Swami Vivekananda Speech | स्वामी विवेकानंद की प्रेरक कहानियां

 Swami Vivekananda Speech | स्वामी विवेकानंद की  प्रेरक कहानियां | Life Changing Story .



Swami Vivekananda Speech .


स्वामी विवेकानंद कहते हैं जो मनुष्य यह सोचता है कि मैं तो दूसरों की तुलना में काफी कमजोर हूं वह व्यक्ति कमजोर ही बन जाता है क्योंकि स्वामी जी कहते हैं मन की दुर्बलता ही व्यक्ति को कमजोर बनाती है हमारे मन की परिवृत्त यह की हम जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं।


 इसलिए कहते हैं कि मन के हारे हार है तो मन के जीते जी यदि कोई व्यक्ति अपने मन से यह कहे कि मैं तो दूसरों की तुलना में अधिक ताकतवर हूं तो वह दूसरों से अधिक ताकतवर बन जाता है क्योंकि इस दुनिया में सारा खेल मन की विचारों का ही है बुरे विचार अपने मन में अपनाने से मनुष्य कमजोर बन जाता है।



 वही एक अच्छे विचार मात्र से वह बलवान बन जाता है इसलिए विवेकानंद कहते हैं आपको खुद से लड़ना है अपनी अंदर की उस भाव पर काबू पाना है न कि बाहरी संसार में शांति ढूंढना है यह सभी आपके मन के अंदर ही मौजूद है इसलिए मैं कहता हूं कि ब्रह्मांड की सारी शक्तियां आपके अंदर ही छुपी है और हम लोग अपनी आंखों पर हाथ रखकर कहते हैं कि इस संसार में कितना अंधकार है।


 लेकिन इस वीडियो में हम जानेंगे कि आखिर में पावर ऑफ माइंड होता क्या है और इस वीडियो में श्रीनिवास रामानुजन के के शक्ति के बारे में भी जानेंगे कि वह इतना बड़ा कैसे गणित के स्वामी बन गए वह अपने दिमाग को कैसे यूज करते थे इसलिए वीडियो को अंत तक देखें स्वामी विवेकानंद कहते हैं मन की शक्ति ऐसी शक्ति है जिसको जानकर हम किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं।


 स्वामी जी अपनी एक किताब कर्मयोग में लिखते हैं कि मन की विचारों में ऐसी ताकत है कि पहाड़ों की सीना चीरकर उसका सिंहासन बनाया जा सकता है अगर विवेकानंद के बातों पर यकीन नहीं हो रहा है तो मैं आपको एक सच्ची उदाहरण देता हूं आप लोगों ने दशरथ मांजी के बारे में जानते ही होंगे।


 जो बिहार के गया जिला का एक गांव गहलोर के रहने वाले थे उन्होंने पूरे पहाड़ को सिर्फ छेनी हथौड़ी से काटकर पहाड़ के बीच में से रास्ता बना दिए है अगर आप लोग बिहार आए तो एक बार इस रास्ता को देखने जरूर जाइएगा क्योंकि तब मालूम चलेगा कि मन की ताकत में कितनी शक्ति होती है स्वामी विवेकानंद कहते हैं।


 मन दो प्रकार के होते हैं चेतन मन और अवचेतन मन स्वामी जी के अनुसार चेतन मन वह मन है जिससे हम जागरूक होकर सोचते हैं वही अवचेतन मन वह मन है जिसमें हम अनजाने में सोचते हैं चेतना ही हमारे मन की विचारों और कार्यों को नियंत्रित करता है।


 लेकिन अवचेतन मन हमारे जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डालता है जब हम अपने चेतन मन से सकारात्मक विचार सोचते हैं तो उस विचार को अवचेतन मन ग्रहण कर लेता है फिर अवचेतन मन उन विचारों को वास्तविकता में बदलने लग जाता है उदाहरण के लिए यदि हम सोचते हैं कि हम इस क्षेत्र में सक्सेस हो सकते हैं तो अवचेतन मन सक्सेस होने के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए कहेगा।


 इसी तरह यदि हम सोचते हैं कि हम स्वस्थ हो सकते हैं तो अवचेतन मन हमें स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए प्रेरित करने लगेगा स्वामी विवेकानंद कहते हैं इसलिए मैं कहता हूं कि अपने दिमाग की गहराई को अच्छी तरह से जानने के लिए ध्यान करना पड़ेगा क्योंकि ?


 ध्यान ही वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम अपने आप को जान सकते हैं मैं कौन हूं मेरे शरीर का इस धरती पर होने का क्या उद्देश्य है एक बात पर ध्यान देना है ध्यान को करने से पहले आपको एक अच्छा जानकार व्यक्ति जो ध्यान करना जानता हो उसके सानिध्य में करें तो अच्छा रहेगा क्योंकि ?


 ध्यान की अवस्था को गहराई से समझने के लिए यह बहुत आवश्यक है स्वामी विवेकानंद कहते हैं जो व्यक्ति अपना जीवन से निराश हो गए हैं उसे अपने आप को अंदर से खोज करनी है एक यात्रा करनी होगी खोजना है उस हिस्से को जो अभी भी आपके अंदर पहले की तरह ही जीवित है उत्साहित है ऊर्जावान है आपके जीवन में कितना ही कठिनाई क्यों ना आ जाए बस आपको अपने अत मन से कहना है ।


सब ठीक है स्वामी जी कहते हैं जब आप ऐसा करेंगे तो आपका सारी कठिनाइया धीरे-धीरे दूर हो जाएंगी मैं खुद इसका साक्षी हूं एक बार मेरी तबीयत बहुत खराब हो गई थी मेरे शिष्य को चिंता सताने लगी थी कि स्वामी जी का अब क्या होगा लेकिन मैंने अपने मन की उस ब्रम शक्ति के द्वारा उस पीड़ा भरी दर्द से राहत पा ली थी।


 ऐसा कोई भी कर सकता है क्योंकि यह शक्ति सभी के अंतर मन में मौजूद है जो इंसान आज के समय में हार मान चुका है बिल्कुल निराश है पूरी तरह से उम्मीद खो चुका है उसे अपने मन से कहना पड़ेगा कि देख लेना मैं खुश होकर जिऊंगा जो होगा देख लूंगा मुझे इस दुनिया से कोई फर्क नहीं पड़ता स्वामी विवेकानंद कहते हैं।



 जो व्यक्ति खुद को इस दुनिया से ऊपर समझता है जिसको अपने जीवित होने का अहंकार है वह सच्चे कर्म योगी होते हैं तुम्हारे अंदर वह सभी शक्तियां शामिल है जो तुमसे चीक चक कह रहा है कि अरे छोड़ भाई देख लेंगे जो होगा चिंता मत कर अभी बहुत कुछ है कर्म करने को हम सब संभाल लेंगे लेकिन विवेकानंद कहते हैं आप लोग उस अंतरमन की आवाज को उसको अपने अंदर कहीं खो दिया है।


 उस अंतरमन की आवाज आप तक पहुंच नहीं पा रही है कभी कभी वह मन जागृत हो जाता है और कुछ क्षणों के लिए आपके अंदर से बाहर आ जा है और कुछ क्षणों के लिए आप खुश हो जाते हो आनंदित महसूस करते हो और फिर अच्छाई में खो जाते हो लेकिन जैसे ही उस अंतर मन को आप पहचानने में भूल करते हो।


 वैसे ही फिर से आपके मन में अवसाद और दुख घेर लेते हैं स्वामी जी कहते हैं अगर आपको चिंता और दुख सताने लगे तो वह छोटा सा मन आपके अंदर अभी भी जीवित है अपना सारा ध्यान उसी पर लगा का दो आप यह सोचो कि वह भी मैं ही हूं जो चीक चीक कर कह रहा है कि अभी हमें जीना है इस पिंजरे से बाहर निकलना है उसको बाहर लाना है।


 आपको अपने उस अच्छे हिस्से का एहसास करना है स्वामी विवेकानंद कहते हैं दोस्तों यह सिर्फ एक नींद है इस नींद से जागो अपने अंदर की ऊर्जा को जगाओ सुबह का समय बहुत कठिन होगा आप कहे क्यों उठ क्यों जागू क्या रखा है इस जीवन में सब कुछ तो खराब है इस जीवन में कोई भी विषय की खुशी मिल नहीं रहा है तो क्या फायदा है ।


ऐसा जीवन जीकर सब जगह तो अंधकार ही नजर आ रहा है लेकिन आपको ऐसा नहीं करना है ऐसा करने से पहले आप वह छोटी सी अंतरमन की आवाज को सुन लेना है जो तुमसे हमेशा कह रहा है कि मैं तुमको टू उने नहीं दूंगा इसलिए मैं कहता हूं कि उठो जागो जब तक न रुको जब तक कि लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।


 दोस्तों अगर आपकी मानसिक स्थिति नेगेटिव हो गई आप डिप्रेस्ड हो परेशान हो स्ट्रेस में हो तो जो आपको विचार परेशान कर रहा है आपको अपने इस मन पर ध्यान नहीं देना है इससे बचने के लिए आप अपने मनपसंद का कोई कर्म करते रहे अपने इस बुरी मन को सोचने का कोई समय ही नहीं देना है विवेकानंद कहते हैं हर इंसान पॉजिटिव होता है वह दुनिया को फ्रेश नजर से ही देखता है लेकिन जैसे ही मन में याद स्मृतियां वापस आ जाती है तो वह फिर से नेगेटिव हो जाता है ।



स्वामी जी कहते हैं आप जिस भी ईश्वर को अल्लाह को आप मानते हो उनका पाठ उनका ध्यान आपको करना ही होगा क्योंकि यह मन के शांति के लिए सबसे उत्तम उपाय है और एक बात आपको 10 मिनट लिखना है अपने उस दिन के विचारों के बारे में जो जो काम आपको करने हैं जो जो जरूरी है आपको फैसला करना है कि मैं आज के दिन को अच्छे से जिऊंगा अपना अच्छा कर्म करूंगा।


 आपको दो मिनट ईश्वर को धन्यवाद देना अपना जीवन की सहूलियत के लिए और अच्छाइयों के लिए स्वामी जी कहते हैं आपको प्रकृति से प्रेम करना ही पड़ेगा क्योंकि प्रकृति ही ईश्वर का स्वरूप है शांति मन से प्रकृति को देखना है और उससे कहना कि अपने इस बालक को इतना दुख क्यों दे रही हो मुझे कोई मार्ग दिखाए एक उदाहरण के तौर पर समझाता हूं ।


एक बार श्री रामानुजम को गणित के बहुत बड़े विद्वान मिस्टर हार्डी ने मिलने के लिए इंग्लैंड बुलाए और रामानुजम मिस्टर हार्डी से मिलने चले गए कुछ दिन वहां रहे जहां वह रह रहे थे उस कॉलेज के बगल में एक छोटी जंगल जैसे झाड़ियां थी सुबह सुबह रामानुजम इन सब जंगली पेड़ों से बात कर रहे थे सुबह का समय था और कॉलेज चालू था ।


कॉलेज आने जाने वाले लड़कों ने रामानुजम को पेड़ों से बात करते हुए देखकर उनका मजाक उड़ाने लगे लेकिन उसमें से एक जिज्ञासु लड़का ने रामानुजम के पास आकर बोले आप ऐसा किस लिए कर रहे हैं क्या यह पौधा आपकी बातों को सुन रहा है रामानुजम मुस्कुराए और बोले कि अगर आप अपने मन की उस अंतरात्मा से किसी से बात करें तो वह आपकी बात को जरूर सुनता है चाहे वह इस सृष्टि की कोई भी चीज हो क्योंकि ?


 सृष्टि को बनाने वाली प्रकृति ही है इस प्रकृति में सभी ब्राह्मण की चेतना मौजूद है जिसको हम अपनी अंतर मन से देख सकते हैं विवेकानंद कहते हैं साकार रूप का ध्यान करो और निराकार रूप से एक होने की कोशिश करो मस्त होकर ईश्वर से बोल दो अब आप पर सब कुछ सौंप दिया है मेरे जीवन का जो कुछ भी आप ही का है और आप ही का रहेगा आप देख लेना मैं फिलहाल के लिए मुक्त हूं आपकी उंगली पकड़ कर ही चलता आया हूं आपकी उंगली पकड़ कर ही चलता रहूंगा।


 मेरा आपके सिवा कौन है इस दुनिया में कोई अपना नहीं है सिर्फ आप अपने हो मैं आपकी गोद में चैन से सोने जा रहा हूं हे ईश्वर हे प्रभु अब सब कुछ हर विषय मृत है अच्छे नजारों का सोचो जो तुम्हें पसंद है समुद्र पसंद है समुद्र को देखो प्रकृति को देखो पहाड़ पसंद है पहाड़ों को देखो खो जाओ उन नजारों में वीडियो कैसे लगी कमेंट जरूर करें कमेंट में विवेकानंद जी जरूर लिखें।


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