SWAMI VIVEKANANDA STORY IN HINDI | स्वामी विवेकानंद की 3 कहानियाँ
SWAMI VIVEKANANDA STORY IN HINDI | स्वामी विवेकानंद की 3 कहानियाँ
नमस्कार दोस्तों आज की कहानी है Swami Vivekananda ki Story hindi में , खुद से जीतने वालों को मेरा सलाम ध्यान और फोकस पर स्वामी जी की तीन कहानियां पहली कहानी में स्वामी जी स्टेप बाय स्टेप बताते हैं कि फोकस कैसे बढ़ाए'
SWAMI VIVEKANANDA STORY IN HINDI
स्वामी विवेकानंद की 3 कहानियाँ ,
पहली कहानी काम ध्यान और पांच इंद्रियां
एक बार स्वामी विवेकानंद जी यात्रा के दौरान एक आश्रम में ठहरे हुए थे तभी स्वामी जी की नजर एक युवा विद्यार्थी पर पड़ी विद्यार्थी काफी देर से संस्कृत के कुछ लोकों का पोस्टर बनाने का प्रयास कर रहा था।
लेकिन बार-बार गलती होने के कारण उसे सारा काम दोबारा शुरू करना पड़ रहा था कुछ समय पश्चात विद्यार्थी ने स्वामी जी को देखा तो उनको प्रणाम किया और समस्या बताते हुए कहा स्वामी जी मैं दो घंटे से इन श्लोकों को नए पेज पर कॉपी करने का प्रयास कर रहा हूं।
लेकिन हर बार कोई ना कोई गलती हो रही है जिस कारण मुझे बार-बार नए सिरे से शुरू करना पड़ रहा है स्वामी जी ने कहा केवल फोकस की कमी के कारण ऐसा होता है एक साधारण इंसान 90 प्रेसेंट मानसिक ऊर्जा व्यर्थ कर देता है।
इसलिए लगातार गलती करता है वहीं सदा हुआ मन गलती नहीं करता ट्रेन माइंड नेवर मेक्स अ मिस्टेक स्वामी जी ने कहा आप लिखते समय जरूर किसी व्यक्ति और घटना के बारे में सोच रहे हो युवा विद्यार्थी ने कहा स्वामी जी आज के दिन छुट्टी है सबको बाहर खेलने का समय मिलता है।
लेकिन मुझे यह काम पूरा करना है शायद इसलिए मैं ठीक से फोकस नहीं कर पा रहा युवा सन्यासी ने पूछा अगर मन कहीं और जाए तो भी किसी काम में फोकस कैसे बढ़ाते हैं स्वामी जी ने प्रैक्टिकल तरीका बताया।
सबसे पहले गहरी सांस लो और गहरी सांस छोड़ो मन को काम और खेल दोनों से हटाकर सांस पर ले आओ स्टेप टू सारी इंद्रियों को एक काम से जोड़ो जैसे उंगलियों के बीच पेन का स्पर्श महसूस करो आंखों से शब्द को बनते हुए देखो लिखते समय पेन और पेपर के घर्षण से जो आवाज हो रही है।
उसे कानों से सुनो या फिर लिखते हुए शब्दों का उच्चारण अपने अंतर मन में गूंजता हुआ महसूस करो नाक से इंक या स्याही की गंद महसूस करो स्टेप तीन काम के साथ एक हो जाओ इंद्रियों को काम से जोड़ने से तुम्हारा कंसंट्रेशन इतना बढ़ जाएगा कि तुम काम के साथ एक हो जाओगे यानी तुम काम में खो जाओगे।
तुम्हें समय का पता भी नहीं चलेगा स्टेप फोर दोबारा ध्यान लगाओ अगर बीच में मन मटके तो हमें कोई चिंता नहीं है दोबारा दृ निश्चय करो और दोबारा ध्यान लगाओ उस विद्यार्थी ने ऐसा ही किया और देखा कि जिस काम में वह इतनी देर से गलतियां कर रहा था व काम उसने एक बार में पूरा कर लिया।
स्वामी जी कहते हैं कि हमारा कंसंट्रेशन या ध्यान हमारी इंद्रियों में बटा होता है इसलिए हर इंद्रिय को एक काम पर लगा देने से मन भटकना बंद हो जाता है इस समय ध्यान बहुत गहरा हो जाता है और साधारण मन इसे ज्यादा देर तक साध नहीं पाता लेकिन इस प्रकार बार-बार अभ्यास करने से मन ध्यान को साधना सीखता जाता है।
दूसरी कहानी बिना कंसंट्रेशन के कुछ हासिल नहीं होता ।
एक दिन एक युवक ने स्वामी जी से कहा मैं बहुत समय से तैयारी कर रहा हूं मैंने कई सरकारी एग्जाम्स दिए लेकिन मैं पास नहीं हो रहा स्वामी जी मुझे पता भी नहीं चल रहा कि गलती कहां हो रही है।
स्वामी जी ने युवक को देखा और पूछा क्या तुम सच में परीक्षा पास करना चाहते हो युवक ने कहा हां फिर स्वामी जी चुपचाप उस युवक को कुछ दूर कुएं पर ले गए कुएं के पास जाकर स्वामी जी ने युवक को मिट्टी का घड़ा दिया और कहा मटके में पानी भरकर आश्रम पहुंचो।
ऐसा कहकर स्वामी जी तुरंत वहां से चले गए युवक ने तुरंत कुएं से पानी खींचा और मटके में पानी भरा लेकिन यह क्या उसने देखा कि मटके में कई महीन छेद है जिनसे थोड़ा-थोड़ा पानी रिस रहा है युवक ने सोचा कोई बात नहीं छेद बहुत मेंहीन है ज्यादा पानी नहीं बहेगा।
युवक तुरंत दौड़कर स्वामी जी के पास पहुंचा लेकिन अब तक युवक खुद भीग चुका था और मटके में पानी नाम मात्र को बचा था यह सब देखकर स्वामी जी मुस्कुरा रहे थे डिस्ट्रक्शन बहुत बड़ी बीमारी है स्वामी जी कहते हैं कि तुम्हारे साथ भी यही हो रहा है।
तुम्हारे मन में विभिन्न विचारों के कई छेद हैं तुम एक समय में कई सारे विचार सोच रहे हो जिस कारण लगातार मानसिक ऊर्जा व्यर्थ हो रही है इसलिए मेहनत करते हुए भी तुम्हें कोई परिणाम नहीं मिल रहा स्वामी जी ने कहा ऐसा कोई काम नहीं जो कंसंट्रेशन के बिना पूरा किया जा सके।
अगर कोई कहे कि कुछ काम शारीरिक शक्ति से होते हैं तो स्वामी जी कहते हैं कि याद रखो शरीर भी मन के आदेश पर ही चलता है इसलिए सारे काम मानसिक शक्ति से ही संभव होते हैं अगर लकड़हारा लकड़ी काटते समय कंसंट्रेट ना करे तो वह एक ही जगह पर कुल्हाड़ी नहीं चला पाएगा और खुद को चोट पहुंचा लेगा।
इसलिए हर नॉलेज और हर कर्म का मूल तत्व है 'ध्यान 'इसलिए कुछ भी बड़ा हासिल करने के लिए तुम्हें एक जगह ध्यान तो लगाना सीखना ही होगा।
जैसी आदत डालोगे वैसा मन होता जाएगा इसलिए छोटे से छोटा काम भी ध्यान लगाकर करो ऐसा करने से मन का स्वभाव बदल जाएगा और तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी उस युवक ने कहा स्वामी जी जब मैं पढ़ने बैठता हूं तो मन में बहुत विचार आते हैं मन में आ रहे विचारों को कैसे छोड़ते हैं।
दोस्तों इसका उत्तर है तीसरी कहानी में स्वीकारना और छोड़ना सीखो =
स्वामी जी ने कहा तुम्हारा एक और टेस्ट है उन्होंने ग्लास लिया और उसे बिल्कुल ऊपर तक भर दिया और कहा अब यह गिलास लो पानी की एक बूंद गिराए बिना हाथ में पकड़कर खड़े हो जाओ लड़का बड़ी तत्परता से ग्लास लेकर खड़ा हो गया आखिर वह अपनी योग ता स्वामी जी को साबित करना चाहता था।
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शुरू में सब सही था पर थोड़ी देर बाद उसके मन में विचार आने लगे कि यह सब करने से क्या होगा मैं कभी नहीं बदलूंगा वो लड़का असहज होने लगा वो कोशिश करता रहा लेकिन अब शरीर के हल्के से हिलने से बार-बार पानी फैल रहा था।
स्वामी जी ने कहा जब तक तुम्हारा मन शांत था तब तक पानी नहीं फैला लेकिन मन में विचार आते ही पानी फैलने लगा स्वामी जी ने कहा जैसे गर्म लोहे पर हथौड़े की चोट पड़ती है तो वो नया आकार ले लेता है उसी तरह हर एक विचार छोटे हथौड़े जैसा है।
जिसकी चोट से इंसान का शरीर व्यक्तित्व और मन आकार लेता है यानी तुम्हारा मन ग्लास में पानी की तरह ही है यह बहुत आसानी से डिस्टर्ब और विचलित हो जाता है पानी को शांत रखने के लिए तुम्हें अपने मन को शांत रखना होगा स्वामी जी ने कहा अब तुम ग्लास को पकड़ो और अपना सारा ध्यान सांस पर ले आओ सांस को पेट में सीने में आता जाता महसूस करो।
और हाथ में जो दर्द है जो असहजता है उसे जाने दो मन में जो विचार आ रहे हैं उन्हें जाने दो खुद को याद दिलाओ कि तुम मन नहीं हो बल्कि मन को देख रहे हो तुम सांस भी नहीं हो तुम सांस को देख रहे हो ऐसा याद करने से विचार आकर चले जाएंगे।
लेकिन तुम्हें विचलित नहीं कर पाएंगे थोड़ी देर लड़का वहीं अभ्यास करता रहा और वो बिना पानी फैलाए कुछ खड़ा रहा स्वामी जी ने कहा बस यही अभ्यास अपने काम और पढ़ाई में करना है इससे मन धीरे-धीरे शांत होने लगेगा फिर कोई भी बड़ी चीज हासिल करना मन के लिए स्वाभाविक हो जाएगा।
समरी सबसे पहले पांचों इंद्रियों को एक काम पर लगाओ स्टेप वन गहरी सांस लो और ध्यान सांस पर ले आओ स्टेप टू सारी इंद्रियों को एक काम से जोड़ो कान आंख नाक स्पर्श हर तर से काम से जुड़ जाओ स्टेप थ्री फ्लो स्टेट में प्रवेश करो स्टेप फोर कंसंट्रेशन टूट जाए
तो दोबारा दर निश्चय करो धीरे-धीरे मन को हाई कंसंट्रेशन लेवल को साधने का अभ्यास हो जाएगा दूसरी बात हर नॉलेज और हर कर्म का मूल तत्व कंसंट्रेशन है हमको लगता है कि छोटे मोटे डिस्ट्रक्शन से कोई खास फर्क नहीं पड़ता।
लेकिन बिना कंसंट्रेशन के कोई भी कार्य संभव है तीसरी बात रों को स्वीकार करो और जाने दो जैसे गर्म दोहे पर हथौड़े की चोट लगती है उसी प्रकार हर प्रकार की चोट से इंसान का शरीर व्यक्तित्व और मन आकार लेता है।
इसलिए अनचाहे विचारों को जाने दो अपना ध्यान सांस पर रखो खुद को याद दिलाओ कि मैं मन नहीं हूं मन को देख रहा हूं मैं सांस नहीं हूं सांस को देख रहा हूं जो भी विचार आए उसे स्वीकार करो और जाने दो ऐसा करने से मन अनचाहे विचार विरों को बचाना सीख लेगा ।
यही स्थिर रहने का सीक्रेट है दोस्तों आपको यह कहानी पसंद आया तो एकांत की शक्ति पर अगला कहानी देखिए कैसे जवान युवक ने जेन मास्टर से तीन स्टेप सीखकर अकेलेपन को एकांत बनाया और इसी खाली समय को अपनी ताकत बनाया इस कहानी को अभी देखिए या बात के लिए सेव कर लीजिए।

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