हॅसते हुए जिओ | Gautam Buddha Motivational Story

 हॅसते हुए जिओ | Buddhist Story on How to be Happy Always| Buddha Inspired Story

Gautam Buddha Ki kahani 

हॅसते हुए जिओ | Gautam Buddha Motivational Story 

मन की चाल बड़ी रहस्यमय होती है हम जिस काम से छुटकारा पाना चाहते हैं जिस काम से दूर जाना चाहते हैं हमारा मन हमें उसी चीज के पास ले जाकर खड़ा कर देता है चलिए इस कहानी से समझते हैं कि मन अपनी चाल किस प्रकार चलता है और अगर अपने मन की चाल से छुटकारा पाना है तो उसके लिए क्या तरीके हो सकते हैं।

 पुराने समय की बात है एक संत एक घोड़े पर सवार होकर एक गांव के बाहर से गुजर रहा था गर्मी का समय था इसीलिए उस गांव की एक औरत गांव के बाहर घर से एक घड़े में पानी भरने के लिए आई हुई थी वो पानी भर के अपने रास्ते से गुजर रही थी कि तभी वह संत अपने घोड़े पर सवार होकर उस औरत के पास से गुजरा दोपहर का समय था।

 इसीलिए संत को काफी प्यास लग रही थी उसने अपना घोड़ा रोका और उस औरत से कहा कि क्या आप मुझे पानी पिला सकती हैं काफी दूर तक जाना है और रास्ते में शायद मुझे कहीं पानी नहीं मिलेगा अगर आप मुझे पानी पिला सकती तो आपकी काफी कृपा होती यह सुनकर वह औरत अपना घड़ा अपने सर पे से उतार कर उस संत को पानी पिलाने लगती है।

 पानी पीने के बाद संत जब अपने रास्ते पर आगे बढ़ने लगा तो उसे ख्याल आया कि क्यों ना मैं भी इस औरत की कुछ मदद कर देता हूं यही सोचकर उसने उस औरत से पूछा कि मैं इसी गांव की तरफ जा रहा हूं अगर आपको भी उसी गांव में जाना है तो आप मेरे घोड़े पर सवार हो सकती हैं।

 काफी गर्मी है आपको पसीना भी आ रहा है आपने मुझे पानी पिलाया है मेरी प्यास बुझाई है और इसके बदले में मैं भी आपकी कुछ सहायता कर सकता हूं।

 आप मेरे घोड़े पर सवार हो जाइए मैं आपको गांव तक छोड़ दूंगा यह सुनकर वह औरत भी सोचती है कि गांव काफी दूर है क्यों ना घोड़े पर सवार होकर गांव तक चला जाए और यही सोचकर वह उस सन्यासी के साथ उस घोड़े पर सवार हो जाती है अब समझने की बात यह थी कि वह सन्यासी ब्रह्मचारी था।

 आज तक उसने किसी भी औरत की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखा था लेकिन आज वो औरत जब उसके घोड़े पर सवार हुई तो उसके मन ने अपनी चाल चलनी शुरू की उसके मन में अनेक प्रकार के ख्याल आने लगे वह उस औरत के पीछे बैठा था और घोड़ा धीमी धीमी रफ्तार से गांव की तरफ बढ़ रहा था जैसे-जैसे घोड़ा आगे बढ़ता था वैसे-वैसे धक्का लगने की वजह से वह उस औरत के और करीब खिसक जाता था।

 इसकी वजह से उसे उस औरत की खुशबू महसूस हो रही थी और उसे महसूस हो रहा था कि उसके कितने करीब पहुंच चुका है और यहीं पर उस सन्यासी के मन में उस औरत के प्रति कामवासना के विचार आने लगे वह तो अपनी प्यास बुझाने के लिए रु था पानी भी पी लिया था उसे क्या पता था उसका मन इस प्रकार की चाल चलने लगेगा लेकिन मन तो बड़ा विचित्र होता है।

 हम कभी नहीं जानते कि हमारे मन में किस समय किस प्रकार के विचार उठ जाएंगे अच्छी खासी ब्रह्मचर्य की जिंदगी गुजारने के बाद आज जब अचानक उसके मन में ऐसे ख्याल आए तो उसे पता भी नहीं चला कि उससे छुटकारा कैसे पाया जाए रास्ते मेंही उसने अपने घोड़े को रोक दिया और उस घोड़े से उतरकर उसने उस औरत से कहा कि हमें कुछ देर आराम कर लेना चाहिए।

 घोड़ा भी काफी थक गया है काफी लंबे रास्ते से मैं इस घोड़े पर चला आ रहा हूं यह घोड़ा भी थोड़ा आराम कर लेगा और तब तक धूप भी थोड़ी छट जाएगी तब तक हम इसी पेड़ की छाव में इंतजार कर लेते हैं और यही सोचकर वह औरत भी उस घोड़े से उतर जाती है और वह दोनों उस पेड़ की छाव में आराम करने लगते हैं युवती यवन से भरी हुई थी पसीने की बूंदे जब उसके शरीर से टपकती थी तो उस युवा सन्यासी को लगता था।

 जैसे अमृत की बूंदे टपक रही हो चाहकर भी व अपने मन को काबू नहीं कर पा रहा था क्योंकि उसने अपने मन को आज तक समझा ही नहीं था मन की चाल बड़ी विचित्र होती है वह खुद नहीं समझ पा रहा था कि उसका मन उसे किस ओर खींच कर ले जा रहा है और उससे ऐसा अपराध होने वाला था।

 जो उसके पूरे उम्र के ब्रह्मचर्य को एक पल में बर्बाद कर देगा दोनों पेड़ की छाव में आराम कर रहे थे सन्यासी तो प्यास बुझाने के लिए उस औरत के पास रुका था लेकिन उसका मन इस प्रकार का विचित्र खेल खेलेगा उसे भी क्या मालूम था।

 वह तो अपने मन को रोकने का हर संभव प्रयास कर ही रहा था लेकिन जैसे-जैसे वह प्रयास करता था वैसे-वैसे वह युवती उससे बात करने की कोशिश कर रही थी जैसे ही वह युवती उससे उसके जीवन के अनुभव पूछती वैसे ही वह युवा सन्यासी उससे दूर भागने का प्रयास करता युवती भी उस युवा सन्यासी के यवन की तरफ जाने अनजाने खींची चली जा रही थी।



 पूरा जीवन उसने तपस्या करके बिताया था सन्यासी था भरा पूरा शरीर था कोई भी युवती उस सन्यासी की तरफ आकर्षित हो जाती और जब युवती ने सन्यासी से कहा कि बाबा आप काफी जवान हैं काफी सुंदर हैं। 

 आप इस भरी जवानी में सन्यास में क्यों उतर गए आपको तो घर परिवार बसाना चाहिए था शादी करनी चाहिए थी बाल बच्चे पैदा करने चाहिए थे और जैसे जैसे युती य सवाल उस सन्यासी से पूछ रही थी वैसे-वैसे संन्यासी की मुस्कुराहट उसके होठों पर खेल रही थी सन्यासी भी चाहता तो था कि वह भी युवती के साथ प्रेम भरी बातें करें लेकिन सन्यास उसे पीछे खींच रहा था।

 एक बार तो सन्यासी ने सोचा कि उसे सीधा-सीधा उत्तर दे दे कि मैं सन्यासी हूं मुझे भोग विलास से कोई लेना देना नहीं है तुम ना की इतना प्रयास कर रही हो और अपने रास्ते पर सीधा बढ़ जाए लेकिन आपको तो पता है कि मन मन तो बड़ा विचित्र है।

 वह तो वही करता है जैसा हम सोचते नहीं है हमारी सोच के विपरीत हमारा मन कार्य करता है इसीलिए सन्यासी ने सोचा कि ऐसा व्यवहार करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहेगा आखिरकार उस युवती ने उसकी प्यास बुझाई थी उसकी सहायता की थी और इस तरह वह उसे उत्तर नहीं दे सकता था।

 इसीलिए वह उस औरत के साथ थोड़ा और समय बिताने लगा उसने सोचा कि थोड़ा ही तो समय बिताना है इसको इसके गांव तक छोड़ दूंगा उसके बाद यह अपने रास्ते और मैं अपने रास्ते हमारा कभी मिलना होगा ही नहीं लेकिन सन्यासी जितना ही उसके साथ बात करता था।

 उस युवती की आंखें उसे अपनी ओर और आकर्षित कर रही थी वो ना चाहते हुए भी उसकी आंखों में देख रहा था वो बार-बार अपनी नजरों को इधर-उधर घुमा रहा था कभी अपने घोड़े की तरफ देखता कभी गर्मी की तरफ कभी धूप की तरफ देखता लेकिन फिर भी उसकी नजरें घूमकर उसकी आंखों में अटक जाती थी और उसकी आंखों में देखने से उसे बड़ी शांति महसूस होती थी।

 बार-बार अपने मन को वहां से दूर हटाने का प्रयास कर रहा था लेकिन प्रयास सारे के सारे विफल हो रहे थे आखिरकार जब प्याला पूरा पानी का भर गया जब उसका मन उसके काबू से बाहर हो गया तो सन्यासी ने बिना किसी परिणाम की चिंता किए उस युवती को अपने आलिंगन में भर लिया।

 ऐसी घटना घटित होते ही अचानक वह युवती गुस्से में भर गई अब तक तो वह भी अपने आप को आकर्षित महसूस कर रही थी लेकिन जब उसने उसे आलिंगन में बांध लिया तब उसे अपनी इज्जत की अपनी लोक लज्जा की परवाह होने लगी और बदकिस्मती से उसी समय गांव के कुछ युवक उसी रास्ते से गांव की तरफ जा रहे थे।

 और जब उन्होंने उस युवती को सन्यासी के आलिंगन में देखा तो लोक लज्जा के भह से उस युवती ने वहीं पर चिल्लाना शुरू कर दिया जोर-जोर से चिल्लाने लगी कि यह सन्यासी मुझ पर गलत नजर डाल रहा है यह मेरे साथ गलत व्यवहार कर रहा है।

Motivetional Story In Hindi | Gautam Buddha Ki kahani 

 मैंने इसकी प्यास बुझाई इसे पानी पिलाया और इसने मुझे इसका यह सिला दिया युवती को पलटते देर ना लगी और साथ की साथ सन्यासी भी होश में आ गया अब उसे समझ में आया कि उससे कितनी बड़ी भूल हो गई है।

 अचानक जैसे वो निद्रा से जाग गया हो वह बार-बार उस युवती से क्षमा याचना कर रहा था लेकिन वह युवती उससे दूर हटती जा रही थी और जब उस गांव के सौदों ने उस सन्यासी को देखा तो उन्होंने उस सन्यासी को पकड़कर वहीं पर पीटना शुरू कर दिया पीटते पीटते व उसे अपने गांव तक ले आए और गांव वालों को इस घटना की खबर दी गांव वाले गुस्से में भर गए बड़ी इज्जत करते थे उस सन्यासी की भगवान तुल्य समझते थे।


 उसे देव की तरह उसकी पूजा करते थे और उसी सन्यासी ने उनकी की युवती के साथ ऐसा कर्म कर दिया था जिसकी कोई भी माफी नहीं थी कोई आम आदमी होता तो शायद यह समाज उसको माफ करने के बारे में एक बार सोच सकता था।

 लेकिन यह आदमी एक सन्यासी था पूरे समाज में देव की तरह पूज्य था और उसने ऐसा गिनोना काम किया था तो यह समाज उसको कदापि माफ करने के लिए तैयार नहीं था पूरा गांव उस सन्यासी पर टूट पड़ा कोई उसे गालियां देता था कोई चप्पल से मारता था।

 लेकिन कोई भी उसकी मनोदशा समझने की कोशिश नहीं कर रहा था आखिरकार सबका मन एक जैसा ही तो होता है सबका मन इसी प्रकार के तो खेल खेलता है जाते तो हैं हम सुलह करने के लिए लेकिन लौटते हैं झगड़ा करके सोचते हैं कि सुबह जल्दी उठेंगे लेकिन पूरे दिन भर तो सोते ही रहते हैं और इस प्रकार जब हम गहराई से सोचते हैं तो हमें पता चलता है कि हमारा मन वही कार्य हमसे करवाता है।

 जो हम करना नहीं चाहते वह हमसे बिल्कुल विपरीत और उलट चलता है लेकिन इसे वही समझ पाता है जो साधना करता है ध्यान करता है अपने मन को समझ ने का प्रयास करता है सन्यासी ने तो ऐसा अपराध किया ही था कि जो कभी माफ हो ही नहीं सकता था शायद वह सन्यासी वास्तविकता में सन्यासी था ही नहीं क्योंकि असली संत वही होता है।

 जिसने अपने मन पर विजय हासिल कर ली हो लेकिन कहा जाता है कि आप चाहे तो हवा में तैर सकते हैं चाहे तो पानी पर चल सकते हैं दुनिया की हर चीज हासिल कर सकते हैं लेकिन अपने मन पर विजय हासिल करना इन सभी कामों से कठिन काम होता है यह सिर्फ उस सन्यासी की कहानी नहीं है।

 ये ज्यादातर लोगों की यही कहानी है किसी महिला ने थोड़ी देर हंस मुस्कुरा कर बात कर ली और इंसान ने उसका गलत अर्थ निकाल लिया वो समझा कि यह मेरे प्यार में पड़ चुकी है और वह उस पर गलत तरीके से नजर डालना शुरू कर देता है।

 लेकिन अगर कोई महिला हंस मुस्कुराकर प्यार से दो बातें किसी से कर लेती है तो क्या इसका यह मतलब है कि वह किसी के प्यार में पड़ गई है यह तो हमारे मन की चाल होती है हमारा मन अपनी वासनाओं की पूर्ति के लिए हमसे ही झूठ बोलता रहता है और हम उसे सच मानते रहते हैं।

 लेकिन व मन हमें ऐसे जाल में फंसा देता है जहां से बाहर निकलना हमारे लिए बिल्कुल नामुमकिन हो जाता है अगर हम अपने मन को समझने का प्रयास करें तो हम यह भी समझ पाएंगे कि मन कभी भी सच नहीं बोलता है मन हमेशा झूठ की तरफ लेकर जाता है और मन के पार जो उतर जाता है।

 वही सत्य को जान पाता है वही आत्मज्ञान की प्राप्ति कर पाता है क्योंकि मन ही आत्मज्ञान के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा होता है इसीलिए जितनी भी शिक्षाएं हैं वह सारी शिक्षाएं एक ही विषय पर केंद्रित रहती हैं कि अपने मन पर विजय कैसे हासिल की जाए अपने मन के पार कैसे जाया जाए क्योंकि जो इंसान अपने मन से पार उतर पाता है।

 वही अपनी इंद्रियों पर विजय हासिल कर पाता है मन हमारी इंद्रियों का चालक होता है जो हमारे मन में विचार उठते हैं उसी प्रकार हमारी इंद्रियां काम करती हैं इसीलिए अगर हमारे मन में सकारात्मक विचार आते हैं तो हमारी इंद्रियां नकारात्मक रूप से कार्य करती हैं।

 लेकिन अगर हमारे मन में नकारात्मक विचार आते हैं तो हमारी इंद्रियां हमसे बुरे काम करवाती रहती हैं जिससे हमारा मन और ज्यादा दुखी होता चला जाता है अपने मन को समझने के दो सबसे आसान तरीके होते हैं सबसे पहला तरीका अपने आप से सवाल करो कि मैं कौन हूं।

 मैं कौन हूं और बार-बार जब हम अपने आप से सवाल करते हैं तो हम अपने मन के पार जाकर अपना वास्तविकता में स्वरूप देख पाते हैं जो लोग ध्यान या मेडिटेशन करते हैं वह लोग भी एक बात समझ ले कि ध्यान भी एक प्रकार का जाल ही होता है अगर आप ध्यान से संपूर्ण आनंद प्राप्त करने के बाद उस ध्यान विधि को छोड़ नहीं पा रहे हैं तो ध्यान भी आपके रास्ते में एक रोड़ा बन जाता है क्योंकि साधन का उपयोग रास्ते को पार करने के लिए किया जाता है।

 लेकिन रास्ता पार होने के बाद भी अगर कोई साधन को छोड़ नहीं रहा है तो वह मूर्ख है उसे उस साधन से ही मोह हो गया है उसका मन उसी साधन के आसपास उलझ गया है इसी प्रकार ध्यान भी एक प्रकार का साधन होता है जो रास्ता तय करने में हमारी सहायता करता है लेकिन रास्ता तय होने के बाद आनंद प्राप्त करने के बाद अगर उस ध्यान विधि को छोड़ नहीं पा रहे हैं तो वह ध्यान ही हमारा सबसे बड़ा रोड़ा बन जाता है।

 इसीलिए अगर किसी ध्यान विधि से आपको संपूर्ण लाभ प्राप्त हो चुका है तो उस ध्यान विधि को वहीं पर छोड़ देना अच्छा होता है वरना तो वही ध्यान विधि आपके रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा बन जाएगी जिसको छोड़ हर एक के लिए मुमकिन नहीं हो पाता है दूसरा तरीका अपने मन को समझने का सबसे प्रगा तरीका होता है वह होता है कि अपने में और अपने मन के बीच में एक दूरी बना लो जब मन में और हमारे बीच में दूरी होती है तो हम मन के विचारों को मन की क्रियाओं को भली भाति देख पाते हैं।

 और यही सबसे बड़ा असरदार साबित होता है और जब हम अपने मन के विचारों को अपने मन की क्रियाओं को भली भाति देख पाते हैं तो हम यह भी देख पाते हैं कि हम ना तो शरीर हैं ना मन है हम शरीर और मन के पार हैं।

 लेकिन वह तभी महसूस होता है जब मन के विचारों को भली भाती साक्षी रूप से देखा जाए साक्षी की साधना यही होती है कि मौन होकर बिल्कुल चुप होकर अपने मन के विचारों को देखना कुछ भी उसके बारे में सोचना नहीं कुछ भी उसके बारे में करना नहीं ना तो उन विचारों को दूर हटाने का प्रयास करना ना उन विचारों में सम्मिलित होना बस उनको दूर हटकर दूर खड़े हो होकर उनको देखते रहना और देखते देखते हम पाएंगे कि हम मन के पार चले जाते हैं।


 हमारे मन के विचार टने लगते हैं लेकिन उसके बारे में बिल्कुल भी यह नहीं सोचना होता कि ये अच्छा विचार है या ये बुरा विचार है अगर हम ऐसा सोचेंगे तो हम उन विचारों के साथ बह जाएंगे हम उन विचारों के साथ शामिल हो जाएंगे और इस प्रकार हम कभी भी अपने मन के पार नहीं जा पाएंगे।

 अगर अपने मन के पार जाना है तो साक्षी बनना पड़ेगा अपने मन का उनके विचारों का उसकी क्रियाओं का और जब ऐसा होगा तो मन के पार की स्थिति हम हासिल कर पाएंगे जिससे कि आत्मज्ञान के रास्ते खुल जाएंगे तो, 

 दोस्तों कैसी लगी यह कहानी आपको कमेंट सेक्शन में जरूर बताना और अच्छी लगी हो तो इस चैनल को सब्सक्राइब करके नोटिफिकेशन बेल को जरूर प्रेस करना तो मिलते हैं अगली कहानी में, 

Gautam Buddha Motivational Story In Hindi | Gautam Buddha Ki kahaniya 

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