गुस्सा पर काबु कैसे करें | गौतम बुद्ध की कहानियाँ Pdf

 गुस्सा पर काबु कैसे करें | गौतम बुद्ध की कहानियाँ Pdf | Gautam Buddha Story. 


गौतम बुद्ध की कहानियाँ Pdf = जीवन में कभी किसी बात को लेकर गुस्सा आना एक इंसानी स्वभाव है। लेकिन यह एक दुर्गुण भी है जिसके कारण इंसान दूसरों से ज्यादा खुद को नुकसान पहुंचाता है। इस गुस्से के चलते कई बार इंसान अपने जीवन से जुड़ी हर अनमोल चीज को गवा देता है। क्रोध जब इंसान पर सवार होता है तो एक सरल और शांत इंसान भी शेर की तरह  लगता है और अपने पराय के भेद को भुलाकर दूसरों पर हमला करने लगता है।


 सही मायने में क्रोध ऐसा अवगुण है जो व्यक्ति के भीतर छिपा होता है और जब बाहर आता है तो उसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है यही कारण है कि जो व्यक्ति जितना अधिक क्रोध करता है वह अपने जीवन में उतना अधिक नुकसान करता है और जीवन का कोई भी फैसला कभी भी क्रोध में आकर नहीं करना चाहिए। क्रोध में लिए गए फैसले अक्सर गलत होते हैं और इन फैसलों से व्यक्ति आगे चलकर बहुत पछताता है।

 इसलिए गुस्सा आने पर खुद को शांत रखने का प्रयास करें और मौन धारण करें लेकिन जब गुस्सा बार-बार आने लगे और हर चीज पर आने लगे तो यह समस्या बन जाती है ऐसा नहीं है कि गुस्सा करना एक बुरी आदत है कई बार लोग प्यार से चीजें नहीं समझते तो उन्हें समझाने के लिए गुस्सा करना एक जायज सी बात है। जिस तरह स्कूल में जब बच्चे प्यार से कहने पर होमवर्क नहीं करते तो टीचर गुस्से में उन्हें डांटता है या फिर डराता है। 

 ताकि बच्चा होमवर्क करे और पढ़ाई भी इसी तरह निजी जिंदगी में कभी-कभी हमें गुस्से का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बात - बात पर गुस्सा आ जाता है और वह लड़ना शुरू कर देते हैं हर छोटी बात पर वह गुस्सा हो जाते हैं और बहस शुरू कर देते हैं ज्यादा गुस्सा आना एक ऐसी समस्या है जो किसी भी इंसान को शैतान बना सकती है। जो लोग ज्यादा गुस्सा करते हैं उनसे लोग बात करना छोड़ देते हैं या फिर उनसे मतलब ही नहीं रखते फिर चाहे वह व्यक्ति घर का हो या बाहर का गुस्सा हमारे अंदर की एक भावना है जिसे हम काबू में कर सकते हैं।


 इसलिए यदि आपको भी यह लगता है कि आप कई बार छोटी-छोटी चीजों को लेकर गुस्सा करते हैं तो खुद को शांत करना सीखें दूसरों की छोटी-छोटी गलती को नजरअंदाज करना सीखें घर परिवार और ऑफिस में कभी-कभी ऐसी बातें हो जाती जिनकी वजह से हमें गुस्सा आ जाता है। ऐसे में जब भी कुछ ऐसी बात जो एकदम से रिएक्ट करने के बजाय थोड़ा सा रुक जाए और चीखने चिल्लाने के बजाय शांत मन से उस बात को समझने की कोशिश करें और फिर दूसरों को समझाए गुस्से में अगर आप कुछ सुझाव भी देंगे तो किसी काम का नहीं आएगा।

 इसलिए सबसे पहले खुद को शांत करें और उसके बाद निर्णय ले कभी यह ना सोचे कि गुस्से में कई बात का असर ज्यादा होता है भले सामने वाला एक बार आपका गुस्सा झेल ले लेकिन बार-बार आप सामने वाले पर गुस्सा होंगे वह या तो आपकी बात का उल्टा जवाब देने लग जाएगा या आपसे बात करना ही छोड़ देगा या फिर आप से ज्यादा मुंह ही नहीं लगाएगा इसलिए लोगों को गुस्सा दिखाने के बजाय प्यार दिखाइए ताकि आपका कोई काम ना बिगड़े तो दोस्तों चलिए गौतम बुद्ध की कहानी के माध्यम से इसे समझते हैं।


गौतम बुद्ध की कहानियाँ Pdf | Gautam Buddha Story. 

 एक बार की बात है भगवान बुद्ध एक गांव में उपदेश दे रहे थे उन्होंने कहा हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील और क्षमाशील होना चाहिए। क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करने वाला दूसरों को जलाए तथा खुद भी जल जाएगा सभा में सभी शांति से बुद्धि की वाणी सुन रहे थे।


 लेकिन वहां स्वभाव से ही अति क्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा हुआ था जिसे यह सारी बातें बेतुकी लग रही थी। वह कुछ देर यह सब सुनता रहा फिर अचानक ही आग बबूला होकर बोलने लगा तुम पाखंडी हो बड़ी-बड़ी बातें करना यह तुम्हारा काम है तुम लोगों को भ्रमित कर रहे हो तुम्हारी यह बातें आज के समय में कोई मायने नहीं रखती ऐसे कई कटु वचनों सुनकर बुद्ध शांत रहे अपनी बातों से ना तो वह दुखी हुए ना ही कोई  प्रतिक्रिया दी यह देखकर वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया।


 उसने बुद्ध के मुंह पर थूक कर वहां से चला गया अगले दिन जब उस व्यक्ति का क्रोध शांत हुआ तो उसने बुरे व्यवहार के कारण पछतावे की आग में चलने लगा और उन्हें ढूंढते हुए उसी स्थान पर पहुंचा पर बुद्ध कहां मिलते वो तो अपने शिष्यों के पास वाले एक अन्य गांव निकल चुके थे।


 व्यक्ति ने बुद्ध के बारे में लोगों से पूछा और ढूंढते ढूंढते जहां बुद्ध प्रवचन दे रहे थे वहां पहुंच गए उन्हें देखते ही उनके चरणों में गिर पड़ा और बोला मुझे क्षमा कीजिए प्रभु बुद्ध ने कहा कौन हो भाई तुम्हें क्या हुआ क्यों क्षमा मांग रहे हो उसने कहा क्या आप भूल गए हैं मैं वही हूं जिसने कल आपके साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया था।


 मैं शर्मिंदा हूं मेरे दुष्ट आचरण की क्षमा याचना करने आया हूं बुद्ध ने प्रेम पूर्वक कहा बीता हुआ कल तो मैं वहीं छोड़कर आ गया तुम अभी भी वहीं अटके हुए हो तुम्हें अपनी गलती का आभास हो गया तुमने पश्चाताप कर लिया तुम निर्मल हो चुके हो अब तुम आज में प्रवेश करो बुरी बातें तथा बुरी घटनाएं याद करते रहने से वर्तमान और भविष्य दोनों बिगड़ते हैं।


 बीते हुए कल के कारण आज को मत बिगाड़ उस व्यक्ति का सारा बोझ उतर गया उसने भगवान बुद्ध के चरणों में परकर क्रोध त्यागा तथा क्षमा शीलता का संकल्प किया बुद्ध ने उसके मस्तिष्क पर आशीष का हाथ रखा उस दिन से उसमें परिवर्तन आ गया और उसके जीवन में सत्य प्रेम और करुणा की धारा बहने लगी। 


 दोस्तों बहुत बार हम भूत में की गई किसी गलती के बारे में सोचकर बार-बार दुखी होते हैं खुद को कोसते हैं कि ऐसा नहीं करना चाहिए। गलती का बोध हो जाने पर हमें उसे कभी ना दोहराने का संकल्प लेना चाहिए और एक नई ऊर्जा के साथ वर्तमान का सुदृढ बनाना चाहिए।


 अगर आपको बहुत ही ज्यादा गुस्सा है तो अपने लिए समय निकाले और शांति से बैठे इसमें आपको तेजी से आ रहा गुस्सा थोड़ा कम होगा और आगे आपको क्या करना है या स्थिति को कैसे हैंडल करना है सांत दिमाग से सोच सकते हैं। जब व्यक्ति मन में चीजें दवाए रखता है तो उसका एक जगह का गुस्सा दूसरी जगह निकलता है।


 सामने वाले व्यक्ति को अपने मन की बात कह देने से आप मन में चीजें नहीं रखेंगे और आपका गुस्सा और पर नहीं आएगा जब व्यक्ति बहुत तनाव में रहने लगता है तो गुस्सा भी आसानी से आने लगता है जरा सी बात पर चिरचिरा हट भी इसी कारण से होती है।


 यह बात बहुत सुनी सुनाई लगती है लेकिन ऐसा करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है अगर आपको गुस्सा आए और अगर आप किसी को कहना सुनाना चाहे तो उससे कुछ देर पहले अच्छे से सोचे विचार क्या सचमुच ये कहने की जरूरत है या नहीं फिर इसका परिणाम क्या होगा और बहुत तेज गुस्सा आने पर धीरे-धीरे एक से 100 तक गिनती करनी चाहिए।


 इससे आप को रिलैक्स होने का समय मिलता है और अपने मनपसंद के गाने सुनने भी गुस्से वाली स्थिति को ठीक कर सकता है और आपके मन को अच्छा महसूस होता है आपका गुस्सा कम होने लगता है।

 दोस्तों इस कहानी में बस इतना ही मिलते हैं अगले कहानी में अपना ख्याल रखिएगा।

  धन्यवाद .

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