल्यूलाइटिस होगा यह जो खुद को जानता होगा वह कभी भी भूल कर भी नहीं सकता वो पर करी नहीं सकता कि आप किस कंट्री के हो किस रिलीजन के हो आपका रंग रूप क्या है आपके कपड़े कैसे हैं और अगर वह फटकार रहा है तो इसका मतलब एक बात पक्की है कि वह खुद को नहीं जानता है इन फ्लैटों की लाइफ बहुत ही इंट्रेस्टिंग कहानी है है जिससे हम को उनकी सोच के बारे में और डिप्टी समझ में आता है।
![]() |
| Swami Vivekananda Motivational Story |
* स्वामी विवेकानंद की जीवन की अनोखी कहानी .
स्वामी विवेकानंद कहते हैं जी प्रकार केवल एक ही बी पूरे जंगल को पुनर्जीवित करने के लिए पर्याप्त है इस प्रकार एक ही मनुष्य विश्व में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है यह मनुष्य आप हो सकते हैं आप में पूरे विश्व में बदलाव लाने की ताकत है फिर आपके लिए अपने आप में बदलाव लाना जीवन को बदलना मुश्किल कैसे हो सकता है।
आज के इस कहानी में हम स्वामी विवेकानंद के अनुसार अपनी लाइफ बदलने के 10 त्रिकोण के बड़े में जन वाले हैं इन्हें जन से पहले आप अपनी इंद्रियों को सक्रिय कर ले ताकि आप इनके बड़े में अच्छे से जान पाएं सबसे पहले आप अतीत में जीना बैंड करें स्वामी विवेकानंद कहते हैं अतीत का भाई और भविष्य की चिंता व्यक्ति को इतना परेशान कर देती है की वह चैन से जी नहीं पता है कभी-कभी तोबा अपना मानसिक संतुलन तक को बैठता है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए की चिंता मनुष्य की प्राकृतिक भावनाएं हैं लेकिन इसे ग्रस्त हो जाना अथवा यह सोच लेना की इसे छुटकारा मिलन बहुत मुश्किल है यह ठीक नहीं है अतीत में क्या क्या उसके साथ घाट था इस और उसका चिंतन कभी नहीं होना चाहिए क्योंकि मनुष्य अच्छा अथवा बड़ा जो भी घाट चुका होता है उससे सिख लेकर ही अपना वर्तमान जी रहा होता है ऐसे में अपने वर्तमान पर अतीत की परछाई भी नहीं पढ़ने देनी चाहिए ये तभी होगा जब आप स्वयं में एकाग्रता लेंगे।
ऐसी स्थिति को प्राप्त कर लेने पर आपको केवल अपना वर्तमान दिखने लगता है इसीलिए एक समर्थ वक्त और विचारक वह होता है जो वर्तमान संदर्भ में निर्धारित विषय पर अपना व्याख्यान करता है इस संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो अपराध भावना से ग्रस्त ना रहा हो अपनी इस अपराध भावना के दिशा से ही वह अपने आप को अपराधों के शिकंजी में झगड़ा हुआ अनुभव करता है ऐसे में वह इतना सहाय महसूस करता है की अपनी प्रगति के विषय में सोच तक नहीं पता स्वामी जी कहते हैं।
अतीत में किया गए कार्यों से उत्पन्न अपराध भावना भूत कल को सुधार तो नहीं शक्ति फिर अपराध भावना की सोच का उचित क्या है इसका अर्थ यह नहीं की आप अतीत में की गई भूलों से सिख नहीं ले सकते पश्चाताप एक सुधारवादी भावना है इसीलिए कहा भी गया है बीता ही विषारी दे आगे की सुधीले हो पश्चाताप की भावना भले कोई पुरस्कार ना हो फिर भी अतीत की भूलों को आगे ना दोहराकर व्यक्ति एक अपराध से तो बैक ही सकता है क्योंकि भूल को सुधार कर भविष्य में एन करने का दृढ़ संकल्प ही सच्चा प्रायश्चित है इससे सदा सतर्क रहने की प्रेरणा भी मिलती है।
ऐसा करने से आप अपने जीवन को बेहतर बना पाएंगे दूसरा मल्टी टास्किंग को बैंड करें स्वामी विवेकानंद कहते हैं एक समय में एक कम करो और ऐसा करते समय अपनी पुरी आत्मा उसमें दाल दो बाकी सब कुछ भूल जो मल्टीटास्किंग से उत्पाद सत्ता पर गंभीर असर पड़ता है हमारे दिमाग में एक ही समय में कई कार्य करने की क्षमता का अभाव होता है ऐसे रानो में जब हम सोचते हैं की हम एक से अधिक कार्य कर रहे हैं हम संभवत एक कार्य से दूसरे कार्य पर तेजी से स्विच कर रहे होते हैं किसी एक कार्य पर ध्यान केंद्रित करना कई कर्म से कहानी अधिक प्रभावित दृष्टिकोण है।
स्वामी जी कहते हैं एक समय में एक ही कम पर ध्यान केंद्रित करने वाले लोगों की तुलना में मल्टी तस्कर अधिक विचलित महसूस कर सकते हैं यह तब समझ में आता है जब आप मानते हैं की आदत से मल्टी तस्कर्स लगातार एक नए कार्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं प्रभावी रूप से अपने मूल कार्य से खुद को विचलित कर देते हैं मल्टी तस्कर अधिक ध्यान भड़काने वाले होते हैं और जब वे एक साथ कई कार्यों पर कम नहीं कर रहे होते हैं तब भी उन्हें अपना ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हो शक्ति है हालांकि मल्टी टास्किंग और व्य क्षमता के बीच एक संबंध हो सकता है।
लेकिन यह संबंध मूल रूप से प्रत्येक व्यक्ति में काफी भिन्न होता है स्वामी जी कहते हैं जब हम एक साथ कई कम करते हैं तो हम धीमी और कम कुशलता से कम करते हैं जब हम किसी एक कार्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो हमने पहले किया है तो हम ऑटो पायलट पर कम कर सकते हैं जो मानसिक संसाधनों को मुक्त करता है आगे और पीछे स्विच करने से यह भीम बाईपास हो जाति है और परिणाम स्वरूप हम अधिक धीरे-धीरे कम करते हैं मल्टी टास्किंग के कुछ उदाहरण हो सकते हैं जैसे एक ही समय में दो परियोजनाएं शुरू करना कम पर जाते समय रेडियो सुना।
असाइनमेंट टाइप करते समय फोन पर बात करना कम के ईमेल का जवाब देते समय टेलीविजन देखना मीटिंग के दौरान सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करना और कार्यों की सूची लिखने समय किसी व्यक्ति की बातचीत सुना जब आप इन विचारों को समझ गए आप दुगनी तेजी से अपने जीवन को सुधार पाओगे तीसरा तुलना से आजाद हो जाए स्वामी विवेकानंद कहते हैं अल जिंदगी में आपका आमना सामना कई तरह के लोगों से होता है।
ऐसे में हो सकता है की आपके सामने वाले के पास जो कुछ हो जरूरी नहीं वो आपके पास भी हो कभी भी दूसरों की लाइफ स्टाइल से अपनी तुलना ना करें यह आपके लिए खतरनाक हो सकता है ऐसा करके आपके अंदर जलन का भाव आएगा जब आप अपनी तुलना किसी और से करते हैं तो आप वास्तव में अपने कम पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं।
आपके बाल इस बड़े में सोचते हैं की आप दूसरे व्यक्ति की तुलना में परिणाम देखने में कितने तेज हैं या नहीं यह आपका ध्यान भड़काने वाला पूरा विचार है और इससे कम की गुणवत्ता खराब हो शक्ति है स्वामी जी कहते हैं जब हम अपनी तुलना दूसरों से करते हैं तो हमारा लक्ष्य अक्सर यह दिखावा करना होता है की हम कुछ ऐसे हैं जो हम नहीं हैं हम चाहते हैं की लोग सोचें की हम उनसे बेहतर है इसलिए हम निश्चित रूप से मदद नहीं मांग सकते क्योंकि ?
इसका मतलब यह स्वीकार करना होगा की हम वैसे नहीं है जैसा हम होने का दिखावा करते हैं एक बार जब आप अपनी तुलना दूसरों से करना बैंड कर देते हैं तो आप वास्तव में उन लोगों से कुछ सलाह मांग सकते हैं जो आपसे आगे हैं लोग तुलना करके यह सोने लगता हैं की मुझे भी वैसा बन्ना है वह यह भूल जाते हैं की फोटोकॉपी से ज्यादा ओरिजिनल चीज की वैल्यू होती है।
इसीलिए किसी से तुलना करके वैसा बने से अच्छा होता है आप अपने आप को कुछ अलग यूनिक बनाएं सूर्य और चंद्रमा के बीच कोई तुलना नहीं है जब जिसका वक्त आता है वह चमकता है चौथ सुविधाओं को स्वीकार करें स्वामी विवेकानंद कहते हैं इंसान को जितनी ज्यादा सुविधा मिले वह आलसी होता जाता है जी इंसान में आत्मनिर्भरता का गन नहीं होता वी केवल दूसरों पर निर्भर रहना सिख जाता है जिसके चलते वह जीवन में तानी सहाना या बेइज्जती होने जैसे नुकसान का सामना करता है जैसे-जैसे नए दूर में चीज डेवलप हो रही है उतना ही इंसान कार्य करना कम कर रहा है।
इंसान को यह समझना होगा की चाहे हमारे पास हजार सुविधा हो हमें कुछ कार्य खुद से करनी चाहिए नहीं तो स्वाभाविक रूप से आने वाली आशुविधाओं का सामना इंसान कभी नहीं कर पाएगा स्वामी जी कहते हैं जो इंसान छोटी सी असुविधा पर ही घबरा जाता है वो जीवन में कुछ नहीं कर सकता जैसी जिंदगी वह जीने का सोचता है वैसी जिंदगी उसके लिए पुरी कल्पना मंत्र र जाति है यह समय परिवर्तनशील है आपको समय के अनुसार आने वाली हर असुविधा से निपटाने का कुर्सी ना होगा मां लीजिए आप इस तकनीकी युग में अपने फोन पर इंटरनेट से कोई अर्जेंट कार्य कर रहे।
हैं लेकिन आपको नेटवर्क समस्या का सामना करना पद रहा है तो यहां आपको घबराने की कोई जरूर नहीं आपको यहां पर समस्या पर विचार नहीं करना है बल्कि समाधान के बड़े में सोचना है तुरंत उठकर नेटवर्क एरिया में चले जैन कम को वक्त पर पूरा करें इस तरह आप असुविधा से निपटाने की जानकारी रखें ऐसा करने पर आप अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव से जीवन को सुधार सकते हैं पांचवा पूर्णता नहीं प्रगति पर ध्यान दो स्वामी विवेकानंद कहते हैं इस संसार में किसी भी इंसान को किसी के बड़े में पूरा ज्ञान नहीं होता यदि आप यह सोचकर परेशान रहते हैं।
की आप पूर्ण क्यों नहीं हो रहे हैं तो ऐसा हजार जन्म मिलने पर भी संभव नहीं होगा जी इंसान ने यह सोच लिया की कोई भी इस दुनिया में पूर्ण नहीं है और सीखने के साथ-साथ प्रगति करना ही हमारी यात्रा है वही इंसान अपने जीवन को दूसरों से बेहतर बना पता है किसी भी इंसान को देखकर आप यह नहीं सोच सकते की वह पूर्ण है और मुझे भी पूर्ण बन्ना है यह केवल आपकी एक गलतफहमी हो शक्ति है स्वामी जी कहते हैं पूर्ण बने की छह रखोगे तो अधूरे ही र जाओगे इंसान को धरती से जो चंद नजर आता है वह उसे देखकर उसे पूर्ण समझ लेट है जबकि वह पूर्ण रूप से हमको नहीं दिखाई देता।
![]() |
| Swami Vivekananda Story In Hindi |
जितना वो सामने से दिखे रहा है उतना ही बाहर और से होता है इसीलिए किसी को बाहरी रूप से देख कर आप उसकी पूर्णता पर भरोसा ना करें यह बात आप जितना जल्दी समझेंगे उतना ही जल्दी आप अपने जीवन में सुधार करने के कम की और बढ़ेंगे छठ निरंतरतना टूटे स्वामी विवेकानंद कहते हैं।
जब पानी की धार निरंतर किसी पत्थर पर पड़ती है तो वह उसे पत्थर को भी क्या देती है ठीक इसी प्रकार यदि आप किसी भी कार्य को करने में लापरवाही बरस रहे हो उसे निरंतर नहीं कर रहे हो तो आप उसे कार्य में हमेशा फेल ही होंगे इंसान की आदत में होता है वह सब्र करना नहीं जानता उसको सब कुछ जल्दी चाहिए होता है जब उसे किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती तो वह उसे छोड़ देना ही ठीक समझना है।
फिर जीवन भर अपने नसीब को दोष देता राहत है किसी भी कम को रेगुलर करते रहने से आपको उसे कम को अच्छे से करने की आदत हो जाति है एक वक्त आता है जब आप उसे कम से उपलब्धि भी हासिल कर लेते हैं स्वामी जी कहते हैं आप जैसे पर्यटन कर रहे हैं करते रहो यह सोचकर की अगले पर्यटन पर आपको सफलता मिलने वाली है आपको अपने मां और मस्तिष्क को इसके लिए हमेशा तैयार रखना पड़ेगा।
आपको यह सोचना होगा की अभी तो मेरा अभ्यास चल रहा है जो भी व्यक्ति अपने अभ्यास को निरंतर करता आया है वह सफल जरूर हुआ है कई इंसान प्रयास करके छोड़ देते हैं और कुछ सालों बाद किसी को सफल देखकर का देते हैं की उसे समय अगर मैंने भी मेहनत नहीं छोड़ी होती तो आज मैं भी सफल होता इसीलिए अच्छी लाइफ जी नहीं है तो अभ्यास करना बैंड मत करिए सत्व किताबी कीड़े बनकर ही ना रहे स्वामी विवेकानंद कहते हैं।
हर चीज की अति विश्व के समाज होती है प्रत्येक समय पुस्तकों में कोई रहने से मानसिक विकास तो होता है पर शारीरिक विकास रुक जाता है क्योंकि ज्यादातर समय किताबें में ही व्यतीत होता है इसलिए फिजिकल एक्टिविटी नहीं हो पाती जिसके करण स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है शारीरिक कार्य क्षमता में कमी हो जाति है सामाजिक वी व्यवहारिक ज्ञान का होना भी किसी क्षेत्र में तरक्की अपने में आवश्यक होता है।
इसलिए तरक्की के लिए ज्ञान अर्जन के साथ-साथ उसका प्रयोगात्मक रूप से कार्य में परिवर्तित करने का अनुभव भी वास्तविक जीवन में प्राप्त करना आवश्यक है जो किताबें में नहीं मिलता वास्तव में देखा जाए तो यह भले ही किसी व्यक्ति के लिए मानसिक स्टार पर ज्ञान में बढ़ोतरी करता हो जिससे किसी विशेष परीक्षा वी प्रतिस्पर्धा में बौद्धिक स्टार पर अन्य के मुकाबला तरक्की प्राप्त करने के योग्य हुआ जा सकता है।
एक विशेष लक्ष्य को जो सिर्फ पढ़ाई पर निर्भर करता हो उसको हासिल किया जा सकता है परंतु यह बिना कार्य के संभव नहीं कार्य को जब किया जाएगा तभी वास्तविक अनुभव प्राप्त किया जा सकेगा इसीलिए किताब पढ़े पर उसके साथ साथ प्राप्त जानकारी को भौतिक जगत में अमल में भी लाने का प्रयास करते रहे अन्यथा एक अच्छे जीवन की कल्पना कल्पना ही रहेगी आठवां लोगों से मिलने की आदत डालें स्वामी विवेकानंद कहते हैं खुद को घर में कैद रखकर आप कभी अपने जीवन को सुधार नहीं सकते।
आप जी कम में माहिर हैं उसकी जरूर इस समाज और देश को है आपके जैसे कम करने वाले लोग हो सकता है बहुत कम हो सकता है कुछ लोग आपसे मिलकर बहुत सकारात्मक अनुभव हासिल करें अपने जीवन को एक लक्ष्य दे पे इसलिए आपको बाहर निकाल कर अच्छे लोगों से मिलन जलना बढ़ाना चाहिए आपके विचारों वाले कई व्यक्ति आपको मिलेंगे जो आपके आने वाले जीवन के लिए एक मार्गदर्शक हो सकते जब एक इंसान किसी से मिलता है।
तो उनके विचारों का आदान प्रधान होना लाजमी होता है ऐसा होने के बाद आपको अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने लिए कई रास्ते भी मिल जाते हैं जो आप घर में बैठकर सोच रहे हैं उसे पर अमल करने के लिए आपको बाहर आना होगा एक अच्छे लोगों का नेटवर्क बनाना होगा तभी जाकर आप अपने जीवन को अच्छा बना पाओगे नया वर्तमान मान्यता पर ध्यान रखें स्वामी विवेकानंद कहते हैं जी तरह वक्त परिवर्तनशील है इस प्रकार यहां पर लोगों की मान्यताओं में भी परिवर्तन आता राहत है अगर आपको अपने जीवन में सुधार चाहिए तो आपको वर्तमान में चल रही मान्यताओं पर भी ध्यान देना चाहिए हो सकता है।
वह मान्यता केवल लोगों का एक प्रेम हो जिसे आप दूर करते हो सकता है उसे मान्यता का गलत होना आपका एक ब्रह्म हो और आपका ब्रह्म दूर हो जाए जैसे एक जब तकनीकी दूर के प्रारंभ पर लोग कहते थे की फोन कंप्यूटर केवल टाइम वेस्ट का जरिया है और हम भी मां लेते थे लेकिन आज लोगों की मान्यता समय के अनुसार बादल चुकी है जैसे-जैसे तकनीकी में जॉब्स आदि के अवसर आने लगे लोगों में समझ आने लगी की फोन पर केवल टाइम वेस्ट ही नहीं होता यहां पर हमारी स्किल से जुड़ा कम भी होता है।
आपको भी अवसर समझना चाहिए जिससे आप भी रोजगार प्राप्त कर पे और अपने जीवन को सुधार पे 10वां कमजोर बनकर ना रहे स्वामी विवेकानंद कहते हैं कमजोर मां का इंसान कभी कुछ नहीं कर सकता वह खुद दुखी राहत है साथ ही अपने साथ रहने वालों को भी दुखी रखना है ऐसे में वह खुद के साथ उनकी जिंदगी भी बिगाड़ देता है यह दुनिया चालक लोगों की है और यह बात हमने आपको पिछले एक वीडियो में बता दी है हो सकता है आप इसके बड़े में जानकर और ज्यादा काबिल बन पे इसलिए ऊपर संगठन पर क्लिक करके उसे वीडियो को भी जरूर देख लेने स्वामी जी कहते हैं जो इंसान कमजोर राहत है।
यह दुनिया उसका फायदा उठाती है जिससे वह इंसान जीवन में अपने लिए कुछ नहीं कर पता आप में जो कमजोरी हो उसको कभी भी किसी को बताने नहीं चाहिए इससे आप उनकी नजर में कमजोर नहीं रहेंगे यदि आगे बढ़ाना ही है जीवन को सुधारना ही है तो मजबूत बन्ना होगा जरा सी मुश्किल से डरने वालों के लिए अच्छा जीवन जीना मुमकिन नहीं होता आज के इस वीडियो में हमने स्वामी विवेकानंद के अनुसार अपनी लाइफ बदलने की 10 तारीख को के बड़े में जानना उम्मीद है आप इन पर अमल जरूर करेंगे।
धन्यवाद ..


Post a Comment