बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी | सफ़लता की प्रेरणादायक कहानियां
बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी | सफ़लता की प्रेरणादायक कहानियां
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| बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी |
बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी
बुद्ध कहते हैं मन शरीर दोनों के लिए
स्वास्थ्य का रहस्य है, अतीत पर शोक मत करो ना ही भविष्य की चिंता करो बल्कि
बुद्धिमानी और ईमानदारी से वर्तमान में जोयो लेकिन हम कितना वर्तमान में जीते हैं।
"जी ही नहीं सकते अगर जी सकते हैं तो आप कोशिश करके देख लीजिए आपका मन और शरीर
दोनों स्वस्थ हो जाएंगे आप भविष्य की चिंता में परेशान नहीं होंगे और ना ही
अतीत के दुख का लेकर रोना रोएंगे बल्कि वर्तमान में चल रही सांसे भी आपको आनंद
देंगी मैंने सुना है कि कहीं दूर एक पहाड़ के चट्टान पर एक व्यक्ति बैठा रो रहा था।
वहां से एक बोध भिक्षु गुजर रहे थे उसे रोता देख भिक्षु उस व्यक्ति के पास आया और
बोला क्या तुम कूदकर आत्महत्या करना चाहते हो व्यक्ति बोला आपने सही अंदाजा लगाया।
मैं चाहता तो यही था मगर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था भिक्षु ने कहा क्या सब पीछे
'छोड़कर आए हो या अपने साथ भी कुछ लाए हो व्यक्ति ने कहा नहीं मैंने सब पीछे छोड़
दिया है मैं अपने साथ कुछ भी नहीं लाया भिक्षु ने कहा तो तुम इतना बोझ ले क्यों ?
बैठे हो व्यक्ति ने कहा कौन सा बोझ मेरे पास तो कुछ भी नहीं है मैं तो खाली हूं।
कंगाल हूं भिक्षु ने कहा फिर तुम कौन से बोझ के तले दबे जा रहे हो जो तुम्हारी
सांसे भी ठीक से नहीं चल रहा है तुम आत्महत्या करना चाहते हो और रो भी रहे हो
खाली इंसान तो ऐसे नहीं रोता जो कंगाल हो गया है उसे क्या डर अपने अंतर में झांक और
देखो तुमने कितना बोझा उठाया है कितना कुछ तुम अपने सिर पर ढो रहे हो इसे उतार कर रख
"दो थोड़ा हल्का हो जाओ कब तक इस बोझ के तले दबे रहोगे वह व्यक्ति भिक्षु के चरणों
में गिर पड़ा और बोला आपने तो मुझे पढ़ लिया मेरे अपने भी मुझे नहीं समझ पाए आप
ही मेरी समस्या का समाधान कर सकते हैं भिक्षु ने कहा कहां समस्या है व्यक्ति ने
"कहा मेरे घर पर वहां मेरे साथ चलिए भिक्षु ने कहा नहीं समस्या तुम्हारे घर पर नहीं
है। समस्या तुम्हारे अंदर है जब तक तुम अपने भीतर के समस्या का समाधान नहीं करोगे
तुम्हें हर जगह समस्याएं ही नजर आएंगी और अगर यहां इस चट्टान पर समस्या नहीं है तो
"फिर तुम यहां आत्महत्या करने की क्यों सोच रहे हो क्योंकि तुमने तो घर छोड़ दिया है
समस्या भी छूट गई होती ना फिर तुम इतनी परेशान क्यों हो व्यक्ति बोला आप सही कहते
हैं।
मैं आपकी बात समझ रहा हूं कमी मुझ में ही है इसलिए तो मैं आत्महत्या करना चाहता
था मैं किसी काम का नहीं हूं मैं जो कुछ भी करने जाता हूं सब बिगड़ जाता है मेरी
किस्मत ही बहुत खराब है भिक्षु ने कहा ठीक है मुझे बताओ कि क्या खराबी है तुम्हारी
किस्मत में व्यक्ति ने कहा मैंने व्यापार करने के लिए अपने परिवार से धन लिया उस धन
"से मैंने व्यापार किया लेकिन मेरा व्यापार ठीक नहीं चला शुरू शुरू में मेरे परिवार
वालों ने मेरा साथ दिया लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे मैं अपने व्यापार में नुकसान
उठाता गया मेरे परिवार वाले भी मुझसे दूर हो गए मैं सब उन्हीं के लिए कर रहा था।
"लेकिन वह मुझे अब इन सब का जिम्मेदार ठहराते हैं मुझे भी लगता है कि मैंने उन
सबके साथ गलत किया मेरा एक मित्र है उसने भी व्यापार आरंभ किया था आज उसका व्यापार
बहुत अच्छा चल रहा है वह कभी मेरे घर आता है तो वह अपने अच्छे चल रहे व्यापार की
बात करता है वह बताता है कि कैसे उसने अपने व्यापार को अपने दम पर खरा किया कैसे
उसने मेहनत की और सफलता पाई मेरे परिवार वाले भी कहते हैं कि देख उसे तेरे बस का
'तो कुछ भी नहीं है अब हालात यह है कि मेरा घर भी गिर भी पड़ा है भिक्षु ने कहा क्या
तुम्हें पता है। तुम्हारा मित्र तुम्हारे पास क्यों आता है व्यक्ति ने व्यक्ति ने
कहा हां मुझे पता है वह मुझे नीचा दिख ने आता है व यह जताने आता है कि वह मुझसे
श्रेष्ठ है वह चाहता है कि मैं उसकी सफलता देखकर दुखी रहू भिक्षु ने कहा क्या तुम
दुखी होते हो व्यक्ति ने कहा हां दुख तो होगा ही भिक्षु ने कहा दुख किस बात का
होता है अपने असफल होने का या मित्र के सफल होने का व्यक्ति ने थोड़ी देर सोचा और
बोला अपने असफल होने का इतना दुख नहीं होता जितना मित्र के सफल होने का होता है
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भिक्षु ने कहा अर्थात अगर तुम्हारा मित्र असफल हो तो तुम्हें खुशी होगी व्यक्ति ने
कहा हां मुझे बहुत खुशी होगी भिक्षु ने कहा अर्थात तुम्हारी खुशी तुम्हारे मित्र
"के ऊपर निर्भर करती है तुम्हारा मित्र चाहे तो तुम्हें खुश कर सकता है या चाहे
तो दुखी कर सकता है तुम स्वयं से तो ना खुश हो सकते हो और ना ही दुखी हो सकते हो।
तुम अपने मित्र के गुलाम हो गए हो तुम्हारी समस्या का कोई समाधान नहीं है
क्योंकि तुम्हारी खुशियां और तुम्हारे दुख दूसरों के व्यवहार से आते हैं तुम्हारे
स्वयं के कर्म से तो कुछ नहीं आ रहा व्यक्ति बोला ऐसा ना कहे मुझे आपसे बहुत
आशा है भिक्षु ने कहा जब हम दूसरों से आशा बांध लेते हैं तब हम दूसरों पर निर्भर हो
जाते हैं अगर मैं तुम्हें कोई रास्ता ना दूं तो तुम दुखी रह जाओगे और अगर कोई
रास्ता दूं तो शायद तुम्हें कुछ मिल जाए लेकिन अगर आशा तुम अपने से बांधो
"तो तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी तुम्हारा मित्र आज तुम्हें दुखी करने आता है लेकिन
बातें वह सच्ची ही बताता है वह अपने संघर्ष और अपने अनुभव की बात बताता है
उसके अनुभव और अपनी बुद्धि का उपयोग करो उसके संघर्ष का उपयोग करो दुखी होने की
जगह खुशी मनाओ कि तुम्हें घर बैठे कुछ अनुभव मिल रहे हैं संघर्ष करो हार मत मानो
कर्म करते जाओ बुरे से बुरा वक्त या अच्छे से अच्छे अ वक्त दोनों ही गुजर जाते हैं।
लेकिन यह दोनों वक्त देखने के लिए जीवित रहना जरूरी है और जब तुम्हारा अच्छा वक्त
शुरू होगा तब तुम्हारा मित्र तुम्हें अपनी सफलताओं की कहानी नहीं बताएगा वह अपना
असफलताओं की कहानी बताएगा ताकि तुम गलत निर्णय ले सको तब भी अपनी ही बुद्धि का
उपयोग करना उस समय भी वह तुम्हें दुखी करने आएगा क्योंकि उसे भी उतना ही मजा आता
"है तुम्हें दुखी देखने में जितना कि तुम्हें आता है उसे दुखी देखने में
व्यक्ति ने कहा आप सही कहते हैं मेरे जीवन को मैं नहीं चला रहा दूसरे ही इसमें सुख
और दुख भर रहे हैं लेकिन क्या अपनों के लिए कुछ करना गलत है मैं अपने परिवार के
लिए अच्छा करना चाहता था लेकिन वह परिवार ही अब मेरे साथ नहीं है भिक्षु ने कहा तुम
शांत होना चाहते हो वास्तव में इस दुनिया में सब शांत होना ही चाहते हैं वे चाहते
'हैं कि हम कुछ करें तो लोग उसकी प्रशंसा करें प्रशंसा ना होने पर हम दुख हो जाते
हैं हमें लगता है कि सब मतलबी है लेकिन अगर तुम किसी को अपना परिवार मानते हो और
उसके लिए कुछ करना भी चाहते हो तो तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम दूसरों के लिए
कर रहे हो तुम अपने लिए ही कर रहे हो अगर तुम्हें लगा कि तुम दूसरों के लिए कर रहे।
हो तो तुम दुखी ही रहोगे और तुम्हें लगा कि तुम अपने लिए कर रहे हो तो तुम खुश
रहोगे जब तुम अच्छा केवल अच्छा करने के लिए करते हो तब तुम्हें सांत्वना की जरूरत
नहीं पर अति व्यक्ति ने कहा आप सही कहते हैं मैं समझ गया हूं। अब तक मेरी किस्मत
दूसरों के हाथ में थी तो खराब थी अब मैं अपनी किस्मत अपने हाथ में रखूंगा अब यह
अच्छी हो या खराब हो मैं हार नहीं मानूंगा फिर भी क्या आप मुझे कुछ दे सकते हैं जब
मेरे जीवन का सबसे बुरा वक्त हो तब मेरा साथ निभा सके भिक्षु हंसा और कहा यह छोटा
सा बक्सा मैं तुम्हें देता हूं इसे हमेशा अपने पास रख रखना इसमें एक ऐसा राज है जो
तुम्हें बरे से बरे दहक से बाहर निकाल लेगा लेकिन इसे तभी खोलना जब तुम्हारी
जिंदगी में कोई राह ना आए और तुम्हें लगे कि सब व्यर्थ है मेरी बातें भी व्यर्थ हैं
यह दुनिया व्यर्थ है यहां रहना भी व्यर्थ है वह व्यक्ति उस बक्से को लेकर चला गया
उसने भिक्षु की बात पर अमल किया और व्यापार आरंभ किया उसका व्यापार अच्छा चला
उसका जीवन भी अच्छा बीत रहा था परिवार वाले भी उसके साथ आ गए थे अब वह जो कुछ भी
कर रहा था सब अपने लिए ही कर रहा था भूतकाल का रोना भी वह छोड़ चुका था भविष्य
की चिंता भी वह नहीं करता था वर्तमान को सुधारने में लगा रहता था लेकिन वक्त बदलता
"है अच्छा समय हमेशा नहीं रहता बुरा समय हमेशा नहीं रहता उसका अच्छा समय भी समाप्त
हो गया उसके राज्य पर किसी राजा ने चढ़ाई कर दी उसका घर तबाह हो गया व्यापार तबाह
हो गया उसे अपने परिवार के साथ वहां से भागना
पड़ा उसके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे भूख से उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई।
वह अपनी पत्नी और एक छोटे भाई और दो बच्चों को लेकर इधर उधर भटक रहा था उसके
बच्चे बीमार थे उसे पैसा चाहिए था लेकिन उसके पास कुछ भी नहीं था तब उसे लगा कि सब
व्यर्थ है उसका जीवन व्यर्थ है इस पृथ्वी पर सब कुछ व्यर्थ है सब बातें जो भिक्षु
ने कही थी सब व्यर्थ है किसी भी बात का कोई मतलब नहीं है अंततः जीवन समाप्त ही
होता है तो फिर जीवित रहकर क्या फायदा जब वह यह सब सोच रहा था तब उसकी नजर उस छोटे
बक्से पर परी जो उसे भिक्षु ने दिया था उसने उसे खोला उसमें एक पर्ची थी जिस पर
कुछ लिखा था उसने उसे पढ़ा और जोर से हंसा उस पर्ची पर लिखा था यह वक्त भी गुजर
जाएगा 'उस बक्से में एक सोने का सिक्का था जिससे उसने अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की
यह हो सकता है। आपके पास वह सोने का सिक्का ना हो लेकिन हिम्मत तो है ना कुछ ना कुछ
"कर ही लेंगे तो दोस्तों उम्मीद है इस कहानी से आपको काफी कुछ सीखने को मिला
होगा और अगर कुछ सीखने को मिला हो तो हमारे इस कहानी को लाइक शेयर और बुधा
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बुद्धाय जरूर लिखिए धन्यवाद ......।

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