SWAMI VIVEKANANDA BANI IN HINDI | स्वामी विवेकानंद की कहानी हिंदी में,

 SWAMI VIVEKANANDA BANI IN HINDI | स्वामी विवेकानंद की कहानी हिंदी में,

नमस्कार दोस्तों, प्रेरणा चैनल में आपका दिल से स्वागत है। सही कहा है किसी ने चिंता और चिता में सिर्फ एक बिंदु का फर्क होता है इस दुनिया में कुछ लोग बेवजह चिंता करते हैं बिना किसी कारण ही अपने आप को और मन को परेशान करते रहते है चिंता हमें बीमार करती है आज की इस कहानी में हम सीखेंगे कि क्यों हमें बेवजह चिंता नहीं करनी चाहिए। 


SWAMI VIVEKANANDA BANI IN HINDI .

 एक गांव में एक किसान था जिसे एक बहुत ही बुरी आदत लग चुकी थी और वह आदत थी बेवजह चिंता करने की वह हर समय किसी ना किसी चीज की चिंता करता ही रहता वह हर समय सोचता रहता है कि कहीं मेरे साथ कुछ गलत ना हो जाए जबकि उसकी जिंदगी में अभी तक सब कुछ ठीक ही चल रहा था।

 उसके पास एक बड़ा सा खेत था जिसमें अच्छी खासी फसल हो जाती थी खेती करने के लिए दो बैल गाड़ियां थी एक अच्छा घर था एक पत्नी और दो प्यारे बच्चे थे लेकिन फिर भी वह किसी ना किसी अनहोनी के बारे में सोचकर बेवजह चिंता करता रहता कभी सोचता कि अगर मेरी फसल में कीड़े लग गई तो क्या होगा अगर आवारा पशुओं ने फसल को बर्बाद कर दिया तो क्या होगा।

 अगर सूखा पड़ गया या अत्यधिक बारिश हो गई तो मेरी फसल खराब हो जाएगी ऐसे ही वह भविष्य की अन्य बातों के बारे में सोचकर बेवजह चिंता में डूब रहा था जैसे कि कहीं खेती के समय मेरे बैल बीमार ना पड़ जाए मेरे बच्चों का भविष्य कैसा होगा कहीं बुढ़ापे में मुझे कोई बड़ी बीमारी ना हो जाए मेरे बच्चे बुढ़ापे में मेरा ख्याल रखखेंगे भी या नहीं।

  अगेरा वगैरा अपनी इस लगातार बेमतलब चिंता करने की आदत की वजह से वह  परेशानी में  रहता था और अब उसका किसी भी काम में मन भी नहीं लगता था उसकी पत्नी ने भी इस बात को अनुभव किया कि उसे बिना मतलब चिंता करने की आदत पड़ चुकी है उसने उसे कई बार समझाने की कोशिश भी की तुम बेवजह चिंता करना छोड़ दो लेकिन उसके समझाने का कोई मतलब नहीं रहा।

 उसे पता चला कि नगर में एक महात्मा आए हैं जिनके पास सारी समस्याओं का हल है फिर एक दिन वह उसे लेकर एक बौद्ध भिक्षु के आश्रम में पहुंची बौद्ध भिक्षु बहुत ही बुद्धिमान और ज्ञानी व्यक्ति थे किसान और उसकी पत्नी अपनी सारी समस्या बौद्ध भिक्षुओं के समक्ष रख दी किसान ने कहा महात्मा मैं हर समय किसी ना किसी बात की चिंता करता रहता हूं।

 मैं ज्यादातर उन बुरी चीजों के बारे में सोचता हूं फिर कभी अपना हाथ अपने सिर पर रखते तो कभी जमीन पर वह बहुत ही चिंतित और बेचैन होता रहता हूं जो अभी तक मेरे साथ हुई भी नहीं किसान की समस्या को पूरे ध्यान से सुनने के बाद बौद्ध भिक्षु ने कहा ठीक है तुम दोनों कल सुबह आना और फिर मैं तुम्हें तुम्हारी समस्या का समाधान बता दूंगा।

 अगली सुबह जब किसान और उसकी पत्नी बौद्ध भिक्षु के आश्रम में पहुंचते हैं तो देखते हैं कि बौद्ध भिक्षु बहुत ही चिंतित अवस्था में जमीन पर पालथी मारकर बैठे हुए हैं और उनके सामने एक दूध से भरा गिलास रखा हुआ है बौद्ध भिक्षु बार-बार उस दूध के गिलास की तरफ देख रहे हैं और फिर कभी अपना हाथ अपने सिर पर रखते तो कभी जमीन पर वह बहुत ही चिंतित और बेचैन दिखाई पड़ते थे यह देखकर किसान ने पूछा महात्मा आप इतने परेशान क्यों लग रहे हैं।

 आपके समक्ष दूध रखा है आप इसे पी क्यों नहीं लेते महात्मा बोले मुझे चिंता हो रही है कि कहीं इस दूध को बिल्ली ना पी जाए या फिर मैं कहीं और तो क्या पता या दूध कहीं गिर जाए मैं दूध को पीना तो चाहता हूं लेकिन मेरा भी मन नहीं है मैं तो यही सोच रहा हूं कि अगर यह दूध खराब हो गया या कोई गंदी चीज इस पर पहुंच गया तो फिर क्या होगा इतना सुनकर किसान जोर-जोर से हंसने लगा।

SWAMI VIVEKANANDA BANI IN HINDI 


 किसान ने हंसते हुए कहा महात्मा इसमें इतनी चिंता करने वाली कौन सी बात है यह दूध ही तो है अगर इसे बिल्ली ने गिरा दिया यह खराब हो गया या फिर किसी ने इसे पी लिया तो क्या हो गया यह आपको दोबारा मिल जाएगा और वैसे भी आपका चिंता करना व्यर्थ है क्योंकि ?

 ना तो अभी इसे बिल्ली ने गिराया है ना ही खराब हुआ है और ना ही अभी इसे किसी ने पिया है और हो सकता है कि भविष्य में ऐसा हो भी ना किसान के मुंह से यह बातें सुनकर बौद्ध भिक्षु मुस्कुराए और बोले मैं भी तो तुम्हें ही यही समझाने का प्रयास कर रहा हूं कि भविष्य की उन घटनाओं की चिंता करना व्यर्थ है ।

जो अभी हमारे साथ हुई ही नहीं और बहुत बड़ी संभावना है कि वह कभी होगी भी नहीं और अगर हो भी गई तो जिस चीज को तुम्हें एक बार हासिल कर सकते हो उसे तुम दोबारा भी हासिल कर सकते हो और अगर नहीं कर पाए तो कोई बात नहीं क्योंकि ?

 समस्याओं के आने के साथ ही उन समस्याओं का सामना करने की हिम्मत भी अपने आप ही आ जाती है यह बातें सुनने के बाद किसान को लगा जैसे किसी ने उसके गाल पर एक थप्पड़ मारकर उसे नींद से जगा दिया हो उसे महसूस हुआ कि वह भी तो यही गलती कर रहा है वह भी तो भविष्य की उन घटनाओं के बारे में सोचकर चिंतित हो रहा है जो अभी तक घटी ही नहीं और शायद कभी घटेगी नहीं ।


 वह और फिर बौद्ध भिक्षु के चरणों में गिर पड़ा और कहने लगा इतनी आसान में मुझे मेरी गलती का एहसास करवाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और मैं आज से पूरा प्रयास करूंगा मैं बेवजह चिंता करना बंद कर दूंगा।

 जापान में एक लोकप्रिय कहावत है अगर तुम चल रहे हो तो सिर्फ चलो अगर तुम खा रहे हो तो सिर्फ खाओ लेकिन एक समय में सिर्फ एक ही काम करो चिंता ना करो इस लोकप्रिय कहावत के अर्थ ने मुझे हैरान कर दिया था।

 और सच कहूं तो मुझे ऐसा लगता है कि कहावत के अर्थ में ही वह राज छुपा है जिससे अगर किसी ने अच्छे से समझ लिया और अपने जीवन में उतार लिया तो वह चिंता के बंधन से ही हमेशा हमेशा के लिए मुक्त हो जाएगा इस कहावत के अर्थ के बारे में हम आगे बात करेंगे लेकिन उससे पहले देखते हैं कि हमारे दिमाग में इस तरह के विचार से ज्यादा चल रहे होते हैं पहला क्या मैंने यह काम सही से किया दूसरा क्या मैं इसे और बेहतर कर सकता था।

 तीसरा इसका परिणाम क्या होगा और चौथा लोग मेरे और मेरे काम के बारे में क्या सोच रहे होंगे यह ऐसे कुछ विचार है जो हमारे दिमाग की सिस्टम में ज्यादातर समय चलते रहते हैं लेकिन हमें पता नहीं चलता क्योंकि हमने इन विचारों के साथ सीख लिया है और हमारा दिमाग काम भी ऐसे ही करता है कि अगर हमने इसे किसी काम को कई बार करवा लिया तो फिर यह उसे अपनी आदत बना लेता है।

 और फिर हमारे चाहे बिना भी उस काम को करने का प्रयास करता है शुरुआत में तो हम किसी भी काम को अपनी इच्छा से पूरे होशो हवास में करते हैं लेकिन बाद में वह हमारी आदत बन जाता है और फिर हम बस बेहोशी की हालत में बिना सोचे समझे उस काम को करते चले जाते हैं जब एक बच्चा छोटा होता है तब उसे पता नहीं होता कि चिंता क्या है लेकिन जैसे ही वह बड़ा होता है मां-बाप कहना शुरू कर देते हैं बेटे आपको होमवर्क करना है।

 आपको उसकी चिंता नहीं हो रही आपके एग्जाम आने वाले हैं आपको उसकी चिंता करनी चाहिए और ऐसे ही ना जाने कितनी सारी चीजों के लिए बच्चों के आसपास के लोग उसे चिंता करने के लिए कहते हैं और वह छोटा बच्चा इस बात को मान लेता है यह अच्छा किसी भी काम को करने के लिए हमें उसकी चिंता करनी पड़ती है और फिर वह भी किसी काम की घटना के बारे में बार-बार सोचने लगता है शुरुआत में तो वह यह काम जानबूझकर करता है।

 लेकिन धीरे-धीरे उसका मन इसे अपनी आदत बना लेता है और फिर ना चाहते हुए भी उसका मन एक ही विचार के बारे में बार-बार सोचता रहता है और फिर वह अपनी पूरी जिंदगी चिंता के इस जाल में फंस कर रह जाता है लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि इसका समाधान क्या है तो इसका समाधान है पर बताई गई जिन कहावत का अर्थ यानी जागरूकता।

 हमें अपने विचारों के प्रति जागरूक होना पड़ेगा हमें थोड़ी देर रुककर इस बात पर ध्यान देना होगा कि कहीं हम ना चाहते हुए भी एक ही घटना के बारे में तो बार-बार नहीं सोच रहे हैं हमें पूरी जागरूकता के साथ यह देखने का प्रयास करना होगा कि पूरे दिन हमारे अंदर इस तरह के विचार उठते रहते हैं अब आप पूछ सकते हैं केवल जागरूकता क्या करेगी।

 मैं कहता हूं या का है यह मन को शांत करने के लिए पर्याप्त है मन को अपने स्वभाव का एहसास कराने के लिए पर्याप्त है और जीवन में जागरूकता लाने का सबसे आसान तरीका है ध्यान करना ध्यान करने के दौरान अपने विचारों पर ध्यान देना और जब आप पूरी जागरूकता के साथ अपने विचारों पर ध्यान देना शुरू कर देंगे तब आप पाएंगे कि आपके मन में चलने वाले गैर जरूरी विचार एक-एक करके अपने आप ही गायब होना शुरू हो जाएंगे और फिर आप एक आनंदित और शांत जीवन अनुभव कर पाएंगे।

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